Ye kaisa ishq he in Hindi Classic Stories by Monty Khandelwal books and stories PDF | ये कैसा इश्क है

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ये कैसा इश्क है

ये कैसा इश्क है

रहीम अपने परिवार के साथ बैठा खाना ही खा रहा था | की
बहार किसी की जोर से चिल्लाने की आवाज़ आती हे |
साथ ही बहार पड़े कुछ बर्तन भी जोर से कोई फेंक रहा था..|

ईतने जोर से आवाज़ सुनते ही रहीम तुरंत ही बहार भागते हुए आकर दरवाज़ा खोलते हैं| तो पाते हे कि अब्दुल बाहर खड़ा था | वोही अब्दुल जिससे रहीम ने 250000 का कज॔ ले रखा था |

अरे जनाब लाइये मेरी मोटी रकम जल्दी कीजियेगा मुझे और काम है |
हाथ जोड़ते हुए अब्दुल भाई रेहम कीजिये मेरे पास अभी आपको देने के लिये इतनी मोटी रकम नहीं हे

ओह तो तुम्हारे पास अभी पैसे नही हैं |
घर की और नजर घूमते हुए तो क्या हुआ घर में सामान तो हे
अपने साथ लाये कुछ आदमी यो को जोर से बोलते हुए
उठालो घर का सारा सामान एक भी नहीं बचना नहीं चाहिए |

रहीम पैरों में गिरते हुए नहीं ऐसा मत करो हम कहा जायेंगे
तो अब्दुल उसे जोर से उसे लात मारता हे रहीम को मार खाते हुए जब उसकी पत्नी देखती हे तो वो उसके बचाव में
बिच में आजाती है|

रहम करो जनाब रहम हम आपके सारे पैसे लोटादेंगे

अब्दुल उसकी पत्नी को देख रहीम को पूछा कौन हे ये
हुस्न की बला
रुको जनाब मत मारो हम इनकी बेगम है

अब्दुल अपने आदमी यो को आवाज लगते हुए रुक जाओ सामान को छोडो इतनी बेश किमती चीज रखी हुई है पहले ईश हुस्न की मालिका को उठाओ ले चलो अपने farmhouse पर....

रहीम एक बार फिर उसके पैर पकड़ कर खु़दा केे वस्ते ऐसा जुलुम मत करो में आपके पैसे जल्दी ही लोटादुंगा

अब्दुल गिरेबान पकडते हुए 5 हफ्ते की मौहलत देता हूँ तुमको अगर तुम मेरा पैसा नहीं लोटा पाए तो याद रख लेना उसके अगले दिन तुम्हरी बेगम मेरे बिस्तर पर होगी...|


आज तो हम आपको नहीं छोड़ेगे कितने दिनों से बोल रहा था की आप से हमें मिलना है और आप हो केे रोज़ रोज़ बहाने निकालते हो आज तो आप को में कहि नही जाने दूँगा

नही सलीम ऐसी बात नही है मुझे भी अप से मिलने की बहुत इच्छा होती है लेकिन अब्बू के डर से हम आपसे नही मिल पा रहे थे
आज भी हम घर से बहाना कर केे आप से मिलने आये है

में यहा बात कर रहा हूँ सलीम और सलमा जो एक ही गावँ में रहते हैं जो दोनों एक दूजे प्यार करते हैं पर आपस में बहुत कम मिल पाते हैं

इसी कारण से जब कई दिन बाद जब वो एक दूजे को एक दोस्त के कमरे मिले तो उन्होंने अपनी सारी तडपन और इच्छा को पूरा किया ...

सलमा सलीम से ये कहती हैं की आप से अब ये जुदाइ अब सही नहीं जाती आप हमसे निकाह कर लो ताकि हम कभी आप से जुदा नही हो पाये ...

सलीम हाँ में भी ये ही चाहता हु की अपना निकाह हो जाये
पर अभी कुछ समय और लगेगा मुझे एक काम करना है |ताकि अपने निकाह में कोई दिक़्क़त नहीं आये ...
अगर वो काम हो जाये तो में खुद अपने अब्बू को लेकर तुम्हारे घर मेरे और आपके निकाह की बात करने आऊंगा

सलमा वाकई में दुआ माँगते हुई खुदा आप केे सारे काम पुरे करे
सलीम हाँ जरूर अब आप जाओ आपसे फोन पर बात करेंगे .

सलमा घर जाते हुए रास्ते में कुछ गुण्डे चाय की दुकान पर बैठे हुए थे सलमा की खूबसुरति को देख उसे छेडने लगते है

दूर से ही कहते रहे ओ कलि अकेले कहा चली कहो तो आपके साथ हम भी आ जाये क्या ... हस्ते हए .. आपको भी बहुत मजा आजायेगा खटिया मे ...

वो अपना चेहरा ढकती हुई घर की और भाग जाती है

अब तो काफी दिन बीत चुके थे रोज फ़ोन पर बात करने के अलावा वे दोनों अभी तक तक नहीं मिले थे
हर रोज की ही तरह सलीम का फ़ोन आता हे और वो सलमा से खुश होकर कहता है जिसका मुझे इंतजार था अब वोह समय आ गया है उस काम को पूरा करने के लिए

दो दिन बाद में जा रहा हूँ और जल्दी ही काम ख़त्म कर आजाऊगां

सलीम तुम जाओ मगर एक बार फिर से मुझे तुमसे वोही एहसास चाहती हूँ ताकि मुझे तुम्हारी याद में जलना ना पड़े

सलीम पुछते हुए क्या हुवा ऐसा क्यों बोल रही हो
सलमा मुझे कुछ अच्छा नहीं लग रहा हे
सलीम अरे बाबा मैं जल्दी ही वापस आजाऊंगा
सलमा नही नही

सलीम अच्छा हाँ ठीक है वही मिलते हैं जहाँ हम पहले मिले थे

दूसरे दिन सलीम से मिलने केे बाद सलमा उसी रस्ते से घर जा रही थी जिस दिन उसे उस रस्ते पर कुछ गुण्डो ने छेडा था
आज भी उसके साथ वही हुआ जो उस दिन हुआ ...
आज फिर से उसे उन्हीं गुण्डो ने छेड़ा..

आज भी ये बात उसने किसी को नहीं बताई
और चुप चाप भागते हुए घर आजाती है |


सुनो जी क्या हुआ आज आप इतने उदास क्यों बैठे हो
कुछ नहीं बस यूँ ही
बताओ क्या हुआ ...रहीम गुस्से में क्या होना हे कुछ भी नही तुम जाओ चली जाओ अपने मायके
क्यूँ जी क्यों में क्यों मायके जाऊ बताओ मुझे क्या हुआ

रहीम रोते हुए मेने जो अब्दुल से पैसे लिए थे कल उसे लोटाने का आखरी दिन है और मेरे पास एक भी फुटी कोडी नही है
मेरे पास ये एक मात्र घर था जो बैंक में वह भी गिरवी रखा हुआ है अब में उसे कहा से पैसे ला कर दू ...

अगर मैंने उसे पैसे नहीं दिए तो उसने कहा है कि वह तुझे उठाकर ले जाएगा और मैं तुम्हें उठाकर लेकर जाते हुए अपनी आंखों से नहीं देख सकता अब तुम ही बताओ कि मैं क्या करूं दिल करता है कि मैं आत्महत्या कर लूं

पत्नी नही जी नही खु़दा का वस्ते आप ऐसा कदम मत उठाना ... खु़दा पर भरोसा रखो खु़दा कोई ना कोई रास्ता जरुर निकलेगा ....
आप चिंता ना करो कल जोभी होगा देखा जायेगा ...
पत्नी की बात सुन कर रहीम शांत हो जाता है


सुबह होते ही अब्दुल रहीम के दरवाजे पर दस्तक देता है और आते हुए कहता है रहीम तुम्हें दी गई मोहलत का समय खत्म होता है अब लाओ मेरी मोटी रकम लाओ वरना तुम्हें याद है ना मैंने क्या कहा था मैं तुम्हारी बेगम साहिबा को उठाकर ले जाऊंगा

रहीम l नहीं अभी मेरे पास तुम को देने के लिए एक भी फूटी कौड़ी नहीं है | मैं तुमको अपना मै यह घर भी दे देता लेकिन यह घर भी गिरवी रखा हुआ है |

अब्दुल गुस्से में देख क्या रहे हो हराम खोरो उठा लो इस बेगम को
आज से ये बेगम हमारे बिस्तर पर होगी

रहीम अब्दुल खु़दा के वास्ते ऐसा मत करो ...
रहीम की पत्नी ने भी खुद को बचाने की खूब कोशिश की
इतने में अंदर से उनकी बेटी ज़ोर से आवाज़ लगते हुए आती है छोड़ दो मेरी अम्मी को छोड़ा दो उनसे लड़ने लगती है

तब कोई पीछे से आवाज़ देता है अरे अब्दुल भाई ये तो वोही है ... जिसको हमने वहाँ देखा था ... कितनी खूबसूरत है ये

अब्दुल हाथ दिखाते हुए इशारों से कहता है कि बेगम साहीब को नीचे उतार दो...
जैसे ही उसे नीचे उतारा जाता है | लड़की अपनी अम्मी के गले लग जाती है ... |

अब्दुल अब रहीम की और रुक करता हे ...


सलीम का दोस्त नवाब सलीम से ये कहते हुए यार सलीम तुम इतने दिन तक कहाँ गये थे में तुमको कितने फ़ोन किये पर तुम्हारा फ़ोन हमेशा बंद क्यों आरहा था ... |

सलीम क्यों क्या हुआ नवाब ...जरा आराम से ... बोलो

सलीम वो सलमा
सलमा क्या नवाब ... बोलो
वो सलमा अम्मी

सलीम क्या बात कर रहे हो तुम सलमा अम्मी बन गयी है और में अब्बू....

नवाब ,नवाब, नवाब, तुमने आज दिल खुश करदिया
नवाब सलीम का हाथ झटकते हुए

नवाब गुस्से में सलीम सलमा तेरे बच्चे की अम्मी नहीं तेरी अम्मी बन गयी है ....|
सलीम मेरी अम्मी
नवाब हाँ सलीम हाँ

तेरे अब्बु ने सलमा से निगाह कर लिया है |
सलीम क्या बकवास कर रहे हो ...तुम नवाब

नवाब सलीम तुमको अगर मुझ पर विश्वास नही हो तो तुम खुद अपने घर जाकर अपनी आँखों से देख लो...


वह जैसे ही घर जाता है तो सलमा को घर में काम करते हुए पाता
सलीम सलमा केे नजदीक जाकर पूछता है क्या नवाब सही केहरा हे

तब सलमा का जवाब हाँ आता
सलीम ... ये सब कैसे हुआ


सलमा उसे सारी बात बताती है |
जब में अम्मी को लेकर अंदर गयी तो तुम्हारे अब्बू ने मेरे अब्बु को बोला

देख रहीम अब तुम मुझे मेरे पैसे लोटाओ या फिर एक रास्ता है| जिससे तुम्हारे एवं मेरे दोनों की तकलीफ़ दुर होजाएगी
साथ में तेरा सारा र्कज बी ख़त्म होजायेगा और साथ में तुम्हारा घर का लोन भी चुकता हो जायेगा.....


रहीम वो कैसे..
वो तुम्हारी बेटी से मेरा निकाह कर केे...
रहीम क्या
अब्दुल हा रहीम सोच लो
रहीम में अपनी पत्नी से बात करता हु

अब्दुल हा हा करो करो पर जवाब हा होना चाहिए.... वरना

अब्बू ने अम्मी से सलाह ली
मेरे ना ना करने केे बावजूद
अम्मी ने हां बोल दी

मेरे मना करने पर अम्मी अब्बू ने मुझे समझाया और रोने लगे
उनको रोते हुए देख में मजबूर हो गयी उसी मज़बूरी में मेने भी कुबुल है | बोल दिया...



आपको अगर मेरी यह कहानी पसंद आ गई हो तो कृपया आप अपनी राय जरूर दें साथ में मेरी इस कहानी को स्टार दें ना कि मुझे मालूम पड़े कि आप लोगों को मेरे लिखावट इतनी पसंद आई कहानी को पूरा पढ़ने के लिए आपको बहुत-बहुत धन्यवाद