Murde ki jaan khatre me - 2 in Hindi Detective stories by अनिल गर्ग books and stories PDF | मुर्दे की जान ख़तरे में - 2

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मुर्दे की जान ख़तरे में - 2

जब मै इंस्पेक्टर शर्मा के पास थाने पहुंचा तब शाम के 7 बज चुके थे। अशोक बंसल की हत्या की दिन भर की दुश्वारियो से निपट कर शर्मा जी बस अपने रूम में बैठे ही थे की मै उनके पास पहुंच गया।शर्मा जी मुझे देखकर मुस्कराए।

"आ गए! सबसे पहले ये बताओ इस केस में तुम्हे किसी फैमिली मेंबर ने तुम्हे हायर किया है क्या या वैसे ही धक्के खा रहे हो।

"शर्मा जी हायर भी कोई ना कोई कर ही लेगा,पहले इस केस में घुसू तो सही,पता तो लगे इस खेल में खिलाड़ी कौन कौन है फिर कोई न कोई अपनी दाल रोटी तो चला ही देगा"

"देखो ये केस बहुत सेंसेटिव है इसलिये महकमा भी बहुत फूंक फूंक कर कदम उठा रहा है,अशोक बंसल इस शहर की बहुत बड़ी हस्ती थे,इसलिये मीडिया का भी इस केस पर बहुत ज्यादा अटेंशन है"

"शर्मा जी मै समझता हूँ,ये केस बहुत सीरियस है इसलिये मै इस केस पर काम करना चाहता हूँ,और आप भी जानते है कि मेरी कई लीडस् से आपको भी कई बार फायदा पहुंचा हैं"

"तभी तो मै तुम्हे उस तरह से ट्रीट नही करता जैसे चौहान करता है, मुझे तुम्हारी काबिलियत पर पूरा भरोसा है,इसीलिए मै डिपार्टमेंट के आउट ऑफ द वे जाकर भी तुम्हारी हेल्प करता हूँ"

"तो शर्मा जी अब जल्दी जल्दी मुझे केस की डिटेल बताइए,ताकि मै इस पर काम शुरू कर सकूँ"

"अभी तक हमारे हाथ में कुछ नहीं लगा है,किसी ने आधी रात को बंसल साहब का उनके बैडरूम में क़त्ल किया और फिर लाश को लाकर ड्राइंग रूम में डाल दिया,ये बात कुछ समझ नहीं आ रही की कातिल का उनको बैडरूम में लाने का क्या मकसद था" शर्मा जी कुछ सोचते हुए बोले।

"मर्डर वैपन मिला" मैंने शर्मा जी से पुछा।

नहीं मर्डर वैपन गायब है,किसी धारधार हथियार से उनका गला रेता गया है और कातिल को उनसे इतनी नफरत थी की क़त्ल से पहले उनके गुप्तांगों को बहुत बेरहमी से काटा गया है"

"इससे तो किसी औरत का एंगल नजर आता है, शर्मा जी की पर्सनल लाइफ कैसी थी कुछ पता चला"

अभी तो पोस्टमार्टम के बाद कल उनकी लाश मिलेगी और कल ही उनका अंतिम संस्कार किया जायेगा,उसके बाद ही उनके परिवार के सदस्यों से बातचीत की जाएंगी" शर्मा जी ने बताया।

"परिवार में कौन कौन है"

" एक बेटा उसकी पत्नी एक लड़की है जो अभी पढ़ रही है और एक सबसे बड़ा ट्विस्ट जो बंसल साहब की लाइफ का है वो ये है कि 55 साल की उम्र में उन्होंने दूसरी शादी की है वो भी अपनी पर्सनल सेक्रेटरी से"

" मतलब बंसल साहब रंगीन तबियत के आदमी थे"

"पैसा हो तो इंसान की रंगीनी 80 साल की उम्र में भी नही ख़त्म नही होती" शर्मा जी ने हँसते हुए कहा।

"उनकी पहली पत्नी कहाँ है"

"वो तो 3 साल पहले भगवान् को प्यारी हो गयी"

"उनके बच्चे उनकी दूसरी शादी से खुश थे "

"इस बारे में अभी कोई बात नहीं हुई है लेकिन एक अरबपति बाप के बच्चे कभी नहीं चाहेंगे कि इस उम्र में उनका बाप उनके सर पर प्रॉपर्टी का कोई और हिस्सेदार बैठा दे,तो बच्चो का तो खुश होने का सवाल ही पैदा नहीं होता"

"इस केस में तो पूरा परिवार ही शक के दायरे में आता है,हर किसी को खंगालना पड़ेगा" मैंने शर्मा जी की तरफ देखते हुए बोला।

"अरे यार जब तक असली कातिल पकड़ा नहीं जाता तब तक हमारे शक के दायरे में तो सभी लोग होते है हर केस में" शर्मा जी ने मुस्करा कर कहा।

"हां आपकी इन्वेस्टीगेशन का तो यही तकाजा होता है" मैंने भी शर्मा जी की हां मे हां मिलाई।

"अच्छा शर्मा जी का कोई बिज़नेस पार्टनर भी था "

"इतना बड़ा बिज़नेस एम्पायर कोई अकेले दम पर तो खड़ा नही कर सकता, बिज़नेस पार्टनर तो कई होंगे,जैसे जैसे इन्वेस्टीगेशन आगे बढ़ेगी सब सामने आते जायेगे" शर्मा जी ने कहा।

"मतलब अभी तक ये एक ब्लाइंड केस है और पुलिस के पास कोई सुराग नहीं है"

"सबसे बड़ी बात है कि मर्डर वैपन गायब है और मेरी अभी तक लाश को बैडरूम से ड्राइंग रूम में लाने का कारण समझ नहीं आ रहा" शर्मा जी असमंजस में लग रहे थे।

"कभी कभी कातिल इन्वेस्टीगेशन का ध्यान भटकाने के लिए भी ऐसी हरकत करता है हो सकता है बैडरूम से ड्राइंग रूम की जर्नी भी उसी का पार्ट हो" मैंने शर्मा जी को बोला।

"ये भी तो हो सकता है कि किसी ने बैडरूम की तरफ से ध्यान हटाने के लिए ऐसा किया हो"

"नहीं अगर कातिल को बैडरूम से ध्यान हटाना होता तो वो लाश को यू घसीट कर बैडरूम से ड्रॉइंग रूम में न लाता,और वो फिर बैडरूम से भी सभी सबूत मिटाने की कोशिश करता,बैडरूम को यूही अस्त व्यस्त हालत में ना छोड़ता" मैंने शर्मा जी की थ्योरी को काटते हुए कहा।

"ह्म्म्म शर्मा जी ने सिर्फ गर्दन हिलाकर मेरी बात से सहमति जताई।

"कल लाश किस टाइम तक मिल जायेगी फॅमिली को"

"देखो कल 11-12 बजे तक मिल जानी चाहिए उसके बाद शाम को 5 बजे अंतिम संस्कार का समय रखा है निगम बोध घाट पर"

"ठीक है शर्मा जी कल फिर वही निगम बोध घाट पहुंचता हूँ,मैंने अब उठते हुए शर्मा जी से जाने की इजाजत मांगी और फिर मै उनका धन्यवाद करके थाने से बाहर निकल गया।अभी रात के 9 बज चुके थे।अभी अपनी गाड़ी मैंने अपने घर की और मोड़ दी।घर पहुंच कर अभी मुझे अपने खबरी से भी बात करनी थी।