Dr. Satish Raj Pushkarana ji - 1 in Hindi Short Stories by Kalpana Bhatt books and stories PDF | डॉ सतीश राज पुष्करणा जी की लघुकथाओं पर मेरा अभ्यास - 1

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डॉ सतीश राज पुष्करणा जी की लघुकथाओं पर मेरा अभ्यास - 1

डॉ. सतीश राज पुष्करणा

ड्राइंग-रूम
उमेश बाबू के ड्राइंग-रूम में प्रवेश करते हुए दीनानाथ ने कहा, “उमेश बाबू! ड्राइंग-रूम है तो बस आपका ! इतना सुन्दर, सुसज्जित तथा रख-रखाव वाला | एक-एक खिलौना ऐसा-कि मानो अभी बोल उठेगा |”
भर्राई-सी धीमी, बुझी-सी आवाज़ उमेश बाबू के मुँह से निकली, “बोल उठेगा ! पर बोलता नहीं है ! कभी नहीं बोलेंगे ये खिलौने ! छह माह पहले मेरे घर में भी एक खिलौना था, जो बोलता था | तब ये सारे खिलौने बोलते थे| मेरा ड्राइंग-रूम भी औरों की तरह ही था | मेरी पत्नी भी व्यस्त थी | बस, उस खिलौने के जाते ही सारे खिलौने शांत हो गए|”
तभी उमेश बाबू की पत्नी ड्राइंग-रूम में दाखिल हुई | उनकी गोद में सफ़ेद झबरा पिल्ला था |
“देखिये ! गर्मी से बेचारे का क्या हाल हो गया | कैसा हांफ रहा है !” और उसने उसे चूम लिया | दीनानाथ को लगा जैसे कमरे में चहल-पहल हो गई है | खिलौनों में हरकत होने लगी है |
“भाभीजी नमस्कार !” दीनानाथ ने टोका तो उमेश बाबू की पत्नी चौंक गयी और आँखों में एक प्रकार की उदासी भर आई | शायद बच्चों की याद आ गयी थी |
“आप बैठिये, चाय लाती हूँ |” कहकर जैसे ही वह रसोई की ओर गयी दीनानाथ ने देखा, ड्राइंग-रूम में सजे तमाम खिलौने पहले की तरह शान्त और स्तब्ध थे|

Drawing-Room
Dinanath while entering into Umesh Babu’s drawing-room exclaimed, “ Umesh Babu, you have a wonderful drawing-room rather an exceptional one. It is so very well maintained. It seems that each and every toy will speak-up.”
In a very low and down voice, Umesh Babu uttered, O yeah ! But none will speak! Never-ever will they do so! I had a talking toy in my house something around six months back. Then that all these toys would talk. My Drawing-room was similar to like other’s. My wife too was busy. But, all these toys turned silence after her going away.
Just then Umesh Babu’s wife entered into the drawing-room. In her arms was a shaggy white little pup.
“ Just look at this! How pitiful it looks like in this hot Sun! How much is it panting. Umesh Babu felt that his room had now turned lively. The toys now had gained it’s life.
“Greetings Bhabhi ji ! Umesh Babu’s wife got cautious and sad when Dinanath interrupted. May be that she was missing her kids.
“Please be seated! I shall make tea for you.” She walked away towards the kitchen. Dinanath felt that all the toys of the drawing-room were in shock and had turned silent.
Laghukatha written by: Dr. Satish Raj Pushkarna
Translation by : Kalpana Bhatt

2. बदबू
“क्या बात है?... आजकल दिखाई नहीं देते हो?”
“क्या बताऊँ यार! बहन के लिए वर ढूँढने में ही आजकल परेशान हूँ| कभी यहाँ तो कभी वहाँ| बस ! दौड़-धूप में ही समय को नाप रहा हूँ|
“भई! लड़कों की ऐसी क्या कमी है ?”
“कमी तो नहीं ! किन्तु, सुरसा की तरह बढ़ता दान-दहेज़- बस, यही चिन्ता खाए जा रही है|”
“अगर यह बात है, तो तुम अपने को इन परेशानियों से आजाद ही समझो|”
“क्या !... क्या मतलब ?”
“हाँ ! तुम मेरे अनुज पर विचार कर सकते हो | वह पढ़ा-लिखा, सुन्दर-स्वस्थ और होनहार युवक है | फिर, नौकरी भी अच्छी है | तुम्हें दहेज़ वगैरह कुछ भी नहीं देना पडेगा | और हमारी दोस्ती भी रिश्ते में बदल जाएगी |...”
“क्या बकते हो, तुम? ... अरे ! कभी यह तो सोचा होता, कहाँ हम उच्च जाति के, और कहाँ तुम !... दोस्ती का यह अर्थ तो हर्गिज नहीं कि तुम हमारी इज्जत से ही खेलने लगो |”
“तुम तो बुरा मान गए ! मैं तो तुम्हारे विचारों के अनुरूप ही बात कर रहा था, जिन्हें तुम अपने साहित्य के माध्यम से व्यक्त करते रहे हो |”
अचानक उनका चेहरा फक्क् हो गया और जळि हि वह फिर संभल भी गया | ... “ ही-ही-ही !” वह खिसियाए अंदाज़ में बोला, “ वाह ! तुम मेरी बात का बुरा नहीं माने न ?”
और मैं शीघ्र ही उसके पास से इस अंदाज़ से उठा कि मनो उससे बेहद बदबू आ रही हो|

Stink
“What’s the matter ? … You are not seen these days?”
“ Oh Dear me! Actually I am in search of an appropriate bridegroom for my sister. And for this I have been continuously running about and counting my time.”
“Brother! Why so bothered for a bridegroom, they are not lacking.”
“Yeah! I know! They are not lacking, but the snake like dowry-system, that is it which is bothering me the most.”
“If this is the only reason, then be assured that you are now free from all these worries.”
“Is it…How come?”
“Absolutely! You can consider my younger brother for her. He is well-educated, smart-healthy and promising. You need not have to pay any dowry. And our friendship will in-turn be bound into relationship.
“How dare you! What bullshit are you talking about ?...Arey ! You must have thought of my being from an upper class society, and you from…! No way does our friendship means that you are so permitted to play with our prestige.”
“Hey! For you are taking me in a wrong way! I have dared to speak to you according to your own thoughts what you have till now penned down into your literature.”
Suddenly his face turned pale but then he succeeded in controlling himself… “ he-he-he!” He fretfully spoke,” Waah! How much you have felt bad to about as to what I have said?”
And I very swiftly did walk away from him as if I had have felt a stink from him.

Translation by : Kalpana Bhatt.

रजनीश दीक्षित द्वारा ब्रजभाषा में अनुवाद

लघुकथा बदबू का ब्रजभाषा में अनुवाद
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बुरी गंध
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"का बात है?.... आजकल्ल दिखाय नईं परत हो?"
"का बतांय दोस्त! बहन के लयें लड़का ढूँढ़बेई में आजकल्ल हैरांन हैं। कभहुँ हियाँ तो कभहुँ हुआँ | बस! दौड़ई-धूप मेंई समय कों नाप रये हैं।"
"दद्दा! लड़कन की ऐसी का कमी है?"
"कमी तो नईं! अकेलें, सुरसा की तरां बढ़त दान-दहेज़ - बस, जई चिंता खांय जाय रई है।"
" अगर जई बात है, तो तुम अपयें कों जिन परेशानिंयन सें छूटेई मानो।"
"का!... का मल्लब?"
"हओ! तुम हमाये अनुज पे सोच-बिचार कर सकत हो। बू पढ़ो-लिखो, सुंदर-खाओ-पियो औ आंगे बढ़बेवारो नौजबान है। फिर, नौकरिउ बढ़िया है। तुमें दहेज बगैरउ नईं देनें परहै। और अपईं सलायउ नाते में बदल जैहै। ..."
"का बकत हो, तुम? ... अरे! कभहुँ जा तो सोचो होतो, कहाँ हम ऊँची जात के, औ कहाँ तुम!... दोस्ती को मल्लब जा तो कतई नईं के तुम हमाई इज्जतई सें खेलन लगो।"
"तुम तो बुरो मान गए! हम तो तुमाये बिचारन के हिसाब सेंई बात कर रये हते, जिनें तुम अपयें साहित्य के सहारे जाहिर करत रहत हो।"
इकदम बिनको चैरा फक्क हुय गओ और हालई फिर सँभरऊ गओ। .... "ही-ही-ही।" बू खिसियाए अंदाज़ में बोलो, "बौत बढ़िया! तुम हमाई बात को बुरो नईं माने, नईं?"
और हम जल्दिअई बाके ढिंगां सें जा तरां सें उठे के मानों बासें कसकें बुरी गंध आय रई होय।