Baat ek raat ki - 9 in Hindi Detective stories by Aashu Patel books and stories PDF | बात एक रात की - 9

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बात एक रात की - 9

अनुवाद: डॉ. पारुल आर. खांट

( 9 )

'दिलनवाझ, हमारी फिल्म के ओवरसीझ राइट्स के लिए डॉन सैयद मलिक के राइट हेंड सलीम कालिया का दबाव बढ़ रहा है| मैंने सैयद के भाई अहेसान को कहा कि वह सैयद से बात करके उसे समजाए, लेकिन अहेसान ने कहा कि भाई के काम में मैं हस्तक्षेप नहीं करता|' अमन कपूर ने दिलनवाझ से कहा।

'रिलेक्स| मैं सैयद के साथ बात कर लूंगा|'

'लेकिन कालिया ने ऑलमोस्ट धमकी ही दी है कि दो दिन में जो भी हो स्पष्ट कह दे| नहीं तो मुझे इतनी छोटी बात के लिए सैयदभाई को कहना पड़ेगा|' अमन की आवाज में उचाट था| 

‘सैयद को इस बात का पता भी नहीं होगा| कालिया थोड़ा ज्यादा हवा में उड़ रहा है| मैं दुबई जाता था तब मुझे लेने एरपोर्ट आ जाता था| फ्लाइट लेंड़ होने से पहले एक घंटा पहुँच जाता था|'

दिलनवाझ को सैयद के साथ अपने सम्बन्ध का अहंकार था| सैयद दुबई रहता था तब दिलनवाझ कई बार उसका महेमान बन चुका था| सैयद की कई पार्टीझ में वह उपस्थित भी रहता था, लेकिन सैयद कराची चला गया इसके बाद दिलनवाझ ने उसके साथ उपर-उपर से सम्बन्ध काट दिए थे| हालांकि वह सैयद के साथ संपर्क में रहता था| 

'लेकिन अब वह सैयद का राइट हेंड  बन गया है| वह जिस तरह से बात करता था यह देखते हुए मुझे नहीं लगता कि वह हमारा पीछा छोड़ देगा|' अमन ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा| 

'डोन्‍ट वरी| मैंने कहा न कि मैं सैयद से बात कर लूंगा| वह एकबार अहेसान की नहीं सुनेगा, लेकिन मेरी बात श्योर मानेगा|' दिलनवाझ ने आत्मविश्वास से कहा| 

............

'आधी फिल्म बन जाने के बाद दिलनवाझ अब शर्त रख रहा है|' आकाश महेरा डॉन के भाई अहेसान मलिक से कह रहा था| 

अहेसान दावे के साथ कहता था कि मुझे मेरे बड़े भाई सैयद मलिक के साथ कोई सम्बन्ध नहीं है, लेकिन सारा बॉलीवुड जानता था कि ये बात झूठ थी| हालांकि अहेसान मलिक के सामने कोई क्रिमिनल गुन्हा फाइल नहीं हुआ था| फिल्म इंडस्ट्री के सफल लोग अहेसान के प्रसंगों में बेझिझक उपस्थित रहते थे| बॉलीवुड में कोई अहेसान के आमंत्रण को ठुकरा नहीं सकता था और बॉलीवुड की सभी पार्टीझ में अहेसान को आमंत्रण मिलता था| 

'रोशनी ने मुझे पूरी बात बताई है |' अहेसान ने कहा और फिर जोडा, 'मुझ पर छोड़ दीजिए| बहुत शॉर्ट टाइम में आपकी फिल्म की शूटिंग शुरू हो जाएगी|'

'थेंक्यु वेरी मच| आई विल बी ओब्लाइझ्ड|'

'नो नीड टु से थेन्कस| लेकिन हा, फिल्म के प्रॉफिट में मैं ५०%  लूंगा| अहेसान ने बाहेन्धरी देने के साथ ही शर्त रख दी| 

आकाश महेरा को लगा कि वह पेड़ से गिरकर खजूर पर लटक गया है लेकिन तुरंत ही उसने सोचा कि फिल्म लटकी है और 50 करोड़ की चपत खाने से बहतर है कि प्रॉफिट शेर कर ले और फिल्म शुरू हो जाएगी तो आनंद भी डिप्रेशन से बाहर आ जाएगा और उसकी कारकिर्दी टेक ऑफ हो जाएगी| 

'श्योर' उसने कहा| 

.............

'मैं बान्द्रा सीट पर से चार टर्म से एम.एल.ए. के तौर पर चुनाव जीतकर आया हूँ| मैंने नॉर्थ-सेन्ट्रल बम्बई मतविस्तार में मेरा बेझ बनाया है और आपने मुझे बोला था कि इसबार आप मुझे ही नॉर्थ-सेन्ट्रल बम्बई की लोकसभा की टिकट दिलाएँगे| अब पार्टी ने सहसा दिलनवाझ खान को टिकट देने का निश्चय कर लिया इसलिए मुझे तो अब परमेनन्ट लोकसभा की सीट भूल ही जाना है ना|' एम.एल.ए. इश्तियाक अहमद रुलिन्ग पार्टी के महाराष्ट्र के प्रदेश अध्यक्ष सुभाष सावंत के सामने आक्रोश व्यक्त कर रहा था| इश्तियाक निम्न जाति के वॉट के लिए पार्टी को बहुत उपयोगी था और प्रति साल पार्टी के लिए कई गुना फंड भी इकट्ठा करता था| इसलिए पार्टी के राज्य के एकम के अध्यक्ष के साथ उन्हें अच्छा बनता था| 

'मैं तो तुम्हें ही नॉर्थ-सेन्ट्रल बम्बई की टिकट दिलाना चाहता था, लेकिन खुद प्राइम मिनिस्टर ने रस लेकर दिलनवाझ को टिकट देने को कहा। इसलिए मेरे हाथ बँध गये।' सावंत ने स्पष्टता की| 

इश्तियाक को लगा कि वह पार्टी छोड़ देने की धमकी दे, लेकिन फिर तुरंत ही समझ में आया कि ऐसा कहने से प्रदेश अध्यक्ष उसे टिकट नहीं दिला पाएँगे और विपरीत पक्ष में से टिकट लेने का कोई फायदा नहीं था क्योंकि दिलनवाझ को अपनी लोकप्रियता का फायदा मिलनेवाला था| इसलिए उसके सामने विपरीत पक्ष में चुनाव लड़ना ये तो अपनी राजकीय कारकिर्दी खत्म करने जैसा था| अभी तो अपनी नाराजगी व्यक्त करने के अलावा वह ज्यादा कुछ कर नहीं सकता था| 

'तो मुझे पूरी जिंदगी एम.एल.ए. के तौर पर ही निकालनी पड़ेगी?' इश्तियाक ने व्यग्रता से कहा| 

'नहीं, नहीं| तुम्हें मिनिस्ट्री में स्थान मिले इसलिए मैं कोशिश करुँगा|’ सावंत ने उसे आश्वासन दिया| 

'मुझे मिनिस्टर बनाने के सामने चीफ मिनिस्टर को प्रोब्लेम है|' मैं तो फंस गया|'

'मैं सी.एम.को समझाऊँगा|’

'लास्ट इलेक्शन के बाद मैंने आपको सी.एम. बनाना चाहिए ऐसा मीडिया को कहा था इसके बाद सी.एम. किसनराव ने मुझे ध्यान में रखा है| मैं तो आपके प्रति और पार्टी के प्रति वफादार रहने की सजा भुगत रहा हूँ|' इश्तियाक ने आक्रोश व्यक्त किया|

.............

दिलनवाझ ने मेरी पीठ में छुरा भोंका है| छोड़ूँगा नहीं साले को|'

इश्तियाक मोबाइल पर खुन्नस प्रकट कर रहा था| वह उसके दिलोजान दोस्त हुसेन गांजावाला की फॉर स्टार हॉटल के एक स्वीट में बैठा शराब पी रहा था| हुसेन अभी आया नहीं था इसलिए इश्तियाक ने उसे कॉल लगाया| हुसेन को अभी पहुँचने में थोड़ी देर थी इसलिए इश्तियाक ने उसके साथ फोन पर ही बात शुरु कर दी थी| 

'अब कुछ नहीं हो सकता, इश्तियाक| अब दिलनवाज़ पूरी जिंदगी इस सीट को दबाकर बैठ जाएगा|' दिलोजान दोस्त हुसेन गांजावाला के शब्दों से इश्तियाक ज्यादा क्रोधित हो गया| 

'क्यों नहीं हो सकता?' इश्तियाक की आवाज तेज हो गई| 

इस दौरान हुसेन स्वीट में प्रवेश कर चुका था और दोनों आमने-सामने आ गये थे फिर भी वे दोनों मोबाइल फोन पर ही उग्र बहस कर रहे थे| हुसेन के साथ उसकी हाइली एज्यूकेटेड पत्‍‌नी नसरीन थी| वह दोनों दोस्तों को कुछ कह सकती थी| उसने पहले उसके पति हुसेन के हाथ से मोबाइल फोन ले लिया और फिर इश्तियाक के पास जाकर कुछ भी बोले बिना मुस्कान के साथ हाथ बढ़ाया| इश्तियाक ने किसी प्रतिकार के बिना अपना मोबाइल फोन नसरीन को दे दिया| 

बाद में नसरीन ने दोनों की ओर देखते हुए कहा कि आप दोनों आमने -सामने आ जाने के बाद भी मोबाइल का उपयोग करते हो इसलिए आप दोनों को प्राइज़ मिलना चाहिए| अब मोबाइल दूर रखकर बातें कीजिए और हा मोबाइल के उपयोग के बिना भी आप दोनों इतनी ही गालियाँ तो बोल ही पाओगे जितनी आपके दिमाग़ में स्टोर हुई है | सो नाउ स्टार्ट योर वर्ड फाइट्स अगेन विथ फुल एनर्जी| बेस्ट ऑफ लक| आपको मोबाइल के बिना शांति नहीं होती तो आपकी ढाइं-ढाइं पलों को मैं इसे आपके फोन में कैद कर देती हूँ| ऐसी स्थिति में भी इश्तियाक और हुसेन के चेहरे पर स्मित आ गया| उन दोनों ने नसरीन को थेंक्यु कहा और मोबाइल पर आधी रह गई बात को फिर से शुरु की| तब उसका ध्यान तो नहीं गया, लेकिन नसरीन अपने मोबाइल में सच में उसकी चर्चा को रिकार्ड करने लगी थी| 

इश्तियाक  ने शुरुआत की: 'तु ऐसा क्यों कहता है कि अब कुछ नहीं हो सकता?'

'लेकिन तुम अब क्या कर सकते हो? अब तो दिलनवाझ को टिकट देने का एलान भी हो गया है।’ 

उग्र और लंबी बहस चली| 

अंत में इश्तियाक ने कहा, 'अभी कितना कुछ हो सकता है|'

'क्या हो सकता है?' हुसेन ने कहा| 

'चुनाव की आचारसंहिता लगने से पहले ही दिलनवाझ की मौत हो जाये तो पार्टी को उम्मीदवार बदलना पड़ेगा|'

इश्तियाक के शब्दों को सुनकर हुसेन फटी आँखों से उसके सामने देखता रहा| 

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