prince of palace in Hindi Short Stories by Bhavna Jadav books and stories PDF | महलो का राजा

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महलो का राजा




"महलो का राजा मिला , के रानी बैटी राज करेगी।
खुशी खुशी करदो बिदा, के रानी बेटी राज करेगी।।"

चार दीवारो में कैद रानी अपनी एक साल पहले की गई शादी की कैसेट देख रही थी। उसमे आया ये गाना सुनते ही हल्की सी नम हो जाती है। मा बाप ने एक साल पहले बड़े चाव से उसे राजा के साथ खुशी खुशी बिदा,उस वक़्त वे फुले न समातेथे किया था,आसपास औरतो का ये गाना गुनगुनाना क्या दिन थे उस पल ,सोच रही थी ।पूरे एक साल की यादे 10 सेकंड में जैसे एक filmstreep की तरह उसके आँखों के सामने से गुजर गई। शुरू शुरू में ससुराल में पहला कदम रखना, कुमकुम पगले से गृह प्रवेश ,चारो और खुशिया ही खुशियां , जैसे कोई गगन की यात्रा पर निकली हो ऐसा उसका स्वागत हो रहा था ।
राजा की ममी का बलैया लेना ,आरती के थाली में से दोनों नव परणीत युगल को कुमकुम तिलक कदमो तले फूलो की चादर बिछाना, काफी जोरशोर से बाहर ढोल- शहनाई गुजना ,सच मे खुद को एक रानी से कम नही समजा इस दिन। सारी विधियां पूर्ण करने के बाद लगभग 12 बज चुके थे,खुद भी बहुत थक चुकी थी सब भी थके हारे अपने अपने बिस्तर पे लगभग निंद्राधिन हो चुके थे।
सास ने ननंद को भी इशारा करके रानीको कमरे में भेजा , सब जैसे एक सुंदर सपना सा था। किसी परीकथा के जैसे उसके कमरे में फूलो से सजावट हुवी थी।बस अब राजा का इंतजार था, तकरीबन आधी रात के 2 बजे तक जग के इंतजार किया फिर नींद आ चुकी थी। सुबह 6 बजे उठके देखा ,राजा पास सो गया था ,शायद गहरी नींद में तो उसे जगाये बिना रसोई में चली गयी ,सारा कार्य निपटाकर डाइनिंग टेबल में खाने बैठे थे, तभी राजा बिना खाना खाएं वहासे ऑफिस के लिए निकल पड़ा।वो समज नही पा रही थी ये क्या हो रहा है,उसने भी जैसे तैसे खाना खाया ,फिर सास ने कहा उसको ऑफिस में छुट्टियां बड़ी मुस्किलसे मिलिथि शादी की वजह से इएलिये जाना पड़ा ।वो सिर्फ सर हिला के अपने कमरे में चली गयी। अबसे ये रोज का क्रम हो गया था, राजा देर रात घर आता सुबह ऑफिस चला जाता था।
आज सुबह वो बड़ी ही प्रसन्नता से काम काज निपटने के इंतजार में थी ,आज राखी थी तो उसने सोचा आज तो राजा को छुट्टि होगी आज बड़े अरसे के बाद उनके साथ वक़्त बिताने का मौका मिलेगा आखिर शादी को तीन महीने बीत चुके थे,इतना बड़ा समय का पहिया कब पार हो गया उसे पता नही चला। पास होकर भी ये दूरिया !अब उसके सब्र का बान जैसे टूट चुका था आजतो उसने ठान लिया था कि आज बात करके ही रहेंगी उसकी नजरें रूम के बंद दरवाजे पर थी,जैसे ही राजा उठेगा उसके पास प्यार से चाय पीते पीते मीठे लहजे में तीन महीनों की दूरियां की शिकायत करेंगी
थोड़ी ही देर में दरवाजा खुला और राजा बिना चाय नास्ता किये ऑफिस के लिये निकल पड़ा।रानी से कुछ भी न बोला गया बस चुपचाप उसे जाते देख रही ।
बस बहोत हुवा अब बर्दास्त नही कर सकती उठाने मन मे ठान ली आज मायके जाती हु अपनी माँ से सब शिकायत करती हूं कि देख माँ तूने मेरे लिए जो चुना वो "महलो का राजा "
वो भी अपने ड्राइवर के साथ मायके निकल पड़ी दरवाजे की घंटी सुनते ही माँ ने दरवाजा खोला सामने बेटी को देख प्यार से सत्कारा । घर मे चायपानी करवाके हालचाल पूछा। फिर बोली में भी न पगली हु "भई ,मेरी बेटी को तो महलो का राजा मिला है " में भी क्या खामखा तेरी चिंता करती हूं । माँ की झुर्रियां और हल्की नमी से भरी आंखों ने जैसे सवाल किया क्या खुश तो होना मेरी रानी बेटी ?रानी के गले तक आते आते बात अटक गई अपनी माँ कितनी खुश है माँ को खुश देख उसने अपनी परेशानी हसी के पीछे छुपाली ,और सर हिलाकर हा में जवाब दिया। फिर शाम को बिदा ली।
अब माँ की खुशी के आगे वो इस कदर मजबूर हो गयी थी के - "जैसे काटो तो खून न निकले"
उसने अब इसी हालात को अपनी किस्मत मान लिया था
घर लोटते ही फिर जैसे वीराना नीरव शांति .... उसके कान में बस वही गाना गूंजता रह गया - ।
"महलो का राजा मिला कि रानी बेटी राज करेंगी"
आज एक साल बाद वो शादी की कैसेट देखते वक़्त सारी यादे उसकी आंख भीनी कर गयी । तभी राजा खिड़की के पास आया था फ़ाइल भूल गया था वह लेने आया था। उसने खिड़की से वह सब देखा,वो कैसेट ,वो रानी का उदास चहेरा,वो आंखों में नमी, उसने सोचा आज रानी जिस हालात में है शायद उसकी ही देन थी ।उसकी बिज़नेस की बड़ी व्यस्तता की वजह से उसे समय नही दे पा रहा था आज उसे ये अहसास हुवा,वो चुपचाप अपनी फाइल लेके ऑफिस निकल गया।

शाम के 7 बजे थे डोरबेल की आवाज से रानी की तंद्रा टूटी इस वक्त को हो सकता है ? और जाकर दरवाजा खोला एक पार्सल के साथ राजा हाथ मे गुलाब लिए खड़ा था, रानी हेरत से उसे देखती रही! अंदर आनेको नही बोलोगी? राजा ने पूछा।
अरे हा, हा क्यों नहीं ,आईये । रानी ने स्वस्थ होते हुवे कहा ।
राजा ने पार्सल और उसके साथ लिफाफा दिया।और गुलाब भी दिया ,रानी के लिए ये हसीन पल पहली बार था जो राजा का दिया था। लिफाफा खोल पड़ने लग गई - बड़े अक्षरो में लिखा था "SORRY"
आज से तेरी उदासियां मेरी मेरे सारे महेंगे पल तेरे
पढ़ते ही रानी की आंखे भर आयी खुशी के मारे उसका मन नाचने को करता था पर बड़ी सहूलियत से अपने मन को समजाया, कुछ कहे इससे पहले ही राजा ने उसे अपनी बाहों में ले लिया ।

रानी के लिये तो मानो जन्नत यही है
जैसे बरसो की प्यासी धरती पर बदलो ने बरस कर भिगो कर महका दिया हो। एक मुरझाया फूल जैसे फिर खिल गया हो ऐसे उसके चहेरे की रौनक बढ़ी।

आज वो गाना राजा ने गुनगुनाया ..

" महलो का राजा मिला, मेरी रानी राज करेंगी।"