MIKHAIL: A SUSPENSE - 9 in Hindi Fiction Stories by Hussain Chauhan books and stories PDF | मिखाइल: एक रहस्य - 9 - रामदास पासवान का घर

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मिखाइल: एक रहस्य - 9 - रामदास पासवान का घर

सुबह के ९:३० बज चुके थे और जय ओकले दंपति को रॉयल होटल लेने के लिए पहुंच चुका था। जब जय ने उनके दरवाज़े पर खटखटाया तब मिस्टर ओकले ने आ रहा हु कहते हुवे दरवाज़ा खोला।
"उम्मीद है आपको अच्छे से नींद आयी होगी" जय ने ओकले दंपति के बेड पर बैठते हुवे कहा।
"यस, मिस्टर जय, वी सलेप्ट रैली वेल" मिस्टर ओकले ने जवाब देते हुवे कहा।
"प्लीज बी रेडी एट 10 ओ क्लॉक, आई एम वेटिंग फ़ॉर बोथ ऑफ यु इन वेटिंग एरिया" जय कहता हुवा ओकले दंपति के रूम से निकल गया।
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ओकले दंपति जय के साथ इंडि गो की फ्लाइट 6E-715 के ६ घंटे १५ मिनट के एक लंबे सफर के बाद जो बेंगलुरु से होते हुवे आखिरकार शाम को ७ बजकर १५ मिनट पर आगरा पहुंच चुके थे। ओकले दंपति को ठहरने की व्यवस्था जय ने पहले से ही फतेहाबाद रोड, ताजगंज में स्थित होटल मुग़ल क्वीन में कर दी थी, जहा से ताजमहल का रास्ता महज़ १५ मिनट की दूरी पर था।
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रामदास पासवान का घर,
"अजित साहब, यह लीजिये आपके लिए कवर आया है।" रामदास के घर शादी में आये अजित को वेटर ने कवर थमाते हुवे कहा।
"एक और बात अजित साहब! कवर देने वाले ने आपसे कहने को कहा था कि, खाना खाने से पहले ही आप यह कवर खोल के देख ले वरना अनिष्ट हो जाएगा।" वेटर ने जाने से पहले उससे जो कहा गया था वो बताते हुवे कहा।
"अनिष्ट? कैसा अनिष्ट?" तिवारी बोल पड़ा, जो अजित के पास वाली ही चेयर पर डिनर करने के लिए बैठा था।
"ठीक है, तुम जा सकते हो।" अजित ने वेटर को जाने के लिए बोला।
"एक बात मेरी समझ मे नही आ रही रामदास जी, अगर किसीको मुझे कोई चीज़ भेजनी होती तो मेरे घर या फिर आफिस पर भेज सकता था, आपके घर क्यों? और एक बात कवर भेजने वाले को यह कैसे पता कि मैं इस वक़्त यहां पर हूं?" अजित ने पासवान की ओर देखते हुवे असमंजस से पूछा।
"मुझे नही पता अजित जी, लेकिन आपको इसे खोल के देख लेना चाहिए, हो सकता है आपके आफिस का या फिर आपके किसी निजी फायदे की बात हो उसमे।" रामदास ने तर्क देते हुवे कहा।
"हो सकता है" कवर का ऊपरी भाग फाड़ते हुवे अजित ने कहा।
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"अजित साहब! में आपका शुक्र गुज़ार हूँ कि आपने मुझे उस वक़्त सहारा दिया था जिस वक्त मेरे अपने मुझसे मुंह फेर चुके थे। मुझे मालूम है कि आप इस वक़्त रामदास पासवान जी के घर उनकी बेटी की शादी में गये है, और जो आपके दोस्त है वो हमारे भी दोस्त हुवे। इस खत के साथ मैने आपको एक पेन ड्राइव भेजी है, डिनर करने से पहले हर हाल में आप यह पेन ड्राइव में स्टोर वीडियो रामदास जी को दिखा देना और मेरी ओर से रामदास जी को उनकी बेटी की शादी की शुभकामनाएं।"
आपका दोस्त
मुरली सिवाल
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"तुम्हे मालूम है न कि तुम्हे क्या करना है?" हरा लबादा पहने हुवे शख्श ने दूसरे शख्श से पूछा।
"जी, बिल्कुल! आप निश्चिंत रहिये आपका काम हो गया समझ लीजिए" दूसरे शख्श ने कहा।
"आज उन लोगो को पता चलेगा कि हमसे उलझने वालो को हम कैसे जवाब देते है। सुंवरो का मांस खिलायेंगे सालो को! सुंवरो का।" हंसते हुवे हरा लबादा पहने हुवे शख्श ने कहा जिसकी बात सुनकर वो दूसरा वाला शख्श भी हंस पड़ा जिसकी पीठ कैमरे के सामने थी।"
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"अविनाश! ज़रा प्रोजेक्टर रूम में आना तो!" रामदास ने अपने साले को फ़ोन कर के बुलाया जहा उसने अपने साथी मेहमानों के साथ वो पेन ड्राइव का वीडियो देखा था।
"अजित जी, किसी ने बहुत ही भद्दा मजाक किया है हमारे और आपके साथ" रामदास ने फिर से अपने महंगे काउच पर बैठते हुवे कहा।
"यह क्या है, अविनाश?" पेन ड्राइव का वीडियो अविनाश को दिखाने के बाद रामदास ने पूछा। कुछ ही वक़्त में अविनाश रामदास और बाकी मेहमानों के साथ था।
"यह कैसा मज़ाक है, जीजा जी?" अविनाश ने रामदास से पूछा।
"वही तो मैं तुमसे पूछ रहा हूँ।" रामदास ने कहा।
"मुझे नही पता जीजा जी, आपको तो पता ही है कि मेरी भांजी की शादी में खाने का आर्डर मेरी कंपनी ने संभाला है, ऐसी वाहियात बात तो छोड़िए, थोड़ी सी ऊंच नीच भी नही हो सकती, यह यकीनन एक मजाक किया गया है हमारे साथ और वो भी बहुत बुरा वाला।" अविनाश ने अपनी सच्चाई बताते हुवे कहा।
"अजित जी, वैसे यह मुरली सिवाल कौन है?" अविनाश ने अपनी सच्चाई रामदास के पास रखने के बाद तुरंत ही अजित से पूछा।
"मुझे नही पता, मैं भी तो आप सभी के साथ यहां ही उपस्थित हूं, और मैंने इससे पहले कभी इस आदमी का न तो जानता हूँ, और न ही इससे पहले इसका नाम सुना है।" अजित ने अपना काउच छोड़ते हुवे जीजा-साले के पास आकर कहा।

पार्टी में मिले हुवे लेटर के कारण सभी थोड़े हैरान थे कि ऐसा घटिया मज़ाक कौन कर सकता है लेकिन, उनको वक बात की तसल्ली भी थी कि वो सिर्फ एक मजाक था, हकीकत नही थी।
"भगवान का आशीर्वाद है जो यह सिर्फ मज़ाक था, यदि यह हकीकत में हुवा होता हमारे साथ तो हम क्या करते?" तिवारी ने मुंह खोलते हुवे कहा।
"शैलेश मज़मुदार, कलेक्टर आफिस के पास, परसीवाड़ा, दीव 362520" अजित ने डस्टबिन से कवर निकालने के बाद फटे हुवे कवर पर भेजनेवाले का नाम पढ़ा जिसको अजित ने बिना पढ़े पेन ड्राइव निकालने के बाद डस्टबिन में डाल दिया था।
"अब यह शैलेश मज़मुदार कौन है?" जैसे ही अजित ने फटा हुवा कवर रामदास को थमाया तभी रामदास ने कवर पर लिखा नाम पढ़ते हुवे सवाल किया।
"परसीवाड़ा, दीव" अविनाश ने अपने जीजा के हाथ से वो फटा हुवा कवर लेते हुवे पढ़ा।
"मुरली सिवाल को हमें ढूंढना होगा, उसकी ऐसी हिम्मत जो वो लखनऊ के एम.एल.ए के साथ ऐसी घटिया मज़ाक करे?" तिवारी फिर बोल पड़ा।
"हां, तिवारीजी! लेकिन उससे पहले हमें इस शैलेश मज़मुदार को ढूंढना होगा।" अजित ने रामदास से कहा।
"हां, अजित जी! मैं जानता हूँ यह काम कौन कर सकता है। लेकिन फिलहाल हमे पार्टी में वापस जाना चाहिए।" रामदास ने प्रोजेक्टर रूम का दरवाजा खोलते हुवे बिल्कुल ठंडे दिमाग से कहा।
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