स्थान चम्बल का बीहड़, अर्जुन आकर खबर देता है कि पुलिस जंगल में घुस चुकी है
रूद्र:- शायद पुलिस वाले यह भूल गए कि चम्बल के बीहड़ में आने का रास्ता तो आसान है, लेकिन जाने के लिए, मौत से होकर गुजरना पड़ता है|
लक्ष्मण:- किस की मौत आई है, जिसने चम्बल के बीहड़ों में आने की जरूरत की|
अर्जुन:- है कोई इंस्पेक्टर ललित|
वीर:- ओ ललित! आने दो उससे भी तो अपना पुराना हिसाब बाकी है जो पूरा करना है, इसे कहते हैं कुए का आकर खुद प्यासे के पास चलकर आना जैसे यह खुद ही मरने के लिए चला आया है|
इधर इंस्पेक्टर ललित हवा में फायर करता है, और जोर से चिल्लाते हुए:-
ललित:- अपने हथियार डाल दो लुटेरो, पुलिस ने तुम्हें चारों तरफ से घेर लिया है, अपने हथियार डालकर सरेंडर कर दो या फिर मरने के लिए तैयार हो जाओ|
वीर:- वापस लौट जाओ इंस्पेक्टर, क्यों मौत को बुलावा दे रहे हो, क्यों इस मौत की घाटी में अपनी मौत को आवाज दे रहे हो|
ललित:- (एक और फायर करता है) तुम नहीं जानते हो, कि पुलिस ने तुम्हें चारों ओर से घेर लिया है……
और तभी लक्ष्मण हवलदार अमन और रुद्र इंस्पेक्टर ललित के कानो पर झाइयों से निकलकर गन रख देते हैं
रुद्र:- (हस्ते हुए) कहां है तेरी पुलिस?
ललित:- तुम गलत कर रहे हो|
रुद्र:- हथियार डाल दो|
तभी वीर सामने आता है
वीर:- क्यों ललित साहब बोला था ना कि वापस चले जाओ, लेकिन नहीं तुम्हें तो आवाज ही आना बंद हो रखा है, रिश्वत ने जो तुम्हारे कान बंद कर रखें हैं, न हीं उस वक्त मेरी आवाज सुनाई दी थी जिस वक्त मैं अपनी बहन की लाश लेकर तुम्हारे थाने में आया था|
हवलदार अमन:- हमको छोड़ दो भैया, हमने हमेशा गरीबों की मदद की है, हमने कभी रिश्वत नहीं ली, और जो भी रिश्वत मिलता है, उसमें से भी कुछ भी नहीं लेते, हम गरीब इंसान है भैया, हमको छोड़ दो, (उसकी आंखों में आंसू होते हैं)|
वीर:- लक्ष्मण, इसे ले जाकर जंगल के बाहर छोड़ कर आओ|
वीर:- अमन, पीछे मुड़कर मत देखना है|
ललित:- तुम अच्छे इंसान हो, मुझे भी छोड़ दो, मुझे सुधरने का एक मौका तो दे दो|
वीर:- अपनी टोपी उतार कर जमीन पर रख दो|
ललित:- जल्दी से अपनी टोपी उतार कर जमीन पर रख देता है|
वीर:- अपनी शर्ट उतारकर रख दो, ये तुम जैसे कमीनो पर सही नहीं लगती|
ललित:- यह तुम सही नहीं कर रहे हो, कानून तुम्हें कभी माफ नहीं करेगा|
रुद्र उसके पैर की साइड से गोली मारता है, जो कि ललित के पैर को छुती हुई निकल जाती है, ललित दर्द से चीख पड़ता है|
वीर:- शर्ट उतार दो|
ललित जल्दी से शर्ट उतार देता है|
वीर:- पेंट भी उतार दो|
ललित लगभग रोते हुए, भगवान के लिए मुझे छोड़ दो|
रूद्र:- हमारे सामने भगवान और कानून का तो नाम भी मत ले, अपनी गंदी जुवान से, और जो भी कहा चुपचाप करो|
ललित:- अपनी पैंट निकालकर डाल देता है|
वीर:- रूद्र, इसे यही पेड़ से बांध दो|
इंस्पेक्टर ललित को चम्बल की खतरनाक वीहडों में नंगा बांधकर वो लोग जंगल से बाहर आ जाते हैं, उन्हें लक्ष्मण जंगल के बाहर ही मिलता है|
अर्जुन:- अब क्या?
वीर:- अब जुर्म की अंतिम कड़ी को खत्म करना है, अब हमारा टारगेट है रंजीत और उसके गुनाहगार दोस्त.....
क्रमश:.................