ye mausam ki baarish - 8 in Hindi Love Stories by PARESH MAKWANA books and stories PDF | ए मौसम की बारिश - ८

Featured Books
  • तिलिस्मी कमल - भाग 22

    इस भाग को समझने के लिए इसके पहले से प्रकाशित सभी भाग अवश्य प...

  • आई कैन सी यू - 20

    अब तक कहानी में हम ने पढ़ा की दुलाल ने लूसी को अपने बारे में...

  • रूहानियत - भाग 4

    Chapter -4पहली मुलाकात#Scene_1 #Next_Day.... एक कॉन्सर्ट हॉल...

  • Devils Passionate Love - 10

    आयान के गाड़ी में,आयान गाड़ी चलाते हुए बस गाड़ी के रियर व्यू...

  • हीर रांझा - 4

    दिन में तीसरे पहर जब सूरज पश्चिम दिशा में ढ़लने के लिए चल पड...

Categories
Share

ए मौसम की बारिश - ८







एक दिन एक कुछ खूबसूरत मोर अपनी पंख फैलाकर बारिश में नाच रहे थे। ओर तुम एक पेड़ के पीछे छुपकर कब से इस मनमोहक दृश्य को देखे ही रहे थे। अचानक ही में वह आ गई ओर दौड़ पड़ी उन खूबसूरत मोर को पकड़ने के लिए बिचारे मोर डर के मारे उड़कर भाग गए..।
पेड़ के पीछे से तुम दौड़ते हुवे आये ओर मेरी चोटी पकड़कर खीचते हुए कहा।
'ये क्या शरारत की तुने.. तुने मेरे मोर को भगा दिया'
ताली बजाकर में जोर से हँसने लगी।
'है..है.. बड़ा मजा आया मुजे मोर को उड़ाने में..'
मेरा हाथ पकड़कर अपने साथ खींचते हुवे तुमने कहा
'तू घर चल आज तेरे बाप से तेरी शिकायत करता हु'
तुम्हारे हाथ से अपने हाथ को छुड़ाते हुवे मेने कहा
'नही जाना मुजे घर मुजे बारिश में नहाना है'
फिर से मेरी चोटी खीचते हुवेे तुमने कहा
'मेरा मजा खराब करके तु खुद मजे लेना चाहती है जा गिर...
उसी वक़्त तुमने गुस्से में मुझको पास ही के एक गहरे कुवें में धक्का दे दिया।
'बचावो...'
में चिल्लाई...
कुआ बहुत गहरा था पानीमें में अपने आप को बचाने के लिए चिल्लाने लगी
'बचावो.. मुजे बहार निकालो.. बचावो..'
तुमने सोचा
'हाय.. ये मुझसे क्या हो गया.. अगर इसे कुछ हो गया तो इसका बाप मुजे जान से मार डालेगा'
ऊपर से ही तुमने मुजे आवाज लगाई।
'मीरा डरो मत में हु ना में तुम्हे बचाता हु..'
फिर तुमने दौड़कर बेल को बंधी रस्सी ली ओर कुवे के पास आकर रस्सी का एक भाग कुवे में मेरी ओर नीचे फेंककर कहा।
'मीरा रस्सी को जोर से पकड़ लो..'
बड़ी मुश्किल से मेंने रस्सी पकड़ी।
'देखो छोड़ना मत में तुम्हे ऊपर की ओर खिंचता हु..'

जोर लगाकर तुम मुजे ऊपर अपनी ओर खीच रहै थे। की उतने में ही मेरा बापु आ गया। उसने मुझे कुवे की अंदर देखा। ओर गुस्से में उन्होंने तुम्हरे सर पर जोर से एक चमेट मारी।
'मुजे आकर बता नही शकते मीरा कुवे में गिर गई है उसे कुछ हो जाता तो..'
उन्होंने तुम्हारे हाथ से रस्सी छीन ली।
'हटो यहां से..'
बापू ने मुजे कुए से बहार निकाला।
में उनसे लिपट गई..
'मीरा तुम ठीक तो हो ना ये बतावो तुम अंदर कैसे गिर गई....?'
तुम एकदम से डर गए तुम्हे लगा की मेरा मुह खुलते ही मेरा बापु तुम्हे मार देगा। तब बचने के लिए तुमने मेरी ओर देखकर कुछ मत बताने को बोला।
मेने भी कुछ नही कहा।
'बापू मेरा पेर फिसल गया था।'
मुजे समजाते हुवे उन्होंने कहा
'कितनी बार तुजे समजावु की ऐसी जगहों से दूर रहा कर कुछ हो जाता तो।'
* * *
अगले दिन पाठशाला जाते वक़्त रास्ते में तुमने मुझसे कहा।
'मीरा अच्छा हुवा तुने अपने बाप को ए नही बताया की तु मेरी वजह से कुवे में गिरी थी अगर बताया होता तो..'
मेने मुस्कुराकर कहा
'नही बताने में मेने अपना फायदा देखा इसीलिए नही बताया'
तुम मेरी ओर हेरानी से देख रहे
'फायदा कैसा फायदा!'
'यही की आज से मेरा सारा होमवर्क तु करेगा'
तुमने मना करते हुवे कह दिया
'में नही करने वाला तेरा कोई होमवर्क'
तुम्हे फिर से डराते हुवे मेने कहा
'सोच ले में बापू को बता दूंगी हा...'
आखिर तुम डरकर मान गए।
'नही मत बताना में कर दूंगा तेरा होमवर्क'

ऐसी ही छोटी मोटी शरारते करते करते हम कब बड़े हो गए पता ही नही चला।
कॉलेज तक आते आते में तुम्हे को चाहने लगी एक दिन कॉलेज जाते वक़्त रास्ते में ही मेने तुमसे अपने दिल की बात बता दी।
'देव हम बचपन से साथ बड़े हुए है क्या तुम्हारे दिलमे मेरे लिए कोई फिलिंग नही है?'
तुमने वैसे ही मुस्कुराते हुवे कहा
'हा है ना में तुम्हे अपनी सबसे अच्छी दोस्त मानता हु'
उस पल तुम्हारा यु रूखा जवाब सुनकर मुजे बिल्कुल अच्छा नही लगा
'सिर्फ दोस्त.. क्या तुम मुझसे प्यार नही करते ?'
तुमने हल्के से गुस्से में कहा।
'ये केसी बहकी बहकी बातें कर रही हो पागल हो गई हो क्या..
तुम्हारा हाथ पकड़ते हुवे आंखों में देखकर मेने कहा
'हा पागल हो गई हु.. तुम्हारे प्यार में पागल हो गई हु..'
आख़िर गुस्से में आकर तुमने साफसाफ कह दिया।
सुनो तुम सिर्फ मेरी अच्छी दोस्त हो। मेरे दिल में तुम्हारे लिए कुछ नही है समझी..'
उस वक़्त तुम्हारी बाते सुनकर मानो मेरा तो मानो दिल ही टूंट गया उसके बाद हर रात मेरी रो रोकर ही गुजरी।
* * *
TO BE CONTINUE...