Kashish - 25 in Hindi Love Stories by Seema Saxena books and stories PDF | कशिश - 25

Featured Books
Categories
Share

कशिश - 25

कशिश

सीमा असीम

(25)

तन से ज्यादा उसका मन दर्द कर रहा था !

राघव ने उसके बाहर निकलते ही कमरे का दरवाजा बंद कर लिया !

ओहह यह कैसा प्रेम है जो उसे इतना दर्द दे रहा है उसे तकलीफ से भरे दे रहा है ! वो वहाँ से आ तो गयी थी लेकिन मन वही पर पड़ा रह गया था बेजान जिस्म वहाँ से चला आया था !

कमरे में मेनका मैडम अभी जग रही थी !

कहाँ चली गयी थी, इतनी देर से दरवाजा खुला पड़ा था !

पता नहीं क्यों, जी घबरा रहा था तो राघव के कमरे से अनारदाना लेने चली गयी फिर वे बात करने लगे तभी देर हो गयी !

मैं पहले ही समझ गयी थी ! वे मंद मंद मुस्कुराइ ! कितनी रहस्यात्मक थी उनकी हंसी ! उसे उनका यूं हँसना अच्छा नहीं लगा लेकिन उनको किसी भी तरह से उल्टा जवाब देकर बात को बढ़ाना ठीक नहीं है क्योंकि बिना बात के ही बात बढ जायेगी !

वो अपना कंबल लेकर चुपचाप से बेड के एक किनारे से लेट गयी, उसे मालूम था कि नींद तो नहीं आएगी लेकिन सोने का उपक्रम तो करना ही था ! मेंनका मैडम बहुत देर तक अपने नोट्स लेकर बैठी रही शायद वे कल की तैयारी कर रही थी ! बिना पढे हर किसी को बोलना बताना आसान नहीं है ! कितनी तैयारी करनी पड़ती है तब कुछ बता और समझा पाती हैं ! उसने राघव को तो कभी नहीं देखा कुछ भी पढ़ते हुए न जाने कहाँ से इतना ज्ञान है उन्हे ? न जाने कैसे फट फट बोलते चले जाते हैं ? ना जाने कहाँ से शब्द दर शब्द निकालते चले जाते हैं बिना रुके, बिना थमे लेकिन उनका यह कैसा ज्ञान था जो उसकी समझ से परे हो रहा था कि कल को कोई अन्य लड़की जीवन में आ गयी तो मैं उससे भी शादी करूंगा ! ओहह तो फिर उसे अपना क्यों बनाया ? क्या उसे तड़पाने को ? सताने और रुलाने को ?

मैंने तुम्हें अपना बना लिया, बस अब तूम मेरी हो भले ही तुम कहीं भी जाओ, रहो। रहोगी मेरी ही !

राघव यह बात मेरी समझ से परे है ! मैं तुम्हें जितना समझने की कोशिश करती हूँ, उतना ही उलझती चली जाती हूँ ! न जाने इसमें कौन सा ज्ञान या अर्थ छुपा है ? किसी को अपना बना कर उसे उसके हाल पर छोड़ देना तड़पने के लिए ! मतलब उसे पा तो लिया है लेकिन उसकी जिम्मेदारियों से दूर भाग जाओ ! सच में प्रेम भी तो एक ज़िम्मेदारी ही है, जिसे निभाना हर किसी के बस की बात नहीं है ! लेकिन वो अपने प्रेम और विश्वास से उनका दिल जीत लेगी ! उन्हें अपना बना लेगी ! पारुल ने मन में ठान लिया कि उसके जीवन में किसी और के लिए नाम मात्र की जगह भी नहीं होगी राघव और सिर्फ राघव ! प्रेम किया है तो मरते दम तक निभाना ही पड़ेगा ! हाँ मैं निभा लूँगी लेकिन अब मैं पीछे नहीं हटूँगी ! न तुमसे कुछ कहूँगी देखना वक्त फैसला कर देगा सच और झूठ का ! बहुत आसान है किसी को बर्बाद कर देना लेकिन किसी की जिंदगी बना देना उतना ही मुश्किल है ! लो राघव तुम करो मुझे यूं ही बर्बाद, मैं तुम्हें आबाद करती रहूँगी ! उसे आपने पापा की वो बात याद आ गयी कि जो तुमको कांटे बबे ताहे बोय तू फूल और तेरे फूल के फूल हैं बाके है त्रिसूल !

अपनी आँखों से बहते हुए आंसुओं को हाथ से पोंछते हुए पारुल ने मन में पक्का निश्चय कर लिया था ! हालांकि नींद आँखों से कोसो दूर थी फिर भी सोने का बहाना बनाये यूं ही लेटी रही, मेनका मैडम अपने काम में लगी थी ! करीब एक घंटे के बाद मैडम ने लाइट बंद कर दी वे लेटते ही सो गयी थी और वो अपनी ख्वाबों भरी आँखों को रात भर बंद किए पडी रही किन्तु नींद का नामोंनिशान भी नहीं आया ! कब रात गुजरी और कब सुबह हो गयी उसे पता ही नहीं चला क्योंकि वो डूबी रही उन ख्यालों में जब राघव उसके साथ थे और वो उनकी बाहों में और आँखों से बहते रहे आँसू स्वतः ! रात भर नींद न आने के कारण सिर बहुत भारी हो रहा था और रोने के कारण आंखे लाल हो गयी थी ! शरीर इतना अलसाया हुआ कि उठने का बिल्कुल मन ही नहीं था ! मैडम दरवाजा खोलकर बाहर खड़ी हो गयी थी जिससे सूरज की तेज रोशनी उसके चेहरे पर पड रही थी ! उसने अपनी नजर उठा कर घड़ी की तरफ देखा सुबह के छः बज रहे थे ! समय छ बजे का और धूप इतनी तेज, लगता है घड़ी सही नहीं चल रही है उसने मन में सोचा और कंबल हटाकर वो बाहर निकल आई !

गुड मॉर्निंग मैडम !

अरे उठ गयी तुम ?

जी हाँ !

इतनी जल्दी !

अगर जल्दी है तो सो जाऊ अभी ?

हाँ अभी सो जाओ !

क्या वाकई अभी सुबह के छः बजे हैं लेकिन इतनी तेज धूप ?

अरे हाँ भाई हाँ, छ ही बजे हैं और सुनो, यहाँ सबसे पहले सूरज उगता है यह अरुणाचल प्रदेश है न !

अच्छा ! उसे कुछ समझ आया और कुछा नहीं भी !

नींद तो अब क्या आएगी जब रात भर पलक नहीं झपकी ! चलो यूं ही थोड़ी देर लेट जाती हूँ ! क्या हुआ है मेरी नींद को ? किसने हर ली मेरी नींद ? खुद वो तो चैन की नींद सो रहे हैं ! जब यही बात उसने कल दिन में राघव से पुछी थी तो वे बोले थे कि मैंने किसी का कुछ चुराया नहीं है जो मुझे नींद न आए ! नींद तो चोरों को नहीं आती है !

मतलब मैं चोर हूँ ?

यह तुम अपने दिल से पुछो !

अगर मैंने उनका दिल चुराया है तो मेरा दिल भी तो उसने चुराया है ! बात तो बराबर की है इसमें कम या ज्यादा कहाँ है फिर उन्हें सकूँ है और मैं बेचैन ! लाख समझने की कोशीश करो फिर भी मन नहीं समझता ! जैसे कोई जादू या कोई नशा ! जबकि राघव पूरी तरह से लापरवाह हैं और वो उनकी परवाह में अपनी जान निकाले दे रही है ! मिलेगा वही जो तुम चाहोगी और होता भी यही जैसा हम सोचते हैं ठीक वैसा ही होता चला जाता है ! राघव तुम मेरे हो सिर्फ मेरे ! मन में यह बात दोहरा कर अपनी पलकें बंद कर ली ! रात भर की थकी पलकें पलक झपकते ही बंद हो गयी और वो नींद में खो गयी, सुख भरी ख्वाबों से भरी मीठी नींद ! शावर के पानी के तेजी से गिरने की आवाज से अचानक उसकी आँख खुल गयी ! सीधे नजर घड़ी पर गयी अरे आठ बज गए ? वो दो घंटे की सुखभरी नींद ले चुकी थी ! फिर भी आँखों में नींद भरी हुई थी ! मैडम अपने बाल झाड़ती हुई वाथरूम से बाहर निकल आई थी ! सफ़ेद रंग का गाउन पहने हुए अपने लंबे घने बालों को शीशे के सामने खड़े होकर तौलिया से लपेट रही थी ! अब उठ जाओ पारुल और नहा लो अभी गीजर चल रहा है गरम पानी मिल जाएगा ! यहाँ लाईट का कोई भरोसा नहीं है फिर ठंडे पानी से नहाने में बीमार हो जाओगी !

हाँ अब मैं उठ रही हूँ !

वो जल्दी से उठी और कंबल समेट कर एक तरफ रख दिया क्योंकि कल वो ऐसे ही उठकर वशरूम में चली गयी थी और कंबल मैडम ने समेटा था ! उसे बहुत शर्म आई थी ! ऐसा काम ही क्यों किया जाये कि शर्मिंदगी उठानी पड़े ! अगर एक बार गलती हो जाये तो अगली बार उस गलती को सुधार लो !

***