Sex from ved point of view in English Health by Jensil Kankotiya books and stories PDF | सेक्स वेदोकी नज़रमे

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सेक्स वेदोकी नज़रमे

सेक्स !!!!!!!, सेक्स ?????? , सेक्स........., में जानता हु आपके मनमे यह सब भाव उठ रहे होंगे मगर ये बात भी सच हे की सेक्स जेसा पवित्र धर्म भी कही देखनेको नहीं मिलेगा। हमारे ग्रंथोमें "काम" यानी कामनाएँ इनको देवों का स्थान दिया गया हे, 'काम देव'।
यह सारी गड़बड़ी इस लिए हुई क्योंकि सारे ग्रंथो में इसकी बात सीधी तरिकेसे नहीं की गई। आज सेक्स यानी काम भावनाको एक शेतान के रूपमें देखा जाता हे। यक़ीन मानीए में भी इस प्रकिया से गुज़रते हुए आया हु, मेरे लिए भी यह बात को स्वाकरना काफ़ी कठिन था जब तक मेरे पास इसका सही ज्ञान नहीं था इस बरेमे।
अगर हमें अच्छा बनना हे तो हमें हमारी कामनाओ को अनदेखा करना हे हमसे ओर दूसरोसे, अनदेखा करना हे? ये तो एसी बात हो गई की दिया जल रहा हे ओर हम अपनी अपनी आँखे बंध करले ओर कहे की अँधेरा ही हे!
अगर आप अपने घर के आँगन में गोबर को इखट्टा करोगे तो कुछ समय पश्चात वह सड़ने लगेगा, आपके लिए वहाँ रहना भी मुश्किल हो जाएगा ओर शायद रास्तोंपे सफ़र करने वाले लोगोंको भी वो तकलीफ़ देने लगेगा। अगर वही गोबत को आँगनमें फूलो के खाद स्वरूप आप इस्तमाल करे.......... फूल खिलेंगे ओर ख़ुशबू देंगे, आपको घरमे आंगनमे रहनेमे मज़ा आएगा ओर रास्तों पे चलने वाले लोगों को भी मज़ा आएगा। यही बात हम हमारे साथ करते हे, वो भावनाएँ अपने अंदर सड़नेके लिए छोड़ देते हे इसलिए नाहीं हम ख़ुश रह पाते हे नाहीं दूसरोको,
तो फिर उपाय ????
उपाय भी काफ़ी सीधा साधा हे , अपने खादको सड़नेके लिए ना छोड़े उनको अपनी जमी के अंदर डाले ताकि फूल खिल सके।
कृष्ण जिनकी गाथाए आप बरसो से सुनते आ रहे हे। कृष्ण यानी एक लिखी जा रही किताब जिनके अगले पल क्या लिखा जाएगा? पता नहीं , हम गुजरातीओ आज भी उसकी दियी हुइ भेंट रास-गरबा खेलते हे जो उनके ओर उनकी गोपीयो की प्यार की निशानी हे।
રાસ રમવાને વહેલો આવજે....... ( रस खेलने जल्दी आना ) ओर हमारे मुकेश जोशी जेसे लेखक जो राधा कान्हा का अनोखा प्रेम एक एसी आस , एक एसा उमंग जो अदा करने में लेककोकी पेन की नोक भी शर्मा जाए....।
में यह बातें आपसे इस लिए कर रहा हु क्योंकि में चाहता हु की आप जो सेक्स को अपराध भाव की दृष्टि से देख रहे हे वो नज़रिया आपका बदल जाए..। आपको अगर कोई भी चिज में बदलाव चाहिए तो पहले उसका स्वीकार करना ज़रूरी हे ,
अगर आप दिए को देखके आँखे बंध करलेंगे तो इसका यह अर्थ नहीं की वह अँधेरा हे अगर आपको सचमे वहाँ अँधेरा चाहिए तो पहले आपको यह स्वीकारना होगा की वह उजाला हे , वह दिया जल रहा हे।
अगर आप इस बात को स्वीकार ले तो आप इस में कोई सुधार ला सकेंगे, आप गोबर का खाद के रूप में इस्तमाल कर सकेंगे पर ........... इसके पहले आपको यह बात को अपनानी होगी की उसके पास गोबर हे जिसका वह खाद के रूप में इस्तमाल कर पाएँगे।

मेरा काम बस इस बात की ओर ध्यान दिलाना था बाक़ी हमारे देशमे काफ़ी doctors हे जिन्होंने इन subjects (वीषयो) पर काफ़ी अच्छी जानकारी देते हे

ओर सबसे अच्छा रास्ता यही हे की बस इसको आप अपनालो ओर इसका ज़िक्र वेदों में भी किया गया हे।


कोई ग़लती हुई हो तो माफ़ करना .......आपसे बातें कारनेमे काफ़ी मज़ा आया।
Thank you for reading this...