Vivek aur 41 Minutes - 14 in Hindi Detective stories by S Bhagyam Sharma books and stories PDF | विवेक और 41 मिनिट - 14

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विवेक और 41 मिनिट - 14

विवेक और 41 मिनिट..........

तमिल लेखक राजेश कुमार

हिन्दी अनुवादक एस. भाग्यम शर्मा

संपादक रितु वर्मा

अध्याय 14

सुबह समय 7.45.

सुंदर पांडियन के बंगले के कम्पाउण्ड का गेट बंद था | कार को गेट के सामने खड़ी करके विवेक ने हॉर्न दिया |

वॉचमेन ने विकेट डोर को खोल कर देखा और पास में दौड़ कर आया |

कार के पीछे बैठे डी. जी. पी. शर्मा ने गुस्से से झांक कर देखा | “क्यों गेट को खोले बिना ही दौड़ कर आ रहे हो ?”

“साहब.....! आपको मिलने के लिए ही जज साहब पुलिस जीप में रवाना हो गए.....” शर्मा स्तंभित रह गये | “क्या...! मुझे देखने सुंदर पांडियन जीप में चले गए ?”

“हाँ साहब............... जीप को आपने भेजा है कह कर एक इंस्पेक्टर और दो कान्स्टेबल भी आए थे | साहब भी तुरंत रवाना होकर चले गए | निकल कर गए दो मिनिट हो गए |”

“मैंने तो कोई जीप नहीं भेजा ?” शर्मा घबरा कर चिल्ला रहे थे तभी गोकुलवासन और सुभद्रा दोनों जल्दी जल्दी अंदर से बाहर आए |

“क्या बात है अंकल ?”

“अप्पा को लेकर जाने के लिए एक पुलिस की जीप आई थी बताया |”

“हाँ अंकल.......! पाँच मिनिट पहले आर्मरेट पुलिस जीप घर के अंदर आई | उसमें एक इंस्पेक्टर और दो कान्स्टेबल भी थे....... आपको कोई जरूरी काम होने की वजह से अप्पा को आपके ऑफिस में ही आने को बोल दिया बताया | अप्पा भी तैयार तो थे ही वे तुरंत रवाना हो गए |”

“माई गुडनेस......” विवेक माथे को पकड़ लिया |

“साहब........... कोई बीच में घुस गया लगता है ऐसा सोचता हूँ |”शर्मा गोकुलवासन पर गुस्सा करने लगे |

“एक पुलिस जीप आए तो तुरंत बैठ कर चले जाना चाहिए क्या ?” मोबाइल तो हाथ में है ना........... मुझे पूछ कर कन्फर्म नहीं करना चाहिये..........?”

“अंकल ! उस इंस्पेक्टर को और कान्स्टेबल को देखने पर हमें कोई भी संदेह नहीं हुआ | उनकी बातचीत, ड्रेस, चाल........ भाव आदि सब कुछ नेचुरल था | उस इंस्पेक्टर का नेम प्लेट भी देखा |”

“नाम क्या है ?”

“नमंवारवार……..! शवरी मलई के लिए हार पहिने जैसे गले में एक काला कपड़ा बांधा था |”

वॉचमेन बीच में बोला “साहब मैंने तो जीप नंबर भी नोट करके रखा है | D.N, 41 A 5775,” शर्मा गुस्से से चिल्लाये “सब कुछ बोगस है | मैंने जीप नहीं भेजा तो ये सब कैसे सच होगा...........?”

विवेक गोकुलवासन से पूछा “अप्पा सेल फोन लेकर गए क्या ?”

“हाँ.........”

“उनके सेल फोन का नंबर क्या है ?”

गोकुलवासन के सेल फोन नंबर बोलने और विवेक उसे अपने सेलफोन से उन्हें फोन लगाया | फिर कान पर लगाया |

दूसरी तरफ से निशब्द रहा |

दुबारा डायल किया |

वहीं निशब्दता

“साहब ! जज के सेल फोन को डिस्ट्राई कर दिया लगता है| जीप को अभी भी सिटी के अंदर ही होना चाहिए | ट्राफिक पुलिस को अलर्ट कर दो तो जीप को ट्रेस कर सकते है विष्णु |”

“बॉस..............”

“अपने कार के वॉयर लेस के द्वारा कंट्रोल रूम को बता दो.......”

विष्णु कार के अंदर घुसा |

***