Kashish - 34 in Hindi Love Stories by Seema Saxena books and stories PDF | कशिश - 34

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कशिश - 34

कशिश

सीमा असीम

(34)

अरे क्या बात करती हो मैडम जी, हम आपको बहुत स्वादिष्ट चीजें खिलाएंगे ! राघब मुस्कुराते हुए बोले !

हे ईश्वर, मुझे बस इतना बता दो कि लोग प्रेम को चैन से जीने क्यों नहीं देते ? वे क्यों दुश्मन बन जाते हैं ? क्यों लोगों का प्यार छीन लेना चाहते हैं ?क्या उनके पास कोई और काम नहीं है सिवाय दूसरों की खुशियों में आग लगाने के अलावा ?

ऐ पारुल तू क्या सोचने लगी क्या तेरी कीवी भी खट्टी और कड़वी निकली ? किसी ने पारुल को हिलाकर कहा तो वापस अपनी सोच से निकल आयी !

नहीं नहीं मेरी कीवी तो ठीक है ! ये मेनका जी को शायद ज़िंदगी में कभी किसी का प्यार नसीब नहीं हुआ होगा तभी यह हमारे प्रेम के बीच में अक्सर अड़ंगा लगा देना चाहती हैं ! अभी शहीद जसवंत स्मारक आने ही वाला था कुछ देर वहां ठहरने के बाद आगे तवान्ग की यात्रा करनी थी ! शहीद स्मारक के पास पहुँच कर वाकई अलग सी अनुभूति हुई ! यहाँ पर एकदम से नीरव शांति थी ! वहां पर एक बैरक में उनके खाने के बर्तन, सोने और रहने की जगह थी ! लोग कहते हैं कि वे आज भी आते हैं और भारत चीन की सीमा पर सुरक्षा करते हैं ! जब चीन से युद्ध हुआ था तो उन अकेले ने ही सेना का सामना कर लिया था ! बाद में चीन उनका सर काट कर ले गयी थी ! ओह्ह्ह कैसे सहा होगा उन्होंने इस दर्द को ? देश के लिए अपनी बलि देने वाले ऐसे जांबाज को मेरा सच्चा सलाम सच्चे वीर, तुम अमर हो अनायास मुंह से निकल गया ! वहां पर सभी लोगो को निशुल्क चाय दी जा रही थी चाहें जितनी बार पियो लेकिन चाय बहुत मीठी थी और थोड़ी ठंडी भी शायद यहाँ के तापमान की वजह से जल्दी ठंडी हो गयी होगी !

अरे राघव किधर चले गए ? अभी तो हमारे साथ में ही थे और सब बातें बताते जा रहे थे ! क्या वे चाय नहीं पिएंगे ? चलो एक कप चाय मैं उनके लिए ले चलती हूँ ! एक कप चाय लेकर जब वो टेक्सी के पास पहुंची तो देखा राघव चैन से पीछे की सीट पर सो रहे हैं ! अरे इतनी जल्दी सो भी गए ! अब क्या करूँ ? इनको जगाऊँ ? चाय पीने के लिए या नहीं ? इंतजार करूंगी इनके जागने का तो फिर चाय और ठंडी हो जायेगी और इनको गरम चाय पीना ही पसंद है ! तभी राघव ने करवट बदली !

सुनो आपको चाय पीनी है ?

अरे रहने दे यार, मुझे तो जुकाम लग गया ! सेला पास पर बर्फ से खेल खेल कर !

ओहह, अब चाय पियो देखना सही हो जाएगा !

क्या सही हो जाएगा ? कुछ सही नहीं होना है ! अब तो हफ्ते भर की छुट्टी समझो !

अच्छा !

हाँ हमेशा ऐसा ही होता है !

ओह्ह्ह !!

अरे तो इसमें ओह्ह की क्या बात है ? अगर जुकाम हो गया, तो हो गया ! सभी को हो जाता है, क्या तुम्हें नहीं होता? अच्छा सुनो, तुम जाओ उन लोगों के साथ में यहाँ की जगहें देख लो और मुझे थोड़ी देर चैन से आराम कर लेने दो !

हे भगवान, कितने अजीब आदमी हैं, इनको प्यार से बोलो तो भी परेशानी, कभी खुद तो बोलना नहीं है हर समय नाक पर गुस्सा रखा रहता है ! जब देखो तब ऐसी ही बातें करते रहेंगे, न जाने इनके साथ ज़िंदगी कैसे कटेगी ? किस तरह से इनको सुधार पाउंगी ? वैसे मैं क्या सुधार पाउंगी इनको, यह तो मुझे ही एकदम सीधा कर के सारी अकड़ निकल देंगे ! मेरे सारे नखरे धरे रह जाएंगे ! अपने पापा की लाड़ली, मैं तुम पर अपना सारा प्यार कैसे लुटा बैठी ? अब तो इस प्रेम से किसी तरह से छुटकारा भी नहीं मिलने वाला ! मानों तुम्हारे प्रेम ने मुझे जकड सा लिया है ! तुम ऐसे तो नहीं थे राघव फिर तुमको क्या हुआ है ? तुम्हे थोड़ा समझदार होना ही चाहिए ! क्या तुम्हें किसी लड़की से कैसे बात करनी है पता नहीं है ? इतनी कठोरता के साथ लड़की से बात करोगे तो उसका दिल ही टूट जाएगा और उसके आंसू निकल पड़ेंगे, जैसे की उसकी आँखों से आंसू बहने लगते हैं ! अरे तुम यहाँ खड़ी होकर क्या कर रही हो चलो मैं तुम्हें यहाँ की कैंटीन घुमा कर लाती हूँ! वैसे एक बात बताओ पारुल तुम अक्सर अकेले क्यों खड़ी हो जाती हो किस बात की तन्हाई है तुम्हारे मन में जो अकेलापन पसंद है !

तुम तो बेहद प्यारी लड़की हो फिर तुम्हें किस बात का गम है ? क्या दुःख है ? मुझे बता दो, अगर मुझे अपनी बड़ी बहन समझती हो, नहीं तो कोई बात ही नहीं है !

अरे नहीं नहीं, ऐसी तो कोई बात नहीं है मैंने सोचा की शायद अब हम लोगों को चलना है इसलिए जीप के पास आकर खड़ी हो गयी ! मेनका मैम की इतनी प्यार भरी अपनेपन की महक लिए बातों को सुनकर उसकी नम आँखों में कुछ और नमी भर गयी ! उसने कोशिश की की यह आंसू किसी तरह अंदर ही जज्व हो जाएँ बाहर न निकले ! हाँ चैलेंज करती हूँ मैं खुद को अब रोना नहीं है !

पहले जरा घूम तो लें, कोई रोज रोज तो इतनी दूर आना संभव नहीं है !

हाँ यह तो सच कहा आपने मैंम, चलो चलते हैं ! वे दोनों जब कैंटीन में पहुंची तो देखा वहां पर सारा सामान है कुछ भी खरीद सकते हैं ! आपको क्या लेना है ? मुझे कुछ नहीं, बस कुछ खाने पीने का सामान ले लेते हैं !

ठीक है मुझे यहाँ पर वो वाली जैकेट बहुत पसंद आ रही है क्या हम उस खरीद लें ?

हाँ क्यों नहीं, वाकई बहुत सुन्दर है, मुझे भी एक जैकेट लेनी है?

हाँ आप भी ले लो न ! वे दोनों आपस में बातें ही कर रहे थे ! तब तक राघव भी वहाँ आ गए !

अभी तो मुझसे कह रहे थे की जुकाम हो गया और सर में दर्द हो रहा है अब सही भी हो गया ! पारुल को बहुत तेज गुस्सा आया लेकिन कुछ बोली नहीं !

क्या कर रहे हो तुम लोग ? बस यूँ ही !

बस यूँ ही का क्या मतलब है होता है ? जहाँ सामान दिखा और तुम लोग खरीदने में लग गए !

अरे यार यह सब अपने शहर में भी मिलता है !

हाँ पता है ! मुझे वो जैकेट बहुत पसंद आ रही है राघव !

तो ले लो भाई मैं क्यों मना करूँ !

मना करने वाली बात नहीं है, बस मुझे यह बता दो ! मैं यह जैकेट खरीद लूँ या नहीं,बोलो ?

ले लो न, अगर अच्छी लग रही है क्योंकि एक बार पसंद की छीज छोड़ दी जाए तो उसे कोई दूसरा ले जाता है और फिर हम हाथ मलकर पछताते रह जाते हैं ! यह कितनी गहरी बात कही है राघव ने ! यही बात तो हमारे असल जीवन में भी लागू होती है अगर हम उस समय चूक गए फिर हमेशा पछताने की लावा कुछ भी नहीं बचता है ! जिस तरह की जैकेट मेनका मैम को पसंद आ रही थी वैसी जैकेट उनके साइज में नहीं मिल रही थी आखिर वे मन मार कर रह गयी और पारुल ने वो जैकेट खरीद ली ! राघव ने वार्गनिंग करके उसके दाम कुछ काम भी करा दिए थे ! चलो भाई, अब सभी लोगो को बुला लो, बहुत देर से सब घूम रहे हैं !

ठीक है बुला लेते हैं मेनका मैम की कही हुई बात तो जैसे राघव के लिए कोई पत्थर की लकीर जैसी है ! जो वे कहती हैं वैसे ही वो करने लग जाते हैं ! न जाने क्यों पारुल को जलन सी महसूस हुई !

आओ पारुल चले, राघव ने जब पारुल से कहा तो पारुल को लगा की शायद वही गलत है और राघव से बहुत सारी उम्मीदें पाल ली हैं या वह बहुत स्वार्थी हो गयी है जैसे राघव सिर्फ उसके ही हैं और किसी के नहीं ! तभी शायद राघव उससे इरिटेड हो जाते होंगे !

अब क्या सोचने लगी मुर्ख, आओ न, राघव ने उसके हाथ को पकड़ते हुए कहा राघव के हाथ पकड़ते ही पारुल के गाल शर्म से लाल हो गए और उसकी नजरें मुस्कुराने लगी ! ओफ्फो राघव यह तुम्हारा प्यार ही मुझे स्वार्थी बना देता है क्या करूँ मैं ? आई लव यू राघव ! तुम सिर्फ मेरे हो, मैं तुम्हें किसी के भी साथ बाँट नहीं सकती ! हाँ राघव तुम हमेशा सिर्फ मेरे ही बनकर रहना ! लव यू राघव, मानों सारी वादियां उसके स्वर में स्वर मिला रही थी और जोर जोर से कह रही थी, लव यू लव यू लव यू, हाँ तुम मेरा पहला और आखिरी प्यार हो कहते हुए उसने राघव के माथे को चूम लिया !

ये क्या कर रही हो पारुल ? यहाँ सब लोग हैं ! तुम्हारी यह गलतियां ही मुझे तुमसे दूर कर देती हैं !

***