Valentine card in Hindi Short Stories by Renuka Chitkara books and stories PDF | बेलन टाइन कार्ड

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बेलन टाइन कार्ड



💓💓बेलन टाइन कार्ड💓💓

आज तो मैं घर से तय करके निकला था या तो आर या पार....
अरे... बहुत हुआ जी इन्तजार,
इसी तरह अगर देखता सोचता रहा तो कोई उसे ले के फुर्र हो जायेगा और मैं मोहब्बत के बिखरे पत्ते समेटता रह जाऊँगा ।
बस फिर क्या था मैंने निकाली अपनी फटफटिया और निकल पड़ा अपने दिल की राह पर।
अब दिल की बात दूसरे दिल तक पहुंचाने का सबसे बढ़िया दिन कौन सा होता है.. अरे भाई ...वो है न बेलनटाइन डे
और इत्तिफाक देखो.. प्यार का हफ्ता चल रहा है और ये ख़ास दिन कल ही तो है
सोचते ही उसका दिल बल्लियों उछलने लगा। धड़कन की आवाज इत्ती तेज हो गई की आसपास के लोग भी रुक रुक कर सुनने लगे ।
दिल किया जोर से एक जादू की झप्पी खुद को ही दे दूँ। लेकिन सड़क पर ऐसी हरकत कर अपनी फजीहत क्यों कराये हो सकता है कल उसी से झप्पी भी मिल जाये ।
खैर ..कुछ ही देर में वो
चकाचक कपडे पहन, इत्र छिड़क शहर की सबसे महंगी गिफ्ट शॉप के सामने खड़ा था ।
यहाँ तक तो आ गए अब अंदर कैसे जाया जाए । यहाँ तो साला दरबान भी अंग्रेजी बोलता है और हमारी तो बचपन से किताबो से से सांप नेवले वाली यारी रही है । अंग्रेजी तो अंग्रेजी यहाँ तो हिंदी से भी कोई खास दोस्ती नही थी हमारी ।
अब तो किताबों पर छपे काले अक्षर भी हमे देखते ही मुंह चिढ़ाने लगते है ।
मन ही मन जय सिया राम का जाप करते दूकान में घुस गया ।
दूकान क्या थी ऐसा लगा जैसे किसी और दुनिया में आ गया हो हर चीज चकाचक !
क्या नही था वहां !! इतनी चीजे तो कभी एक साथ देखी भी नही थी
कार्ड, गिफ्ट, ज्वेलरी ...
और मैं उल्लुओं की तरह कभी किसी को छूता कभी कुछ देखता।
अनुभवी सेल्सगर्ल ने उसकी उलझन भांप ली और पास आ के बोली,"
Can I help u "
उफ़ ....क्या सीन था....
एक तो इतनी प्यारी आवाज, ऊपर से खूबसूरत लड़की और उस पर भी अंग्रेजी !!
हाय..... अगर पहले से प्यार में न पड़ा होता तो....
दिमाग को झटका दिया "अबे कहाँ फिसलने लगा जिस काम को आया है वो तो कर "
वो फिर बोली," Sir any problm ?"
अब तो मैं गया दिल का डर कनपटी के पास बूंदों के रूप में उभर आया ।
"Are you ok ?" उस लड़की ने शायद मेरी घबराहट भांप ली थी । मैं ...वो .....वो ....की आवाज ही निकल पाई थी वो भी हकलाती हुई ।

सेल्सगर्ल के लिए शायद ये अनुभव नया नही था मुझ जैसे और भी अनाड़ी आते होंगे यहां ,
वो थोड़ा सा मुस्कुराते हुए बोली,"
आपकी क्या मदद कर सकती हूँ ?"

"अहा , ... कितना सुकून देती है अपनी भाषा ये आज समझ में आया ।
पता नही आजकल के लड़के लड़कियों को ये मुई अंग्रेजी में गिटपिट करने में क्या मजा आता है । ये ख्याल अभी दिमाग में चक्कर लगा ही रहा था कि वो मीठी आवाज फिर सुनाई दी
"क्या खरीदना चाहते है आप"

इधर उधर देख मैने कार्ड वाले सेक्शन की तरफ इशारा कर दिया ।
"आइये सर, मैं दिखाती हूँ " उस लड़की ने मुझे आगे चलने के लिए बोला ।
वहाँ का नजारा देखते ही मुझे चक्कर आने को हुआ "अरे बाबा... इतने सारे कार्ड !!! मुझे तो सारे ही अच्छे लग रहे थे ,
कौन सा लूँ इनमे से जो उसको भी पसंद आ जाये ? फिर सोचा कि इस लड़की से ही पसन्द करवा लेता हूँ इतने में ही किसी ने उसे आवाज लगा दी और वो आप पसंद कीजिये सर मैं अभी आती हूँ ...बोल निकल गई ।

अब मैं और इतने सारे कार्ड्स एक दूसरे से कोड भाषा में बतियाने लगे,
लेकिन कुछ समझ आये तो न
अब सिर्फ एक ही रास्ता था कि उस लड़की का इंतजार करें लेकिन वो तो ऐसे गायब हुई जैसे गधे के सर से सींग....
अब क्या करोगे बाबू..?

यही सोचते सोचते कुछ कार्ड्स को उठा कर देखने लगा ।
नीचे की तरफ एक गुलाबी रंग का रिबन से बंधा कार्ड उसे अच्छा लगा और वहां के माहौल में घबराहट बढ़ती ही जा रही थी तो उसने जल्दी से उसी को खरीदने का तय किया और काउंटर पर बिल बनवा कर बाहर निकल इतनी गहरी सांस ली की जैसे किसी युद्ध से बच कर निकला हो ।
खैर... घर आते ही कार्ड को सबकी नजरों से किसी तरह छिपा कर रख दिया अब इन्तजार था कल की सुबह का ।

रात किसी तरह करवटे बदलते और मीठे मीठे सपने देखते बितायी ये हमसे बेहतर कौन जानेगा । इसलिए सुबह नींद भी देर से खुली आधी कच्ची पक्की नींद में हम उठे और तैयार हो निकल पड़े उस और जहाँ थी हमारी प्यार की मंजिल..।

ख़ुशी और डर के मिले जुले अहसास शरीर में कंपकंपी पैदा कर रहे थे ।
लेकिन उनको देखते ही ठंडी में तेज धूप का अहसास होने लगा रोम रोम रोमांचित हो उठा ।
धीरे से उनके पीछे जा खड़े हो अपनी पूरी ताकत लगा आवाज लगाई ," मधु जी, ये आपके लिए... हैप्पी बेलन टाईन...।

पहले तो उसने मुझे ऊपर से नीचे तक घूरा फिर होठों को थोड़ा तिरछा सा कर हंसी और मेरे हाथ से कार्ड और चॉकलेट का वो बड़ा वाला पैकेट ले लिया ।
अब तो मेरा मन फिर से उछलने लगा ऐसा लगा जैसे दिल अभी बाहर निकल आ गिरेगा ।
एक ही पल में मन ही मन आने वाले 15, 20 सालों की प्लानिंग कर ली थी ।
मैं अपने मधुर ख्यालों में खोया ही था की मधु जी की मधुर आवाज ने मेरे मुरझाए हुए बाग़ को खिला दिया ।
उसने मुझे जोर से लगे लगा लिया और बोली," मुझे माफ़ कर दो जी मैं आपको अभी तक कितना गलत समझती आई थी , लेकिन आज आपने मुझे अपनी बहन मान कर मेरी सारी गलतफहमी दूर कर दी" ।

"बहन......??"" ये शब्द सुनते ही जैसे मेरे ऊपर बिजली सी गिरी ।
"ये ...ये... ये... क्या बोल रही है आ.... आप ...?" अटकते हुए कुछ शब्द मेरे मुंह से निकले ।
"हाँ ,..देखो न ये my lovely sister का कार्ड लाये हो न तुम"
"धत तेरे की ..."
सारी मेहनत ,सारे अरमानों पर जैसे किसी ने मिटटी का तेल डाल आग लगा दी हो ,
आज जिंदगी में पहली बार ऐसा लग रहा था कि अगर बचपन में बापू के डंडे को न तोडा होता तो कुछ ज्यादा पिट कर पढ़ने की अक्ल तो आ जाती
आज खुद के अनपढ़ होने का इतना अफ़सोस हो रहा है जितना तो पप्पू के प्रधानमंत्री बनने पर भी न होता ।
" अरे चुप क्यों हो आप मुझे कार्ड सच में बहुत पसंद आया" वो ख़ुशी से चहकती जा रही थी और मैं आँखों में आई नमी को छिपा जबरदस्ती मुस्कुरा रहा था ।