Samiksha - Bladi Middal class in Hindi Book Reviews by राजीव तनेजा books and stories PDF | समीक्षा - ब्लडी मिडल क्लास - राकेश राय

Featured Books
Categories
Share

समीक्षा - ब्लडी मिडल क्लास - राकेश राय

आमतौर पर हम लोग फेसबुक या सोशल मीडिया पर समान रुचि वाले लोगों को ही अपना मित्र बनाते हैं। इसी कड़ी में मेरी मित्रता राकेश राय जी से हुई। मैसेंजर पर चैट के दौरान हुई बातचीत में उन्होंने बताया कि उनका "ब्लडी मिडल क्लास" के नाम से एक उपन्यास आया है। अब मित्र का नया उपन्यास आया है तो मेरा बधाई देना तो बनता ही था।

खैर..बधाई के बाद उन्होंने उस पर मेरी टिप्पणी की इच्छा ज़ाहिर की जिसे मैंने सहर्ष स्वीकार कर लिया कि मुझे पढ़ना अच्छा लगता है। तब मेरे बताए पते पर उन्होंने मुझे एज़ के गिफ्ट अपना उपन्यास भेजा जिसे कम पृष्ठ संख्या होने की वजह से मिनी उपन्यास कहना ज़्यादा सही होगा।

खैर..अब किताब के बारे...
जैसा कि नाम से ज़ाहिर है कि इस मिनी उपन्यास में आम मध्यम वर्गीय जीवन की झलकियों का चित्रण है कि उनके जीवन में विडंबनाओं, विषमताओं, दुखों, तकलीफों से झूझते हुए कई मर्तबा भूले भटके ही सही मगर खुशी के भी कुछ क्षण आ जाते हैं। उन हर्ष के, उन आह्लाद के लम्हों को आम मध्यम वर्गीय भरपूर जीने का प्रयास करता है और जीता भी है लेकिन उसके बाद नए सपनों को पूरा करने की उसकी जद्दोजहद फिर से चालू हो जाती है। एक तरह से ये कह सकते हैं कि आम मध्यम वर्गीय पुरुष/स्त्री हमेशा आगे बढ़ने..बढ़ते रहने की होड़ में अपने वर्तमान से कभी संतुष्ट नहीं होते। एक दौड़ के पूरा होने पर नयी दौड़, नयी मंज़िल की तलाश फिर शुरू हो जाती है और फिर इन्हीं को पूरा करने की जद्दोजहद में वो अपने दिन रात एक कर उसी के चक्रव्यूह में अंत तक फंसा रह जाता है।

शुरू में धीमी शुरुआत के बाद कहानी रफ्तार पकड़ लेती है और पाठक को अंत तक आसानी से पहुँचा कर ही मानती है। इस उपन्यास को पढ़ते वक्त पाठक आसानी से अंदाज़ा लगा लेता है कि लेखक ने उपन्यास लिखने पहले अपना होमवर्क याने के विषय से संबंधित शोध कार्य सही तरीके से किया है ताकि उपन्यास में कहानी की विश्वसनीयता बनी रहे।

पूरे उपन्यास में कई जगह मात्रात्मक ग़लतियों के अलावा एक बात और अखरी कि पूरा उपन्यास एक तरह से प्रैसेंट इंडैफिनेट टैंस में लिखा गया है जैसे...वो खेलता है, वो गाता है, वो रोता है, वो जाता है इत्यादि। ऐसा लग रहा था जैसे लेखक पढ़ने वाले को छोटा बच्चा समझ उसे सरल भाषा में कहानी सुना रहा है। मेरे हिसाब से यही उपन्यास अगर नायक के माध्यम से, जो उस पर बीत रही थी, लिखा गया होता तो ज़्यादा प्रभावी, ज़्यादा असरदार, ज़्यादा मारक बनता।

लेखक ने इस उपन्यास में आम बोलचाल की भाषा का इस्तेमाल किया है जिससे यह उपन्यास आम लोगों में भी अपनी पूरी पकड़ बना पाने में सक्षम है।

अपने पाठकों को मैं बताना चाहूँगा की 95 पृष्ठीय इस किताब को The Marginalised Publication ने 2019 में छापा है और इसका मूल्य ₹200/- रखा गया है जो कि मुझे थोड़ा ज़्यादा लगा। उम्मीद है कि लेखक अपनी आने वाली किताब में इन कमियों को दूर करने का पूरा प्रयास करेंगें। आने वाले भविष्य के लिए लेखक तथा प्रकाशक को बहुत बहुत शुभकामनाएं।