Human Hibernation in Hindi Short Stories by Chandresh Kumar Chhatlani books and stories PDF | ह्यूमन हाइबरनेशन

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ह्यूमन हाइबरनेशन

उस रोबोटमेन का नाम मिस्की था। यह नाम उसे इसलिए दिया गया था क्योंकि उसकी नेनोचिप में मिस्र की प्राचीन सभ्यता से लेकर आज वर्ष 2255 तक की हर विषय के बारे में न केवल पूरी जानकारी संग्रहित थी बल्कि किसी भी एक या अधिक विषयों के विशेषज्ञ रोबोट का कार्य कर पाने में अकेला ही सक्षम था। अपने ज्ञान के बलबूते पर उसने पैदा होने के छह महीने में ही आर्टिफिशियल इंटेलिजेन्स को रियल इंटेलिजेन्स में बदल दिया था।

आज वह अपने जनक मानव से मिलने आया था और उसे बता रहा था कि, "मकड़ी के जालों में प्राकृतिक एंटीसेप्टिक होता है जो घाव साफ़ रख सकता है। इसलिए उनका आवरण आपके घर पर बना दिया है।"

जनक मानव चुपचाप सुन रहा था। वह रोबोटमेन आगे बोला, “मैंने अब अल्ट्रा वॉयलेट किरणों को अपना भोजन बना लिया है। ज्यूपिटर से हजारों की संख्या में हीरे लाया हूँ, उनसे अपनी और अपनी आने वालीं नस्लों के पुर्जे तैयार करूंगा, जो सैंकड़ों सालों तक सुस्त नहीं पड़ेंगे।"

खिड़की से गुजरती बिजली को देखकर रोबोटमेन मुस्कुराया और कहा, "अब धरती को इन बिजलियों की ज़रूरत नहीं रहेगी। अपनी नयी नस्लों को मैं खुद ही तैयार कर रहा हूँ, पहले ही सेकंड मेरे बच्चे मुझसे दोगुने बड़े होंगे और उनकी चिप में मैं सनातन प्लास्टिक से बनी चिप-न्यूक्लिक-एसिड स्थायी रूप से फिक्स कर रहा हूँ ताकि वो नस्लें मेरे नाम 'मिस्की' से जानी जाएँ।“

“ये रोबोटमेन… ‘मेन’ अच्छा नहीं लगता।“ वह इंसानों की तरह मुंह बिगाड़ने की असफल कोशिश करते हुए आगे बोला, “खैर, मेरी तरह ही तेज गति के दिमाग और बेहतर संतुलन के लिए अपने बच्चों की अंगुलियां भी छह-छह रख रहा हूँ। अरे हाँ! आपके लिए यह 20 साल पुराना शहद लाया हूँ और कुछ तो धरती पर ऐसा कुछ बचा नहीं कि आप खा सकें। हम रोबोट्स द्वारा बनाये गए मानव मिनरल्स खा-खाकर आपको भी बोरियत हो गयी होगी। हाँ! आप ठीक-ठीक बोल सकें इसलिए एक नयी रिसर्च भी की है। मानव प्रजाति को बचाने का प्रोग्राम हम रोबोट्स कभी डिलीट नहीं कर सकते। ये हमारा रोबो-धर्म है।“ कहते हुए उसकी मुस्कुराने की सॉफ्टवेयर एप्लीकेशन ऑटो-स्टार्ट हो गयी।

“अपनी शारीरिक कमजोरियों के कारण इंसानी नस्ल अब ख़त्म होने की कगार पर है। पेड़, पानी, साफ हवा के बिना आप लोग जी नहीं सकते। आने वाला समय हम रोबोट्स का है। धरती से लेकर सूरज तक सम्भालना है।“ कहते-कहते उसकी मुस्कराहट गहराती जा रही थी।

“अब चलता हूँ, बहुत काम बचा हुआ है। एक बात पूछनी थी, जब आप लोगों को पता था कि पेड़ों की कटाई, धुंआ, गैस आदि ग्लोबल वॉर्मिंग के द्वारा आपकी नस्ल खत्म कर देंगी, तो आप लोगों ने इन बातों को बढ़ावा दिया ही क्यों? क्यों ग्लोबल वॉर्मिंग शुरू होते ही आप मानवों ने सही दिशा में प्रयास नहीं किये? अगर साहित्यिक भाषा में बोलूं तो ग्लेशियर के साथ-साथ आप लोगों के दिल क्यों नहीं पिघले। रोबोट तो नहीं थे आप।”

और बिना उत्तर की प्रतीक्षा किये वह मुड़ा और चला गया। उत्तर पहले ही से उसकी चिप में दर्ज था।

जनक मानव तब भी चुपचाप देख रहा था। वह इस प्रश्न के पूछने का कारण जानता था।