(अंधेरा होने को है सुनामी और रंजीत बैठक में बैठे हैं और बातों में मशगूल है, तभी राजू लक्ष्मी के साथ घर में प्रवेश करता है)
सुनामी:- यह वापस कैसे आई?
राजू:- मैं बुला कर लाया हूं और इज्जत बचाई है आप लोगों की|
रंजीत:- तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरी बीवी को लाने की?
राजू:- (अनसुना करते हुए) भाभी के भाई ने 10000 रुपया भेजे हैं| (और कहते हुए पैसे निकालकर टेबल पर रख देता है) और हां 10 दिनों में टीवी लेकर खुद आ रहे हैं, लेकिन तब तक घर में कोई बवंडर नहीं होना चाहिए|
रंजीत:- ठीक है देखते हैं 10 दिन के अंदर अगर टीवी नहीं आई तो 11वें दिन से बवंडर होगा|
लक्ष्मी:- भैया ने कहा है तो जरुर आएंगे आप चिंता ना कीजिए|
सुनामी:- आएगा तो आने दे हमारा क्या बिगाड़ लेगा|
(समय सुबह के 11:00 बजे बीर बगीचे में खड़ा है और खुश लग रहा है, तभी महिमा आती है)
महिमा:- क्या बात है वीर जी, आज बड़े खुश नजर आ रहे हो|
वीर:- हाँ कल मैंने अपनी बहन को विदा किया, अब वह जरूर खुश होगी, मैं जल्दी पैसे का इंतजाम करके एक रंगीन टीवी लेकर उसके ससुराल जाऊंगा| (फिर दोनों टहलते हैं और आपस में बातें करते हैं अपने भविष्य के बारे में)
(कुछ दिनों तक सब कुछ ठीक-ठाक चलता है लेकिन फिर 1 दिन सुबह)
रंजीत:- लक्ष्मी! अरे ओ बेवकूफ, कहां मर गई|
लक्ष्मी:- जी क्या बात है?
रंजीत:- (खींचकर एक चांटा मारता है) कहां मर गई थी साली इतनी देर से चीख रहा हूं सुनाई नहीं देता, जाकर मेरी सर्ट लेकर आ|
(लक्ष्मी सर्ट ला कर देती है रंजीत फिर खींच कर जाना मारता है)
लक्ष्मी:- अब क्यों मारा रंजीत साली सुबह-सुबह मनहूस शक्ल लेकर आ जाती है सामने, मेरा पूरा मूड खराब कर दिया, पता नहीं आज का दिन कैसा जाएगा|
लक्ष्मी:- इसमें मेरी क्या गलती है|
रंजीत:- साली तू मर क्यों नहीं जाती, झंझट ही खत्म हो जाएगा पूरा|
लक्ष्मी:- मेरे सिवा मेरे भाई का इस दुनिया में कोई नहीं है, अगर मेरे भाई की चिंता ना होती तो कब का जहर खा कर मर गई होती| (और रोने लगती है)
रंजीत:- तो अपने भाई को भी अपने साथ जहर खिलाकर क्यों नहीं मार देती|
लक्ष्मी:- (आवेश में) रंजीत! अपनी औकात में रहो, अगर मेरे भाई के बारे में कुछ भी कहा तो मैं भूल जाऊंगी, कि तुम मेरे पति हो, भला मेरे भाई ने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है जो तुम उसे मारना चाहते हो|
रंजीत:- साली जुवान लडाती है, धमकी देती है मुझे|
(और इतना कह कर मारने के लिए जैसे ही हाथ उठाता है तो लक्ष्मी बीच में उसका हाथ पकड़ लेती है)
लक्ष्मी:- बस बहुत हुआ रंजीत, अब तक मैंने सहा लेकिन अब नहीं, मेरे आंसुओं को तुम मेरी कमजोरी मत समझना, औरत तब तक कमजोर होती है जब तक उसकी आंखों में आंसू होते हैं|
(और तभी रंजीत गन निकालकर लक्ष्मी को पर तान देता है)
रंजीत:- साली तेरी इतनी हिम्मत तूने मेरा हाथ पकडा, फिर तो कल तू मुझ पर हाथ उठा देगी, आज तुझे जिंदा नहीं छोडूंगा|
(शोर सुनकर राजू भागता हुआ आता है जब अंदर देखता है तो लक्ष्मी के सामने जाकर खड़ा हो जाता है)
राजू:- ये आप क्या कर रहे हैं भैया वो आपकी बीवी है?
रंजीत:- इस साली ने मेरा हाथ पकड़ा, आज मैं इसे जिंदा नहीं छोडूंगा|
राजू:- वो उसने अपनी रक्षा के लिए किया, और यह जरूरी भी था|
रंजीत:- सामने से हट जा राजू, वरना मेरी गोली यह नहीं देखेगी कि सामने भाई है या बीवी|
लक्ष्मी:- राजू तुम हट जाओ, मर जाने दो मुझे, मैं भी तंग आ गई हूं इस जिंदगी से|
राजू:- नहीं भाभी मैंने वीर भैया से वादा किया है, कि अगर कोई मुसीबत आएगी तो पहले मुझ से टकरा के जाएगी|
रंजीत:- तो फिर तुम दोनों मरो, (कहकर गोली चलाता है गोली राजू के सीने में लगती है और उसके मुंह से सिर्फ इतना निकलता है भाभी और वह जमीन पर गिर जाता है और ढेर हो जाता है, रंजीत राजू की लाश को देखता है और कहता है)
रंजीत:- तेरी वजह से आज मेरा भाई मर गया तो अब तू भी जी कर क्या करेगी, साली ले अब तू भी मर (और गोली चलाता है गोली लक्ष्मी सीने में लगती है और वो भी किसी कटे हुए पेड की तरह फर्श पर गिरती है और ढेर हो जाती है)
क्रमश:...........