4. क्रिस्टल क्यूब की खोज
सुबह मास्टर जल्दी उठ कर पेड़ के नीचे ध्यान मुद्रा में बैठे थे, तभी सुबह के समय की हवा प्रफुलित थी और एकदम शांति थी और पक्षी की मीठी आवाज मे मास्टर अपना ध्यान लगा के बैठे थे। ध्यान मुद्रा की समाप्ति के बाद मास्टर टीवी के सामने नाश्ता करने बैठे, मास्टर तभी जियोग्राफी चैनल देख रहे थे उसमें एक जीव अमीबा जो अपना आकर हर बार बदलता रहता था। इसके द्वारा मास्टर के दिमाग की बत्ती जली कि अमीबा अपना आकर बदलता रहता है ऐसे धातु की वस्तुयाँ, वो भी नहीं अपना आकार बदल सकती?
पूरे दिन मास्टर के मन में यही सवाल उठता रहता था पर वो कुछ बनाने में मास्टर की दिमाग की बत्ती नही जल रही थी। शाम तक मास्टर यही बात सोच रहे थे, शाम को मास्टर ने खाना खाया और थोड़ी देर आराम से बैठकर टीवी देखी फिर सोने गए। किंतु थोड़ी देर हो गई पर मास्टर को नींद नहीं आ रही थी क्योंकि हर वक्त उसी बात का ही मन में ख्याल दौड रहा था, तीन घंटे हो चुके थे तो भी मास्टर को नींद नहीं आ रही थी और उसके दिमाग में थोड़े मिलते जुलते ख्याल आये, मास्टर अपने बिस्तर से उठे और अपनी लेबोरेटरी में चले गये।
कई दिनों तक मास्टर ने क्रिस्टल साइंस की बुक पढ़ी और उसमें से उसको थोड़ा ख्याल आया। मास्टर ने नैनो क्रिस्टल बनाना चालू कर दिया, एक हफ्ते की तन तोड़ मेहनत के बाद मास्टरने नैनो क्रिस्टल बना लिए थे। अभी सब क्रिस्टल को इकट्ठा करके उसमें प्रोग्राम डालना था, मास्टर ने सब क्रिस्टल को मिला के एक समूह बनाया, अभी उसका प्रोग्राम ही करना बाकी था। मास्टर ने प्रोग्राम बनाना चालू कर दिया था, उसका प्रोग्राम बनाना कई दिनों तक चला, मास्टर नींद कम और काम ज्यादा करते थे उसकी वजह से उसकी आंख लाल हो गई थी। एक दिन उसका प्रोग्राम तैयार हो गया उसने प्रोग्राम चीप बनाई और उसमें छोटे छोटे और अलग अलग वस्तुओं का डाटा डाला और वो चीप उस क्रिस्टल समूह में जोड़ दि, वह अलग से रिमोट कंट्रोल से चलता था।
मास्टरने क्रिस्टल मॉडल टेबल पर रखा और पास में खड़े रहकर रिमोट का एक बटन दबाया। बटन दबाने के साथ ही मॉडल के नीचे के भाग से, क्रिस्टल अपना रूप बदलने लगे और मास्टर के मुंह पर खुशी छा गई। जैसे क्रिस्टल आकार बदल रहे थे तभी उसमें से धुवा निकला और उसमें से आग की ज्वाला उत्पन्न हुई। अचानक से बड़ी ज्वाला प्रकट होने के कारण मास्टर डर गए और उसका ह्रदय जोर से धड़कने लगा। मास्टर भाग के आग बुझाने का सिलेंडर लेकर आये और आग बुझा दी।
मास्टर आग बुझा कर टेबल के सामने बैठ गए और क्रिस्टल मॉडल के सामने देखने लगे। फिर थोडी देर के बाद वो मॉडल को साफ किया, फिर मास्टर देखने लगे कि इसमें क्या हुआ था कि आग लग गई। क्रिस्टल मॉडल में क्रिस्टल की व्यवस्था ऐसी थी कि क्रिस्टल से बना मॉडल एकदम स्मूथ दिखता था, उसमें एक भी गैप नहीं दिखता था। मास्टर ने उसकी जांच चालू कर दी थी, तो पता चला कि उसकी प्रोग्राम चीप जल गई थी किन्तु वो चीप क्यू जल गई थी वो अभी तक पता नहीं चला था। बाद में पता चला कि क्रिस्टल मॉडल में क्रिस्टल की व्यवस्था में एक दो क्रिस्टल की व्यवस्था उलट सुलट हो गई थी उसकी वजह से दोनों के बीच में टकराव हुआ और चिप जल गई।
तीन महीने के बाद........
मास्टर को आज फुर्सत मिल गई थी तो वो घर का दरवाजा बंद करके टीवी देख रहे थे, तभी दरवाजे पर कोई आया और बेल बजाया। मास्टर ने दरवाजा खोला तो सामने ईशा थी, मास्टरने ईशा को अंदर बुलाया फिर ईशा चाय बनाने गई और मास्टर टीवी देखने लगे। थोड़ी देर में ईशा चाय बना कर आई और दोनों सोफे पर बैठ कर चाय की चक्की मारने लगे। उसी वक्त क्रिस्टल का क्यूब टेबल पर पड़ा था, वह क्यूब देखाव में एकदम सुन्दर और सिल्वर रंग का और चमकता था, ईशा की नजर में आया, ईशा वह क्यूब हाथ में लेकर देखने लगी। ईशा ने यह क्यूब पहली बार देखा था तो वो मास्टर को पूछने लगी, यह क्या चीज है?
मास्टर ने ईशा के सामने छोटी सी स्माइल दी और वह क्यूब को अपने हाथ में लिया, उसके ऊपर छोटी टच डिस्प्ले थी उसके ऊपर मास्टर ने कुछ अंक डाले और क्रिस्टल एकदम तेजी से तलवार का रूप धारण करने लगे, मात्र दस सेकंड में तलवार मास्टर के हाथ में थी। यह देख कर ईशा का मुँह फटा रह गया, मास्टर ने अपने हाथ से ईशा का मुंह बंद किया और अलग अलग कोड डाल के अलग अलग हथियार, मास्टर ईशा को दिखाने लगे।
मास्टर हर रोज क्रिस्टल क्यूब की मदद से अलग अलग हथियार बदल कर तैयारी कर रहे थे। एक दिन ऐसे ही मास्टर तैयारी कर रहे थे और थोड़े समय में उसके हाथ में से तलवार छूट गई, उस समय कुछ पता नहीं चला लेकिन जब वो आराम कर रहे थे तभी उसके मन में विचार आया कि अभी भी क्रिस्टल क्यूब में कुछ नया करना चाहिए पर क्या किया जाए वो अभी मास्टर सोच रहे थे। मास्टर को रात के समय नए नए विचार आते थे क्योंकि उस समय मास्टर का दिमाग तेज चलता था इसलिए मास्टर देर रात तक सोते नहीं थे। मास्टर ने कुछ नए बदलाव की बात सोची और उस पर काम करना चालू कर दिया।
तीन महीने के बाद.......
मास्टर ने ईशा को कॉल किया और अपने घर पर कुछ दिखाने के लिए बुलाया, ईशा मास्टर के घर पर आई उस वक्त दुपहर हो गई थी, तो पहले दोनों ने मिलकर खाना पकाया और खाना खाने के बाद मास्टर ईशा को लेबोरेटरी में लेकर गए। मास्टर ने क्रिस्टल क्यूब निकाला, यह देख के ईशा बोली कि ये तो मैंने पहले से ही देख लिया, यह सुनकर मास्टर हंसने लगे। इस बार क्यूब के ऊपर डिस्प्ले भी थी और तीन एकदम छोटे बटन भी थे, मास्टर ने पहला बटन दबाया और वो क्यूब में से एक सुई बाहर निकली और मास्टर के हाथ में खुची और वापस अंदर चली गई।
उतनी देर में ही क्यूबमे से आवाज आई 'डीएनए टेस्ट सक्सेसफूल्ली' यह आवाज आते ही क्यूब घडी के रूप में मास्टर के हाथ पर चिपक गया और घडी की तरह उसके ऊपर डिस्प्ले भी आ गई, मास्टर ने डिस्प्ले पर टच करके कोड डाला और सिर्फ दस सेकंड में ही नुकीला भाला उसके हाथ में था। खास बात यह थी कि ईस समय क्रिस्टल की परत आधे हाथ तक चिपकी हुई थी और वो हथियार के साथ जुड़ी हुई थी। इसलिए कोई भी हथियार मास्टर के हाथ से अलग नहीं हो सकता था, अगर उसे जबरदस्ती से अलग किया जाए तो मास्टर की चमड़ी और मांस निकल सकता था।
अभी क्रिस्टल क्यूब सिर्फ मास्टर ही चला सकते थे क्योंकि मास्टर ने अपना डीएनए टेस्ट उस क्यूब में अपडेट किया था, अभी कोई दूसरा व्यक्ति उसको चला नहीं सकता था। यह नई तरह की खोज ईशा को अच्छी लगी और ऐसी टेक्नोलॉजी देखने में ईशा को मजा आया।