Vivek aur 41 Minutes - 21 - last part in Hindi Detective stories by S Bhagyam Sharma books and stories PDF | विवेक और 41 मिनिट - 21 - अंतिम भाग

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विवेक और 41 मिनिट - 21 - अंतिम भाग

विवेक और 41 मिनिट..........

तमिल लेखक राजेश कुमार

हिन्दी अनुवादक एस. भाग्यम शर्मा

संपादक रितु वर्मा

अध्याय 21

लॉक अप |

पकडे जाने का सदमा चेहरे परलिए होने पर भी विवेक के पूछे गए प्रश्नों का गोकुलवासन नॉर्मल ढंग से जवाब दे रहा था | उसके चारों ओर डी. जी. पी. शर्मा, सिकंदर के अलावा पुलिस के बड़े अधिकारी लोग दिखाई दे रहे थे |

“तुम्हारे पिता जी और कार ड्राइवर दुरैमाणिकम उन दोनों को खत्म करना है यह विचार तुमने एक महीने पहले ही सोच लिया था ऐसा ही है ना ?”

“हाँ..........!”

“वह इल्जाम विनोदकुमार के ऊपर डालने के लिए धमकी और ऑडियो केसेटों तुमने भेजे ?”

“हाँ साहब......... ! अप्पा एक जज होते हुए कानून के विपरीतजा कर सभी गलत कार्य कर रहे थे | दांत पीस कर सबको मैं सहन कर रहा था | परंतु जिसे पुत्री समझना चाहिए ऐसी बहू को भोग की वस्तु जब समझा उसी दिन ‘अब इन्हें जीवित नहीं रहना चाहिए ’ ऐसा मैंने फैसला ले लिया | वॉचमेन नागराज मेरा विश्वास पात्र आदमी था | उसका मैंने उपयोग किया पहले अप्पा के गलत कामों में साथ देने वाले ड्राइवर दुरैमाणिकम को पहले भेजा | विनोद कुमार का फैसला सुनाने के बाद ही अप्पा को खत्म करने की योजना बनाई थी | उसके पहले पिछले हफ्ते अप्पा ने सुभद्रा से गलत ढंग से पेश आने की कोशिश की तभी उन्हें खत्म करने का फैसला ले लिया | उन्हें मारने के बाद मुझे जिसने पैदा किया उसको मार दिया इस तरह की कोई भी मन में घबराहट या संशय का स्थान नहीं था | कोई एक बदमाश की हत्या की ऐसी खुशी हुई | देखें तो ये भी एक प्रकार का एनकाउंटर ही था | इस एनकाउंटर को यदि गलत बोलें तो मैं इसके लिए दंड पाने को तैयार हूँ |”

विवेक मुस्कुराया | “जिद्द न करके सच को मान लिया, तुमको बहुत धन्यवाद गोकुलवासन | तुम्हारे अपने ख्याल में तुमने जो किया वह न्याय लग सकता है परंतु कानून की तरफ से वह गलत है | आपके ऊपर मुझे कैसे संदेह हुआ उसका कारण भी मैं बता देता हूँ | तुम्हारे अप्पा को इस तरह के पत्र आएंगे इस बात को मालूम करने के लिए तुम्हारे स्पीड पोस्टमेन सुंदरेशन को उसके घर पर ही मिला | उनसे पूछताछ करते समय उसने जो सूचना दी उसने मन को हिलाया | आप और आपके अप्पा बीस दिन पहले दोनों ज़ोर-ज़ोर से वाद-विवाद कर रहे थे फिर लड़ाई कर रहे थे और रजिस्ट्री देने गए पोस्टमेन सुंदरेशन ने उसे सुना ऐसा वह बोला | उसका दिया उस समाचार ने तुम दोनों के बीच कोई जमीन जायदाद की कोई समस्या होगी क्या ये सोचने को मजबूर किया | आपसे सच उगलवाने के लिए क्या करें ऐसे मैं और मेरा दोस्त सी. बी. जी. सिकंदर ने अकेले बैठ कर सोचाऔर 41 मिनिट की एक विशेष योजना बनाई | रात के समय कास्मोपोलिटन क्लब जाकर घर वापस जाते आपका सिकंदर ने बंदूक की नोक पर अपहरण किया | ये योजना बिलकुल प्राकृतिक लगे और तीव्रता से पूरी हो इसीलिए इस योजना को किसी आदमी को नहीं बताया यहाँ तक कि डी. जी. पी. शर्मा को भी नहीं |”

विवेक ने गोकुलवासन से पूछताछ समाप्त करके बाहर आते समय देखा, विष्णु से पत्रकार लोग प्रश्न पूछकर असमंजस में डाल रहे थे जिसका वह जवाब दे रहा था |

घूस, बदमाशी, नीति विरुद्ध काम से करोड़ों-करोड़ों रुपये कमा कर जज सुंदर पांडियन ने जो प्रॉपर्टी बनाई उसको छीन लेंगे क्या ?”

“जरूर”

“पुष्पवासन की हत्या हो गई क्या ? या जीवित है ?”

“एक अभिनेत्री के दिये स्टेटमेंट के अनुसार दुरैमाणिकम ने पुष्पवासन की हत्या कर केसेट हाउस बगीचे में दफना दिया होगा | जासूसी कुत्तों की मदद से कल वह बॉडी को खोद कर निकाल सकते हैं |”

“जिसे कानून और न्याय का रक्षक देवता जैसे रहना चाहिए वह न्यायाधीश ऐसे गंदे ढंग से रहते थे इसका क्या कारण है ?”

“कलियुग” विष्णु बोला |

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