chrismax ka tohapha in Hindi Children Stories by Mohd Siknandar books and stories PDF | chrismax ka tohapha

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chrismax ka tohapha

इस कहानी की शुरुआत बर्फीली जंगल से हुई । जहां पर खून जम देने वाली जबरदस्त हवाए ठंड बह रह थी । उसी रात बर्फीली तूफान मे एक मादा पोलो बीयर जंगल के रास्ते से अपने घर की ओर जा रही थी । उसके काले कोट पर लगे सोने का बिल्ला उस चाँदनी रात मे लगातार चमक रहा था । जिस पर लिखा था –प्रियंका जैन लेमना बेकरी । तभी एक कुत्ते के बच्चे की चिल्लाने की आवाज सुनायी दी । झील के ठंडे पानी मे एक नन्हा सा कुत्ते का बच्चा टूटे हुये तख्ते के सहारे तैरकर अपनी जान बचाने की कोशिश कर रहा था । यह देखकर उसकी सोयी हुई ममता जाग उठी । वह बिना कुछ सोचे समझे झील के ठंडे पानी मे कूदकर उसकी जान बचा ली । कई घंटो से ठंडे पानी मे रहने की वजह से वो कुत्ते का बच्चा बेहोश हो गया। मादा पोलो बीयर उसे साथ लेकर अपने घर आ गयी । जहां पर उसको टब मे बैठा कर उसमे गर्म-गर्म पानी डालने लगी । गर्म पानी का स्पर्श पाकर उसकी सारी ठंड दूर भाग गयी और वह तुरंत ही होश मे आ गया । यह देखकर मादा पोलो बीयर ने राहत की सांस ली । उसको गर्म पानी के टब से निकालकर आग के पास रखी कुर्सी पर बैठा दिया । मादा पोलो बीयर उस कुत्ते के बच्चे से उसका नाम पूछती है तब उसने बताया की उसका नाम टिल्लू है और वो चिकमंगुलर के जंगल से आया है । यह कहकर अपने पेट पर हांथ फेरने लगा । उसकी ऐसी हरकतों को देखकर प्रियंका जैन तुरंत ही समझ गयी कि इसको भूख लगी है । वह रसोईघर से गरमा-गरमा सूप बनाकर बाहर लायी। उसकी खुशबू को सूंघकर टिल्लू के मुँह मे पानी आ गया । वह अपने छोटे हाथों से सूप का प्याला पकड़ने की कोशिश की । लेकिन प्रियंका जैन उसको मना करते हुए खुद अपने हाथों से पिलाने लगी । सूप पिलाने के बाद प्रियंका जैन उसको चादर ओढ़कर सो जाने के लिए कही । अगले दिन- प्रियंका जैन टिल्लू अपने साथ बैकरी ( लेमना ) ले गयी । वह सबसे पहले दौड़कर रसोईघर मे गया । जहाँ पर उसे एक फ्रिज दिखायी दी –जब उसने फ्रिज खोला । तब उसके अंदर रखी खाने की चीजों को देखकर उसकी आंखो चमक उठी । वह तुरंत ही फ्रिज से केक निकालकर खाने लगा । उसके मुँह पर ढेर सारा कके लगा देखकर प्रियंका जैन हंस पड़ी । लेमना बेकरी के खुलते ही लोगो की भीड़ आनी शुरू हो गयी । प्रियंका जैन के साथ एक सुंदर से कुत्ते का बच्चा देखकर भालू –चीता लोमड़ी, हाथी जैसे अन्य जंगली जानवर उस से पूछने लगे कि “ ये नया मेहमान कौन है ? इसे पहले तो यहाँ कभी नहीं देखा । ” वह टिल्लू के सिर पर हांथ फेरकर कहती कि “ ये मेरा बेटा है ।” उसकी बात सुनकर वहाँ पर मौजूद सारे जानवर ज़ोर-ज़ोर से तालियाँ बजाने लगे । उस तालियाँ की आवाज से पूरा लेमना बेकरी गूँज उठा । माँ –बेटे का प्यार देखकर सब लोग बहुत खुश थे लेकिन दरवाजा के बगल मे बैठी एकता नाम की लोमड़ी को यह खुशी बरदस्त नहीं हुई । वह तुरंत ही लेमना बेकरी से निकलकर सीधा बर्फीली जंगल की महारानी सोनल के पास जाकर कहती है “ कि महारानी सोनल की जय हो । ” प्रियंका जैन ने आपको बिना बताये दूसरे जंगल के जानवर को गोद ले लिया है । पेंटिंग बना रही सोनल एकता से कहती है कि “बस इतनी सी बात और तुमने क्या सोचा । जंगल की महारानी सोनल बहुत खुश होगी शाबाशी देगी ।” यह कहकर उस ज़ोर से दहाड़ी , उसकी दहाड़ को सुनकर एकता लोमड़ी का रोम –रोम खड़ा हो गया । लेकिन बाद मे महारानी सोनल एकता के बहकावे मे आकर प्रियंका जैन को शाही दरबार मे पेश होने का आदेश दी । इस बात पर एकता लोमड़ी मन ही मन मे कहती है कि“ अब मजा आयेगा । ” उसी रात प्रियंका जैन अपने बचपन के दोस्त चंचल को फोन करके टिल्लू के बारे पता लगाने के लिए कहती है । चंचल एक ताकतवर गैंडा होने के साथ-साथ बर्फीली जंगल का पुलिस कमिशनर भी था । फोन रखते ही अचानक दरवाजा खटखटने की आवाज सुनायी दी । प्रियंका जैन टिल्लू को दरवाजा खोलने को कहती है जब टिल्लू ने घर का दरवाजा खोला तब एकता लोमड़ी सामने खड़ी दिखायी दी । टिल्लू एकता लोमड़ी से पूछता है कि “ आपको किससे मिलना है आंटी ।” एकता टिल्लू से कहती है कि “ अपनी मम्मी से कहो कि उसकी सहेली एकता उसे मिलने आयी है ।” उसकी आवाज को सुनकर प्रियंका जैन एक पल के लिए घबराह गयी । वह अपना सारा काम छोड़कर एकता के पास गयी । प्रियंका जैन एकता से कहती है कि “ इतनी ठंड मे बाहर क्यो खड़ी हो अंदर आ जाओ ।” एकता प्रियंका जैन से कहती है कि “ मै बैठने नहीं आयी हो बल्कि महारानी सोनल का एक संदेश लायी हो ।” इतना कहकर उसने शाही संदेश प्रियंका जैन को दे दिया । वह तुरंत ही उस संदेश को खोलकर पढ़ने लगी जिसमे लिखा था – प्रियंका जैन शाही महल मे तुरंत हाजिर हो - उसके नीचे महारानी सोनल की शाही मोहर लगी थी । उस संदेश को पढ़ने के बाद प्रियंका जैन एकता से कहती है कि “ ठीक है तुम चलो मै अभी तैयार होकर आती हो ।” उसकी बात सुनकर एकता लोमड़ी वहाँ से चली गयी । प्रियंका जैन टिल्लू को समझाते हुए कहती है कि“ मेरे जाने के बाद तुम अंदर से दरवाजा से बंद कर लो ।” टिल्लू प्रियंका जैन को शलूट देते हुए कहता है कि“ ठीक है कैप्टन ।” वह अपना कोट पहनकर राजमहल की ओर निकल पड़ी । उसको राजमहल की तरफ आता देखकर अपने कमरे की खिड़की के पास खड़ी महारानी सोनल मन ही मन मे कहती है कि “ आज भी कितना तेज स्कूटी चलती है । एक बार अकसीडेंट मे अपने आगे दो दांत तोड़वा चुकी है मगर तब भी अक्ल नहीं आयी ।” महारानी सोनल ,एकता और प्रियंका जैन- ये तीनों मैयाना कॉलेज मे एक साथ पढ़ी थी । राजमहल मे पहुँचने पर महारानी सोनल प्रियंका के ऊपर दूसरे जंगल के जानवर को गोद लेने का आरोप लगाकर उस पर बीस हजार रुपये का जुर्माना लगा दी । प्रियंका जैन ने महारानी सोनल को बहुत समझाने की कोशिश की , मगर उसकी एक ना सुनी और अपने महल से चले जाने को कहा । घर पहुँचकर प्रियंका जैन ने टिल्लू को खाना खिलाकर सुला दी । नीद ना आने की वजह से प्रियंका जैन अपने बिस्तर पर से उठकर कुर्सी बैठ गयी । महारानी सोनल की कही गयी बात उसके दिमाग मे घूमती रही । अगली सुबह –प्रियंका जैन के पास चंचल का फोन आया । उसे पता चला कि चिकमंगरुल जंगल मे अचानक बाढ़ आ जाने की वजह से सारे जानवर उसमे बह गये । यह सुनकर प्रियंका जैन को काफी दुख पहुंचा और इस के बाद उसने फोन रखा दिया । वह टिल्लू को नाश्ता करवा कर बर्फीली जंगल के सबसे बड़े व्यापारी अंशु ( हाथी ) जिसके दस जहाज लंदन शहर मे चलते है उसके पास जाकर अपनी स्कूटी और बेकरी के साथ घर की चाभी, देकर पचास हजार रुपये ले ली । जिनमे से बीस हजार रुपये महारानी सोनल के शाही कोश मे जमा करवा दी । इधर अपने घर और बेकरी मे दूसरे लोगो को रहता देखकर टिल्लू ज़ोर-ज़ोर से रोने लगा। यह देखकर प्रियंका जैन ने उसको अपने गले से लगा लिया । बाकी के बचे हुए पैसो से एक मकान किराया पर लिया और टिल्लू को साथ लेकर उसी मे रहने लगी । एक दिन शाम को प्रियंका जैन से मिलने के लिए उसकी सहेली शिल्पा ( हिरन ) आयी । प्रियंका जैन शिल्पा को चाय देकर कहती है कि “ तुम्हे यहाँ देखकर मुझे बहुत अच्छा लगा ।” शिल्पा प्रियंका जैन से पूछती है कि “ ऐसी क्या बात थी कि तुमने अपना सब कुछ बेच दिया ।” प्रियंका जैन चाय का कप नीचे रखते हुई कहती है कि “ ऐसी कोई बात नहीं ।” लेकिन बार-बार पूछने जाने पर प्रियंका जैन ने उसे सब कुछ बता दिया । शिल्पा प्रियंका जैन की हिम्मत बढ़ते हुए कहती है कि“ तुम चिन्ता मत करो , मै तुम्हारे साथ हूँ ! हर काली रात के बाद सुबह जरूर होती है ।” इतना कहकर उसने प्रियंका जैन को अपने गले से लगा लिया । कुछ दिन बाद प्रियंका जैन को अमूल चाकलेट बनाने वाली कंपनी मे नौकरी मिल गयी । अगले महीने –प्रियंका जैन ने टिल्लू का एडमिशन किर्डन- गार्डन नाम के स्कूल मे करवा दी । जहां पर बहुत ही कम समय गोनू ( बतख), चीकू (खरगोश), पिंकू ( भालू ) टिल्लू के पक्के दोस्त बन गये । इधर –प्रियंका जैन की कड़ी मेहनत देखकर कंपनी के मालिक अंशुमान ( बंदर ) उसकी सैलरी बढ़ा दी । जब यह बात प्रियंका जैन को पता चली तो वह खुशी से उछाल पड़ी । ठंडी का मौसम आते ही चारो तरफ एकबार फिर से बर्फ पड़ने लगी । इस खराब मौसम मे बर्फीले जंगल के सारे जानवर अपने –अपने घरो मे दुपकर बैठे हुए थे । टिल्लू अपने कमरे की खिड़की से देखा कि कुछ लोग बर्फ पर स्केटिंग कर रहे थे । यह देखकर टिल्लू अपने आप को रोक नहीं पाया और वह भी अपने घर से निकलकर बाहर आया । धीरे –धीरे टिल्लू उन लोगो के पास गया जो स्केटिंग कर रहे थे । टिल्लू को पास खड़ा देखकर कुछ लोगो उसे पूछते है कि “ टिल्लू क्या तुम भी हमारे साथ स्केटिंग करना चाहोगे ?” टिल्लू ने सिर हिलाकर हाँ मे जवाब दिया इसके बाद टिल्लू भी उनके ग्रुप मे शामिल हो गया । सब ने मिलकर उसको कुछ ही दिनो मे स्केटिंग के बेहतरीन दांव पेच सिखा दिये । मगर यह बात प्रियंका जैन को बिलकुल मालूम नहीं थी कि टिल्लू स्केटिंग करता है । दो तीन महीनो के अंदर टिल्लू भी स्केटिंग करने मे इतना माहिर हो गया कि उसकी बेहतरीन कलाबाजी को देखकर उसके तीनों दोस्त भी दाँतो तले उगली दब लेते । तीनों दोस्त टिल्लू से बार बार यही बात करते कि “ इस बार बर्फेले जंगल मे होने वाली आइस स्केटिंग चैंपियन शिप की ट्रॉफी तुम्हें ही मिलेगी ।” यह कहकर उसका हौसला और बढ़ते हुए तीनों दोस्त अपने घर चले गये । एक दिन स्कूल से घर आते समय टिल्लू की नजर पेड़ पर लगी बोर्ड पर गयी –“ जिस पर लिखा था लेमना बेकरी और यहाँ से कुछ ही दूर पर बना घर बिकाऊ है ।” टिल्लू मन ही मन मे कहता है कि “ अगर मै आइस स्केटिंग चैम्पियन शिप की ट्रॉफी जीता जाता हूँ तो उस से मिलने वाले पैसो से घर और बेकरी खरीदकर अपनी मम्मी को क्रिसमस के तोहफे के रूप मे दूंगा ।” अगले महीने –जब टिल्लू स्कूल के मैदान मे बैठकर पढ़ा रहा था । उसी समय गोनू –चीकू और पिंकू उसके पास सुबह का अखबार दिखाते हुए कहते है कि “ ये देखो दिसंबर मे होने वाली आइस स्केटिंग चैम्पियन शिप की तारीख आ गयी है। जीतने वालों को 50 हजार रुपये नकद दिये जायेगे और वो भी चैम्पियन शिप ट्रॉफी के साथ । कल ही हम स्पोर्ट आफिस जाकर तुम्हारे लिए फार्म ले आयेगे ।” उनकी बात सुनकर टिल्लू ने खुशी से अपने दोस्तो को गले लगा लिया । दूसरे दिन –गोनू चिकू और पिंकू स्पोर्ट आफिस से चैम्पियन शिप का फार्म खरीदकर टिल्लू को दे दिया । उस फार्म पर टिल्लू ने अपनी मम्मी से किसी तरह से साइन करवाने मे कामयाब हो गया । जैसे –जैसे चैम्पियन शिप का दिन नजदीक आने लगा । वैसे−वैसे टिल्लू अपनी स्केटिंग की प्रेकटीस और तेज कर दिया

शनिवार की शाम 23 दिसंबर 2018

किर्डन गार्डन स्कूल की छुट्टी होते ही सभी बच्चे अपने घर की तरफ निकल पड़े । स्कूल के मैदान मे गोनू पिंकू और चिकू टिल्लू से कहते है कि “ तुम्हे याद है ना, कल ठीक 9 बजे फिशर लैंड पहुँच जाना ।” टिल्लू उन तीनों से कहता है कि “ हाँ मुझे याद है , मगर तुम तीनों भी ठीक समय पर वहाँ पर पहुंचा जाना ।” चारो दोस्त एक−दूसरे को बाँय कहते हुए अपने घर चले गये । 25 दिसंबर सुबह ठीक 9 बजे –नाश्ता करने के बाद प्रियंका जैन टिल्लू से कहती है कि “ आज तो तुम्हारा स्कूल बंद है ना । क्या तुम मेरे साथ शॉपिंग करने बाहर चलोगे ? ” टिल्लू ने प्रियंका जैन को मना करते हुए बताया कि मुझे अपने स्कूल का काम पूरा करना है । प्रियंका जैन अपना पर्स उठाकर टिल्लू से कहती है कि “ अगर तुम्हे कही जाना हो। तो घर का दरवाजा बंद करके जाना । ” इतना कहकर प्रियंका जैन वहाँ से चली गयी । कुछ देर बाद टिल्लू भी घर का दरवाजा बंद कर के फिशर लैंड की ओर निकल पड़ा । टैकसी से टिल्लू उतरता देखकर गोनू −चीकू और पिंकू उसके पास जाकर कहते है कि “ इतनी देर कहाँ लगा दी । रेस शुरू होने मे बस आधा घण्टा बचा है । चलो जल्दी से अपने यूनीफ़ोर्म पहना लो । ” इसके बाद तीनों दोस्त टिल्लू को अपने साथ लेकर स्टेडियम के अंदर चले गये । जहाँ पर पहले से ही सारे प्रतियोगी होने वाली रेस की तैयारी मे लगे हुए थे । तभी स्टेडियम के हांल मे लगे सारे लाउड−स्पीकर से आवाज सुनायी दी कि “ सारे प्रतियोगी फिशर लैंड के सबसे ऊपर वाले टीले पर पहुंचे । ” यह सुनते ही सारे प्रतियोगी अपना−अपना स्केटिंग बोर्ड को उठाकर वहाँ से जाने लगे । गोनू –पिंकू और चिंकू के मुँह से स्रिफ एक ही शब्द निकला−आल द बेस्ट टिल्लू । स्टेडियम मे खड़ी सारी जनता जोरों –जोरों से तालियाँ बजाकर उन सभी खिलाड़ियो का जोरदार स्वागत की । अचानक महारानी सोनल को आलीशान कार से उतरता देखकर सारे मीडिया वाले अपने−अपने न्यूज़ चैनल का माइक लेकर उनकी ओर दौड़ पड़े । लेकिन महारानी सोनल के सिक्योटी गार्ड उन सब को हटाते हुए उन्हे स्टेडियम के अंदर ले गये । महारानी सोनल बन्दूक चलाकर इस प्रतियोगी का उदघाटन की । उस गोली की आवाज सुनते ही फिशर आइस लैड पर मौजूद सारे प्रतियोगी अपना−अपना स्केटिंग बोर्ड लेकर बड़ी तेजी के साथ फिसलते हुए गोल्डन स्टेचू की ओर निकल पड़े । जहाँ पर रेस खत्म होने वाली थी । टिल्लू ने अपनी बेहतरीन कलाबाजी दिखाते हुए बड़ी तेजी के साथ सारे प्रतियोगियो को पीछे छोडकर आगे निकल गया । जिसकी वजह से सारे मीडिया वालों का ध्यान उसकी तरफ चला गया । इस रेस का सीधा प्रसारण रेडियो और टेलीविज़न के ऊपर दिखाया व सुनाया जा रहा था । हर चैनल पर टिल्लू के नामो की चर्चा होने लगी सब कोई बस उसी की तारीफ कर रहे थे । ठीक उसी समय प्रियंका जैन टीवी के एक बहुत बड़े शोरूम के पास से गुजर रही थी कि तभी टिल्लू को टेलीविज़न पर देखकर उसके पैरो तले से जमीन खिसक गयी । वह तुरंत ही शोरूम के अंदर आयी और इस रेस के बारे पूछने लगी । तब एक भेड़िया ने उसे बताया कि “ ये 2018 का आइस स्केटिंग चैम्पियन शिप हो रहा है जो गोल्डन स्टेचू पर जाकर खत्म होगा ।” यह सुनते ही प्रियंका जैन एक टैक्सी मे बैठकर उसको तुरंत ही गोल्डन स्टेचू की तरफ चलने को कही । उधर टिल्लू पहाड़ियो से फिसलते हुए बड़ी तेजी के साथ सबसे आगे निकलता जा रहा था । तभी उसको चमकती हुई गोल्डन स्टेचू दिखायी दी । जहाँ पर पहले से ही लोगो की जमा भीड़ आने वाले प्रतियोगियो का इंतजार कर रही थी । हवा के तेज रफ्तार से टिल्लू गोल्डन स्टेचू पर बंधे रिबन बेड को तोड़ते आगे निकल गया । इसके बाद एक−एक करके सारे प्रतियोगी वहाँ पर पहुँचने लगे । लोगो की तालियों से आस –पास का पूरा इलाका गूंज उठा । थोड़ी देर बाद आइस स्केटिंग चैम्पियन शिप की ट्रॉफी और इनाम के लिए टिल्लू का नाम पुकारा गया । महारानी सोनल के हाथों से इनाम की राशि के साथ –साथ चैम्पियन शिप की ट्रॉफी भी उसको दी गयी । सारे मीडिया वाले अपने कैमरे से उन दोनों की तस्वीरे जल्दी−जल्दी खीचने लगे । तभी वहाँ पर टैक्सी आकर रुकी जिनमे से प्रियंका जैन घबराते हुए बाहर आकर भीड़ की ओर बढ्ने लगी । एक रिपोर्टर ( जिराफ) टिल्लू के पास आकर कहता है कि “ पहले आप ये बताइये कि इस इनाम के पैसे से क्या करेगे ? ” टिल्लू उस रिपोर्टर को जवाब देते हुए कहता है कि “ इन पैसो से मै सबसे पहले से अपनी मम्मी को उनकी बेकरी और घर खरीदकर वापस दूंगा । जो कई साल पहले किसी कारण से उसको बेचा दिया था।” उसका जवाब सुनकर वह रिपोर्टर इसके आगे कुछ नहीं बोला पाया। गोनू –पिंकू और चिंकू टिल्लू को खुशी से अपने कंधो पर उठा लिया । अचानक अपनी मम्मी को सामने खड़ा देखकर डर के मारे टिल्लू जल्दी से नीचे उतरा गया । प्रियंका जैन घुटनो पर बैठकर अपनी दोनों बाहे उसकी तरफ फैल दी । वह तुरंत ही दौड़कर उनके गले लग गया । यह सब देखकर महारानी सोनल को अपने ऊपर शर्म आने लगी कि दूसरे की बात मे आकर एक माँ को उसके बच्चे से अलग करने को कोशिश की , जो दुनिया का सबसे बड़ा अपराध था । क्रिसमस की रात पूरा जंगल जगमगाते हुए सितारे की तरह दिखायी दे रहा था । आधी रात मे संत क्लोज बनकर आयी महारानी सोनल टिल्लू के घर के बाहर ढेर सारे तोहफा रखकर सुनसान गलियो मे गुम कही हो गयी । श्याद यही इसकी पश्चाताप था –आज भी ऐसे कुछ अधिकारी है जो दूसरे की बात मे आकर अपने ईमानदार और मेहनत सहयोगी को अपना दुश्मन मानने लगते है और वो उनको नजर अंदाज करना शुरू कर देते है । फिर उनकी जगह उनको दे देते है जो बिलकुल काबिल नहीं होते है । एक ऐसा समय आता है जब उनको अपनी गलती का एहसास होता है तब बहुत देर हो चुकी होती है ।

द एण्ड

सिकंदर