विवेक और 41 मिनिट..........
तमिल लेखक राजेश कुमार
हिन्दी अनुवादक एस. भाग्यम शर्मा
संपादक रितु वर्मा
अध्याय 19
पुलिस कंट्रोल रूम में उतावली व फुर्ती भरा माहौल था | वायरलेस बोले जा रहा था | विवेक एक वायरलेस के सामने बैठकर बिजली के वेग से लोगों को निर्देश दे रहा था |
“स्कॉट नंबर पाँच | किस एरिया में हो.......?”
“अडैयार”
“एक सड़क को भी मत छोड़िएगा........... गोकुल वासन की कार टोयोटा, रंग अटलांटिक ब्लू........... रेजिस्ट्रेशन नंबर T.N. 41. L 8887”
“नोटड सर.........”
“स्कॉट नंबर इलेवन”
“साहब.....”
“रिपोर्ट ?”
“नॉट फाउंड सर”
“कमांडो फोर्स ?”
“सर.........”
“कहाँ हो ?”
“ऑलवारपैटै में”
“रिज़ल्ट ?”
“नॉट फाउंड सर”
डी. जी. पी. शर्मा अंदर आए |
विवेक पास बैठे विष्णु को वायरलेस को संभालवा कर उठा | शर्मा बड़े फिकर में नजर आए |
“मिस्टर............ विवेक और तीस मिनिट ही रहते हैं |”
“कैसे भी उस कार के बारे में मालूम कर लेंगे सर |”
“हो सकता है ?”
“बिल्कुल पक्का हो सकता है......”
“हम कुछ असावधान रह गए | गोकुलवासन को ठीक ढंग से पुलिस सुरक्षा देनी चाहिए थी | शर्मा दीर्घ श्वास छोड़ते हुए बोले......... वायरलेस की ज़ोर-ज़ोर से आवाज आ रही थी |
विवेक ने वॉच को देखा |
और 29 मिनिट |
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