"हमारे पास पैसे हैं ,इसका मतलब यह नहीं कि हम पैसे लुटाए"
रमेश औऱ दिनेश भाई थे।रमेश गांव मे आधी बटाई पर जमीन लेेकर खेेती करता था।उसके गांव मेसिचाई का साधन नही था।इसलिए खेतीपूर्णतया बरसात पर नििरभर थीी।
मां बाप के गुजर जाने के बाद रमेश नेछोटे भाई दिनेेश कीी परवरिश की थी।रमेश चाहता था,दििनेश बडा होकर नौकरी करें। इसलिए उसे खूब पढाया।कालेज की पढाई पूरी करते ही दिनेश की दिल्ली मेट्रो मे नौकरी लग गई।नौकरी लगते ही उसके लिए रिश्ते आने लगे।कईं लडकियों को देखने के बाद दिनेश को निर्मला पसंद आयी।रमेश ने दिनेश की शादी निर्मला से कर दी।शादी के बाद रमेश ने निर्मला को दिनेश के साथ दिल्ली भेज दिया।
रमेश के एक बेटा विजय औऱ दो बेटियां रेखा औऱ नीना थी।विजय ने इस साल दसवी की परीक्षा पास कर ली थी।वह अपने पिता से साईकिल दिलाने की जिद्द करने लगा।पिछले तीन साल से बरसात अच्छी न होने के कारण पैदावार कुछ खास नही हुई थी।इस कारण रमेश की आथिर्क स्थिति ऐसी नही थी कि बेटे को साईकिल दिलाने मे तीन चार हजार रुपए खर्च कर सके।
रमेश ने बेटे को समझाया पर वह नही माना।तब रमेश नेफोन करके दिनेश को विजय की जिद्द के बारे मे बताया था।भाई की बात सुनकर दिनेश बोला""भैया आप चिंता मत करो।मै गांव आऊगा तब विजय को उसकीं पसंद की साईकिल दिला दूगां"
दिनेश ने साईकिल वाली बात अपनी पत्नी को बताईं थी।निर्मला को यह कतई पसंद नही था कि उसका पति अपने भाई भतीजे पर पैसा खर्च करे।इसलिए पति की बात सुनते हीवह उखड़ गई।उसने साफ शब्दों मे कह दिया था, विजय को साईकिल दिलाने मे वह पैसा खर्च नही करने देगी।
पत्नी की बात सुनकर वह चुप हो गया।उसने फिर इस बात का जिक्र पत्नी से नही किया।
और दिन गुजरते गये।एक दिन दिनेश ऑफिस से लौटा, तो निर्मला मुस्कुराते हुए बोली"भैया का फोन आया था"
"कया कह रहे थे, तुम्हारे भैया?दिनेश ने पत्नी से पूछा था।
"दीपक इन्टर की परीक्षा मे पास हो गया है"
"यह तो खुशी की बात है"
"वह भैया से साईकिल दिलाने की जिद्द कर रहा है"
"तो दिला दे"।दिनेश बोला।
,"कहॉ से दिला दे।तुम तो जानते हो,भैया प्राईवेट नौकरी करते है।उन्हें तनख्वाह मिलती ही कितनी है?उनकी तनख्वाह मे महीने भर का खर्च ही जैसे तैसे चलता है।उनकी आर्थिक स्थिति ऐसी नही है कि बेटे कि जिद्द पूरी करने के लिए तीन चार हजार की साईकिल दिला सके।"निर्मला अपने मायके का समाचार पति को सुनाते हुए बोली"मैने भैया से कह दिया है।दीपक आपका बेटा है,तो मेरा भतीजा।अपने भतीजे को साईकिल मे दिलवा दूगीं।"
"भूल गई"पत्नी की बात सुनकर दिनेश बोला।
"कया?निर्मला ने प्रशनसूचक नजरों से पति को देखा था।
"मैंने जब विजय को साईकिल दिलाने के लिए कहा था,तो तुम बोली थी।हमारे पास पैसा लुटाने के लिए नही है।अब दीपक को साईकिल दिलाकर तुम पैसा लुटाने को कयों तैयार हो?पत्नी को उसकी कही बात याद दिलाते हुए दिनेश बोला"जैसे दीपक तुम्हारा भतीजा है,वैसे ही विजय मेरा भतीजा है।अगर तुम्हारा अपने भतीजे के प्रति फर्ज है,तो मेरा भी अपने भतीजे के प्रति।,"
दिनेश की बात सुनकर निर्मला को ऐसा लगा,मानो पति ने बातों ही बातों मे उसको आईना दिखा दिया हो।