0बस्ती पहुचने पर उसने सूटकेस कलॉकरूम मे जमा कराया था।फिर वह कालेज पहुंचा।ऑफिस से निशा के घर.का पता लिया था।देवेन,निशा से घर पर ही मिलना चाहता था।इसलिए निशा के फलेट पर चला आया था।डोरबेल बजाने पर दरवाजा मालती ने खोला था।
"किससे मिलना है, आपको?"मालती ने पूछा था।
"निशा से।"
"मैडम कॉलेज गई है।दो बजे लौटेगी।अगर आपको मिलना है,तो कॉलेज चले जाये।"मालती ने देवेन को निशा के बारे मे बताया था
"मुझे निशा से घर पर ही मिलना है।"मालती की बात सुनकर देवेन, निशा से बोला था।
जब मालती के कहने पर भी देवेन कॉलेज नहीं गया, तब मालती ने उसे कमरे मे बैठा दिया था।अकेले बैठे देवेन का मन अतीत मे भटकने लगा।
निशा के अचानक घर छोड़ कर चले जाने से वह दुखी था।वह मन ही मन अपने को कोसता।उसको घर से भगाने का दोषी कोई औऱ नही वह स्वयं था।निशा के घर छोड जाने का उसे बहुत अफसोस था।
निशा के अचानक चले जाने के बाद देवेन ने उसे खोजने मे कोई कसर नहीं रखी थी।वह उसकी हर सहेली रिशतेदारों से मिला था।लेकिन उसका कोई पता नहीं चला था।कुछ लोगो ने उसे मीडिया का सहारा लेने की सलाह दी थी।लेकिन उसने ऐसा नही किया।
और काफी तलाश के बाद भी निशा नहीं मिली,तब उसे लगने लगा था।शायद अब वह नही मिलेगी। कभी कभी ऐसा होता है।जो हम पाना चाहते है।अथाह प्रयास के बाद भी नहीं मिलता।और कभी मन की मुराद अप्रत्याशित रुप से पूरी हो जाती है।
कुछ ऐसा ही देवेन के साथ हुआ था।काफी तलाश के बाद भी निशा उसे नहीं मिली।तब उसनें मान लिया था।अब निशा नहीं मिलेगी।इसलिए जब निशा का अचानक पता चला, तो सहसा उसे विश्वास नहीं हुआ था।
निशा का अखबार मे फोटो देखकर उसे आश्चर्य हुआ था।ऐसा लगा था मानो वह स्वप्न देख रहा हो।
निशा जिसका हाथ पकडकर उसने अग्नि के सात फेरे लिए थे।अखबार मे छपे फोटो को देखकर देवेन समझ गया।चार साल पहले की औऱ अबकी निशा मे काफी अंतर आ चुका हैं।
बीते चार सालो मै निशा पूरी तरह बदल गई थी।उसकी शोखी, चंचलता औऱ हर समय होठों पर थिरकने वाली मुस्कराहट ना जाने कहाँ गायब हो गई थी।उसने गंभीरता ओढ ली थी।कम उम्र मे वह प्रौढ़ नजर आने लगी थी।
निशा से मिलने से पहले उसनें सोचा था।निशा उस दिन की घटना भूला चुकी होगी।--
लेकिन ऐसा नही हुआ था।निशा उस घटना को भूली नहीं थी।उसके दिल मे देवेन के प्रति नफरत घर कर चुकी थी।आज का निशा का व्यवहार देखकर लग रहा था।वह उसे कभी माफ नही करेगी ।
"स्टेशन आ गया"।ऑटो वाले की आवाज सुनकर वह अतीत से वर्तमान मे लौट आया।
ऑटो से उतरकर कलॉकरूम से उसने अपना सूटकेस छुडवाया थाःफिर टिकट खिड़की से दिल्ली का टिकट खरीदा था।टिकट खरीदकर वह प्लेटफार्म पर आ गया।
"पूडी सब्जी, चाय--की आवाजें प्लेटफार्म पर गूंज रही थी।
देवेन ने चाय जरुर पी थी,लेकिन खाया कुछ नही था।निशा से मिलने को इतना उत्सुक था कि उसे भूख का खय्याल ही नहीं आया था।औऱ निशा से मिलने के बाद उसकी बातें सुनकर उसकी भूख मिट गई थी।
तभी प्लेटफार्म पर.लगे स्पीकरो पर ट्रेन के आने की उदघोषणा हुई थी।यात्री सतर्क हो गये थे कुछ देर बाद ट्रेन आयी थी।यात्री ट्रेन मे चढने उतरने लगे वह अपनी सीट पर जाकर बैठ गया था।