Uska Aakash in Hindi Women Focused by Pushpa Saxena books and stories PDF | उसका आकाश

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उसका आकाश

“आप पहिचान नहीं रहे हैं, यह वही लड़की है, जिसके साथ मैने विवाह किया था और आपने उसके लिए अपशब्द कह कर घर में उसका प्रवेश निषिद्ध कर दिया था. आपकी जिन्दगी के लिए मै ने उसे खो दिया था. अब अपने अपराध के लिए उससे क्षमा मांग कर मुझे अपनी गलती का प्रायश्चित करना है. मै घर छोड़ कर जा रहा हूँ.”

“नहीं बेटा, मुझे इतना बड़ा दंड मत दे, मेरी भूल के कारण तू विवाह ना कर, जोगी बन गया है. मै खुद तेरे साथ चल कर उससे क्षमा मागूंगा. अपने बूढ़े पिता को अकेला मत छोड़ कर जा.”वह रो पड़े.

“नहीं, उसकी आवश्यकता नहीं है. मुझे अपनी सुजाता पर विश्वास है. उसका निर्णय मुझे मान्य होगा. वैसे भी उसे इस घर में ला कर उसका अपमान नहीं करूंगा” इतना कह कर सजल घर से चला गया.

“आप यहाँ, कैसे क्यों?”अचानक सजल को अपने सामने देख सुजाता चौंक गई. चेहरे पर खुशी की चमक आगई, पर अनजाने ही मुंह से ये शब्द निकले थे –

“कमाल है, लंबे चार वर्षों बाद अपने पति को देख कर यह कैसा प्रश्न, सुजाता? क्या इतने वर्षों तक मेरी याद नहीं आई?’सजल का स्वर व्यथित था.

“आप क्या आज भी एक झूठे बंधन को सत्य मानते हैं? आप भी जानते हैं उस दिन जो हुआ अचानक उत्पन्न परिस्थिति का परिणाम था, इसीलिए अपने पत्र में आपको बंधन-मुक्त कर आई थी. आपका परिवार मुझे कभी स्वीकार नहीं करेगा.”

“नहीं सुजाता, वो मेरे जीवन का सत्य था, अन्यथा आज तक तुम्हारी स्मृति में अविवाहित रह कर तुम्हारी प्रतीक्षा नहीं कर रहा होता. तुम्हें अपने से ज़्यादा प्यार किया है और मुझे विश्वास था, मेरी प्रतीक्षा पूर्ण होगी. यह भी जानता हूँ तुम भी मुझे बहुत चाहती हो. तुम्हें बताना चाहता हूँ, मेरे परिवार में तुम्हारा स्वागत है, पिताजी को अपनी भूल पर पछतावा है..”विश्वासपूर्ण शब्दों में सजल ने कहा.

“मानती हूँ आपने मुझे नव जीवन दिया था, पर आपके जीवन में आपकी पत्नी बन कर रह पाना मेरी नियति नहीं है. मुझे क्षमा करें, यह सौभाग्य मेरा नहीं हो सकता. आपके मार्ग-दर्शन और प्रेरणा से अब तो मुझे अपनी राह मिल गई है, अब मै अपना जीवन सम्मान के साथ जी सकती हूँ.”शांत स्वर में सुजाता बोली.

“मुझे तुम्हारी सफलता पर गर्व है, तुम्हारी सफलता मेरा गौरव है. सुजाता. तुम्हारी मेधा और आत्मविश्वास पर मुझे विश्वास था पर क्या अपनी सफलता की कहानी मुझे नहीं सुनाओगी?”

“ज़रूर सुनाऊंगी, आज भी वह दिन कल की तरह से याद है.” कुछ पल के मौन के बाद सुजाता बोली

“झरते आंसुओं के सैलाब के साथ जो ट्रेन खड़ी थी , उसमें चढ़ गई थी. कम्पार्टमेंट में सिस्टर मारिया कुछ आदिवासी लड़कियों के साथ दिल्ली से लौट रही थीं. उन लड़कियों ने राष्ट्रीय स्तर पर हॉकी में ट्रॉफी जीती थी. मुझे आंसू बहाते देख सिस्टर सब समझ गईं तेज़ आवाज़ में कहा था-

“अपने आंसू पोंछ डालो, इन्हें बहा कर कुछ नहीं मिलेगा. अपनी लड़ाई तुम्हें खुद लडनी होगी. इन लड़कियों को देखो इन्होंने अपने साहस और दृढ निश्चय से आज अपनी मंजिल पा ली है. इन्होंने अपना दुःख, और अपने आंसू भुला कर नई सम्मानपूर्ण ज़िंदगी पाई है. मुझे यकीन है, हिम्मत से तुम अपना जीवन संवार लोगी. अगर चाहो तो हमारे साथ तुम “मदर मार्था वेलफेयर होम” चल कर नव जीवन पा सकती हो.”

उनकी बातों ने मुझे एक नई शक्ति दी थी. वर्षों पहले आदिवासी लड़कियों की दयनीय स्थिति देख कर मदर ने इस वेलफेयर होम की स्थापना की थी. आज तक न जाने कितनी लड्कियाँ यहाँ अपना जीवन संवार चुकी हैं. “मदर मार्था वेलफेयर होम” में अपनी पढाई करने के साथ छोटी लड़कियों को पढ़ाते हुए अपना अतीत भुला रही थी, पर माँ और आपकी याद बेचैन करती थी.”अचानक सुजाता मौन हो गई.

“हाँ शन्नो मौसी ठीक हैं और अब तुम्हारी प्रतीक्षा कर रही हैं. वैसे यह मेरी खुशकिस्मती है कि तुम मुझ नाचीज़ को भी याद करती थीं..”सजल ने हंसते हुए कहा.“

“आप ही तो मेरे प्रेरक थे अन्यथा मुझमें इतना साहस कहाँ से आता? सिस्टर ने सलाह दी थी, अपने अतीत के अपमान को धोने के लिए हाथ में कोई शक्ति होनी आवश्यक है, तभी मैने निर्णय लिया कि प्रशासक के रूप में यह कार्य करना संभव होगा. असहाय और दुखद स्थिति में जीने के लिए विवश हुई स्त्रियों को सम्मान दिलाना मेरे जीवन का संकल्प होगा.” सुजाता के मुख पर विश्वास की चमक थी.

‘’ तुमने नारी शक्ति को सार्थक किया है. तुमसे एक सच जानना चाहता हूँ , तुम्हें अपनी पत्नी बना कर अकेला छोड़ आया क्या मुझे मेरे उस अपराध की क्षमा नहीं मिल सकेगी, सुजाता?” सजल का स्वर आहत था.

“आप किस अपराध की बात कर रहे हैं? आप तो मेरे आराध्य हैं, आज आपकी ही प्रेरणा से यहाँ तक पहुंच सकी हूँ. आपकी अपराधिन तो मै हूँ जो आपको अपना पता बताए बिना इतनी दूर आगई.”

“तो सच कहो, मुझ पर विश्वास तो करती हो, सुजाता?”गंभीर स्वर में सजल ने सवाल किया.

“अपने से ज़्यादा, आप पर विश्वास है. आपके विश्वास ने ही तो मुझे यहाँ तक पहुंचाया है.”

“अगर ऐसा है तो मेरी बात मान लो. तुम्हें विश्वास दिलाता हूँ, हम दोनों अपने –अपने कार्य - क्षेत्र में पूरी सच्चाई के साथ अपने कर्तव्यों को पूर्ण करेंगे.हमारा विवाह हमें अपने कर्तव्य से विमुख नहीं होने देगा दूर रह कर भी हम ज़रुरत के समय हमेशा साथ होंगे और भाग्य से जब भी हम दोनों को साथ होने के अवसर मिलेंगे तो जीवन का पूरा आनंद लेंगे. बोलो क्या तुम्हे, मेरा प्रस्ताव स्वीकार है?”सजल की विश्वास पूर्ण दृष्टि सुजाता के मुख पर निबद्ध थी.

“आपके शब्दों पर अविश्वास कैसे कर सकती हूँ ?आज तो अपने भाग्य से ही ईर्षा हो रही है. सपने भी सच हो सकते हैं, ये आज ही जान सकी हूँ.” सुजाता के सुन्दर मुख पर खुशी की चमक थी.

“तो चलो हम अपना नव जीवन शुरू करने के पहले अपने परिवार वालों का आशीर्वाद ले लें. इतना ही नहीं, उसी मन्दिर में कलक्टर सुजाता का सम्मान-समारोह आयोजित किया जाएगा जहां कभी तुम जाने से भी डरती थीं. मुझे विश्वास है तुम मजबूर लडकियों की प्रेरणा बन कर उन्हें नव जीवन दे सकोगी.मै हर कदम पर तुम्हारे साथ हूँ.”सजल के मुख पर दृढ़ता थी.

प्यार से सुजाता का हाथ थाम सजल ने उसके माथे पर झूल आई लट हटा चुम्बन अंकित कर दिया. उदित हो रहे सूर्य की रश्मियों ने सुजाता के लाज से लाल पड़े कपोलों की लालिमा और बढ़ा दी.