Maa ki Chiththi in Hindi Short Stories by S Sinha books and stories PDF | माँ की चिठ्ठी

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माँ की चिठ्ठी

कहानी - माँ की चिठ्ठी


“ सुन रहे हो , देखो आज फिर अम्माजी ने सारा टेबल गंदा कर दिया है . पूरी चाय टेबल पर गिरा दिया और कप फर्श पर टूटी पड़ी है . तुम आ कर साफ़ करो . “ शुभ्रा ने पति को आवाज दिया


“ डिअर , आज तुम्हीं साफ़ कर दो न मुझे ऑफिस की देर हो रही है . “ अंकुश ने बाथरूम के अंदर से ही जबाब दिया


“ मुझे भी ऑफिस की देर हो रही है , रास्ते में बिट्टू को स्कूल भी ड्राप करना है . “


“ ओके , मैं ही साफ़ किये देता हूँ . “


अंकुश जब बाथ रूम से निकला तो निर्मला ने अंकुश बेटे से पूछा “ शुभ्रा क्यों इतना शोर मचा रही थी ? एक कप ही तो टूटा है . “


“ मम्मी , वो शोर नहीं मचा रही थी . वह तो बोल रही थी कि उसे ऑफिस की देर हो रही है , वह जा रही है . “


“ बिलकुल जोरू का गुलाम हो गया है तू . मैं सुन नहीं सकती तो क्या , उसके चेहरे के भाव से तो समझ सकती हूँ कि वह मुझ पर बिगड़ रही थी . “


“ मम्मी छोड़ो न ये रोज रोज की किच किच तो चलती रहेगी , मुझे भी देर हो रही है . “


अंकुश ने माँ के लिए हियरिंग मशीन भी दे रखा था . पर निर्मला को यह मशीन एक बोझ लगती थी और उसे पहनना अच्छा भी नहीं लगता था .


शुभ्रा बिट्टू को लेकर चली गयी और अंकुश जाते जाते माँ से बोला “ मम्मी , थोड़ी देर में कुक आएगी और जाने के पहले तुम्हारा लंच टेबल पर कैसरॉल में रख देगी , और तुम्हारी दवाईयां भी वहीं हैं . समय पर खा लेना . शुभ्रा और बिट्टू चार बजे तक आयेंगे . ओ के मम्मी बाय . “


“ बाय बेटा , अपना ख्याल रखना . मोटरसाइकिल संभाल के चलाना , अभी बहुत ट्रैफिक होती है रोड पर . “


वीक डेज में इस घर का रूटीन यही था . वीकेंड में सभी देर से सो कर उठते थे . निर्मला का रूटीन सब दिन एक समान रहता था . सुबह जल्दी उठ कर स्नानादि से निवृत हो कर अपने रूम में कुर्सी पर बैठ कर पेपर पढ़ती थी . अंकुश रात में सोने के पहले माँ के टेबल पर कुछ स्नैक्स और पानी रख देता ताकि वह सबेरे की दवा समय पर ले सके . फिर बाद में नाश्ता और खाना साथ में होता था . लंच के बाद शाम को अक्सर निर्मला अकेली ही घर में होती थी . बाकी सभी लोग बाहर चले जाते - कभी किसी दोस्त के यहाँ तो कभी मूवी और फिर डिनर कर के ही घर लौतटे थे . निर्मला का डिनर टेबल पर रखा रहता था . कभी उसके लिए भी अंकुश बाहर से डिनर आर्डर कर होम डिलीवरी करा देता या कभी लौटते समय खुद साथ ही लाता था .


पर बीच बीच में शुभ्रा अपनी सास की कुछ आदतों पर काफी क्रोधित हो जाती और पति और सास दोनों को बहुत खरी खोटी सुनाती थी . एक दिन शुभ्रा किसी काम से निर्मला के कमरे में गयी तो जल्द ही नाक बंद कर बाहर आयी . फिर गुस्से में पति से बोली “ जरा अम्माजी के कमरे में जा कर देखो , कैसी बदबू फैला रखी है उन्होंने . “


अंकुश माँ कमरे से निकलता हुआ बोला “ वैसी तो कोई बदबू नहीं है , मम्मी का यूरिन पॉट मैं सुबह खाली कर वाश करना भूल गया था . अभी किये देता हूँ . “


“ बेटा शुभ्रा क्यों गुस्से में है ? “


“ कुछ नहीं मम्मी . “


“ कुछ नहीं कैसे ? तुम्हें बोलने में डर लग रहा है तो मैं जोर से जा कर बोल दूँ अम्माजी को . “


“ अरे बार बार बहू क्या बोल रही है , मुझे भी बताओ . “ निर्मला बोली


“ इन्हें तो बात सुनायी देती नहीं है जब तक कान में न बोलो , लिख कर दे दो . “ शुभ्रा ने व्यंग किया


इसी तरह की नोंक झोंक किसी न किसी कारण अक्सर होती थी . एक दिन निर्मला से रात्रि में नींद में बिस्तर गीला हो गया . फिर क्या था सुबह होते होते घर में कोहराम मच गया . निर्मला को मामला समझने में देर नहीं लगी , उसने कहा “ जानबूझ कर तो गीला नहीं किया है , बुढ़ापे में ऐसा किसी से भी हो सकता है . “


“ ऐसे बूढ़ों के लिए सीनियर होम्स हैं , अम्माजी की व्यवस्था वहीँ क्यों नहीं कर देते . हमलोग भी चैन से रहेंगे और इन्हें भी वहां हमउम्र लोगों का साथ मिलेगा . “ शुभ्रा बोली


“ कैसी बातें करती हो ? यह मुझसे नहीं होगा . “ अंकुश बोला


“ कहो तो मैं इंतजाम कर दूँ , इतना तो अफोर्ड कर सकते हैं हमलोग . “


“ प्लीज अभी के लिए बंद करो यह सब बकवास . “


“ तुम्हें भले बकवास लगे , मैं ज्यादा दिन नहीं झेल सकती यह सब . “


निर्मला को उनकी बातें तो सुनायी नहीं पड़ीं थीं , पर इतना तो समझ रही थी कि उसी के चलते यह झगड़ा हो रहा है . कुछ दिनों बाद अंकुश की कंपनी उसकी पोस्टिंग लंदन कर रही थी . जब अंकुश ने पत्नी को यह बात कही तो वह ख़ुशी से झूम उठी और बोली “ यह तो बहुत ख़ुशी की बात है . इस जगह से बोर हो गयी हूँ . कब तक जाना होगा ? “


“ कंपनी ने फैसला मुझ पर छोड़ दिया है , कम से कम एक साल का प्रोजेक्ट है . कंपनी ने मुझसे पूछा है कि मैं तैयार हूँ या नहीं . “


“ इसमें नहीं तैयार होने की कौन सी बात है . इतना सुनहरा मौका हाथ से नहीं गंवाना है . “


“ वो तो ठीक है , पर मम्मी अकेले कैसे रहेगी ? मैंने फिलहाल ना कह दिया है और किसी और को भेजने का रिक्वेस्ट किया है . “


“ पागल न बनो . कल जा कर ऑफिस में तुम बोलो कि खुद जाओगे . इतना बड़ा प्रोजेक्ट तुम्हारा जूनियर पूरा करेगा और क्रेडिट वह ले जायेगा . इतना ही नहीं तुम्हें सुपरसीड कर उसे प्रमोशन भी मिल सकता है , यह सब तुम्हें अच्छा लगेगा . और बिट्टू अभी के . जी . में पढ़ रहा है , उसकी पढ़ाई में कोई नुक्सान नहीं होगा . “


“ तुम ठीक कह रही हो , पर मैं अपना कैरियर देखूं या मम्मी को ? “


“ तुम चाहो तो दोनों देख सकते हो . “


“ वह कैसे हो सकता है ? “


“ मम्मी एक साल के लिए सीनियर होम या कहीं रह लेंगी . “


“ सीनियर होम में तो लावारिश ऐसा लगता है . मम्मी क्या सोचेगी ? “


“ तुम तो कहते थे अम्माजी ने अपने माता पिता और भाई बहनों के लिए बहुत कुछ किया है . सभी भाई बहनों की शादी भी अम्माजी ने अपने ही घर से किया था . “


“ छोड़ो न बात को कहाँ से कहाँ ले आयी . ठीक है , मैं मम्मी से बात करता हूँ . “


अंकुश ने माँ के कान के पास जा कर सारी बातें बतायीं . शुभ्रा भी उनके साथ थी . उसने भी सास को समझाया और कहा “ इनकी नौकरी और भविष्य का सवाल है . नहीं जाने से काफी नुक्सान हो सकता है . अम्माजी एक साल की तो बात है , आप जहाँ चाहें आपका इंतजाम किया जायेगा . हम यह सुनिश्चित करेंगे कि आपको किसी तरह का कष्ट नहीं हो . “


“ बेटे अपने परिवार से कट कर अलग कहीं भी रहूँ कष्ट तो होना ही है . बुढ़ापा और उस पर अकेलापन इससे बड़ा कष्ट और क्या होगा ? पर मैं इतनी स्वार्थी भी नहीं हूँ कि बच्चों के सुखद भविष्य और खुशहाली के लिए आँख मूंदे बैठी रहूँ . तुम विदेश जरूर जाओ बेटे . “


सास का उत्तर सुन कर शुभ्रा का चेहरा ख़ुशी से खिल उठा , वह उनके कान में बोली “ तब आपके लिए कहाँ ठीक रहेगा ? आप अपने भाई या बहन के यहाँ एक साल रह लेंगी या फिर किसी अच्छे सीनियर होम में . “


यह सुन कर निर्मला काफी गंभीर हो गयी और बोली “ अगर मुझे अकेले रहना ही है तो फिर मेरे लिए गैरों के बीच रहना ही सही लगेगा . “


अंकुश ने माँ के लिए शहर का सबसे अच्छा और मंहगा सीनियर होम बुक कर दिया जहाँ सभी तरह की सुविधा और मेडिकल इमरजेंसी से निपटने के उपाय थे . उसने पूरी रकम एक मुश्त एडवांस जमा करा दिया . माँ के लिए एक अच्छा सा फोन और उसमें एक साल के लिए डेटा आदि लोड करा दिया . तीन सप्ताह के अंदर निर्मला को सीनियर होम में छोड़ अंकुश , शुभ्रा और बिट्टू विदा ले रहे थे . सभी की आँखें नम थीं , आज शुभ्रा की ओंखों में भी आंसू छलक आये थे .

अंकुश ने कहा “ हमलोग रोज तुमसे बातें किया करेंगे , चिंता करने की कोई बात नहीं है . वहां से तुम्हारे लिए एक अच्छा सा हियरिंग मशीन लेता आऊंगा , बहुत छोटा और हल्का .इसीलिए तुम्हारे कान टेस्ट की रिपोर्ट मैं


ले जा रहा हूँ . कोई इमरजेंसी होने पर कुछ घंटों के अंदर ही मैं यहाँ आ भी सकता हूँ . “


निर्मला सीनियर होम के डीलक्स रूम में रहने लगी थी . उसके पास के कमरों में भी कुछ बुजुर्ग थे , कोई अकेला तो कोई दम्पत्ति के साथ . पर निर्मला का मन उदास रहता था . उसे ज्यादा लोगों से मिलना जुलना अच्छा भी नहीं लगता था . वह कानों से भी कम सुनती थी . पर रोज रात में सोने के पहले अंकुश और बिट्टू से विडिओ चैट होता था , जिससे उसे काफी तस्सली मिलती थी . शुभ्रा भी यदा कदा बात कर लेती थी . वह बातें तो कम ही सुनती थी पर विडिओ में सभी को देख कर खुश हो जाती थी .


करीब 10 महीने बीत चले थे . फोन पर बात करते हुए एक दिन निर्मला ने कहा “ बेटे न जाने क्यों रह रह कर मेरा मन घबरा उठता है . डरती हूँ कहीं तुमलोगों से मिले बिना ही दुनिया से चली न जाऊं .


“ मम्मी ऐसे नहीं कहते , बस अब मात्र दो महीनों की बात है , मैं वापस आ रहा हूँ . कंपनी तो एक्सटेंशन दे रही है , मैंने ना कर दिया है . “


दरअसल इधर कुछ दिनों से निर्मला की तबीयत ठीक नहीं रहती थी . सीनियर होम का मैनेजर उसके बेटे को सूचित करना चाहता था , पर निर्मला ने यह कर मना कर दिया कि अब तो वह लौटने ही वाला है . निर्मला की अन्तर्रात्मा जैसे कह रही थी कि वह अब ज्यादा दिनों की मेहमान नहीं है . वह एक चिठ्ठी लिखने बैठी


“ मेरे प्यारे बच्चों ,


सभी को एक न एक दिन बुढ़ापे का सामना करना होता है . सोचा था कि जब बुढ़ापे में मैं सुन नहीं पाऊंगी मेरे बच्चे मुझे बर्दाश्त करेंगे , मुझे बहरी नहीं कहेंगे . नहीं सुनने पर बात को दोहराएंगे या कान में बोलेंगे .लोग बड़े होने पर अपना बचपन भूल जाते हैं , तुम्हें भी याद नहीं होगा तुम किसी बात पर या कभी बिना बात के ही एक ही बात की रट लगाया करते थे . मैं और तेरे पापा ख़ुशी ख़ुशी सहते थे .


मैं सोचती थी कि घुटनों की तकलीफ में कभी मुझे उठने के लिए बच्चों का सहारा मिलता . बचपन में जब बच्चे चलना सीखते हैं , बार बार गिरते रहते हैं , माँ बाप ऊँगली पकड़ कर बड़े प्यार से उसे उठाते और चलना सिखाते हैं . शायद बुढ़ापे में कभी बदन से या बिस्तर से बदबू भी आये तो उसे नजरअंदाज कर देंगे क्योंकि कोई भी बूढ़ा व्यक्ति ऐसा जानबूझ कर नहीं करता है . वह तो खुद आत्मग्लानि से त्रस्त होता है . याद करो बचपन में नहाने के डर से भागा करते थे और मैं और तुम्हारे पापा पीछे पीछे भागा करते . रातों में बिस्तर गंदा और गीला करते थे और हम तुम्हारा डायपर बदलते रहते . अपनी नींदें हराम कर माँ बाप बच्चों के लिए हँस हँस कर सब सहते हैं .


मानती हूँ आजकल बच्चे बहुत व्यस्त रहने लगे हैं . सोचा करती थी कि बुढ़ापे में कोई दो बातें पास बैठ कर करता . तुम जब छोटे थे मैं कितनी भी व्यस्त रहती थी , रह कर तेरे पास आ कर तुमसे बातें करती थी . जब बाथरूम जाती तब तेरे बगल में ट्रांजिस्टर ऑन कर जाती ताकि तुम्हें लगे कि कोई तुम्हारे पास है . जब कुछ बड़े हुए अपने गुड्डों और टेडी बेयर की कहानियां हमलोग को सुनाते और हम उसे प्यार से सुनते और बहुत खुश होते थे .

मैंने सोचा था कि कभी बिस्तर पर पड़ गयी तो कोई मेरा केयर करने वाला होगा . मेरी सांस बंद होने समय तुम मेरे पास होते . अगर अकेली ही मरी तो स्वर्ग या नरक जहाँ भी जाऊँगी वहां के मालिक से अपने बच्चों की सलामती के लिए दुआएं मांगूंगी .

पता नहीं कब बुलावा आ जाए . पर तुम और शुभ्रा बिट्टू को कम से कम ऐसे संस्कार जरूर देना कि तुम्हें बुढ़ापे में किसी का मोहताज न होना पड़े और अंतिम क्षणों का साथी सिर्फ अकेलापन न हो .


तुम सभी को मेरा ढेर सारा प्यार और आशीर्वाद ,


तुम्हारी माँ “


इस चिठ्ठी को निर्मला ने लिफाफे में बंद कर मैनेजर को देते हुए कहा “ जब अंकुश आये उसे दे देना . “


“ आंटीजी , मैं तो आपके पास आ रहा था . आपका फोन काम नहीं कर रहा क्या ? अंकुश का फोन मेरे पास बार बार आ रहा था . बोल रहे थे कि आपका फोन ऑफ मिल रहा है . आपका हाल जानना चाहते हैं . “ मैनेजर ने कान के पास जा कर कहा


“ फोन की बैट्री डाउन हो गयी होगी , चार्ज करना भूल गयी थी . “


“ कोई बात नहीं , एक ख़ुशी की बात है . आपका बेटा कल ही वापस आ रहा है . तो अब इस लिफ़ाफ़े का क्या काम ? ‘


निर्मला कुछ पल सोचने लगी फिर बोली “ अच्छा ला , इस लिफ़ाफ़े को अब मुझे दे दो . “


मैनेजर अभी रूम से बाहर निकला ही था कि निर्मला ने उसे दोबारा आवाज देकर बुलाया और कहा “ इस चिठ्ठी को तुम अपने ही पास रखो . अंकुश को इसे दे देना . “


मैनेजर थोड़ा हतप्रभ हुआ , फिर लिफ़ाफ़े को ले कर कहा “ जैसी आपकी मर्जी . “


उसी रात निर्मला ने आखिरी सांस ली . अगली सुबह अंकुश का प्लेन लैंड कर रहा था . प्लेन से निकलते ही उसने माँ को फोन लगाया , पर बार बार कोशिश करने पर भी कोई जबाब नहीं मिला . फिर उसने मैनेजर को फोन किया तो वह बोला “ सर , मैं जा कर देखता हूँ . हो सकता है आंटी बाथ रूम में हों . “


निर्मला के कमरे में पहुँचने पर मैनेजर ने उसे मृत पाया . उसने अंकुश को फोन पर कहा “ सॉरी सर , आंटी इज नो मोर . पर कल ही मुझसे उनकी बात हुई थी . सर आप जल्दी से आ जाएँ . “


लगभग चार घंटे बाद अंकुश सपरिवार वहां पहुंचा . मैनेजर ने वह चिठ्ठी उसे दिया . पढ़ने के बाद वह रो पड़ा . शुभ्रा ने चिट्ठी अपने हाथों में ले लिया और उसे पढ़ने के बाद उसकी आँखों से भी आंसू गिरने लगे थे .

माँ की कदमों में पड़ा अंकुश रो रहा था “ मम्मी मुझे माफ़ कर देना .थोड़े से निजी स्वार्थ के चलते मैं अंतिम क्षणों में तुम्हारे पास नहीं था , तुम्हारी आँखें हमारी राह देखते देखते थक कर हमेशा के लिए सो गयीं . मुझे माफ़ करना माँ “