Indian Superhero - 6 in Hindi Adventure Stories by Green Man books and stories PDF | भारतका सुपरहीरो - 6

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भारतका सुपरहीरो - 6

6.क्रिस्टल क्यूब का सूट फॉर्म अपडेट

डेढ़ साल के बाद.......

मास्टर का घर सजा हुआ था और मास्टर के घर के चौक पर सब लोग खुशियों के जश्न मना रहे थे, पर इस खुशी का कारण क्या था वो पता नहीं चला। थोड़ी देर के बाद पता चला कि मास्टर के घर पर बेटे का जन्म हुआ था उसी वजह से मास्टर ने कुछ फंक्शन रखा था। बेटे का नाम विक्रम रखा था जब वह छोटा था तभी से वो ताकत वाला था और कोई भी उसके सामने देखता तो वो हंसने लगता ऐसा रमूजी लड़का था।

मास्टर और ईशा दो में से तीन हो गये थे और उन सब की खुशी भी दो गुनी हो गई थी। विक्रम जब दो साल का हुआ तो वो कभी अकेला थोड़े समय रहता तो सब तोड़ फोड़ करने लगता था, उसकी वजह से ईशा उसका पैर कोई भारी चीज से बंधकर रखती थी। पर मास्टर विक्रम को बंधा हुआ नहीं देख सकते थे इसलिए मास्टर उसे बंधन से छोड़ कर उसे घरके चौक पर और कभी कभी लेबोरेटरी में लेकर उसके साथ खेलते थे।

एक समय की बात है, मास्टर विक्रम के साथ लेबोरेटरी में खेल रहे थे। तभी ईशा ने घर में से आवाज दिया और मास्टर विक्रम को छोड़ कर घर में गए क्योंकि ईशा को कुछ काम था। उसी वक्त विक्रमने टेबल के ऊपर पडे क्रिस्टल क्यूब को देखा, देखते ही वो उसको पाने के लिए उसकी और बढा। विक्रम टेबल के सहारे खड़ा हुआ और क्यूब अपने हाथ में लेकर देखने लगा। क्यूब का देखाव ही एसा था कि विक्रम वह क्यूब को पा कर बहुत खुश हुआ। उतनी ही देर में विक्रम की चीखने की आवाज आई, मास्टर और ईशा दोनों लेबोरेटरी में जाकर देखा तो विक्रम अपने हाथ से चिपकी घड़ी को वो छू कर देख रहा था। मास्टरने दौड़ कर घड़ी के बटन को दबाया और घड़ी वापस क्यूब के रूप में आ गई।

विक्रम जब क्यूब के साथ खेल रहा था तभी उसने क्यूब का बटन दबा दिया था और क्यूब मैं से सुई निकली और विक्रम के हाथ में खुची थी, उसकी वजह से विक्रम ने चीख पाड़ी थी। मास्टर और अपने बेटे दोनों के डीएनए मैच होते थे इसलिए वह क्यूब विक्रम के हाथ से चिपक गया था। मास्टर ने वो क्यूब लेकर कहीं ऊंची जगह पर रख दिया और फिर से विक्रम के साथ खेलने लगे।

मास्टर के क्यूब की जानकारी बार बार अखबार में आती थी इसलिए एक चोरने उसको चुराने का प्लान बना लिया। अमावस की रात थी इसलिए चारो ओर अंधेरा छाया हुआ था, रात बहुत गहरी थी इसलिए आस पास में कुछ दिखता भी नहीं था। वह चोर मूनसिटी का ही रहने वाला था, उसने सब सामान लेकर मास्टर के घर की ओर चल पड़ा। मास्टर के घर की दीवाल थी इसलिए चोर वो दीवाल को कूद कर चौक में घुसा फीर चारों ओर देखने लगा कि सब सो रहे है ना। सब सो चुके थे क्योंकि रात के बारह बज गए थे।

चोर ने पहले से ही मास्टर के घर की जानकारी पा ली थी, उसको पता ही था कि लेबोरेटरी का एक दरवाजा पीछे से खुलता है। वह चोर दरवाजे के पास गया और अपने हथियार निकाल कर बिना आवाज के उसने ताला तोड़ दिया, फिर वह चोर लेबोरेटरी के दरवाजे से अंदर घुसा। लेबोरेटरी में घुसके टॉर्च की मदद से वह क्यूब को ढूंढने लगा और भी चीजें थी पर उसको वो कुछ नहीं पसंद था क्योंकि वह सिर्फ क्यूब ही चुराने के लिए आया था। थोड़े समय के बाद उसकी टॉर्च की लाइट क्यूब पर पड़ी और वह क्यूब लाइट की वजह से चमकने लगा यह देखते ही चोर की आंखें फटी रह गई। उस चोर ने जल्दी से वो क्यूब अपने बैग में रखकर भागने लगा।

सुबह हो गई थी, उस समय मास्टर ध्यान मुद्रा में पेड के नीचे बैठे थे, ध्यान मुद्रा खत्म होने के बाद वह घर के आंगन में घूमने लगे उतने में ही उसने लेबोरेटरी का पिछला दरवाजा खुला हुआ देखा। मास्टर भाग कर वो दरवाजे पर गए तो ताला टूटा हुआ था, मास्टर लेबोरेटरी के अंदर गए और सब देखने लगे। सब बराबर ही था, तो मास्टर के मन में सवाल आया कि यह दरवाजे का ताला किसने तोड़ा होगा? उतनी देर में मास्टर को याद आया और क्रिस्टल क्यूब ढूढने लगे पर वो कहीं नहीं मिला फिर उसको पता चला कि चोर ने सिर्फ क्यूब को ही चुराया है।

मास्टर के चेहरे से ऐसा लग रहा था कि उसको क्यूब चोरी होने की कोई परेशानी नहीं है। वह शांति से नाश्ता कर रहे थे, उसको क्यूब ढूंढने की कोई जल्दी ही नहीं थी। चोर ने वह क्यूब हाथ में लेकर बटन दबाया और सुई बाहर निकली और चोर के हाथ में खुची और वापस अंदर चली गई फिर क्यूब में से आवाज आई 'डीएनए टेस्ट इज नॉट मैच' ऐसे ही चोर ने बहुत मेहनत की पर क्यूब उसके हाथ पर चिपका हीं नही और थक कर उसने क्यूब अलमारी में रख दिया।

सुबह के नौ बजे थे, चोर के दरवाजे पर कोई आया और दरवाजा खटखटाया, चोर ने दरवाजा खोला और उस इंसान को देखकर चोर दरवाजा बंद करने लगा किंतु जब तक वो दरवाजा बंद करता उतनी ही देर में मास्टर चोर के घर की अंदर घुस चुके थे। वो चोर मास्टर को देखते ही थरथर कांपने लगा, वह दौड़कर घर में गया और मास्टर कुछ बोले उसके पहले ही वह चोर ने क्यूब मास्टर के हाथ में रख दिया। मास्टर ने वो चोर की भुल स्वीकारने की वजह से उसको समझाया कि चोरी करना बुरी बात है, थोड़ी देर समझाने के बाद जब मास्टर घर पर जा रहे थे, तभी चोर ने पूछ लिया कि आपको कैसे पता चला कि क्यूब की चोरी मैंने की है और मेरा घर यहाँ पर है। मास्टर ने हँस के बोला, यह क्यूब मैं ट्रैकिंग डिवाइस लगाया है इसलिए मैं तुम्हें ढूंढ पाया।

मास्टर को अभी पता चल गया था कि लेबोरेटरी की सुरक्षा बढाने की जरूरत है, यह सोचकर मास्टर ने लेबोरेटरी के दरवाजे और खिडकी पर सेंसर लगा दिए और उसके साथ अलार्म जोड़ दिया इसलिए कभी कोई व्यक्ति घुसेगा का तो पता चल जाएगा। यह अलार्म मास्टर रात के समय ही चालू करते थे क्योंकि दिन में तो वो खुद लेबोरेटरी में ही होते थे।

मास्टर जब रात को सो रहे थे तभी उसके मन में विचार आया कि कोई सूट बनाए तो लड़ाई के समय शरीर को नुकसान नहीं होगा। मास्टर आधी रात तक यही सोच रहे थे कि कैसे बनाया जाये यह सूट, ऐसे विचार मन में दौड़ रहे थे। इस विचारों की वजह से मास्टर को नींद नहीं आ रही थी इसलिए मास्टर खड़े होकर लेबोरेटरी में चले गए। मास्टर बैठे बैठे सोच रहे थे और टेबल पर पड़े क्यूब को देख रहे थे। सोच ने के बाद मास्टर की कामगिरी चालू हो गई थी।

तीन महीने के बाद........

मास्टर को सूट बनाने में कितनी निष्फलता मिली थी, कई मुश्किलो का सामना करना पडा था, आखिरकार मास्टर ने अपना सपना पूरा किया। मास्टर ने ईशा को दिखाने के लिए ईशा को बुलाया, ईशा विक्रम को लेकर लेबोरेटरी में आई। मास्टर ने क्यूब का बटन दबाया और क्यूब घड़ी के रूप में आ गया अभी यह क्यूब वॉइस कोड से भी चलता था और वो मास्टर की आवाज पहचानता था। मास्टर ने सूट का वॉइस कोड डाला और सिर्फ दस ही सेकंड में सूट उसके पूरे शरीर पर चिपक गया था। यह सूट एकदम से शरीर के साथ चिपक जाता था और एक दम लचीला और पुरे शरीर का सूट एकदम स्मूथ था। मास्टर ने फिर से तलवार का वॉइस कोड डाला और सूट में से तलवार निकली, यह तलवार सूट के साथ ही जुड़ी हुई थी। मास्टर ने सब हथियार बदल बदल कर ईशा को दिखाने लगे, ईशा तो एकदम से देखती ही रह गई। इस बार मास्टर ने ज्यादा हथियार की माहीती अपडेट की हुई थी और कुछ दूसरा भी सूट में अपडेट किया हुआ था।