Raat ka Surajmukhi - 6 in Hindi Moral Stories by S Bhagyam Sharma books and stories PDF | रात का सूरजमुखी - 6

Featured Books
Categories
Share

रात का सूरजमुखी - 6

रात का सूरजमुखी

अध्याय 6

रात के 10:00 बजे।

शांता टीवी को बंद कर सोने जा रही थी तभी कॉलबेल बजा-बाहर जाकर दरवाजा खोला।

बाहर-

आधे अंधेरे में बापू खड़ा था।

शांता मुस्कुराई।

"अरे आप ? आइएगा-----पिछले दो दिनों से मुझे इंतजार था आप ऐसे ही एक रात को आओगे। अंदर आइएगा।"

बापू अंदर आ गया! शांता ने ट्यूबलाइट जलाई और उसे कुर्सी दिखा कर बोली "बैठिए बापू।"

वह थका उदास बैठते हुए फटी आवाज में बोला "शांता!"

"हां।"

"तुम्हें यह सब न्याय लग रहा है ?"

"क्या ?"

"अब मैं तुम्हारे रास्ते के बीच में नहीं आऊंगी कह कर ही तो तुमने मुझसे 30 हजार ले लिए। रुपये लेकर तुम अलग ना होकर अपने पुराने रिश्ते को सबको बोलकर क्यों असमंजस पैदा कर रही हो।"

"उस दिन क्षणिक आवेग में बुद्धि खराब होने के कारण आपसे रुपए ले लिये। वह गलत है ऐसा अब मुझे लगा ! मुझे जो चाहिए वह रुपया नहीं! आपकी पत्नी बनकर आपके घर की बहू बनकर जीने की इच्छा कर रही हूं।"

"यह लालच है।"

"नहीं ! यह मेरी उचित इच्छा है। मुझे नहीं जानते ऐसा आप कितना भी नाटक करो, भगवान मेरी तरफ ही है। मेरी गर्दन में ताली बांधने के अलावा आपके पास कोई रास्ता नहीं है।"

बापू खड़ा होकर उसके हाथों को पकड़कर "शांता!"

"हां"

"मैं एक योजना बताऊं ?"

"क्या बोलने वाले हो ?"

"मेरे घरवालों ने जो 50000 तुम्हें देने को कहा है उसे लेकर तुम अलग हो जाओ-----मेरी शादी होने के बाद पुराने संबंध को फिर से नया कर लेंगे !"

"इसका मतलब साफ बोलो तो अपनी रखैल बनाकर रखने को तैयार हूं ऐसा बोल रहे हो ?"

"ऐसा क्यों सोचती हो शांता ?"

"फिर कैसे सोचूं ? यह देखो बापू----मेरा अपना कहने को कोई नहीं। मुझे जो रिश्ता मिला वह सिर्फ आप हो। मैं इस रिश्ते को छोड़ने के लिए तैयार नहीं हूं। मेरी गर्दन में अपने नाम का मंगलसूत्र आपको पहनाना ही पड़ेगा। मैं आपको धमका रही हूं ऐसे मत सोचना-----यह मेरा निवेदन है। मेरे इस निवेदन को आप अपने बड़प्पन से स्वीकार करो। नहीं तो मुझे अहिंसा के तरीके से लडना पड़ेगा!"

बापू ने स्तंभित होकर उसे देखा। शांता अपने दोनों हाथों को छाती पर बांधकर बोलना शुरू हुई।

"इस शहर में बहुत सी महिलाओं की संस्थाएं हैं जिन्हें मैं जानती हूं। आपने मुझे जो धोखा दिया इस बात को उनसे कहने भर की देर है, वे आपके बंगले के सामने टेंट लगाकर धरना शुरू कर देंगे-----हमारे बारे में सारी दुनिया के लोगों को पता चल जाएगा। उसके बाद आप मेरे गले में ताली (मंगलसूत्र) पहनाएंगे ऐसा फैसला आपने किया है तो वह आपकी इच्छा!"

"शांता ! तुम्हारा ऐसा करना धोखा होगा!"

"ओह ! इसका नाम ही धोखा है क्या? मुझे गले में ताली डलवाने के लिए कुछ भी करना हो तो क्या हुआ?"

बाबू शांता को घूर कर देखने लगा।

वह हंसने लगी।

"ऐसे घूरने से तो कोई फायदा नहीं है। घर जाकर अप्पा, अन्ना, और भाभी से मिलकर बात करके शादी के मुहूर्त की तारीख लेकर आइएगा। आने वाले महीने की तीन तारीख को अच्छा मुहूर्त है।"

"शांता मैं बोल रहा हूं उसे थोड़ा-----"

"मुझे नींद आ रही है------जा रहे हो?" विनय पूर्वक झुक कर बाहर के दरवाजे की तरफ हाथ से शांता ने इशारा किया।

"बापू-----"

बापू ने आवाज सुनकर आंखें खोली । खिड़की में से सूर्य की किरणें आ रही थी सुबह के 8:00 बजे थे। पास में भाभी कॉफी का गिलास लेकर खड़ी थी। कॉफी की खुशबू आ रही थी।

"क्या है बापू-----अभी बिस्तर से उठने का मन नहीं है क्या ?

बापू उठ बैठा।

"कल पूरी रात नींद नहीं आई भाभी !"

"आंख बंद करने से शांता दिखाई दे रही है क्या ?"

"भाभी आप मुझ पर विश्वास करती हैं कि नहीं ?"

"मेरे विश्वास करने का क्या मतलब है बापू ? तुम्हारे अप्पा तुम पर विश्वास करने को तैयार नहीं। पंडित जी को बुलाकर शादी का मुहूर्त देख रहे हैं!"

"आप और अन्ना मिलकर अप्पा को समझा नहीं सकते क्या ?"

"सुनने की हालत में भी कहां हैं ? वही नहीं----अभी आधे घंटे में मैं और तुम्हारे अन्ना उस लड़की शांता के घर जा रहे हैं।"

"क्यों ?"

"उसे इस घर में लेकर आना है यह आपके अप्पा की आज्ञा है।"

"भाभी !"

"अब कोई दूसरा रास्ता नहीं है। उस शांता के गले में तुझे ताली (मंगलसूत्र) बांधना ही है । पसंद हो या ना हो ! अपनी जिंदगी उसी के साथ तुम्हें गुजारनी है-------नहीं तो तुम्हें जो संपत्ति मिलना चाहिए वह दिवा स्वपन बन जाएगा।"

राघवन अंदर आया। "क्या है कल्पना----यहां आकर गप लगा रही हो! 8:30 बजे तक उस लड़की शांता को यहां लेकर आना है। नहीं तो अप्पा नाराज होंगे।"

"मैं---तैयार हो रही हूं--" कहते हुए कल्पना नीचे उतर कर जा रही थी-राघवन ने बापू के पास आकर उसके कंधे पर अपना हाथ रखा।

"बापू ! तुम्हारी उस लड़की से शादी करने के फैसले को अप्पा नहीं बदलेंगे। तुम उनकी बात का विरोध करके अप्पा के विरोधी मत बनो। यदि तुमने विरोध किया तो नुकसान तुम्हारा ही है। उस लड़की को अभी हम लेने जा रहे हैं। वह शायद शादी होने तक इस घर में ही रहेगी ऐसा मैं सोचता हूं। उस पर तुम अपना गुस्सा मत दिखाना।"

"ठीक है।"

बापू ने जो दीर्घ श्वास छोड़ा वह बहुत ही गर्म था।

__________