The Author आयुषी सिंह Follow Current Read मुझे याद रखना - 3 By आयुषी सिंह Hindi Horror Stories Share Facebook Twitter Whatsapp Featured Books Love at First Slight - 28 The Grand Event at Marina Bay SandsThe night was alive with... The Village Girl and Marriage - 2 Diya had only seen the world of books; she had not witnessed... Met A Stranger Accidently Turned Into My Life Partner - 14 Riya at home As Riya reaches her home her mother comes near... Trembling Shadows - 5 Trembling Shadows A romantic, psychological thriller Kotra S... THE WAVES OF RAVI - PART 4 SCATTERD BLOOD The evening darkness was slowly spread... 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" मैंने कहा तो वो बोला" सर कल जो डेड बॉडी हमने पोस्ट मॉर्टम के लिए भेजी थी, उसकी पोस्ट मॉर्टम रिपोर्ट आ गई है और उसमें ऐसा कुछ भी नहीं है जिससे हमें केस में कोई मदद मिल सके। सर इसकी मौत चोट लगने से ही हुई है।"" ओके लीव इट, यह बताओ जो मैंने कहा था कि जिन लोगों ने किसी भी 20-30 साल की लड़की की गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखवाई है उन्हें शिनाख़्त के लिए बुलाना तो आया क्या कोई? " " सर शिनाख़्त के लिए तो किसी को तब बुलाते जब डेड बॉडी मुर्दाघर में होती " " आर यू जोकिंग अमन " " नहीं सर आइए आपको सीसीटीवी फुटेज दिखाता हूँ। " "कहाँ का......मुर्दाघर का? "" जी सर आइए.......... यह देखिए "" अमन हाउ इस इट पॉसिबल एक सेकंड पहले डेड बॉडी एकदम शांत रखी हुई है और अगले ही सेकंड यह हवा में उठ गई........और यह तो देखो ऐसा लग रहा है जैसे कोई अदृश्य शक्ति इसे खा रही थी.......ओह माय गॉड सिर्फ हड्डियाँ बची हैं। "" सर हो न हो यह उसी चुड़ैल का काम है जिसके बारे में कल रागिनी बात कर रही थी। "" अमन कानून सबूत माँगता है अंधविश्वास नहीं। समझ भी रहे हो तुम क्या बोल रहे हो हम अपने सीनियर्स को यह बोलेंगे कि एक चुड़ैल डेड बॉडी का खून पीती है और फिर उसे कच्चा खा जाती है "" सर चुड़ैल तो है। " अमन के साथ साथ रागिनी ने भी अपनी सहमति देते हुए कहा। " तो जब मैंने तुमसे उस लाल आँखों वाली के बारे में पूछा था तो तुम चुप क्यों थे तुम्हें पता भी है मैंने कितना भुगता है? " मैं अब अमन पर चिल्लाने लगा था क्या करता जितना मैंने सहा है इसके बाद कोई भी पागल हो जाए। " सर उस वक्त आपकी तबियत ठीक नहीं थी इसलिए हमने आपसे कुछ ज्यादा नहीं कहा कि कहीं आपकी तबियत और खराब न हो जाए। "इसके बाद शुरू से अब तक घटी सारी घटनाएं मैंने उन दोनों को बता दी और कहा" हाँ चुड़ैल है पर हम अपने सीनियर्स को क्या जवाब देंगे, अमन आज तक एक भी केस ऐसा नहीं है जो मैंने अधूरा छोड़ा हो। " " सर इस वक्त बात हार या जीत की नहीं है, सर सबूत उसके खिलाफ मिलते हैं जो जिंदा हो न कि उसके खिलाफ जो मर चुका हो और सर इस वक्त जरूरी यह है कि हम सबकी जान बच सके। "" अमन तुम्हें क्या लगता है मैं नहीं जानता कि चुड़ैल है पर हमने भुगता है इसलिए हम जानते हैं चुड़ैल है पर उन्होने कुछ नहीं देखा तो हम उन्हें कैसे यकीन दिलाएंगे।"" सर इस वक्त जरूरी यह है कि हम किसी तांत्रिक या पुजारी से मिल लें जो हमें उस चुड़ैल से बचा सके कहीं अगला नंबर हम में से ही किसी का न हो। " रागिनी ने भी डरते डरते अपनी बात रखी। " चुप करो तुम दोनों........मरने से नहीं डरता मैं पर यह सोचकर जरूर डर जाता हूँ कि मेरे बाद मेरे परिवार का क्या होगा......ठीक है चलते हैं किसी तांत्रिक या पुजारी के पास अब मुझे छुटकारा चाहिए इस सब से। "अचानक से आॅफिस की लाइट्स जलने बुझने लगीं और आँधी के साथ साथ चिता जलने जैसी बू आने लगी, उस चुड़ैल का भयानक रूप देखकर किसी की बोलती बंद हो जाए, दिन में भी रात जैसा अंधेरा छा गया। उसने अपने बालों से एक घेरे जैसा कुछ बनाया और अमन और रागिनी की तरफ फेंक दिया। वे दोनों अपनी जगह से हिल भी नहीं पा रहे थे बस बुरी तरह चिल्लाए जा रहे थे शायद उस घेरे में उन्हें बहुत दर्द हो रहा था। अब वह चुड़ैल मेरे सामने आकर खड़ी हो गई और अपनी लाल आँखों से मुझे घूरते हुए बोली " तांत्रिक के पास जाएगा, पुजारी के पास जाएगा हाँ, मुझसे छुटकारा चाहिए.........नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं मुझसे छुटकारा पाना इतना भी आसान नहीं है.....पुजारी तो क्या भगवान भी तुझे मुझसे नहीं बचा सकता जानता है क्यों.....क्योंकि तेरी किस्मत भगवान ने नहीं शैतान ने लिखी है.......जा जिस भी तांत्रिक, जिस भी पुजारी के पास जाना है जा, देखती हूँ तुझे मुझसे कौन बचा सकता है......भाग और बचा ले अपनी जान " कहकर वो जोर से हँसने लगी और मैं पागलों की तरह इधर उधर भागने लगा यह सोचकर कि शायद कोई मंदिर मिल जाए और मैं वहाँ पहुंच जाऊँ और बच जाऊँ मैं अपने कैबिन के दरवाजे तक पहुंचा ही था कि वह चुड़ैल मेरे सामने आकर खड़ी हो गई और उसने मेरा हाथ पकड़कर मुझे वापस अंदर फेंका दिया। मेरे हाथ में बहुत दर्द होने लगा और वह फिर मेरे सामने आई और मुझे फिर से उठाकर दीवार की तरफ फेंक दिया जिससे मेरे सिर से खून बहने लगा और खून की कुछ बूँदे जमीन पर गिर गई जिन्हें वह चुड़ैल चाटने लगी। पर शायद इस सब से भी उसे शांति नहीं मिली और उसने हवा में हाथ हिलाया जैसे किसी को बुला रही हो और फिर मेरे पैर की तरफ इशारा किया, उसके ऐसा करते ही कहीं से एक काली, नुकीली लकड़ी आकर मेरे पैर में चाकू की तरह धंस गई और मैं दर्द से चिल्लाने लगा।" अब बता तू तांत्रिक या पुजारी के पास जाएगा या फिर औषधालय जाएगा......मुझे याद रखना, मैं वापस आउंगी और तेरी जान लेकर जाउंगी "कहकर वह गायब हो गई और उसके जाते ही रागिनी और अमन उस घेरे से आजाद हो गए और वापस उजाला हो गया पर तब तक मेरी आँखों के आगे अंधेरा छा चुका था।जब मुझे होश आया तो देखा मैं तीन दिन में तीसरी बार हॉस्पीटल में हूँ और हमेशा की तरह इस बार भी अमन और रागिनी मेरे पास खड़े हुए हैं। " सर मुझे लगता है जरूर उस चुड़ैल का आपसे कोई न कोई कनैक्शन है नहीं तो वो बार बार आपको नुकसान नहीं पहुंचाती " अमन ने परेशान होकर कहा। " सर आपके ठीक होने के बाद अगर आप चाहें तो मैं आपको एक पुजारी जी से मिलवा सकती हूँ.....बहुत से लोगों को भूत बाधा से छुड़ाया है उन्होने। " रागिनी ने कहा।मैं हर बार यही सोचता कि आखिर ये दोनों मेरी इतनी चिंता क्यों करते हैं और आखिर पूछ ही लिया " मैं तो अभी यहाँ आया हूँ और तुम दोनों मेरी इतनी चिंता करते हो....क्यों? "" सर आपको याद है एक बार बच्चो को भीख मांगने के लिए मजबूर करने बाले गिरोह से हम बच्चों को छुड़ाने गए थे और जब हमने सारे बच्चों को छुड़ा लिया था तो उसी गिरोह का एक आदमी मुझ पर गोली चलाने वाला था और आपने उसे देख लिया था तब आपने सामने आकर मुझे बचा लिया था और गोली आपके हाथ में लग गयी थी। सर जब इतने बड़े आॅफिसर होने के बाद भी आपने अपनी जान की परवाह न करते हुए मेरी जान बचाई थी तो मेरा भी तो फर्ज बनता है कि मैं अगर आपके लिए कुछ भी कर सकूँ तो उससे पीछे न हटूँ। "मैंने सोचा अमन ने कितनी बड़ी बात इतनी आसानी से कह दी वरना आजकल कौन किसी का अच्छा किया हुआ याद रखता है।" और सर मेरा तो कोई रीजन नहीं है पर इंसानियत के नाते मैं आपकी हर संभव मदद करना चाहती हूँ और मैं इस बारे में मेरा मतलब है भूत प्रेत चुड़ैलों के बारे में मैं थोड़ा बहुत जानती भी हूँ तो शायद आपकी कुछ मदद हो जाए। " रागिनी ने कहा। मुझे अपनी अब तक की नौकरी में कभी भी इतने अच्छे सहकर्मी नहीं मिले। मैं बचपन से सोचता था कि काश मेरे छोटे बहन भाई होते पर अमन और रागिनी को देखकर लग रहा था जैसे भगवान ने इनके रूप में मुझे छोटे भाई बहन दे दिए। पर मैं उनका सीनियर हूँ यह सोचकर चुप रह गया और बस हँसकर " थैंक्स अ लौट फ़ॉर हैल्पिंग मी " कहकर चुप हो गया। थोड़ी देर बाद मैंने कहा " बहुत देर हो गई तुम लोग घर जाओ मेरी फैमिली यहाँ नहीं है पर तुम्हारी फैमिलीज़ तो यही है न बहुत देर हो गई है अभी जाओ फिर आना। " बहुत मुश्किल से मैंने उन्हें वापस भेजा। मैंने सोचा घर पर माँ पापा से बात कर लूँ तो मम्मी को कॉल किया तो पता चला कि पापा बाजार में हैं कुछ काम से। " क्या बात है जब से देहरादून गया है बस दिन में एक बार ही फोन करता है, बाकी वक्त क्या करता रहता है? "" माँ बताया था न वो एक मर्डर केस के सिलसिले में सारा दिन निकल जाता है और क्वार्टर आकर आप लोगों से बात करके बस सो ही जाता हूँ तो ऐसे ही सारा टाइम निकल जाता है। "" क्वार्टर पर अकेले मन लग जाता है तेरा? "माँ ने जेसे ही पूछा मैं सोचने लगा मैं आकेला कहाँ हूँ माँ वह चुड़ैल हर वक्त मेरे आस पास रहती है, उसकी लाल आँखें हर वक्त मुझे घूरती रहती हैं, अब तो हर वक्त मैं डर के साये में रहता हूँ पता नहीं कब कौन कह दे " मुझे याद रखना।" पर मैं आपको यह सब कैसे बताऊँ। " क्या सोचने लगा हर्ष? " माँ ने पूछा।अब उस चुड़ैल का ध्यान आते ही मेरा दिमाग खराब हो गया तो मैंने कहा " ठीक है माँ बाद में बात करता हूँ " और सोने की कोशिश करने लगा शायद यह दवाइयों का ही असर था कि मुझे जल्दी नींद आ गई। इसी तरह हॉस्पीटल में रहते हुए मुझे पाँच दिन हो गए और इन दिनों में एक बार भी वह चुड़ैल नहीं आई, तो क्या उसे मुझपर दया आ गई या फिर उसने अपना इरादा बदल दिया। मैं कयास लगाने लगा वैसे भी मैं इसके अलावा और कर भी क्या सकता था। तभी मेरी नजर मेरे पास वाले मरीज की टेबल पर गई, उसकी टेबल पर हनुमान जी की मूर्ति रखी हुई थी। तब मुझे समझ आया कि क्यों वो चुड़ैल इतने दिनों से नहीं आई और अब मैंने सोच लिया मैं भी अपने पास हनुमान जी की एक तस्वीर हर वक्त रखा करूँगा। मैं अभी सोच ही रहा था कि इतने में डॉक्टर आ गए और उन्होने बताया अब मैं यहाँ से जा सकता हूँ, मैंने तुरन्त अपने ड्राइवर को बुलाया और वापस चल दिया उस क्वार्टर की ओर। रास्ते में मैं सोचने लगा आखिर मैंने यह पुलिस डिपार्टमैंट जॉइन ही क्यों किया और कर भी लिया तो जरूरी था कि एस. पी. ही बनता, इंस्पेक्टर बन सकता था, सब इंस्पेक्टर बन सकता था कम से कम छोटा क्वार्टर तो मिलता और साथ में कुछ पड़ौसी पर यह तो क्वार्टर कम बंगला ज्यादा है और रामू काका बाहर वाले कमरे में रहते हैं, अब इतने बड़े बंगले में रात भर चुड़ैल घूमती फिरती है यह मैं किसी से कह भी नहीं सकता। कहूँ भी तो कैसे मेरे अलावा किसी ने कुछ भुगता भी तो नहीं है। मुझे अचानक चुड़ैल की याद आते ही मंदिर की याद आ गई और मैंने ड्राइवर से कहा " महेश यहाँ आस पास कोई मंदिर है क्या? "" जी सर यहीं आगे एक गली छोड़कर दूसरी गली में मुड़ते ही हनुमान जी का मंदिर है, पाँच मिनट लगेंगी। "" ठीक है जल्दी चलो वहाँ। "पर नहीं मेरी तो किस्मत ही खराब थी, दिन होते हुए भी रात जैसा अंधेरा छा गया, हर तरफ भयानक चीखें गूँजने लगीं और वह चुड़ैल हवा में उड़कर मेरी कार के बोनेट पर बैठ गई ‹ Previous Chapterमुझे याद रखना - 2 › Next Chapter मुझे याद रखना - 4 Download Our App