Kashish - 9 in Hindi Love Stories by Seema Saxena books and stories PDF | कशिश - 9

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कशिश - 9

कशिश

सीमा असीम

(9)

दोनों बेहद खुश थे और होना भी चाहिए आखिर ईश्वर ने उनकी प्रार्थना स्वीकार जो कर ली थी ! वैसे अगर सच्चे दिल से ईश्वर से जो भी मांगों वो जरूर मिलता है भले ही देर हो जाये ! पर उनको देर भी कहाँ हुई थी !

यार क्या सोच रही है पारुल ? तू सोचती बहुत है !

पारुल सिर्फ मुस्कुरा दी ! ये राघव भी न कभी आप कह कर बात करते हैं और कभी तू कहकर ! लेकिन जब वे तू कह कर बोलते है तब बहुत अपनापन सा महसूस होता है !

चलो अब चले पारुल ?

हाँ ठीक है !

वे चेकिंग से गुजरते हुए फ्लाइट तक पहुंचने के लिए बस में बैठ गए ! बस में बैठने की जगह नहीं बची तो वे दोनों खड़े हो गए ! वे खड़े हुए इतने करीब थे कि एक दूसरे की स्वांसों की खुशबू को महसूस कर सकते थे ! यह उन दोनों की दूसरी मुलाक़ात थी और ऐसा महसूस हो रहा था मानों वे दोनों एक दूसरे को न जाने कब से जानते हैं, पहचानते हैं !

जरूर उन दोनों का पिछले जन्म का कोई रिश्ता है जो इस जन्म में भी मिल गए !

बस से उतर कर फ्लाइट की सीढ़ियों को चढ़ते हुए सोचा ही नहीं था कि कभी बादलों के ऊपर उढ्ने का मौका भी मिलेगा ! उसका मन श्रद्धा से झुका जा रहा था ! राघव के प्रति आस्था ने गहरी पैठ बना ली थी !

मुसकुराती हुई एयर होस्टेस ने स्वागत करते हुए हॅप्पी जर्नी बोला !

विंडों वाली सीट राघव ने उसे बैठने को दी और फिर उसके बराबर वाली सीट पर बैठ गए ! एयर होस्टेस ने सीट बेल्ट बांधने, मोबाइल फ्लाइट मोड में लगाने को बोलते हुए और भी जरूरी इन्स्टर्कशन दे दिये थे !

अभी जब यह उड़ान भरेगा न, तब थोड़ा सा लगेगा फिर बाद में तो ऐसा लगेगा जैसे बस में सफर कर रहे हैं ! बस कि तरह ही चलेगा अंतर सिर्फ इतना होगा कि यह बादलों के ऊपर चलेगा और बस कंक्रीट की सड़क पर चलती है !

अच्छा जी ! उसे पता चल गया था कि राघव यह सब उसका मन रखने या मन का हौंसला बढ़ाने के लिए कह रहे हैं !

जब फ्लाइट ने तेज आवाज के साथ रनवे पर दौड़ते हुए उड़ान भरी तो उसने घबरा कर राघव का हाथ पकड़ लिया और राघव ने उसके घुटने पर अपना हाथ रख लिया ! दिल बहुत तेज धड़कने लगा था ! शायद राघव के हाथ पकड़ने से या घुटने पर हाथ रखने से या फिर तेज आवाज के साथ उड़ान भरते जहाज के कारण !

उसने अभी भी राघव के हाथ को पकड़ रखा था जबकि राघव ने उसके घुटने के ऊपर से हाथ हटा लिया था ! वे मुसकुराते हुए बोले लगता है, तुम बहुत जिद्दी हो ?

आपको ऐसा कैसे लगा ?

बस महसूस हुआ तो तुमसे पूछ लिया ! अगर तुम बताना नहीं चाहती तो कोई बात नहीं !

अरे आपको बताने में क्या जाता है और आपसे भला छुपाऊँगी भी क्यों ?

तो फिर बताओ ?

देखो आप इसे मेरी जिद्द कह लीजिये या सच्चाई क्योंकि मैं जो कुछ भी सच्चे दिल से चाहती हूँ वो मुझे अक्सर मिल ही जाया करती है !

अच्छा ! इसका मतलब लकी हो !

आप इसे मेरा लक भी कह सकते हैं लेकिन मैं सिर्फ कर्म में विश्वास करती हूँ किस्मत को नहीं मानती !

यह बात तुमने बिलकुल ठीक कही कर्म करो, फल की इच्छा मत करो !

हाँ आज तक कर्म ही करती आई हूँ ! यह अलग बात है जो भी चाहा है वो मिल गया है ! पता है अगर कभी घर पर आकर बताया कि उस दुकान में लगी वो ड्रेस बहुत पसंद है तो पापा फौरन पैसे निकाल कर देंगे कि जाओ और अभी लेकर आओ क्योकि ऐसे सलेक्टिड चीजें बहुत जल्दी बिक जाती हैं !

पापा आपको कैसे पता कि वो सलेक्टिड ड्रेस है ! जब मैं उनसे बहस करने लग जाती !

तब वे समझते हुए कहते हैं मेरी बेटी मे सलेक्ट की है तो वो चीज किसी भी कीमत पर खराब हो ही नहीं सकती !

इतना प्यार और विश्वास करते हैं मुझ पर !

ओहो इतना प्यार मिलता है तुम्हें पापा का ?

हाँ इससे भी ज्यादा !

उसने देखा राघव बड़ी शांति से उसके चेहरे को देखते हुए बातें कर रहे हैं !

ओहह मैं भी कहाँ की बातें लेकर बैठ गयी !

अरे नहीं -नहीं सुनाओ न, मुझे बहत अच्छा लग रहा था !

उसके पापा बहुत ही प्यारे हैं, दुनियाँ में सबसे अच्छे ! वो जैसे बच्चों की तरह ज़िद कर बैठी हो !

तुम अपने पापा को बहुत प्यार करती हो ?

हाँ, लेकिन वे मुझे ज्यादा प्यार करते हैं !

हुम्म वो तो तुम्हारे चेहरे से ही पता चल रहा है ! तुम अपने पापा की सबसे लाड़ली बेटी हो !

सही कहा मैं अपने पापा की बहुत लाड़ली हूँ ! बल्कि मेरे भाई भी मुझे बहुत प्यार करते हैं कोई भी बात कहो फौरन ही मान जाते हैं !

तभी तेरे चेहरे पर हर वक्त मुस्कान बिखरी रहती है !

हाँ मुझे हँसना पसंद है ! क्योंकि मेरे पापा कहते हैं कि हंसने वाले के साथ दुनियाँ हँसती है और रोने वाले के साथ कोई बैठना भी पसंद नहीं करता ! पता है जो खुश रहता है उसके साथ भगवान भी होते हैं बल्कि वे हमारी खुशी या मुस्कान में आकर, छुपकर बैठ जाते हैं !,

तुमहरे पापा सही कहते हैं !

जी, रोने के लिए घर का एक अकेला कोना सही है और हंसने के लिए दोस्तों का साथ!

मैं भी यही कहने वाला था तुमने हमारे मुंह की बात छीन ली ! राघव ने मुस्कुराते हुए कहा !

राघव एक बात कहूँ ?

हाँ !

मुझे तुम्हारा यूं मुस्कुरा कर बात करना बहुत अच्छा लगता है !

और मुझे तुम्हारा !

राघव की बात सुनकर पारुल ज़ोर से खिलखिला कर हंस पड़ी ! फिर खुद से ही झेंपते हुए शरमा गयी !

कुछ देर चुप रहने के बाद वो बोली, लाइये हम आपका हाथ देखते हैं !

तुम्हें हाथ देखना आता है ?

हाँ आता है !

सोच लो क्योंकि मैं भी हाथ देखना जनता हूँ !

अच्छा जी आप भी देख लेते हैं तब तो और भी सही है आपका हाथ मैं देख रही हूँ और आप मेरा हाथ देख लीजिये !

पारुल ने राघव का हाथ पकड़ लिया !

राघव यह देखकर फिर से मुस्कुरा दिये !

कितने अपनेपन के साथ पारुल उसका हाथ पकड़ लेती है ! जैसे कोई छोटा बच्चा !

वाकई पारुल है भी तो बिल्कुल एक मासूम बच्चे की तरह ! न कोई बड़ो जैसा छल कपट है, न ही किसी बात का लालच !

बहुत प्यारी है तू पारुल और भोली भी जबकि यह दुनिया बड़ी कुटिल है छल से भरी हुई, किसी को शांति से जीने नहीं देती ! राघव ने अपने मन में कहा !

आपने कुछ कहा ? पारुल को जैसे कुछ अहसास सा हुआ !

वैसे जब हम किसी से प्यार करते हैं तो उससे बिना कहे ही कितनी बातें कर लेते हैं और आज सच में पारुल से बिना कुछ कहे ही उसे लगा कि उससे राघव ने कुछ कहा !

***