मीतू नहा कर गुसलखाने से बाहर निकलती है कि दरवाज़े पर लगी घंटी ज़ोर-ज़ोर से बजने लगती है | मीतू की ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहता है | वह समझ जाती है कि ज़रूर बच्चे ही होंगे और यह काम सिर्फ़ आनिया ही कर सकती है |
वह भाग कर जाती है और जल्दी से दरवाज़ा खोलती है | सामने एक अनजान लड़के को देख गुस्से से बोलती है “क्या आफत आ गई है? क्यों इतनी ज़ोर से घंटी बजा रहे थे?”
वह लड़का कुछ सकपकाते हुए बोला “आंटी, मुझे शर्मा जी के घर जाना है | उन्होंने फ़ोन कर कहा था कि जल्दी आ जाओ, फ्रिज से आग निकल रही है | इसलिए मैं ज़ोर-ज़ोर से घंटी बजा रहा था |”
मीतू उसकी बात सुन कर शांत भाव से बोली “वह ऊपर वाले घर में रहते हैं|”
“sorry” बोल कर वह लड़का सीढ़ी चढ़ने लगता है और उसे ऊपर जाते देख मीतू दरवाज़ा बंद कर गुसलखाने के बाहर लगे शीशे के सामने खड़े हो कर बाल अभी ठीक करने ही लगती है कि फिर से घंटी बजती है | मीतू यह सोच कर कि अब की बार जरूर बच्चें ही होंगे वह भाग कर जाती है और जल्दी से दरवाज़ा खोलती है |
उसी लड़के को दरवाज़े के सामने खड़ा देख, वह चिल्लाते हुए बोलती है “तुझे थप्पड़ मारूं क्या? फिर से इतनी ज़ोर से घंटी क्यों बजाई ?”
वह नीचे सीढ़ी की ओर इशारा कर बोला “इन्होंने कहा था |”
मीतू दरवाज़े से बाहर निकल कर नीचे की ओर झांकती है तो उसकी हंसी निकल जाती है | वहाँ नीचे सीढ़ी के मोड़ पर गौरव, आनिया और सोनिया को खड़े हुए हँसते देख कर मीतू की ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहता है |
मीतू खिलखिलाती हुए बोली “भाभी आप भी बच्चों के साथ मिल गईं | आप लोगों के चक्कर में अभी इस लड़के को मैंने थप्पड़ जड़ देना था |”
सोनिया जल्दी से सीढ़ी चढ़ती हुए आती है और उस लड़के को बीस का नोट देते हुए कहती है “जाओ बेटा, नीचे से सामान ले आओ |” कह कर गौरव की ओर मुड़ते हुए बोली “इसके साथ जाओ और इसे गाड़ी से सामान निकाल कर दो |”
सोनिया मीतू से गले मिलते हुए कहती है “भाभी अगर इन सब के साथ बच्चा बन कर नहीं रहूंगी तो मैं पागल हो जाऊंगी |” सब मीतू के साथ घर के अन्दर आते हैं और सामान एक कोने में रख कर आनिया मीतू से गले मिलती है | गौरव मीतू के पाँव छूता है और फिर चारों वहीं रखे सोफे पर बैठ जाते हैं |
*
मीतू बनावटी गुस्सा दिखाते हुए बोली “आनिया तुम बहुत बदल गई हो | तुमने तो मुझे याद करना और मुझ से बात करना बहुत ही कम कर दिया है | बेटा मैं भी तुम्हारी माँ ही हूँ.........|”
गौरव बीच में ही बोल पड़ता है “किसने कहा कि आप भी हमारी माँ हैं |”
सोनिया गुस्से से आँखे निकालते हुई ज़ोर से बोली “गौरव कहीं भी कुछ भी बोलने बैठ जाता है और यह क्या बकवास कर रहा है |”
“अम्मा मैं बिल्कुल ठीक कह रहा हूँ....|”
“भाई, मज़ाक, मज़ाक होता है और यह कहना क्या उचित है |” आनिया गुस्से से बोली |
मीतू अपनी आँखें पोंछते हुए बोली “नहीं आनिया ये ठीक ही कह रहा है |”
गौरव पास आकर मीतू के गले में बाहें डाल कर बोला “अरे, आप तो नाराज़ हो गईं, मैं जो भी कह रहा था वह बिल्कुल ठीक है | माँ तो हम सिर्फ़ आपको कहते हैं और इन्हें तो हम अम्मा कहते हैं तो हुई न मेरी बात सच कि आप भी हमारी माँ नहीं हैं | सिर्फ़ आप ही हमारी माँ हैं |”
उसकी बात सुन कर सब हँसने लगते हैं और मीतू अपनी आँखें पोंछती हुई गौरव को गले से लगा कर बोलती है “तुझे भी बोलना आ गया है |”
सोनिया मुस्कुराते हुए बोली “साहिब कॉलेज जो जाने लग गये हैं |”
आनिया, मीतू के गले में बाहें डाल उसकी आँखों में झांकते हुए बोली “माँ आपको कितनी बार कहा है कि आप ऐसी बातें मत किया करो | मैं आपको कभी नहीं भूल सकती | अभी परसों ही फुर्सत मिली और देखो मैं आपके पास भागी चली आई.........|” कह कर आनिया मीतू से कस कर लिपट जाती है, दोनों की आँखों से अविरल आंसू बहने लगते हैं |
*
गौरव, अपना बैग उठाते हुए बोला “मैं रात को अच्छी तरह से सो नहीं पाया था | माँ, मैं ऊपर वाले कमरे में जा कर थोड़ी देर सो लेता हूँ, तब तक अपने दुःख-दर्द बाँट लो |”
सोनिया गुस्से से बोलती है “यह क्या तमीज़ है और ऐसी कौन सी आफत आ रही है जो अभी ही सोने जाना है |”
“अम्मा, आप को क्या प्रॉब्लम है | यह भी तो देखो, मैं यहाँ आप औरतों के बीच बैठ कर करूंगा भी क्या? जब आप सब गिले-शिकवे मिटा लो तो मुझे बुला लेना और मेरे लिए यह कोई नई बात तो है नहीं |” कह कर गौरव सीढ़ियाँ चढ़ने लगता है|
सोनिया गुस्से से गौरव को ऊपर जाते देखती रही लेकिन बोली कुछ नहीं | मीतू स्थिति को भांपते हुए बोली “भाभी, आप क्यों गुस्सा हो रही हैं | वैसे भी हम लोग इतने दिनों के बाद मिले हैं | हमें अपना पेट खाली करने में एक डेढ़ घंटा तो लग ही जाएगा और इतनी देर वह आराम कर लेगा |”
गौरव कमरे में घुसते ही दरवाज़ा बन्द करता है और जूते उतार कर फटाफट बैग में से अपने अप्पा की डायरी निकालता है और वह पन्ना ढूँढ़ता है जो उसने पिछली बार मोड़ा था | जैसे ही उसे वह पन्ना मिलता है वैसे ही वह सिर के नीचे तकिया रख कर पढ़ने में तल्लीन हो जाता है |
*
टीटू और देवा के साथ नौकरी करते हुए समय काफी अच्छे से गुजर रहा था | लेकिन समय लिखने वाले ने कुछ और ही लिखा था | जिसे हम शायद पढ़ नहीं पाते हैं | अचानक समय ने एक अलग ही करवट लेनी शुरू की और फिर सब कुछ बदलता ही चला गया|
देवा के पिता के देहांत के बाद उसने एक अच्छी नौकरी की तलाश में यहाँ से नौकरी छोड़ दी | कुछ समय बाद ही टीटू को भी नौकरी छोड़नी पड़ी क्योंकि उसके पिता रिटायर होने के बाद अपना व्यापार टीटू के साथ मिलकर करना चाहते थे |
हम तीनों का मेल-जोल समय की व्यस्तता के कारण धीरे-धीरे कम होने लगा | वही नौकरी जिसे अभी तक करने में बहुत मज़ा आ रहा था | उनसे अलग हो कर बोरिंग लगने लगी थी | मैंने इसी बोरियत को दूर करने के लिए नौकरी के साथ-साथ MBA की इवनिंग क्लासेज शुरू कर दीं |
MBA पूरी होते ही मैंने दूसरी कम्पनियों में एप्लाई करना शुरू कर दिया था | इधर मेरे माता-पिता ने मुझ पर शादी करने का दबाव बनाना शुरू कर दिया था | मैं हर बार उन्हें यह कह कर चुप करा देता था की जैसे ही मेरी कोई अच्छी नौकरी लगेगी वैसे ही शादी कर लूँगा |
*
एक दिन जब मैं घर आया तो माँ ने खुश हो कर मुझे गले लगाया और बोली “इतने दिनों से जो तेरी इच्छा थी, वह पूरी हो गई | पापा कह रहे थे कि तुझे एक बहुत ही अच्छी कम्पनी से असिस्टेंट मैनेजर के लिए बुलावा आया है |”
“अपॉइंटमेंट लैटर कहाँ है |”
“वह सामने टेबल पर तो रखा है |”
मैं दौड़ कर जाता हूँ और काँपते हाथों से लिफाफा खोल कर पढ़ता हूँ | मेरी ख़ुशी का ठिकाना ही नहीं रहता और मैं माँ के गले लग कर रोने लगता हूँ |
माँ के भी आँखों में आंसू आ जाते हैं | माँ मेरे आंसू पोंछते हुए बोलीं “पापा बाज़ार से मिठाई लेने गये हैं......|” वह पूरा कह भी नहीं पाईं थीं कि पापा दरवाज़ा खोल कर कमरे में प्रवेश करते हैं | मुझे आया देख, मिठाई का डिब्बा एक तरफ रख कर मुझे अपने सीने से लगा लेते हैं |
वह रुंधे गले से कहते हैं “बेटा मैं सोचता था कि पता नहीं तू नौकरी में कब तरक्की करेगा और कब हम सब इसका जश्न मनाएंगे | बेटा सरकारी नौकरी करते हुए मेरी सोच कभी सरकारी नौकरी से ऊपर उठ ही नहीं सकी और मैं तेरी माँ को हमेशा यही कहता था कि यदि यह सरकारी नौकरी कर लेता तो ज्यादा अच्छा रहता | लेकिन कभी तुझे कहने की हिम्मत ही नहीं हुई | आज सोचता हूँ कि अच्छा ही हुआ, तू अभी से मेरे बराबर तनख्वाह और रुतबा दोनों ही पा लेगा |”
मिठाई का डिब्बा माँ खोल कर ले आई | माँ ने मुझे और मैंने उन दोनों को मिठाई खिलाई | पिताजी मिठाई खाते हुए माँ को बोले “आज कुछ अच्छा सा बनाओ | बहुत दिन हो गये हैं, हमने तुम्हारे हाथ के बने पकोड़े.......|”
वह अभी अपनी बात पूरी भी नहीं कर पाए थे कि बाहर दरवाज़े के पास से आवाज़ आई “अंकल, हम भी पकोड़े खाएंगे.....|” कहते हुए टीटू और देवा ने घर में प्रवेश किया |
“क्या बात है, आप लोग बहुत खुश नज़र आ रहे हैं |” टीटू, माँ व पिताजी के पैर छूकर सोफे पर बैठते हुए बोला |
“बेटा पहले मुँह तो मीठा करो, बाकी ये ही बताएगा |” कह कर माँ ने उन दोनों के सामने मिठाई का डिब्बा कर दिया |
“एक बहुत बड़ी कम्पनी से मुझे नौकरी का बुलावा आया है और वह भी असिस्टेंट मैनेजर के पद के लिए |”
टीटू माँ को देखते हुए बोला “आंटी, मुझे तो पहले से ही पता था कि ये बहुत तरक्की करेगा और अभी कुछ दिन पहले ही मैंने देवा को कहा भी था |”
देवा मुस्कुराते हुए बोला “मेरी तेरी बात तो बहुत दिन से हुई नहीं फिर तूने बोला कब ? लेकिन यार मैनेजर के लिए क्यों नहीं आया |”
मैं हँसते हुए बोला “इसलिए नहीं आया क्योंकि वहाँ मैनेजर पहले से काम कर रहा है |”
“अच्छा बेटा, अब तुम लोग आपस में बातें करो | मैं तुम्हारे लिए पकोड़े बना कर लाती हूँ |” कह कर माँ रसोई में चली जाती हैं |
देवा मिठाई खाते हुए बोला “आंटी एक खुशखबरी आपने सुनाई है तो एक खुशखबरी हमारी भी सुनिए |”
माँ रसोई से ही बोलती है “अच्छा ! तुम लोग क्या खुशखबरी लाए हो|”
“आंटी टीटू अगले महीने अमेरिका जा रहा है |”
“अरे ! वाह |”
“आंटी अभी तो यह बात अधूरी है |”
माँ हाथ पोंछते हुए रसोई से निकल कर आते हुए बोलती है “जल्दी से बात पूरी करो |”
“आंटी यह शादी करने के बाद अमेरिका जा रहा है |”
“क्या, शादी.......कब..........?”
टीटू बीच में ही बोल पड़ता है “लड़की का परिवार पापा के दूर के रिश्ते में हैं और वह लोग अमेरिका में ही रहते हैं | अभी कुछ दिन के लिए यहाँ आए हुए थे, बस बातचीत हुई और शादी पक्की हो गई |”
देवा अपने सिर पर हाथ मारते हुए कहता है “आंटी पूछ रही है, शादी कब है?”
“हाँ, हाँ, बता रहा हूँ | आंटी अगले महीने के आख़िर में |”
“तुम्हारी माँ ने तो नहीं बताया |”
“आंटी सब कुछ इतनी जल्दी हुआ कि हम लोगों को भी विश्वास नहीं हो रहा है | मम्मी-पापा शायद कल आएंगे |”
“मेरी तरफ से उनको मुबारकबाद देना |” कह कर माँ रसोई में चली जाती है |
मैं रसोई की तरफ देखते हुए धीरे से बोला “अबे, यह कुत्ता, यहाँ तो किसी के साथ कुछ कर नहीं सका और किस्मत देख देसी दारु विदेशी बोतल में पीएगा |”
देवा उछल कर बोला “दारु, कहाँ है दारु?”
टीटू सिर पर हाथ मार कर बोला “किस साले चू.... से बात कर रहा है | साले की अक्ल पैर के गिट्टों में भी नहीं है | अबे वह एक मिसाल दे रहा है|”
मैंने चुस्की लेते हुए कहा “भाई, यहाँ तो सारी इसकी बहने थी, तो पत्नी तो इसे वहीँ से मिलती |”
“इसकी तो एक ही बहन है....|”
टीटू बीच में ही बोला “तू भी किस से बात कर रहा है| ये फ्यूज ट्यूब है |”
“यार, है तो अपना ही |”
टीटू गुस्सा दिखाते हुए बोला “मतलब अपना है तो हमारी लेगा क्या?”
देवा बोला “भाई मैं सीधा-साधा बन्दा हूँ मुझे तुम लोगों की जलेबी दार बातें समझ नहीं आती हैं | आज के जमाने में सीदे-सादे बंदे को लोग चू.... ही कहते हैं | कह लो भाई, अब जो मैं हूँ वो हूँ |”
टीटू खिसियाते हुए बोला “अपनी बेवकूफ़ियों को सीधापन मत बोल | सालो तुम इस देश पर कलंक हो | हर जगह चू... बन कर खड़े हो जाते हो और जहाँ अपना मतलब हो या अपना फायदा हो वहाँ सबसे पहले पहुँच जाते हो |”
मैं बात को बदलते हुए टीटू को धीरे से कहता हूँ “फिर तो एक जबरदस्त पार्टी होनी चाहिए |”
“मना कौन कर रहा है | देवा के साथ आज मैं अपने गाजियाबाद वाले मकान पर जा रहा हूँ | तूने भी चलना है तो फिर आज ही तीनो मिलकर जबरदस्त पार्टी कर लेते हैं |”
मैं बोला “घर पर क्या कहूँगा ?”
“इसकी चिंता मत कर वो मैं सम्भाल लूँगा, अभी आया आंटी को पटा कर |” कह कर टीटू माँ के पास रसोई में चला जाता है | कुछ देर बाद टीटू माँ के साथ बैठक में आते हुए बोला “चल, आंटी ने हाँ कर दी है |”
माँ हम सबको रोकते हुए कहती है “पर बेटा तुम लोग कुछ पीना-विना....|”
देवा बीच में ही बोल पड़ता है “आंटी, हम तो कुछ लेते ही नहीं हैं | बस टीटू ही कभी-कभी जबरदस्ती कर देता है पर आप चिंता न करें.....|”
इससे पहले की देवा कुछ और उल्टा सीधा बक दे, मैं माँ के गले में बाहें डालते हुए बोला “तो फिर जाऊं |”
माँ चिंतित भाव से बोली “हाँ.....हाँ, बस ध्यान रखना, कल दोपहर से पहले आ जाना, यह मत सोचना की रविवार है तो शाम तक आऊंगा |”
“आंटी चिंता मत करिए, कल सुबह ग्यारह बजे तक आ जाएगा |” यह कह मैं अपने कपड़े लेने के लिए अपने कमरे में आ जाता हूँ |
*
घर से बाहर आते ही देवा हँसते हुए बोला “आज का क्या प्रोग्राम है ? मेरे हिसाब से आज हम लोग मिलकर कर कुछ करा कर, कर लेते हैं | रोज़ तो हम अपना कर के करते ही रहते हैं |” उसकी बात सुन कर हम सब हँस पड़ते हैं |
टीटू हँसते हुए बोला “बात तो सही है | आज कर कराके कर ही लेते हैं |”
मैं बोला “प्रोग्राम क्या होना है, रास्ते से कोई फिल्म की कैसेट लेते चलेंगे और रात को खाना खा कर आराम से.....|”
मेरी बात पूरी होने से पहले ही टीटू बोल पड़ता है “अक्की भाई आज हमारी शायद यह आखरी रात इकट्ठे है | देवा सही कह रहा है आज कर करा के ही करते हैं | इसके बाद हम सब व्यस्त हो जायेंगे और मेरी शादी के बाद मुझे US जाने से पहले समय मिले या न मिले तो इसलिए जो आज है उसे ही को अपना समझो और मजे लो | कल क्या हो कौन जाने ?”
देवा बोला “टीटू, ऐसे मजे करते हैं जो हमने पहले कभी न किए हों|”
मैं कुछ बोलता इससे पहले ही टीटू बोल पड़ता हैं “शायद तूने ज़िन्दगी में पहली बार अपने बूते कोई अक्ल की बात की है”, फिर हँसते हुए बोला “मैंने एक किताब में पढ़ा था कि जितने भी तेरे जैसे चू..... होते हैं उनकी अक्ल पिछवाड़े में होती है और जब तक पिछवाड़ा लाल नहीं होता तब तक अक्ल खुल कर बाहर नहीं आती....|”
अभी वह अपनी बात पूरी भी नहीं कर पाया था कि देवा टीटू पर टूट पड़ा, शोर सुनकर माँ की आवाज़ आई तो दोनों चुपचाप खड़े हो गये | माँ को देख टीटू बोला “आंटी हम जा रहे हैं, इसलिए आप को बुला रहे थे |” कह कर हम तीनो बाहर खड़ी टीटू की बाइक के पास आ जाते हैं |
माँ के दरवाज़ा बन्द करते ही देवा, टीटू का कालर पकड़ कर बोलता है “अबे अक्ल से मंद तू ही बता कि आज हमें क्या करना चाहिए ?”
टीटू, देवा से अपना कालर छुड़वाते हुए बोला “भाई, बुरा क्यों मान रहा है | मैं तो तेरी तारीफ ही कर रहा था कि आज पहली बार तूने अक्ल की बात की है | जब इतनी अक्ल की बात कर ही ली है तो यह भी बता दे कि हम आज ऐसा क्या करें कि यह रात हमें हमेशा याद रहे |”
देवा कुछ सोचने के बाद बोला “आज हम दारु पीते हैं और नए ऑफिस में मेरी एक दोस्त बनी है | वह यहाँ अकेली अपनी किसी सहेली के साथ रहती है | उसे भी अपने साथ लिए चलते हैं...|”
मुझे तो सुन कर ही पसीने से आने लगे और मैं अपनी झेंप मिटाते हुए बीच में ही बोल पड़ता हूँ “भाई, मैंने कभी दारु तो पी नहीं, हाँ इच्छा तो हमेशा करती है सो आज यह इच्छा भी पूरी कर ही लेते हैं | मेरी तुम दोनों से गुज़ारिश है कि मैं शुरुआत बियर से करना चाहता हूँ |”
मेरी बात सुन कर वह दोनों ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगे और देवा हँसते हुए बोला “हम तो तुझे शरीफ समझते थे पर तू तो शरीफ नहीं बिल्कुल ही चू.... निकला | अरे भाई हम भी कोई बहुत बड़े खिलाड़ी नहीं हैं | जहाँ तक उस लड़की की बात है तो वह लड़की मेरी दोस्त है और घूमना-फिरना उसका शौक और......|”
टीटू उसे बीच में ही काटते हुए बोला “यार अब मूड बना ही दिया है तो आज यह भी सही | तुम लोगों को पता ही है आज तक सब लड़कियां मुझे भाई क्यों बना लेती हैं पता ही नहीं चला | इसी बहाने कोई तो मेरी भी दोस्त बनेगी जिसे मैं भी छू सकूँगा और एक बार तू कह रहा था की वह लड़की है भी बहुत सुंदर....|”
“यार तुम दोनों उस से फिर किसी दिन मिल लेना पर प्लीज, आज यह सब मत करो’|
दोनों में से किसी ने भी मेरी नहीं सुनी तो मैं अनमने मन से उनके साथ चल पड़ा | बार-बार उस पल को कोस रहा था जब मैंने उनके साथ जाने का मन बनाया था | मुझे अपनी माँ पर भी गुस्सा आ रहा था कि उन्होंने भी मुझे रात भर टीटू के घर रुकने के लिए एक बार भी मना क्यों नहीं किया|
रास्ते में शराब के ठेके से उन्होंने बियर और दारु की बोतल ली और पास की ही दुकान से देवा खाने-पीने सामान भी ले आया | फिर कुछ याद कर वह दुकान पर वापिस गया और वहाँ से उसने कुछ फ़ोन किए | फ़ोन करने के बाद हमारे पास आकर मुझे सामान थमाते हुए बोला “बेटे, इन्तेज़ाम हो गया, वह आ रही है |”
मैं इससे पहले कुछ और समझ पाता, टीटू ने बाइक चला दी और मैं उसकी बाइक के पीछे बैठा सोच रहा था कि यह दोनों मेरे दोस्त हैं फिर भी मेरे से कितना अलग हैं | शायद मैं ही अभी इतना एडवांस नहीं हो पाया हूँ | मैं सोचता था कि मैं इनके बारे में सब कुछ जानता हूँ | अब पता चल रहा है कि यह तो मेरे बारे में सब कुछ जानते हैं और मैं इनके बारे में कुछ भी नहीं जानता हूँ |
उस जमाने में बहुत कम कलर्ड टेलीविज़न हुआ करते थे और बड़ी बड़ी विडियो कैसेट मिला करती थी जिसे आप VCR यानी विडियो कैसेट प्लेयर पर ही चला कर कोई मूवी वगेरह देख सकते थे | यदि कोई विडियो पारलर वाला आपका पहचान वाला या दोस्त बन जाए तभी आपको कोई ब्लू फिल्म मिल सकती थी | उन फिल्मों की क्वालिटी भी बहुत अच्छी नहीं हुआ करती थी | मैंने तब तक सिर्फ़ इनके बारे में सुन ही रखा था न कभी हिम्मत पड़ी और न कभी कोशिश की | लड़कियों या औरतों के बारे में तो सिर्फ़ सुन ही रखा था लेकिन कभी आमना-सामना नहीं हुआ था|
*
बाइक पर बैठे-बैठे मेरा ध्यान उस ओर चला गया कि आख़िर वह लड़की कैसी होगी और पता नहीं उस बेचारी की क्या मजबूरी होगी | मैं इसी सोच में डूबा हुआ टीटू की बाइक के पीछे बैठा चला जा रहा था | अचानक टीटू के बाइक रोकने पर मेरी सोच टूटी|
सामने से एक लड़की जो दिखने में तो सीधी-सादी लग रही थी, आई और देवा से हाथ मिलाकर उससे बात करने लगी | बात-चीत करते हुए उस लड़की ने एक पैनी नज़र से हम दोनों को देखा | उस लड़की ने बहुत सुंदर पंजाबी सूट पहना हुआ था जबकि वह पंजाबी नहीं लग रही थी | रंग उसका काफी गौरा और नैन-नक्श काफी तीखे थे, जो उसे और भी सुंदर बना रहे थे | देखने पर ऐसा लगता था जैसे वह किसी अच्छे घर की लड़की हो |
वह बात करने के बाद देवा की बाइक पर बैठ गयी | मैंने हैरान हो कर टीटू के कंधे को ज़ोर से झटक कर पूछा “यह लड़की कौन है |”
“यही है, देवा की दोस्त |”
*
हम ITO के पुल से यमुना नदी पार कर प्रीत विहार की तरफ बढ़ ही रहे थे कि सामने से आती बारात के चक्कर में हमें अपनी बाइक रोकनी पड़ी और फिर कुछ सोच टीटू ने बाइक को सड़क के किनारे खड़ा किया तो उसके पीछे ही देवा भी बाइक रोक कर खड़ा हो गया |
टीटू ने मुझे उतरने का इशारा किया और मेरे उतरते ही वह जल्दी से उतर कर देवा और उस लड़की के पास जा कर बात करने लगा | टीटू की बात सुन कर देवा और वह लड़की बहुत ही खुश हुए | ज़ोर से हँसते हुए देवा बोला “अपना दोस्त है, हम साथ नहीं देंगे तो और कौन साथ देगा |”
उनसे बात कर टीटू मेरे पास आया और बोला “भाई, यह लड़की जो आज हमारे साथ रहने वाली है, वह इसी शर्त पर आई है कि पहले हम उसकी सहेली के भाई की शादी में सम्मिलित हों |”
“लेकिन यार हमारी न जान न पहचान, किसी ने हमसे पूछ ही लिया तो हम क्या ज़वाब देंगे कि हम कौन हैं और ये लड़की हमारी कौन लगती है?”
“वह कह रही है, अगर ऐसी कोई बात होगी तो वह सम्भाल लेगी और बाकी मैं हूँ न, तू काहे को चिंता करता है, लेट्स एन्जॉय|”
मैं इस से सहमत नहीं था और मुझे अंदर से डर भी लग रहा था कि यदि किसी ने पकड़ लिया और बात खुल गई तो हमारी बहुत पिटाई होगी | मैं कुछ भी कहता इससे पहले देवा और वह लड़की मेरे पास आए और मेरा हाथ खींचते हुए बारात के पास ले गए | उस लड़की ने जाकर दूल्हे से हाथ मिलाया और हम सब से भी परिचय करवाया |
वह दूल्हे से बोली आंटी, अंकल दिख नहीं रहे | यह सुन कर दुल्हे ने इशारे से अपने माता-पिता को बुलवाया | वह बहुत ही तमीज़ से आंटी के गले मिली और देवा को भी मिलवाया और फिर उसने झुक कर अंकल के पाँव छूए तो साथ ही साथ देवा ने भी छू लिए|
मुझे यह देखकर थोड़ी सी राहत मिली कि वह कोई ख़ास ही है | दुल्हे के भाई ने हमें धीरे से बोला “यदि आप कुछ लेना चाहते हो तो उस बस के पीछे चले जाओ |” टीटू ने फटाफट हाँ कर दी और इशारे से हमें उस ओर चलने का इशारा किया |
बस के पीछे जा कर देखा तो कुछ लोग दारु और बियर गिलासों में डाल रहे थे | टीटू और देवा दोनों ने जाकर दो दारु और दो बियर के गिलास लिए और मुझे व उस लड़की को पकड़ा दिए जिसका नाम मीना था |
देवा बोला “भाई लोगों, जल्दी से पीयो अभी जम कर डांस भी तो करना है और पीने के बाद डांस करने का तो मज़ा ही कुछ और है |”
मीना मुस्कुराते हुए पीने लगी | मैं देख कर हैरान था कि देवा और टीटू अपने-अपने गिलास खत्म भी कर चुके थे | टीटू मेरी तरफ देखते हुए बोला “साहिब, लड़की भी लड़कों की तरह पी रही है और तू तो उससे भी गया बीता है |”
यह सुन कर मीना मुस्कुराते हुए बोली “पहली बार हर काम में ऐसा ही होता है | कोई बात नहीं धीरे-धीरे आदत पड़ जाएगी|”
मीना मुझे आँख मार कर बोली “नशीली चीजों का स्वाद हमेशा कसैला होता है चाहे दारु हो या फिर औरत.....|” कह कर वह धीरे से देवा के कान में कुछ बोली और फिर वह दोनों मुझे देखते हुए हँसने लगे |
वह तीनो कुछ देर चुपचाप एक दूसरे को देखते हुए पीते रहे | देवा, मीना से इशारे में पूछता है कि एक और लोगी तो वह ‘हाँ’ में सिर हिला देती है | यह देख कर मैं भी जोश में आकर गिलास खाली कर देता हूँ |
मीना कुछ देर चुप रहने के बाद बोली “अब आप बड़े हो गये हैं | आने वाले समय में आपको ज्यादातर कड़वे घूंट ही पीने को मिलेंगे इसलिए आज से ही उनकी शुरुआत कर लो | कुछ घूंट आप को जबरदस्ती पीने पड़ते हैं और कुछ घूंट आप अपनी मर्जी और इच्छा से मजे के लिए पीते हो | ज़िन्दगी के कड़वे घूंटो से आप पीछा छुड़वा नहीं पाते हैं और यह घूंट तुम छोड़ नहीं पाते हो |” कह कर वह खुद ही ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगती है और फिर एक झटके से पूरा बचा गिलास भी खाली कर देती है|
मीना मेरी हालत को देखते हुए देवा से बोली “वहाँ कुछ खाने को भी तो था, इनको ला कर दो तो इन्हें भी अच्छा लगेगा”, यह सुन देवा वहाँ से चला जाता है|
देवा उसके लिए बियर का गिलास और मेरे लिए एक बड़ी सी प्लेट में कुछ खाने के लिए ले कर आता है | बियर का गिलास मीना के हाथ में थमाते हुए बोलता है “आप थोड़ा पीकर अपना गिलास इसे दे देना, यही दारु इसे मीठी लगने लगेगी |”
“नहीं, मेरा झूठा ये पी नहीं पाएंगे और आप इनके पीछे क्यों पड़ गये हैं | जब ये बोलेंगे तो आप अपनी बचाते फिरेंगे |”
यह सुन कर टीटू हैरान होते हुए बोला “आप इतना कुछ इसके बारे में कैसे जानती हैं |”
वह हँस कर बोली “मैं ऐसे लोगों को बहुत अच्छी तरह से पहचानती हूँ |”
यह सुन कर देवा से रहा नहीं गया और आख़िर वह बोल ही पड़ा “मैडम, जल्दी से अपना गिलास खाली करें नहीं तो बारात हमें छोड़ कर चली जायेगी | अभी खाना खा कर हमने रात भर मौज-मस्ती भी तो करनी है | घर चल कर आप दोनों यह ऊँची बातें कर लेना|”
देवा और टीटू अपने गिलास खत्म कर मीना को भी जल्दी से पीने को कहते है और वह भी उनकी बात मान कर जल्दी से पीने लग जाती है | मैं भी किसी तरह से बाकी बचा गिलास भी मुँह में उड़ेल लेता हूँ |
टीटू, देवा और मीना का हाथ पकड़ कर बारातियों के बीच ले जाता है | उन तीनो का डांस देख कर सब डांस करते हुए लोग पीछे होकर खड़े हो जाते हैं | तीनो को मिलकर डांस करते देख लड़के के पिता और रिश्तेदार उन पर खूब पैसे लुटाते हैं |
लड़की वालों के दरवाज़े के पास जैसे ही बारात पहुँचती है | टीटू, देवा और मीना के कान में कुछ कहता है और वह तीनो मेरे पास आते हैं और कहते हैं, चलो जल्दी से खाना खाते हैं, बहुत देर हो गई है |
*
जब हम घर पहुंचते हैं तो मैं बहुत मुश्किल से बाइक से उतर पाता हूँ | यह देख वह तीनो मुझ पर हँसने लगते हैं कि एक बोतल बियर पीकर भी भाई साहिब टुन्न हो गये हैं | मीना मेरा हाथ पकड़ कर घर के अंदर ले जाती है| हम सब घर के अंदर पहुँच वहाँ रखे सोफे पर लुढ़क जाते हैं |
टीटू मुझे हिलाते हुए बोलता है “तुझे कैसा लग रहा है, नशा है कि नहीं |”
“नहीं, ऐसा नशा तो नहीं लग रहा है, हाँ, लेकिन कुछ सरूर जरूर है |”
हँसते हुए देवा कहता है “अबे साले सरूर ही है तो बाइक से उतरा क्यों नहीं जा रहा था |”
“मैंने पहली बार पी है, उस हिसाब से सरूर तो काफी है लेकिन ऐसा भी नहीं है जैसा मैंने शराब पी कर लोगों को लुढ़कते हुए देखा है |”
टीटू मेरे सिर पर हाथ फेरते हुए बोला “भाई, सही कह रहा है, अगर ये ऐसी बात कर रहा है तो इसका मतलब है कि इसे हल्का-फुल्का नशा है |”
देवा बोला “इसने पीया ही क्या है ? मेरे हिसाब से शायद ही पूरी बियर ली होगी | इससे तो मेरी दाढ़ भी गीली नहीं होती |”
“तू ठहरा शराबी, भाई से क्या मुकाबला |” कह कर टीटू मुझे देखता है |
यह बातें सुन कर मीना हँसते हुए बोली “अरे तुम लोग भी क्या बातें लेकर बैठ गये | यह सोचो कि वह लोग वहाँ क्या सोच रहे होंगे |”
टीटू अपनी मूंछों को सहलाते हुए बोला “वह बेचारे हमें ढूंढ़ रहे होंगे और सब एक दूसरे से पूछ रहे होंगे कि आख़िर हम थे किसके रिश्तेदार |”
“मतलब” मैं हैरानी से पूछता हूँ |
देवा हँसते हुए बोला “मतलब यह कि हम में से कोई नहीं जानता कि वह किस की बारात थी | बस रास्ते में बारात देखी और दिल आ गया |”
“तुमने तो कहा था कि इसकी सहेली के भाई की शादी थी |”
देवा, टीटू की ओर इशारा कर बोला “यह सारी खुराफात तो इसके दिमाग़ में आई थी | इसने कहा था कि तुझे यही बताया जाए | नहीं तो तू मज़ा नहीं लेने देता|”
मैंने गुस्से से टीटू को देखा तो वह मेरे कंधे पर हाथ रखते हुए कहता है “देख भाई, हुआ तो कुछ नहीं, उन लोगों ने भी मजे लिए और हमने भी, बस खेल खत्म |”
मैं बोला “तुम लोग हर बात को खेल समझते हो |”
देवा मुस्कुराते हुए बोला “यह ज़िन्दगी है ही खेल, चाहे रो कर खेलो या फिर हँस कर |”
अभी तक चुप बैठी मीना कुछ गंभीर भाव से बोली “मैं आज तक कभी इतना खुश नहीं हुई | इतनी सी देर में मैंने अपनी ज़िन्दगी भर के मजे ले लिए | जिसके मैंने सिर्फ़ सपने ही देखे थे | आप लोग बहुत ही अच्छे हैं | मुझे तो लग ही नहीं रहा था कि मैं सिर्फ़ एक रात के लिए तुम लोगों के साथ आई हूँ | मुझे तो ऐसा लग रहा था जैसे मैं अपने बहुत पुराने दोस्तों के साथ हूँ |” कहते हुए उसके आँखों में आंसू आ जाते हैं |
देवा मीना को दुःखी देख कर बोला “आज कर करा के करने का मज़ा देखा | तुम ऐसे ही सेंटी हो रही हो, हम तो ऐसे ही कर करा कर करते रहते हैं |”
टीटू उसे दिलासा देते हुए कहता है “हम सब बस ऐसे ही हैं |”
उस रात हमने साथ लाई दारु और बियर फिर से पी और फिर मैंने उसे कर करा कर करने का राज़ सुनाया | वह सुन कर वह और हम सब बहुत हँसे | इसके बाद सबने अपनी ज़िन्दगी के खट्टे-मीठे अनुभव और डर आपस में एक दूसरे को बताए | बात करते-करते कब हम हम लोग नींद के आगोश में चले गये पता ही नहीं चला |
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