Us raat ki baat in Hindi Horror Stories by Ajay Kumar Awasthi books and stories PDF | उस रात की बात

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उस रात की बात

रुक रुक बादल भयंकर गर्जना कर रहे थे । थोड़ी थोड़ी देर में बिजली चमकती और फिर तेज गड़गड़ाहट की आवाज़, फिर लगता कि आसमान फट पड़ेगा । भीषण वर्षा हो रही थी, मैं अकेला था अक्सर अपने काम के कारण मुझे ये जंगल पार कर उस कस्बे में जाना पड़ता था । समय रहते मैं ये जंगल पार कर लेता था , पर आज देर हो गई थी । मैं ठीक जंगल के बीच मे था और तेज बारिश के कारण सामने कुछ भी साफ नही दिख रहा था ।

मैं धीरे धीरे बढ़ रहा था , पर मंजिल दूर थी । और तभी मुझे दूर एक मकान से लालटेन की रोशनी दिखाई दी। मेरे भीतर जान में जान आई । इस वीराने में एक उम्मीद की रोशनी । मैं बड़ी राहत महसूस करता हुआ आगे बढ़ा ,ये सोचकर कि वहाँ कुछ देर ठहर कर मैं बारिश के रुकने का इंतज़ार कर सकता था ।

मैं ज्योहीं उस रोशनी के पास पहुँचा, देखा कि वो एक बहुत पुरानी हवेली है या कहें महल जैसा है, जिसके एक कोने से लालटेन की रोशनी आ रही थी । पूरी हवेली खाली थी, उसके अंदर एक बड़ी से रेलिंग वाली सीढ़ी थी ,जो ऊपर की ओर जा रही थी । मैं उससे होकर ऊपर पहुँचा। ऊपर एक बड़ा कमरा था, जहाँ उस लालटेन की रोशनी में एक लड़की बैठी दिखी। वो किसी घरेलू काम मे मशगूल थी ।

मैंने उसे नमस्कार किया और अपने आने की मजबूरी बताई । वो खामोश मेरी ओर देखती रही फिर अपनी नशीली ओर मदमस्त निगाहों से मुझे देखते हुए बड़ी आत्मीयता से कहा ," आप जब तक चाहें रुक सकते हैं । चाहें तो अपने भीगे कपड़े उतार कर टॉवेल पहन सकते हैं ,मैं आपको टॉवेल लाकर देती हूं " ऐसा कहकर वो कहीं चली गई ।

इस वीराने में अकेले इस लड़की को देखकर मेरे मन मे जिज्ञासा हुई ,थोड़ी देर में वो टॉवल लेकर लौटी । मैने उससे पूछा ," यहाँ और कोई नही रहता ?"
उसने कहा ,मेरे बाबा हैं ,जो नीचे पीछे की गोशाला में गाय को चारा पानी देने गए हैं और उन्हें अभी आने में बहुत देर हो जाएगी ।

मुझे कुछ कुछ होने लगा ,क्योंकि उस लड़की ने मुझपर जादू कर दिया था ।

मैं अपने गीले कपड़े उतारकर टॉवेल पहन लिया। इस दौरान उसने मेरी ओर से पलभर भी नज़र नही हटाया। मैं लगभग निर्वस्त्र हो गया था, पर वो मुझे घूरती रही और शायद मेरे करीब भी आ गई थी । लालटेन की रोशनी में कुछ कुछ साफ दिखता था।
मैं टॉवेल पहन कर बैठ गया और अपने गीले कपड़े वहीं फैला दिए ।

लगातार कई घण्टो तक भीगने के कारण मैं कांप रहा था पर अब सूखे टॉवेल में लिपटा मैं बहुत राहत महसूस कर रहा था ।
और तभी ! देखता हूँ उसके हाथ मे चाय की प्याली थी, जो उसने मेरे लिए बनाई थी । उसने मुझसे आग्रह कर चाय पीने को कहा। यह तो मेरे लिए सोने में सुहागा साबित हुआ। मै फटाफट चाय सुड़कने लगा, इस वीराने में घनघोर बारिश के बीच गरमागरम चाय और वो भी एक खूबसूरत अकेली लड़की के हाथों,, वाह! ये तो जन्नत है...! फिर उससे बातों का सिलिसिला मैं आगे बढ़ाने लगा ।

उसने बताया कि यह लगभग 100 साल पुरानी हवेली है और ये एक आदिवासी राजा की है, जिनके वंशज अब शहर में रहते हैं और सरकार के द्वारा ये इलाका जंगल घोषित हुआ है । इसलिए अब यहाँ कोई नही रहता । केवल देखभाल के लिए मैं और मेरे बाबा पास के गावँ से आकर यहाँ रहते हैं । इसके बदले में इस हवेली के वर्तमान मालिक कुछ पैसे भेज देते हैं ।

उसकी कहानी पर भरोसा कर मैं वहीं बैठा और भी बातें करने लगा । बातों ही बातों में उसने मेरा हाथ पकड़ लिया । मैं उसका इशारा समझ गया ।पर मैं वो सब करने से बुरी तरह घबरा रहा था और इस कामुक भरे माहौल में अपनी इच्छा रोक भी नही पा रहा था।

इस वक्त मुझे याद आ रहा था एक संत का प्रवचन, जिसमे उन्होंने कहा था कि युवा स्त्री और युवा पुरुष के लिये एकांत में संयम रखना बहुत मुश्किल है । और मेरे साथ यही हो रहा था । क्योंकि उस लड़की का मुझे खुला प्रस्ताव मिल रहा था ।

टॉवल में लगभग नंगा मैं अब उत्तेजित होने लगा था ,और तभी उसने कमरे का दरवाजा बंद कर दिया और मुझपर आकर झुक गई ।
मुझसे रहा नही गया और हम दोनों एक दूसरे से लिपटे मस्ती के सागर में गोता लगाने लगे ।
इस मदमस्त दौर में झूमता हुआ मैं बिस्तर पर पड़ा रहा और कब मुझे नींद आ गई पता ही नही चला ।
मैं सपनों की दुनिया मे चला गया । न जाने कब तक सोता रहा और फिर लगा कि कोई मेरी उंगली सहला रहा है । मेरी आँखें खुली तो ये क्या...?

मैं उस हवेली के बाहर एक मैदान में अधनंगा पड़ा था और आवरा कुत्ते मेरे आसपास थे जो मुझे सूंघ रहे थे । मैं घबराकर उठा तो देखता हूँ हवेली बहुत पुरानी खंडहर है ,जिसका कोई भी कमरा सही सलामत नही है, सबकी छत उड़ चुकी है,उनमें पेड़ और झाड़ियां उग आई हैं । मेरी बाइक किनारे पर खड़ी थी और मेरे कपडे दूर पड़े थे । मैं बाहर अधनंगा झाड़ियों में पड़ा था । मैं किसी तरह उठा रात की बारिश से कीचड़ में सना हुआ, मैं रात की बात सोच रहा था, हर घटना को याद करने की कोशिश कर रहा था ,उस खूबसूरत हसीना को याद कर रहा था, पर अब यहाँ कोई नही था । मेरे भीतर डर की लहर दौड़ गई ,पर चूंकि उजाला हो चुका था,इसलिए सब कुछ साफ साफ दिख रहा था और अब यहाँ कोई नही था ।

सुबह हो चुकी थी और बारिश भी बंद हो गई थी,बादलों के बीच से कुछ कुछ सूरज दिखाई दे रहा था । किसी तरह अपने कपडे पहनकर मैं बाहर आया, फिर सड़क पर आकर उस कस्बे की ओर रुख किया ।

जब कस्बे में पहुँचा तो वहां का हर आदमी मुझे घूर घूर कर देख रहा था, क्योंकि मैं कीचड़ में बुरी तरह सना हुआ था । सब सोच रहे थे कि मैं कोई शराबी था, जो कहीं गिरा पड़ा था ।
फिर मैं अपने परिचित साथी से मिलकर उसे उस
रात वाली सारी बात बताई ,तब उसने जो बताया उससे मेरे रोंगटे खड़े हो गए । मैं भय से कांप उठा।

दरअसल वो हवेली यहां के गोंड राजा की थी जो 100 साल से ज्यादा पुरानी थी । पहले वहां लोग रहते थे पर अचानक एक महामारी से पूरा गांव उजड़ गया और राजा भी अपने परिवार के साथ वहां से कहीं और चला गया । तबसे वह वीरान थी और वहां जंगली जानवर आते थे । पूरा इलाका जंगल मे बदल गया था ।

कभी कभी रात में लोगो को उस हवेली से रोशनी दिखती थी, पर डर के कारण वहां आज तक कोई नही गया था । उसके अनुसार वो भूतिया हवेली थी।
कल रात मैंने वहाँ जाकर जो महसूस किया ,वह वाकई एक हसीन अहसास था और अब जान लेने के बाद वो डरावना लग रहा था ।

मैं सोचता रहा,,, वो कौन थी,...? जो भी थी बेहद सुंदर थी , पर प्यासी थी ,,,उसने मेरा कोई नुकसान नही किया था ,,,पर शायद अपने हिस्से के प्यार के लिए भटकती कोई आत्मा थी,,,जिसने कल रात अपनी अधूरी इच्छा मुझसे पूरी कर ली थी,,,

मै ऊपरवाले को धन्यवाद दे रहा था ,,,जान बची लाखों पाए,,,

पर इसका राज था,,,,,

निरंतर

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