Rangili Chudail in Hindi Comedy stories by paresh barai books and stories PDF | रंगीली चुड़ैल

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रंगीली चुड़ैल

एक समय की बात है | एक छोटे से गाँव में हरिलाल नाम का नौजवान रहता था | वह पढने में काफी ख़राब था और संस्कार से बहुत हलकट और पक्का रिश्वतखोर था | पिता की शाख की वजह से उसे रेलवे में नौकरी मिल गई | लेकिन उसे नौकरी एक वीरान गॉव में मिली, जहाँ स्टेशन पर मनहूस किसम की घटनाएँ होती थी | हरिलाल नें कभी नहीं सोचा था की उसके साथ भी इतनीं अजीब घटना हो सकती है |

उस रात हरिलाल रेलवे स्टेशन पर ओन ड्यूटी था | तब उसका स्टेशन मास्टर बीमार था | तो सारी ज़िम्मेदारी हरिलाल के ऊपर थी | थोड़ी देर हुई तो स्टेशन पर एक खाली गाड़ी आई | हरिलाल चेकिंग के लिए जाने लगा | उसने देखा ट्रेन के एक डिब्बे में से कुछ आवाजें आ रही थी | उसनें गार्ड को हाथ हिला कर चेक करने को कहा |

लेकिन गार्ड बूथ बन कर देखता रहा | शायद वह डिब्बे के अंदर जाना नहीं चाहता था | तब हरिलाल दौड़ कर वहां गया | उसने देखा एक जवान औरत ट्रेन के अंदर चीख रही थी | शायद उसके साथ कुछ गलत हो रहा था | हरिलाल नें गार्ड को बोला, तेरी फरियाद कर दूंगा, उसके बाद वह खुद डरते हुए ट्रेन के डिब्बे में चढ़ा | वहां अचानक सन्नाटा छा गया |

तभी उसे महसूस हुआ की ट्रेन चलने लगी है | हरिलाल सखते में आ गया | क्यूँ की उसकी इजाज़त के बगेर ट्रैन आगे बढ़ ही नहीं सकती थी | वह दौड़ कर डिब्बे से बाहर आने की कोशिश करने लगा | लेकिन तभी ट्रेन के डिब्बे के दरवाज़े और खिडकियां धड़ाम से बंद हो गए |

अब हरिलाल के पसीने छुट गए | चूँकि ट्रेन बेतहाशा दौड़ने लगी थी | और वह डिब्बे में लोक था | उसनें जेब से फोन निकला, और पुलिस को फोन करने लगा, लेकिन वहां नेटवर्क पूरी तरह से जाम था | कोम्युनिकेशन का कोई उपकरण काम नहीं आने पर वह सहम कर बैठ गया | तभी उसकी नज़र ट्रेन के डिब्बे के टॉयलेट की और गई |

वहां पर एक दुल्हन सी सझी औरत खड़ी थी | हरिलाल फ़ौरन उसके पास जाने लगा | ऐसा करने पर वह औरत बेतहाशा चीखने लगी | कुछ देर बाद जब वह शांत हुई तो हरिलाल बोला, आप डरो मत में आप की मदद करूँगा | ऐसा बोलने पर वह रहस्यमई औरत ज़ोर ज़ोर से हंसने लगी | फिर उन दोनों में बातें शुरू हुई |

औरत : तूं वही लुटेरा है ना जो, मुसाफिरों से 100 और 200 की रिश्वत खा कर कन्फर्म टिकट देता है ?

हरिलाल : यह जूठ है, मेने कभी रिश्वत नहीं ली है | में ईमानदार हूँ |

औरत : जूठ मत बोल वर्ना आज तुजे नर से नारी बना दूंगी | तेरी शकल पर लिखा है की तूं पक्का चिंदीचोर है |

हरिलाल : ज़बान संभाला के बात करो, वरना अच्छा नहीं होगा |

औरत : तुजे पता नहीं है की, आज तेरा पाला किस बला से पड़ा है | आज तुजसे चलती ट्रेन में मुजरा नहीं कराया तो मेरा नाम सविता नहीं |

हरिलाल : ट्रेन रुकने दे, तुजे जेल भिजवाता हूँ | चुड़ैल कहीं की...

औरत : मेरे लल्लू लाल पुलीस, आतंकवादी, महामारी, बीमारी और महंगाई इन सब से तुम इंसान डरते होगे हम “चुड़ैल” नहीं |

हरिलाल : मज़ाक अच्छा कर लेती हो | साबित करो की तुम चुड़ैल हो |

औरत : तेरी पेंट की और देख, मैंने यहाँ खड़े खड़े गीली कर दी है | इतना काफी नहीं है ? और यह अपने आप चलती ट्रेन और बंद होते दरवाज़े खिड़की देखे नहीं ? ये देख ले मेरे उलटे पैर भी !

हरिलाल : देखो डराओ मत, में बजरंग बलि का भक्त हूँ ! तुम मेरा कुछ नहीं बिगाड़ पाओगी !

औरत : मोटी तोंद वाले भालू, जब बाजूवाली रीटा भाभी पर डोरे डाल रहा था तब बंजरंग बलि याद नहीं आये ?

हरिलाल : तुम यह सब कैसे जानती हो ?

औरत : तू जब गाँव में खुले में शौच करने बैठा था तभी से तेरे पीछे पड़ी हूँ | आज मौका मिला | सन्नाटा देख कर घेर लिया तुझे |

हरिलाल : तुम एक मासूम इन्सान को तंग करोगी तो तुम्हे कभी छुटकारा नहीं मिलेगा, सोच लो |

औरत : अबे ओ बंदर की तशरीफ़ जैसी शकल वाले, मेरी चिंता छोड़, तूं खाली यह सोच की अब में तेरा क्या हाल करुँगी |

हरिलाल : मुझे जाने दो, ट्रेन रोक दो... में सुधर जाऊँगा |

औरत : तुझे सुधारना नहीं है मुझे, बस तेरी वाट लगानी है |

हरिलाल : खुले में शौच करने की इतनी बड़ी सज़ा ?

औरत : अबे मुर्गी चोर, तूं तो हल्का हो कर चला गया लेकिन भटकना तो हमें होता है ना वहां ?

हरिलाल : ठीक है में नाचता हूँ | “इन्ही लोगो नें ले लिया दुपट्टा मेरा,,,”

औरत : अबे ओय... ओय... ऐसे नहीं | उधर एक पोटली है उसमें पड़े घाघरा चोली पहन ले फिर नाच |

हरिलाल : ये मेरी बेयजति है | ऐसा में कभी नहीं करूँगा | चाहे तुम मुझे मार ही डालो |

औरत : मेरे लल्लू लाल में तुझे मारूंगी नहीं, लेकिन यह पक्का है की तेरी औलाद इस दुनियां में नहीं आने दूंगी |

हरिलाल : मतलब ?

औरत : धार वाली कैची है मेरे पास और बेहोश करने की दवा भी है | पहले तेरे होश छिनुंगी फिर रोकेट |

हरिलाल : माफ़ी... माफ़ी.. माफ़ी... में पहनता हूँ घाघरा चोली,,,

औरत : एक बात याद रहे,,, जब तक तेरे पैर चलेंगे तब तक तेरा वंश आगे बढ़ने की संभावना जीवित रहेगी |

हरिलाल : मरने तक नाचूँगा... लेकिन बेहोश हो जाऊ तो क्या होगा ?

औरत : तब में तुझे सिगारेट की बत्ती से जला कर जगा दूंगी | चिंता मत कर |

हरिलाल : तूं सुट्टा भी मारती है ? बड़ी बिगड़ी हुई चुड़ैल है तूं तो !

औरत : अब नाच | में विडियो बनाती हूँ |

हरिलाल : तेरे पास फोन भी है |

औरत : मेरे पास हेलीकोप्टर भी है दिखाऊ क्या ? अब नाचेगा या मरेगा ?

हरिलाल : थक गया | अब तो मुझे जाने दो ! 2 घंटे से लगातार नाच रहा हूँ | ऐसे तो में मर जाऊँगा |

औरत : पहले कसम खा... मुसाफिरों से घुस नहीं लेगा, खुले में संडास नहीं करेगा, शादीशुदा औरतों की इज्ज़त करेगा, छेद वाले कच्चे नहीं पहनेगा, नाक साफ़ कर के हाथ पैंट पर नहीं पोछेगा, और जब में बुलाऊ तो ट्रेन में आ कर मेरा मनोरंजन करेगा | तभी तुझे जाने दूंगी |

हरिलाल : ठीक है सब करूँगा, अब जाऊ क्या... मेरे कपडे देदो, यह घाघरा चोली बदल लू |

औरत : नहीं, ऐसे ही जा, तुज पर यह अवतार सूट करता है | अब कोई सवाल नहीं |

हरिलाल : अरे मेरी इज्ज़त चली जाएगी | ऐसा मत करो |

औरत : तू चाहता है में तुझे बिना कपड़ों के ट्रेन से बहार फेंकू ? ऐसे ही जा | अब जल्दी जा | वर्ना मेरा मूड बदल गया तो और 50 किलो मीटर तुझे रोक लुंगी | दरवाज़ा खोला है 1 मिनट ट्रेन भी रुकी है | अब निकल... तखलिया

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हरिलाल ट्रेन से उतर रहा था तभी उसे पिछवाड़े ज़ोर की लात पड़ी | वह प्लेटफोम पर आ गिरा | उसने देखा वह अपने ही स्टेशन पर था | तब गार्ड उसकी और दौड़ा | वह बोला,, क्या सर... कम्पार्टमेंट चेक करना था तो मुझे बोल देते... आप नें तकलीफ क्यूँ की ?

हरिलाल नें गुसैल नज़र से गार्ड को देखा और बोला, मैंने तुझे कहा तो था लेकिन तूं गया नहीं... अब देख में तेरे साथ क्या करता हूँ...

गार्ड बोला... क्या मज़ाक कर रहे हो साहब,, आप नें तो कुछ कहा ही नहीं था | तब हरिलाल बोला तो क्या.. यह घाघरा चोली जो मुझे पहनाया गया है वह भी मज़ाक है ?

तब गार्ड हंसते हुए बोला... साहब आप पिए हुए हो क्या ? आप तो वर्दी में ही हो | कौनसे घाघरा चौली की बात कर रहे हो ?

“अरे लेकीन ट्रेन यहाँ से गई वह भी तुझे नहीं दिखा ? ट्रेन के दरवाजे बंद हुए ? वोह सब ?”

गार्ड बोला, ट्रेन यहाँ से हिली भी नहीं... और में भी यहीं तह्नात हूँ | आप अपने कैबिन में जा कर आराम कीजिये | शायद आप थक चुके हैं |

हरी लाल फिर अपने कैबिन में गया | तभी अचानक उसको फोन आया | फोन पर ट्रेन वाली चुड़ैल थी | उसनें हरिलाल को कहा... “ तीन दिन बाद फिर मुजरा देखने का मन है डिब्बे में आ जाना ”.... वरना... |