ishq 92 da war - 6 in Hindi Classic Stories by Deepak Bundela AryMoulik books and stories PDF | इश्क़ 92 दा वार - 6

Featured Books
  • तुझी माझी रेशीमगाठ..... भाग 2

    रुद्र अणि श्रेयाचच लग्न झालं होत.... लग्नाला आलेल्या सर्व पा...

  • नियती - भाग 34

    भाग 34बाबाराव....."हे आईचं मंगळसूत्र आहे... तिची फार पूर्वीप...

  • एक अनोखी भेट

     नात्यात भेट होण गरजेच आहे हे मला त्या वेळी समजल.भेटुन बोलता...

  • बांडगूळ

    बांडगूळ                गडमठ पंचक्रोशी शिक्षण प्रसारण मंडळाची...

  • जर ती असती - 2

    स्वरा समारला खूप संजवण्याचं प्रयत्न करत होती, पण समर ला काही...

Categories
Share

इश्क़ 92 दा वार - 6

उदाशिया भी अब मजमागार हों चली थी......!
चाहतो की बेचेनिया मज़बूरिया मचलने लगी थी... !!

कहते हैं ना दिल जब बेचैन हों तो क्या अच्छा लगता हैं मन में सूना पन और दिल उदास लगता हैं ठीक यहीं हाल मनु का था... लेकिन अपने दिल और दिमाग़ के हालातों को किसी से बया भी तो नहीं कर सकता था
हालत ए ज़िगर किस कदर हों चला था कि मनु ने बिस्तर पकड़ लिया....

अनु के पिता की आज तेरहवीं थी.... गंगा भोज का आयोजन की रस्में अयादगी चल रही थी मेहमानों के आवागमन का सिलसिला जारी था.... इन दिनों अनु के नजदीक जावेद ज्यादा दिखाई दे रहा था लेकिन अनु को जावेद की ये मौजूदगी कहीं कहीं खल भी रही थी.... लेकिन जावेद का इस तरह का चापलूसी पन लोगों की निगाहों में छिप नहीं रहा था..... वहां मौजूद कुछ लोगों के मन में यहीं बात खल रही थी... कि हिन्दू रीती रिवाज़ों के काम में किसी अलग धर्म के लडके की उपस्थिति क्या सन्देश दें रही हैं...

प्रभा ने न चाह कर ही अनु से पूछ ही लिया...
ये कौन हैं अनु....?
दीदी ये मेरा क्लास मेट हैं जावेद...
क्लास की नज़दीकिया घर तक... कहीं कोई चक्कर वक्कर तो नहीं चल रहा तेरा...
न नहीं दीदी... ये तो पड़ोस में ही रहता हैं.. इसलिए हेल्प के लिए आगया हैं..
मुझें तो इसकी हेल्प में चालाकी दिखाई दें रही हैं...
न नहीं दीदी ऐसा कुछ भी नहीं हैं...
अगर नहीं हैं तो ठीक हैं... लेकिन इससे तूं दूर ही रहना...
जी दीदी...
जितना जल्दी हों इसे यहां से चलता कर दें... इसका ये अपनापन मुझें ही नहीं और लोगों को भी खल रहा हैं.. फालतू में लोग तुझे गलत समझ रहें हैं... चल अब मैं चलती हूं अपना और बुआ का ख्याल रखना... पापा कह रहें थे एग्जाम होते ही तुझे और बुआ को दिल्ली लें आएंगे...
आप लोग रुकोगे नहीं...
मन तो नहीं कर रहा अनु लेकिन परसों मेरा एग्जाम जो हैं इसलिए जाना होगा..
प्रभा अनु का हांथ थामते हुए बोली थी... अनु प्रभा से लिपट जाती हैं...
तभी जावेद अनु के पास आकर पूछता हैं...
अनु वो टेंट वाला पूछ रहा हैं क्या छत पर पानी की टंकी रखवा दें...
तभी प्रभा अनु से हटते हुए और थोड़ी चिढ़ती हुई सी बोलती हैं...
आप चिंता ना करें घर में और भी लोग हैं जो करवा देंगे.. आपने भोजन तो कर ही लिया होंगा...?
अ.... हा...जी... कर लिया....!
तो...धन्यवाद आप जा सकते हैं.. !
ऐसा सुन कर जावेद को धक्का सा लगता हैं..
अनु भी जावेद को देख कर बोल पडती हैं...
हां जावेद... घर में सभी लोग हैं... तू टेंसन मत कर...
जावेद थोड़ा असहज सा होते हुए बोलता हैं...
ओके... फिर भी अगर कहीं मेरी ज़रूरत पड़े तो बतला देना अनु...
हां हां ओके बाय... जावेद... !
और जावेद वहां से चला जाता हैं...
----------
दिन तेजी से गुजर ने लगें थे... स्थितियां कुछ सामान्य सी होने लगी थी.. अनु ने स्कूल जाना शुरू कर दिया था... रास्ते में मनु की मौजूदगी अनु को आज खली थी... इंतज़ार भरी निगाहें रास्ते में आते जाते लोगों में मनु को तलाश रही थी....रास्ते की वो जगह जहां मनु पहले से ही अनु का इंतज़ार करता था... जिस जगह पर मनु की जगह जावेद खड़ा था... आज वक़्त वही था... जगह वही थी बस वो नहीं था जिसको अनु बड़ी ही बेसब्री से तलाश रही थी... लेकिन उस जगह पर जावेद को देख कर अनु के चेहरे का रंग फीका सा पढ़ गया था.. जावेद अनु को अपने पास आते देख कर मन ही मन खुश हों रहा था.. लेकिन अनु बिना कुछ रिएक्ट किए बिना जावेद की तरफ देखें... आगे को निकल चुकी थी..उस इस तरह जाता देख जावेद हरकत में आया और उसने अनु का हाथ पीछे से आकर पकड़ लिया.. जावेद की ये हरकत देख अनु ने भड़कते हुए अपना हाथ छुड़ाया और तेजी से स्कूल की तरफ बढ़ गई थी...
जावेद चुप चाप खड़ा रह जाता हैं...
----------------
अनु को पता चल चुका था कि मनु की तबियत ठीक नहीं हैं जिसके चलते वो काफी दिनों से स्कूल नहीं आ पा रहा हैं..
क्या तू या तेरी क्लास का कोई गया था मनु को देखने...?
हां मैं और प्रीति गए थे पिछले संडे को
यार रिया मुझें भी उसे देखने जाना हैं.. क्या तूं एकबार फिर से चलेगी मेरे साथ...?
ओके... ठीक हैं इस संडे को चलते हैं..
ओह नहीं यार संडे आने में अभी पूरे पांच दिन हैं... आज चल ना...?
लेकिन अनु आज कैसे चल सकेंगे...?
स्कूल के बाद..
नहीं यार लेट घर पहुंचेंगे तो मम्मी पापा जान खा जाएंगे.. आज नहीं..
तो फिर कल...?
हा कल चलते हैं... घर पर बोल देंगे... तो दिक्कत नहीं होंगी.. यार अनु एक काम हों सकता हैं..
क्या...?
अगर कल अपन लंच के बाद 6th पीरियड में चले तो
वो कैसे..?
यार... एक एप्लिकेशन तूं लगा दें और एक मैं... 6th पीरियड में चलते हैं और टाइम पर घर भी पहुंच जाएंगे..
घर से परमिशन भी नहीं लेनी पड़ेगी...
अगर एप्लिकेशन एसेप्ट नहीं हुई तो...?
उसकी टेंसन तूं मत कर मैं लिख दूंगी एप्लिकेशन.. बस तूं साइन कर देना..
लेकिन तूं लिखेगी क्या...?
ओफ... यार तेरे साथ यहीं टेंसन हैं.. सिम्पल सी बात हैं एप्लिकेशन में बस इतना लिखना हैं कि पिरेड अनरेगुलर हों रहें हैं अस्पताल जाना हैं डॉक्टर को चेकअप कराने.....
तूभी यार रिया... क्या आइडिया लगया हैं तूने...
और दोनों हंसने लगती हैं...
---------
कंटीन्यू पार्ट-7