Kashish - 17 in Hindi Love Stories by Seema Saxena books and stories PDF | कशिश - 17

Featured Books
Categories
Share

कशिश - 17

कशिश

सीमा असीम

(17)

अभी और कितनी दूर है और कितना समय लगेगा !

अभी टेकसी वाले से पूछ कर तुम्हें बताता हूँ !

ड्राइवर अपनी ही धुन मे मस्त था गाना बज रहा था ! चला जाता हूँ किसी की धुन में धड़कते दिल के तराने लिए !

सच में यह पुराने गाने कितने सुमधुर होते हैं इनको सुनो तो इनकी लय तान में ही खोते चले जाओ ! आज के गानो से इनकी कंपरिजन ही नहीं की जा सकती !

भाई कितनी दूर है अभी, मतलब कितना समय लगेगा ? राघव ने थोड़ी तेज आवाज में उससे पूछा !

जी भाई जी, अभी करीब दो घंटे लग जाएंगे !

लेकिन भाई आपने तो कहा था तीन घंटे मे पहुंचा दोगे ! हमे तीन घंटे तो हो गए हैं चलते हुए !

अरे भाई जी, रात का समय है गाड़ी थोड़ी धीरे चलानी पड़ती है !

पारुल को थोड़ा डर का अहसास हुआ ! फिर ख्याल आया अरे उसके साथ तो राघव है तो डर चिंता फिक्र कैसी ?

आप चिंता न करो भाई जी, मैं जल्दी ही पंहुचने की कोशिश करूंगा आप निश्चिंत रहे !

अरे मेरे भाई, मैं भला तेरे रहते हुए चिंता फिक्र क्यों करूंगा !

सुनो भाई जी, बाहर बहुत ही अच्छा मौसम है लेकिन आप लोग भूलकर भी खिड़की मत खोलना !

क्यों भाई ?

क्योंकि यहाँ पर ही कार्बेट पार्क है और अंधेरा होने के बाद जानबर बाहर आ जाते हैं कभी कभी तो बीच सड़क पर आकर जानवर लेट जाते हैं ! एक बार तो रस्ता ही बंद हो गया था और फिर मुझे वापस लौटना पड़ा था !

अच्छा !

हाँ जी ! हुआ यह कि आँधी आने से पेड़ टूट कर गिर गए और सड़क के बीचों बीच में एक हाथी आकर बैठ गया और रास्ता जाम ! कई बार तो अटैक भी कर देते हैं इसलिए यह रास्ता रात मे चलने के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया है !

ओहह ! पारुल यह सब बातें सुनकर घबरा सी गयी !

यार देर तो तुमने ही की है ! थोड़ा जल्दी निकलते तो अभी तक पहुँच गए होते !

चलो भाई, देर हो गयी इसके लिए माफ कर दो !

माफी किस बात की ! हो जाता है कई बार ऐसा ! अब यहाँ से फटाफट निकाल लो !

ठीक है जी !

गाड़ी की रफ्तार पहले से थोड़ी बढ़ा दी गयी थी ! मौसम में ठंडक बढ़ रही थी ! पारुल ने तो बस मामूली सा हल्का फुल्का कुर्ता और जींस पहना हुआ था ! उसने अपने दोनों हाथों को कसकर अपने आसपास लपेट सा लिया ! राघव उठकर बैठ गए थे और सिगरेट की डिब्बी से सिगरेट निकाल कर अपने होठों से लगा ली उन्होने माचिस निकाल कर उसमे से एक तीली लेकर जलाने का उपक्रम किया और सिगरेट जलने के बाद खिड़की का थोड़ा सा शीशा नीचे गिरा दिया ! एक तेज हवा का झोंका आया और ठंडी हवा के साथ सिगरेट का ढेर सारा धुआँ भी टेकसी में फ़ेल गया ! उसे कभी भी सिगरेट का धुआँ पसंद नहीं था परंतु आज न जाने क्यो ऐसा लग रहा था कि राघव सिगरेट का सारा धुआँ उसके चेहरे पर फेंक दे और वो अपनी आंखे बंद करके उस घूएँ के बादल में डूब जाए जाये ! राघव ने बस थोड़ी सी ही सिगरेट पी और बाकी की बाहर फेंक दी ! उसे बुरा लगा पता नहीं क्यों उसे अच्छा नहीं लगा लेकिन उसने कुछ भी नहीं कहा और चुपचाप चेहरे को हाथों पर रखे बैठी रही !

टेकसी में गाना बज रहा था उडी उडी जाये, उडी उडी जाये दिल की पतंग देखो उडी उडी जाये ! यह गाने भी तो देखो कैसे सटीक होते हैं हर वक्त और मौसम के अनुकूल बनाए हुए से !

अब थोड़ी दूरी पर हल्की हल्की लाइटें जलती हुई दिखाई दे रही थी शायद हम पहुँच गए हैं ! पारुल ने मन में सोचा !

राघव न जाने क्या सोच रहे थे जो इतनी देर से एकदम शांत बैठे हुए थे क्योंकि जब से वो राघव को जानती है उसने कभी भी इस तरह से इतना उदास और शांत कभी नहीं देखा ! क्या वे उससे नाराज हो गए हैं ? क्या अब वे उससे बात नहीं करेंगे ? अगर वे उससे बात नहीं करेंगे तो फिर उसका मन कैसे लगेगा ? न जाने कितनी ही बातें और सवाल उसके मन में उमड़ आए ! उनको शायद सिगरेट की तलब लग आई थी और वे सिगरेट पीने के लिए खिड़की खोल रहे थे ! उन्होने माचिस जला कर सिगरेट सुलगाई और उसका धुआँ बाहर की तरफ फेंकने लगे लेकिन हवा के सहारे धुआँ बाहर न निकल कर सीधे उसके पास आ रहा था ! वो फिर से उस धुये के बादल में खोने लगी ! यह मात्र धुआँ नहीं रह गया था बल्कि यह उसके प्रिय का प्यारा साथी अब उसके मन को भाने लगा था ! जबकि आज से पहले कभी भी ज़रा सा सिगरेट का धुआँ उसकी नाक मे चला जाये या उसके पास बैठे कोई व्यक्ति सिगरेट पी रहा हो, तो पारुल फौरन उससे झगड़ पड़ती ! आपको इतना भी नहीं पता कि सरकार ने पब्लिक प्लेस पर धूम्रपान निषेध कर दिया है आप स्मोकिंग जोन मे जाकर पीजिए ! उसकी इतनी बात सुनकर सामने वाला बंदा बेचारा घबरा जाता और अब वही चीज उसे भा रही थी उसके मन को खुशी और सकूँ से भर रही थी ! वैसे ऐसा ही होता है जब हम खुश होते हैं तब हमें वो हर चीज भी अच्छी लगने लगती है जो हमें कभी पसंद नहीं हुआ करती थी !

वो आज वाकई बेहद खुश थी जिंदगी में सबसे ज्यादा खुश क्योंकि उसकी जिंदगी में यह खुशी सबसे जुदा थी सबसे अलग, एक अनोखा और खूबसूरत अहसास लेकर खुशी ने उसके दिल पर दस्तक जो दे दी थी ! उसे ऐसा महसूस हो रहा था कि आज वो इस जमीन पर नहीं बल्कि आसमान में उड़ रही है ! अनोखा अहसास, अनोखी खुशी उसके मन को उछाल दे रही थी और वो स्वयं को एकदम से हल्का फुल्का सा महसूस कर रही थी !

प्यार का तो अहसास भर ही हमे जीने का सहारा दे देता और वो तो आज अपने मन के साथी हमदम हमनबाज प्रिय के साथ है ! लेकिन वो चुप क्यों हैं उसे यह बात अच्छी नहीं लग रही थी !

राघव वो खूब ज़ोर से आवाज लगाना चाहती थी लेकिन उसकी आवाज उसकी हलक में ही अटक गयी ! अब टेकसी किसी शहर में दाखिल हो चुकी थी ! शायद इसी शहर में उतरना हो ? उसने मोबाइल में समय देखा करीब आठ बजने वाले थे ! ये राघव को क्या हुआ है ? यह बोल क्यों नहीं रहे ? मन अशांत सा हो रहा था !

लो सर जी हम पहुँच गए अपने ठिकाने पर ! टेकसी ड्रायवर ने उस शांति को तोड़ते हुए कहा !

राघव ने बिना कोई जवाब दिये फोन निकाला और उसमे नं डायल करने लगे ! हाँ बता यार ! क्या हाल हैं ?

ठीक है भाई, सब बढ़िया ! चल अब जल्दी से होटल का पता बता दे ? एक काम कर, इस ड्राइवर को ही बता दे क्योंकि पहुंचाना तो उसने ही है और मैं यहाँ के रास्ते जानता नहीं तो उसे कैसे समझा पाऊँगा !

ले भाई जरा रास्ता समझ ले ! राघव ने फोन ड्राइवर के हाथ में पकड़ाते हुए कहा !

अंजान सा शहर ! नये रास्ते और जिंदगी एक नया अनुभव ! पारुल एक एक पल को अपनी यादों में सँजो लेना चाहती थी !

टैक्सी कई घुमावदार रस्तों को पार करते हुए एक चौराहे के पास जाकर रुक गयी थी !

अरे यह कौन सी जगह है यहाँ तो घर नजर ही नहीं आ रहे ! हर तरफ दुकाने और सिर्फ दुकाने !

राघव नीचे उतर के अपोजिट सईद में मूड गए थे ! थोड़ी ही देर में वे लौट आए उनके साथ में एक लड़का था दुबला पतला सावला करीब बीस बाईस साल का !

चल भाई डिक्की खोल, सामान निकलवाना है !

ड्राइवर बडी फुर्ती से नीचे उतरा और डिक्की खोल कर सामान निकलवाने लगा !

पारुल भी कर का गेट खोलकर बाहर निकल आई ! राघव अभी भी पूरी तरह से चुप ही थे बस मतलब की बात कह रहे थे ! उससे तो काफी देर से कुछ कहा ही नहीं ! क्या वे उससे नाराज हो गए हैं ? लेकिन उसने तो कोई ऐसी बात की ही नहीं जिससे वे नाराज हो गए ! मन की सारी खुशी न जाने कहाँ काफ़ुर हो चुकी थी और इस समय घर और पापा की याद आने लगी थी ! मम्मी पता नहीं क्या कर रही होंगी ? उसने मन में सोचा !

अरे फोन कर लेती हूँ ! शायद वे लोग उसे याद कर रहे हो ? वे फोन भी तो कर सकते थे ! क्यों नहीं किया फोन ? पारुल के मन में चिंता का भाव उमड़ आया ! चलो मैं ही कर लेती हूँ ! सोचते हुए उसने अपने पर्स मे से फोन निकाला और नं मिलाने लगी !

***