The Author PARESH MAKWANA Follow Current Read ए मौसम की बारिश - ६ By PARESH MAKWANA Hindi Love Stories Share Facebook Twitter Whatsapp Featured Books Krick और Nakchadi - 2 " कहानी मे अब क्रिक और नकचडी की दोस्ती प्रेम मे बदल गई थी। क... Devil I Hate You - 21 जिसे सून मिहींर,,,,,,,,रूही को ऊपर से नीचे देखते हुए,,,,,अपन... शोहरत का घमंड - 102 अपनी मॉम की बाते सुन कर आर्यन को बहुत ही गुस्सा आता है और वो... मंजिले - भाग 14 ---------मनहूस " मंज़िले " पुस्तक की सब से श्रेष्ठ कहानी है।... आई कैन सी यू - 53 (अंतिम भाग) अब तक कहानी में हम ने देखा कि लूसी कुछ बीती यादें भूल गई थी... Categories Short Stories Spiritual Stories Fiction Stories Motivational Stories Classic Stories Children Stories Comedy stories Magazine Poems Travel stories Women Focused Drama Love Stories Detective stories Moral Stories Adventure Stories Human Science Philosophy Health Biography Cooking Recipe Letter Horror Stories Film Reviews Mythological Stories Book Reviews Thriller Science-Fiction Business Sports Animals Astrology Science Anything Crime Stories Novel by PARESH MAKWANA in Hindi Love Stories Total Episodes : 10 Share ए मौसम की बारिश - ६ (8) 2.2k 5.8k 1 दादी को होश आते ही उसने सबसे पहले मुझे फोन किया ओर वहां जो कुछ भी हुवा सारी बात बताई। उसी पल अपनी बाइक लेकर में माही को बचाने के लिए निकल पड़ा। पर मुझे तो ये भी नही मालूम था। की वो आदमी कोन था। वो मेरी माही को कहा ले गया। पूरे शहर में... में ओर मेरे दोस्त माही को ढूंढ रहे थे। पर माही का कोई पता नही चल रहा था। अगले दिन सुबह एक बंध फेक्टरी के पास से में गुजरा की मेने एक लड़की की रोने की आवाज सुनी। वही अपनी बाइक पार्क कर के में उस फेक्टरी के पास गया। एक आधी खुली खिड़की से अंदर झांककर देखा। तो वहॉ एक कोने में मेने अपनी माही को पाया। मेने फ़ौरन जाकर एक बड़े से पथ्थर से उस फेक्टरी का ताला तोड़ दिया। शटर ऊपर की ओर उठाकर थोड़ा जुककर जैसे ही में अंदर गया। कोने में रो रही माही का ध्यान मुझपर गया ओर वो दौड़कर मुझसे आकर लिपट गई। 'जय... जय मुझे यहां से ले जावो जय.. मुझे यहां नही रहना.. जय।' 'डरो मत में हु ना..' कोई आ जाए उसे पहले ही में माही को वहां से ले जाना चाहता था। इसीलिए उसका हाथ पकड़कर उसे अपने साथे खीचते हुवे मेने उससे कहा। 'कोई आ जाए इसे पहले चलो.. यहां से..' हम दोनो बहार ही निकल रहे थे की वो आ गया। उसे देखते ही माही डर के मारे मेरे पीछे छुप गई। 'नंदनी को यहां से कोई नही ले जा सकता..' ओर वो जैसे ही हमारी ओर आगे बढा की तभी वहां पुलिस आ गई। मेने पहले ही पुलिस को कोल कर दिया था। पुलिस ने उसे पकड़कर गाड़ी में बिठाया। उस वक्त्त मेने नोटिस किया की वो हमे घूर रहा है। * * * आखिर मेने फैसला कर ही लिया की चाहे जो हो में माही नही छोडूंगा। मेने माँ से भी साफसाफ कह दिया। की में शादी करूँगा तो सिर्फ माही से। आख़िर माँ शादी के लिए मान गई। ओर मेरी ओर माही की शादी हुई। हमारे यहाँ एक रिवाज था। की शादी के बाद नवविवाहित पतिपत्नी पहले अपने कुलदेवी के दर्शन को जाते है। उनसे आशीर्वाद लेकर ही वो अपने विवाहजीवन में आगे बढ़ते है। में ओर माही अपनी गाड़ी लेकर शादी के जोड़े में ही सो किलोमीटर दूर राजसथान की ओर निकल पड़े। पर हमे पता नही था। की एक बहोत बड़ी आंधी कब से हमारी कार का पीछा कर रही है। पांच घण्टे बाद हमलोग राजसथान पहोचे। कार पार्क करकर मेने ऊपर पहाड़ी की ओर देखा। पहाड़ी पर बनी काले पथ्थरवाली सीढ़िया चढ़कर ऊपर हमे ऊपर चोटी। तक जाना था। वही हमारी कुलदेवी महाकाली का एक बड़ा सा मंदिर था। मेरा हाथ थामे हुवे माही धीरेधीरे सीढिया चढ़ रही थी। पांच घण्टे के सफर के दौरान वो काफी थक चुकी थी। उसके वो ठीक से चल भी नही पा रही थी। ऊपर की ओर कुछ कदम चले की। एक बूढ़ी औरत हमारे सामने आ गई। माही को घूरते हुए उसने कहा.. 'तु नही बचेगी.. वो तुम्हे मार देगी..' उनकी बाते सुनकर माही काफी डर गई.. मेने उस औरत वहां से जाने के लिए कहा। फिर हम वापस ऊपर की ओर सीढिया चढ़ ने लगे। की अचानक माही चींखकर वही एक दादरे पर अपना पेर पकड़कर बैठ गई। उसके पास बैठकर मेने प्यार से पूछा। 'माही.. तुम ठीक तो हो ना..' 'अब में आगे नही चल शकती मेरे पाँव में मोच आ गई।' उसी पल मेने उसे अपनी बाहों में उठाया। ओर धीरे धीरे ऊपर की ओर चढ़ने लगा। चोटी तक पहोचे के हम काफी थक चुके थे। 'है महाकाली.. काल को काटनेवाली.. मेरी पत्नी माही की रक्षा करना उसे आनेवाले हर खतरे से बचना' माही ने भी कहा 'है महाकाली जय को हर मुसीबत से बचाना..' उसके बाद वही थोड़ी देर आरमकरकर हम नीचे की ओर उतरे.. उस वक़्त मुजे कुछ अजीब सा लगा। मानो लगा की कोई हमारे पीछे आ रहा है। मेने पीछे मुड़कर देखा तो कोई नही था। माही ने मुझसे पूछा 'क्या हुवा जय..?' मेने मुस्कुराकर कहा 'अरे कुछ नही बस ऐसे ही..' हम नीचे उतर ही चुके थे। बस कुछ आठ दस दादरे उतरने बाकी थे। के तभी मेरे मोबाइल पे एक कोल आया। ऑफिस का जरूरी कोल था इसीलिए में बात करते हुवे ही नीचे की ओर चलने लगा। माही भी मेरे पीछे पीछे ही आ रही थी की तभी कुछ ऐसा हुवा जो नही होना चाहिए.. TO BE CONTINUE... ‹ Previous Chapterए मौसम की बारिश - ५ › Next Chapter ए मौसम की बारिश - ७ Download Our App