The Author Rajesh Kumar Follow Current Read मुझे इश्क़ हुआ है - 2 By Rajesh Kumar Hindi Love Stories Share Facebook Twitter Whatsapp Featured Books बकासुराचे नख - भाग २ -----कोण होती ती गूढ स्त्री....यक्षिणी..आसरा ...हडळ की एखाद... एकापेक्षा - 16 एके दिवशी आम्ही असेच दुपारचे सुट्टी झाल्यावर घरी येत होतो. आ... क्रीपि फाईलज - खरी दृष्य भीतीची ... - सीजन 1 - भाग 2 व्हिक्टोरिया 405भाग 2 ....भाग 2तपकीरी रंगाचा मातीचा रस्ता का... मी आणि माझे अहसास - 100 विश्वाच्या हृदयातून द्वेष नाहीसा करत राहा. प्रेमाची ज्योत ते... नियती - भाग 35 भाग -35मायराने घरी सर्वांना रामने दिलेली ......उद्या पहाटे स... Categories Short Stories Spiritual Stories Fiction Stories Motivational Stories Classic Stories Children Stories Comedy stories Magazine Poems Travel stories Women Focused Drama Love Stories Detective stories Moral Stories Adventure Stories Human Science Philosophy Health Biography Cooking Recipe Letter Horror Stories Film Reviews Mythological Stories Book Reviews Thriller Science-Fiction Business Sports Animals Astrology Science Anything Crime Stories Novel by Rajesh Kumar in Hindi Love Stories Total Episodes : 3 Share मुझे इश्क़ हुआ है - 2 (9) 1.9k 5.1k 1 पिछले भाग से आगे- किसी भी प्रेमी का इससे ज्यादा इशारा और कुछ नही हो सकता था, लेकिन मैं इस मामले में अपरिपक्व था। मुझे हमेशा डर रहता कि, उसके दिल में मेरे लिए वो अहसास, वो चाहत, वो प्यार नही हुआ, जो उसके लिए मेरे दिल में है। ऐसे में मैंने उससे अपने दिल की बात की, और अपनी महोब्बत का इज़हार किया तो, क्या होगा? बस यही सोचकर मेरे क़दम रुक जाते और मेरे लफ्ज़ मेरा साथ नही देते। फिर भी मेरी जिंदगी के हर लम्हें में, वो समा गई। अब तो लगता था कि रविवार को भी स्कूल खुलना चाहिए था। जिससे उसे देख सकूँ, मेरे दिल को तसल्ली मिले। वक्त बीत रहा था कुछ और लड़के भी उससे दोस्ती करना चाहते थे। वो हमेशा प्रयास करते थे कि, मेरे और उसके बीच दूरियां बढ़ जाएं।जब कोई किसी से महोब्बत करता है, तो वह अपने खास मित्र से अपने प्रेमी के बारे में जरूर बात करता है। ये एक आम बात है, ऐसा ही मैं भी किया करता था,हर दिन क्या हुआ, उसने आज मुस्कुराकर देखा, वो मुझसे नोटबुक लेने आई। ये सारी बातें, मैं अपने दो दोस्तों से शेयर कर लिया करता था। जो मेरे लिए बहुत घातक सिद्ध हुई। उन दोनों में से एक था, जो उसे चाहता था, और उसने हमदोनों के बीच क्या चल रहा है,बाकी से बताना शुरू कर दिया। हमारे मैथ के टीचर को भी उसने बता दिया लेकिन कोई कुछ नही कह पा रहा था,क्योंकि उनके पास कोई वज़ह नही थी जो मुझे टारगेट करें। स्कूल में एक बार एक प्रतियोगिता हुई, जिसमें लड़कियां एक तरफ, और लड़के दूसरी तरफ़, दो ग्रुप बनाएं गए। यदि लड़कियों का ग्रुप प्रश्न पूछता है, तो लड़कों के ग्रुप से कोई एक जबाब देगा। ठीक वैसे ही लड़कों के ग्रुप से प्रश्न किए जाने पर, लड़कियों में से कोई एक उत्तर देगा। मुझे इंतज़ार था कि वो प्रश्न पूछे। और मैं जबाब दूँ,चाहे वो सही हो या गलत परन्तु मैंने मन बना लिया था कि जबाब मुझे ही देना है।और हुआ भी ऐसा ही उसने प्रश्न पूछा मैंने बिना देर किए उत्तर बताया। जो सही हुआ रेफरी ने उससे पूछा कि क्या जबाब सही है। उसने मुस्कुराकर सहमति से गर्दन झुकाकर हाँ कह दिया। उसकी मुस्कान भरी सहमति बहुत कुछ बयां कर गयी औरों के लिए वो महज़ एक सहमति थी परन्तु मेरे लिए एक प्यार भरा संदेश, इस इशारे को मेरे अलावा एक और जो समझ गया था ।फिर उसने कुछ ऐसी हरकत की जिससे उसे लगा कि मेरे अलावा वो लड़का भी कुछ जान चुका है। बस वहीं से हमारे बीच चल रहे शीलसिले में उस लड़के ने दरार डालने के लिए अपनी मित्र को लगा दिया। वो लड़की मेरे और उसके बीच दूरियां बनाने का पूरा प्रयास कर रही थी। लेकिन कहते है ना जहां किसी के लिए प्यार के अहसास जागे वहाँ दूसरे की कौन सुनता है हाँ कुछ समय के लिए मन जरूर असमंजस में हो जाता है। कई बार उसने मुझसे दूर जाने की कोशिश की लेकिन मेरी आँखें जब उसे देखतीं तो सारी बातें उससे कर लेती थी जो मेरी जुबान भी नही कह पाती थी। उसकी एक मुस्कुराहट ही मेरे पूरे दिन को अच्छा बना देती थी। शेष अगले भाग में ‹ Previous Chapterमुझे इश्क़ हुआ है › Next Chapter मुझे इश्क़ हुआ है - भाग 3 Download Our App