Kashish - 22 in Hindi Love Stories by Seema Saxena books and stories PDF | कशिश - 22

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कशिश - 22

कशिश

सीमा असीम

(22)

लंच ब्रेक में खाने की मेज पर खाना लग गया था, खाने में दाल, चावल और आलू की मसाले वाली सब्जी व सलाद, रोटियाँ अभी नहीं रखी थी ! राघव वही कुर्सी पर बैठे थे उनके पास में एक पहाड़ी लड़की और एक असमियाँ लड़की बैठी हुई थी ! उसे अच्छा नहीं लगा बल्कि बहुत तेज गुस्सा आया ! अरे यह लोग क्यों बैठी हैं, उसे बैठना है वहाँ पर ! हालांकि वहाँ पर कोई खाली कुर्सी नहीं पड़ी थी फिर भी वो उनके पास जाकर बोली, मुझे भी बैठा लो न ?

हाँ हाँ आओ ! एक लड़की खड़े होते हुए बोली !

अरे, नहीं नहीं आप भी बैठ जाओ, हम दोनों शेयर कर लेते हैं !

राघव भी खड़े हो गए और अपनी कुर्सी को भी उसमें जोड़ते हुए बोले, लो अब सब लोग आराम से बैठ जायेंगे !

ऐसा क्यों होता है कि हम किसी को पल भर को भी छोडना नहीं चाहते ? क्या प्रेम का बंधन ऐसा ही होता है ? वो इतना कसकर क्यों बांध लेना चाहता है किसी को, जिससे उसे घुटन का अहसास होने लगे, लेकिन शायद उसकी कोई गलती ही नहीं है ! वो तो कुछ भी नहीं कर रही अपने आप से ही ऐसा होता है ! उसके चाहने से नहीं हो रहा ! राघव उन लोगों से खूब हंस हंस कर बातें कर रहे थे और वो उन लोगों का मुंह देख रही थी भीतर से जलन के मारे मरी जा रही थी !

राघव तुम ऐसा क्यों कर रहे हो, बोलो ? तुम मेरे हो तो सिर्फ मुझे देखो, मुझसे बात करो और पूरी दुनियाँ की तरफ से अपना मन हटा लो !

प्यार में ऐसा ही क्यों नहीं होता ? क्यों दुनियाँ की तरफ देखता है ? क्यों किसी और से भी रिश्ता रखता है !

क्यों हो गया उसे इतना प्रेम? वो क्यों खो गयी उसके प्यार में ? पागलों की हद तक दीवानगी छा गयी है उस पर और बिना सोचे समझे सब कुछ उसके ऊपर निछावर करने को तैयार हो गयी है !

अरे आप लोगों को खाना नहीं खाना है क्या ? उसने बीच में अपनी बात रखते हुए कहा !

हाँ भई, खा लेंगे अभी जरा इन लोगों से जान पहचान तो हो जाये ! राघव अपनी रौ में बोले !

हे भगवान ! ये कैसे इंसान हैं इनको क्या पूरी दुनियाँ से रिश्ता बनाना है ! मुझसे जैसे कोई मतलब ही नहीं है ! मैं इनके आसपास रहना चाहती हूँ और यह मुझसे दूर दूर भागते हैं किसी और का साथ तलाशते हुए ! वो कुछ समझ नहीं पा रही थी ? क्या उसने कोई गलती की है राघव से प्यार करके और उसके साथ सबंध बनाकर !

, चलो यार पहले खाना खा लें ! मुझे लग रहा है पारुल को भूख लगी है !

ओहहो चलो, इनको मेरा ख्याल तो आया !

सबने अपनी अपनी प्लेट उठा ली ! वो बराबर राघव को फालों कर रही थी ! उसने देखा राघव ने प्लेट को पहले नैपकिन से साफ किया और सलाद की प्लेट में से उसमें प्याज के टुकड़े रख लिए, सूखे आलू की सब्जी रखी और एक कटोरी में दाल ले ली !

अरे भाई रोटी मिलेगी या चावल से ही काम चलाना पड़ेगा !

हाँ सर अभी रोटी आ रही हैं !

तब तक एक छोटी डलिया में कपड़े में लिपटी हुई चार रोटी लेकर एक महिला आ गयी !

एक रोटी राघव ने उठाकर अपनी प्लेट में रखी और बाकी की रोटियाँ किसने उठाई पता ही न चला !

तुझे अभी तो बहुत भूख लगी थी, अब खाना नहीं खाना है ?

जी खा रही हूँ ! उसने भी अपनी प्लेट में सलाद, आचार और आलू की सब्जी ली लेकिन दाल नहीं ली क्योंकि वो उसे देखने में ही अच्छी नहीं लग रही थी ! एकदम पतली पतली और जीरे मिर्च से छुंकी हुई ! दाल देखकर ही उसके दिल ने उसे खाने की गवाही नहीं दी ! वैसे भी दाल खाना उसे ज्यादा पसंद भी नहीं है ! अगर टमाटर प्याज से फ्राई की हुई होती, तो प्याज के सहारे खाई जा सकती थी !

वहाँ पर एक डोंगा और रखा हुआ था उसने उसे खोल कर देखा ! हरे पत्ते पड़े हुए हरा हरा पानी जैसा कुछ ! यह क्या है ? मन में सोचा !

वहाँ पर सभी लोग उसको गिलास में लेकर पी रहे थे ! शायद यह सूप है ! उसने भी गिलास में भरा और खाना खाने से पहले ही उसे पी लिया ! स्वाद कुछ खास नहीं था ! चलो पौष्टिक तो है वो मन ही मन बड़बड़ाई ! रोटियाँ तो थी नहीं सो थोड़े से चावल प्लेट में रख कर और एक गिलास में वो सूप जैसा हरा पानी लेकर राघव के पास आकर बैठ गयी !

लीजिये, पहले इसको पियो !

क्या है ?

यह तो नहीं पता लेकिन जो भी है, पौष्टिक है !

राघव ने पिया उसे अच्छा लगा या नहीं लेकिन वो एक गिलास भरकर और पी आए ! वो यूं ही बैठे बैठे मुस्कुरा दी !

न जाने वो कैसा सूप था जिसे पीकर राघव के पेट में दर्द शुरू हो गया और उनको लूस मोशन आने लगे ! वे कमरे में आकर लेट गए ! जब वो राघव के कमरे पर आई तो देखा वे रज़ाई ओढ़कर लेटे हुए हैं !

क्या हुआ आपको ?

अरे यार तुमने कहा था कि यह बहुत अच्छा सूप है और फायदेमंद भी तो मैं तीन गिलास पी गया और अब पेट में दर्द हो रहा है !

मैंने कहा था कि यह सूप है फायदेमंद भी तो इसका मतलब यह तो नहीं है कि आप उसे इतनी अधिक मात्र में पियो ! अति तो हर चीज की बुरी होती है !

सोर्री यार !

इसमें सॉरी मांगने वाली क्या बात है, चलो मैं आपको नमक चीनी मिलकर पानी दे रही हूँ आप उसे पियो आराम मिल जाएगा !

अब तो तू रहने ही दे !

नहीं भाई यह नुकसान नहीं करेगा ! वो मुस्कुराइ !

गिलास में हल्का सा गुनगुना पानी लेकर उसमें एक चुटकी नमक और आधा चम्मच चीनी घोलकर उसने राघव को पीने के लिए दिया !

लो आप इसे आप पियो देखना सब सही हो जाएगा !

चलो एक बार और तेरी बात मान लेता हूँ ! कहते हुए उन्होने उस पानी को बमुश्किल पिया !

ठंडा मौसम और लूस मोशन ! राघव तो एकदम से सिकुड़ गए !

आप अब आराम से लेटे रहिए मैं थोड़ी देर में आ रही हूँ !

शाम के चार बज रहे थे लेकिन ठंडा प्रदेश होने के नाते अंधेरा छाया हुआ मानों अभी से ही शाम हो गयी हो वैसे यहाँ सुबह सूरज भी सबसे पहले निकलता है और शाम भी सबसे पहले होती है ! सब लोग अपने अपने कमरों में आराम कर रहे थे बाहर रोड पर पर भी एक्का दुक्का लोग ही चलते फिरते दिखाई दे रहे थे !

कहाँ जाये वो और किससे पुछे कि यहाँ पर मेडिकल स्टोर कहाँ है ?

खैर अंधे के बल राम यह सोचते हुए वो आगे बढ़ी उसे राघव के लिए दवाई तो लानी ही है ! तभी सामने से एक लड़का आता दिखा करीब उन्नीस बीस बरस का रहा होगा ! टाइट जींस पर ढीली ढीली शर्ट पहने हुए थोड़े लंबे बाल लाल रंग से कलर किए हुए !

इसे हिन्दी आती होगी ? उसे अपने हिन्दी ज्ञान पर आज सकुचाहट महसूस हुई !

भाई यहाँ पर कोई दवाई की दुकान है जैसे मेडिकल स्टोर्स !

हाँ हाँ, है न ! आप आगे जाइए आपको बाबा रामदेव का स्टोर मिलेगा उसी के बराबर में एक मेडिकल स्टोर है जहां पर अङ्ग्रेज़ी दवाइयाँ मिलती हैं !

थैंक यू भाई ! उसे बड़ी खुशी महसूस हुई कि उसे इतनी अच्छी हिन्दी बोलनी आती है उससे भी अच्छी ! वैसे अरुणाचल के लोग बहुत ही बढ़िया हिन्दी बोलते है यह मुझे बाद में पता चला था ! राघव ने ही बताया कि एक यह प्रदेश ही ऐसा है जहां हिन्दी को बहुत बढ़ावा दिया जाता है !

खैर वो ऊंचे नीचे ढलान भरे रास्ते से चढ़ती उतरती हुई उस जगह पर पहुँच गयी जहां पर दुकाने शुरू होती थी ! गरम कपड़ों की दुकाने कुछ ज्यादा थी बाकी सब तरह की दुकाने भी प्रचुर मात्र में सजी हुई थी एकसार करके बनाया गया वो बाजार किसी मैदानी इलाके जैसा ही लग रहा था ! अब उसे तलाश थी मेडिकल स्टोर की, जहां से वो दवाइयाँ खरीद सके !

अंजान शहर और दवाई की तलाश में अकेली भटकती हुई वो ! चाह को राह और आखिर उसे बाबा रामदेव का पतंजलि स्टोर दिख गया ! वहाँ से उसने हाजमे के लिए गोलियां खरीदी लेकिन यह तो समय लेगी उनको अभी फौरन आराम चाहिए अतः मेडिसिन लेनी ही होगी ! बराबर में ही मेडिकल स्टोर था उसने वहाँ से कुछ टेबलेट्स ली और वापस चल दी ! रास्ते में गरम कपड़ों की सजी हुई दुकानों में बहुत सुंदर सुंदर जैकेट्स टंगी हुई थी, उसका ध्यान उनमें अटक गया ! उसकी अपनी जैकेट यहाँ की सर्दी के हिसाब से गरम नहीं है ! उसे एक जैकेट अपने लिए खरीद लेनी चाहिए ! अभी ज्यादा पैसे लेकर नहीं आई है और अकेले खरीदेगी तो हो सकता है यहाँ के लोग उसे अजनबी या परदेसी समझ कर उसे बेवकूफ बना दे ! चलो अभी सीधे अपने रूम पर चलते हैं अगर और लोग भी शॉपिंग करेंगे तभी वो भी कर लेगी और संग साथ में रहने से कोई मूर्ख भी नहीं बना पाएगा ! खुद से ही अपने सवालों के जवाब देती और मन ही मन सोचती विचारती चली आ रही थी ! एक ही रास्ता था सीधा सा बाकी और भी बीच बीच में रास्ते कट रहे थे लेकिन वे या तो ढलाव भरे थे या फिर चढ़ाव लिए हुए कच्ची पंगडंडी के ! वो उसी पक्के रास्ते पर बराबर चलती रही जिधर से आई थी और वो यही सीधा पक्का रास्ता था !

पारुल होटल के गेट तक पहुँच गयी थी !

अरे तुम कहाँ चली गयी थी ? यहाँ सब लोग परेशान हो गए ! बाहर गेट के पास ही खड़ी हुई मैडम ने उसे टोंकते हुए कहा !

वो कुछ बोल पाती उससे पहले ही उसके हाथ में पकड़ी हुई दवाइयों ने उसकी चुगली कर दी !

वे दवाइयों की तरफ देखती हुई बोली किसके लिए दवाई लायी हो ? क्या हुआ तुम्हें ? बता देती तबीयत खराब है तो मैं खुद ही कहीं से इंतजाम करवा देती ! उसे कुछ कहने का मौका दिये बिना ही वे नाराज होती हुई अंदर चली गयी !

ओह माय गॉड ! यह कितना बोलती हैं ? मतलब किसी और को नहीं बोलना है बस अपनी कही और बात खत्म ! पारुल सीधे राघव के कमरे में पहुंची देखा राघव कंबल को कसकर लपेटे हुए अपने कमरे में ही लेते हुए हैं ! जैसे वो उनको छोडकर दवाई लेने गयी थी ठीक उसी तरह उसी करवट से ! शायद इनकी तबीयत थी नहीं है ? शायद अभी गहरी नींद में हैं ? क्या करूँ ? उसे कुछ समझ में नहीं आया ! वो वही पर पड़ी कुर्सी पर बैठ गयी ! यूं ही राघव का चेहरा निहारते हुए ! आँखें बंद किए हुए होने के बाद भी ऐसा लगा मानों राघव उसे ही ताक रहे हैं ! कितने भोले हैं राघव ! कितने प्यारे हैं राघव ! मेरा प्यार ! मेरा सच्चा प्यार ! आई लव यू ! आई लव यू राघव ! मन ही मन बड़बड़ाते हुए वो कुछ भावुक सी हो गयी ! कितनी पागल है वो रात का समय होने को आया और वो अकेले राघव के कमरे में बैठी हुई है अगर किसी ने यूं देख लिया तो न जाने कितनी बाते बनाएगा ! ना जाने क्या क्या सोचेगा ? हुंह कहने दो ! उसने अपने सर को झटक कर इन बातों को दिमाग से हटाया ! प्यार किया तो डरना कैसा और किससे यह तो दुनिया है कुछ न कुछ तो कहेगी ही ! कहने दो इसे ! उसने अपने दोनों कानों पर हाथ लगाए !

जब उस ईश्वर से कोई पर्दा नहीं तो इन दुनियाँ वालों से क्या शर्म करूँ ! वो प्रेम करती है और प्रेम कोई गुनाह नहीं है ! न जाने और कितनी देर तक यूं ही बैठी सोचती रहती अगर राघव ने करवट न बदली होती !

पारुल ! राघव ने आवाज दी !

जी मैं यहाँ पर ही हूँ !

लीजिये मैं आपके लिए दवाई ले आई हूँ आप इसे खा लो !

तुम दवाई कहाँ से लायी ?

यहाँ के बाजार से !

किसके साथ गयी थी ?

मैं अकेले ही गयी !

पागल है तू ! मैं अपनी दवाई हमेशा अपने साथ ही रखता हूँ और जरूरत होती तो मैं अपने किसी बंदे से मंगा लेता !

उसे लगा जैसे उसकी तो कोई अहमियत ही नहीं है ! वो उदास सी हो गयी इतनी दूर से जाकर दवाई लाने के बाद भी उनको पारुल की फीलिंग का कोई अहसास ही नहीं ! खैर जाने दो ! मन को समझाते हुए उसने राघव से कहा, आप यह दवाई रख लीजिये, जरूरत पड़ने पर मेडिसिन ले लेना और हाजमे की गोलियां अभी खा लीजिये ! उसने शीशी का ढक्कन खोल कर देते हुए राघव से कहा !

राघव ने उसकी तरफ एक नजर डाली और हल्की सी मुस्कान उसकी तरफ फेंकी ! बिना कुछ कहे और बोले वे उठकर बैठ गये ! कमरे में हल्की सी रोशनी थी !

बिना किसी संगीत या धुन के ही मधुर तान सी छिड़ी हुई थी ! बिना कुछ कहे या बोले अनवरत बातें चल रही थी ! बिना किसी साज के पाँव थिरक रहे थे ! शीतल हावाए आ आ कर चेहरे को छु जा रही थी ! मन प्रेम राग गा रहे थे और दो रूहें झूम रही थी !

***