Kashish - 18 in Hindi Love Stories by Seema Saxena books and stories PDF | कशिश - 18

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कशिश - 18

कशिश

सीमा असीम

(18)

पारुल चलो जल्दी से पहले अपने रुम पर पहुँचो फिर बात करना ! राघव ने उसे फोन मिलाते हुए देखकर टोंका !

अरे मैं तो इनको मना नहीं करती कि यह मत करो, वो मत करो ! उसे राघव का यूं टोंकना अच्छा नहीं लगा फिर भी अपना मोबाइल पर्स में डाल लिया !! अरे जाना किधर है यहाँ तो कोई बिल्डिंग नजर नहीं आ रही है !

लड़का सारा सामान लेकर चला गया था किधर से गया और कहाँ से गया ! राघव ने कार वाले को पेमेंट किया और पीछे की कि तरफ जाने लगे, पारुल भी उनके साथ हो ली. जैसे कोई अंजाना सा बंधन है जो उन्हें बिना बांधे ही बांध चुका है !

तेरे मेरे बीच में कैसा है यह बंधन अंजाना, मैंने नहीं जाना तूने नहीं जाना ! यह गाना कहीं दूर से बजता हुआ उसके कानों में पड़ा !

राघव के पीछे पीछे चलती हुई वो उस होटल में आ गयी, जहां उन दोनों को रात गुजारनी थी और फिर सुबह होते ही वहाँ से निकलना था ! क्योंकि अभी करीब तीन घंटे का सफर और पूरा करना था तब जाकर वे अपने गंतव्य तक पहुँच पाएंगे ! उन दोनों के बीच अभी भी चुप्पी छाई हुई थी ! कोई किसी से कुछ कह या सुन नहीं रहा था लेकिन उन दोनों के दरम्यान न जाने कितनी बातें हो रही थी !

रिसेप्शन काउंटर पर दो लड़के खड़े हुए थे एक लैपटॉप पर कोई काम करता हुआ दूसरा रजिस्टर में पैन से लिखता हुआ !

लैपटॉप पर काम करने वाले लड़के के पास जाकर राघव ने कुछ कहा ! वो सुन नहीं पाई क्योंकि वो राघव के पीछे थोड़ी दूरी पर खड़ी हुई थी ! उस लड़के ने लैपटॉप से नजरें हटाकर चश्में के पीछे से उसकी तरफ देखते हुए राघव से बात की ! थोड़ी देर तक उससे बात करने के बाद राघव उसके पास आए और उसका आई कार्ड मांगा !

अरे वो तो बैग में रखा हुआ है ! बैग किधर हैं ? उसने इधर उधर झाँकते हुए पूछा !

वो देखो उधर काउंटर के पास रखे हुए हैं ! राघव ने उंगली का इशारा करते हुए बताया !

आखिर व्रत तो मौन व्रत टूटा !

वो हल्के से मुस्कुराइ और काउंटर की तरफ जाने लगी जिधर बैग रखे थे ! उसके पैरों में पहनी हुई सेंडिल की खट खट से वे दोनों लड़के भी उसकी तरफ देखने लगे ! उसे बहुत ही ज्यादा अजीब सा लगा ! शायद राघव ने उसके मन की बात को समझ लिया था सो वे बोले .....पारुल तुम इधर ही रुको, मैं बैग उठा कर लाता हूँ ! उसने तेजी से कदम बढाते हुए बैग को उठाया और उसके पास रखते हुए कहा, आइंदा से अपना आई कार्ड हमेशा अपने हैंड बैग में रखना !

पारुल ने बड़ी मासूमियत से अपना सिर हाँ मे हिलाते हुए कहा !

राघव ने उसका और अपना रिलेशन भाई बहन का बताया लेकिन उसे यह झूठ, फ्रॉड बिलकुल भी पसंद नहीं ! फिर क्या बताता ? उसने खुद से सवाल जवाब किया ! अरे सच बता देते कोई यह लोग हमारे रिश्तेदार तो हैं नहीं ? हाँ शायद इसीलिए रिश्ता नहीं बताया कि यह लोग हमारे कोई भी नहीं हैं ! लेकिन वो बताता क्या और कैसे बताता ? क्योंकि आज भी समाज मे एक लड़की और लड़के की दोस्ती को इज्ज़त की नजर नहीं देखा जाता और फिर ऐसे रिश्तों को जमाने की नजर भी बड़ी जल्दी लगती है !

काउंटर पर खड़े चश्मे वाले लड़के ने एक लड़के को बुलाकर कमरे की चाबी का गुच्छा दिया !

क्या एक ही रुम लिया है ? उसने हिम्मत करके राघव से पूछना चाहा लेकिन उसकी चुप्पी देखकर वो चुप ही रही !

अब दोनों ही उस पतले दुबले सावले से लड़के के पीछे पीछे चल रहे थे ! उसने एक लॉबी पार करके लिफ्ट में सारा समान रखकर खुद एक किनारे से खड़ा हो गया फिर बराबर वाली लिफ्ट की तरफ इशारा करते हुए कहा ! आप लोग उस लिफ्ट से आ जाइए ! वे दोनों जल्दी से उस लिफ्ट की तरफ बढ गए ! थकान बहुत हो रही थी और ऐसा लग रहा था कि जल्दी से बिस्तर मिल जाये और आराम से चैन की नींद सो लिया जाये !

ऊपर पहुँच कर देखा कि उस लड़के ने उन लोगों का समान कमरों में रख दिया था और चाबी पकडाते हुए बोला, लीजिये साब जी !

वो दो चाबियाँ थी दो कमरों की ! राघव ने एक कमरे की तरफ इशारा किया कि आप उधर चले जाओ और स्वय बराबर वाले रुम में चला गया ! पारुल कमरे के अंदर आ गयी ! वो छोटा सा सुंदर तरीके से सजा हुआ कमरा था ! एक सिंगल बैड उस पर पिंक कलर की फ्लॉवर वाली चादर बिछी थी मैचिंग का तकिया कवर और मोटा सा कंबल तह बनाकर बैड पर एक किनारे रखा हुआ ! एक टैबल दो सोफ़ेनुमा कुरसियां ! दूसरी तरफ को ऊंची सी टैबल और एक कुर्सी जिस पर बैठ कर कुछ लिखा पढ़ा जा सके ! एक तरफ को बड़ा सा आदमक़द आईना स्टूल और बैड के पास ही बड़ी सी कबर्ड ! कमरे में प्रकृति को दर्शाती हुई एक पेंटिंग दीवर पर लगी हुई थी बैड के पास जमीन में ऊंचा सा फ्लावर पाट भी रखा हुआ ! उसे इतनी जायदा थकान हो रही थी कि वो बिना जूते उतारे ही बैड पर लेट गयी ! आँखों में नींद भरी हुई थी लेकिन दिमाग में मंथन चल रहा था कि इतनी देर से राघव कोई बात ही नहीं कर रहा, क्या हो गया ऐसा ? उसने तो कोई बुरी लगने वाली बात भी नहीं कही ! मन में उदासी सी भर गयी ! अगर राघव ने बात नहीं की तो वो क्या करेगी और उसे कैसे मनाएगी ! वो जब तक बात नहीं करेगा मन ऐसे ही उदास रहेगा और फिर इतने दिन उदासी में कैसे काटेगी, उसे उदास रहना बिलकुल भी पसंद नहीं है ! अब वो क्या करे ? मन परेशान हो तो फिर दुनियाँ के ऐशों आराम भी मन को सकूँ नहीं देते हैं ! उसने अपनी आँखें कसकर बंद कर रखी थी लेकिन मन में अजीब सी बेचैनी थी ! तभी दरवाजे पर हल्की सी नाक की आवाज आई ! उसने अपनी आंखे खोली देखा सामने राघव खड़े थे सफ़ेद रंग के चमचमाते कुर्ते पैजामे को पहने हुए !

अरे आपने अपने कपड़े चेंज कर लिए !

राघव ने बिना कुछ बोले हाँ में सिर हिलाया !

उसे लगा राघव टोंकेंगे कि आपने अपने कपड़े अभी तक क्यों नहीं बदले लेकिन उन्होने ऐसा कुछ नहीं कहा !

वे सोफ़े पर बैठ गए और सिगरेट सुलगा ली ! दो चार कश लेने के बाद सिगरेट मेज पर रखी हुई ऐश ट्रे में डाल दी !

राघव क्या हुआ है तुम्हें ? तुम इस तरह चुप रहना अच्छा लगता है ? मैंने तो जब भी देखा हैं तुमको हँसते, मुस्कराते और बातें करते हुए ही पाया है फिर आज यह इतनी गंभीरता कैसे ? यह चुप्पी क्यों ?

अनेकों सवाल मन में उमड़ रहे थे लेकिन उसका मन इतनी हिम्मत न कर पा रहा था कि इन सब सवालों को उनसे पूछ सके !

पारुल खाने में क्या लोगी ?

चलो मौन तो टूटा ! पारुल ने सोचा !

अरे यूं मुझे क्या देख रही हो ? खाने का बताओ या पहले चाय लोगी ? राघव मुस्कराते उए बोले !

यह इस तरह से मुस्करा कर जब बोलते हैं तब बहुत अच्छे लगते हैं !

अरे भाई मैं आपसे ही कह रहा हूँ ! सुनो पारुल ! राघव ने थोड़ा ज़ोर से बोलते हुए कहा !

हाँ जी मैं सुन रही हूँ ! पारुल ने एकदम से संयमित स्वर मे कहा !

तो बताओ न बाबा ... क्या लोगी ? पहले चाय या खाना ?

जो भी आपका मन करे !

नहीं जी, आप बताइये ?

हे भगवान ! क्या कहूँ इनसे ! ऐसा कीजिये खाना ही मँगवा लेते हैं क्योंकि चाय पीने से भूख मर जाएगी ! हालांकि थकान की बजह से चाय ही पीने का मन कर रहा था !

अब यह बताओ कि खाने में क्या लोगी ?

ओहह माय गॉड ! अब यह भी मुझे ही बताना होगा ! उसने मन में सोचा ! आलू गोभी की सूखी सब्जी, दालफ्राई, सलाद और रोटियाँ ! पारुल ने मैन्यु देखते हुए कहा !

राघव ने इंटरकाम से रिसेप्शन पर फोन करके खाने का ऑर्डर कर दिया !

थोड़ी देर में बेल बजी ! कम ऑन प्लीज ! राघव ने कहा !

हाथ में ट्रे पकड़े हुए बेटर ने कमरे में प्रवेश किया ! उसने बड़े सलीके से ट्रे को टेबल पर रखा ! मेज पर पानी की बोतल, गिलास, प्लेटे, दो बाउल और दो सूप के बाउल रखे, एक बड़ा बाउल उसमें कॉर्न सूप था ! दो सूप स्टिक, जो पैक की हुई थी ! नैपकिन का डब्बा रखा और कमरे से बाहर चला गया !

राघव ने एक नैपकिन निकाली उसे सूप वाली प्लेट में रखा, सूप स्टिक खोलकर बाउल में डाली और बड़े प्यार से बाउल वाली प्लेट उठाकर पारुल के हाथ में दी !

पारुल बिना पलक झपकाए बड़े प्यार से एकटक राघव को देखे जा रही थी ! आई लव यू राघव,,,उसके अंदर से आवाज आई,लव यू टू,,मानों राघव ने उसे रिप्लाय किया हो !

अरे भाई यूं ही देखती ही रहोगी या इसको पियोगी भी ! राघव की आवाज पर वो चौकी !

हाँ हाँ, पी रही हूँ ! पारुल ऐसे हडबड़ा गयी मानों उसकी चोरी पकड़ी गयी हो !

आप भी तो लीजिये !

हाँ मैं भी ले रहा हूँ ! मेरा तो फेवरेट है कॉर्न सूप !

हाँ मेरा भी !

वाह ! क्या बात है ! एक सी पसंद ! राघव ने मुस्कराते हुए कहा !

कमरे में अनोखा उत्साह पूर्ण माहौल बन गया था, जहां बातें तो कम हो रही थी लेकिन मन में उमंग जग कर मचलने लगी थी !!

दोनों के मन में ढेर सारी बातें थी लेकिन बात शुरू करने का सिरा नहीं मिल पा रहा था ! बस चुपचाप से सूप पीना और कभी कभी एक दूसरे को आँख बचाकर कनखियों से देख लेना और नजर मिल जाने पर मुस्करा देना !

***