satya ki khoj main Mahatama Gandhi in Hindi Comedy stories by Dr Narendra Shukl books and stories PDF | सत्य की खोज़ में महात्मा गांधी

Featured Books
Categories
Share

सत्य की खोज़ में महात्मा गांधी

गांधी जी के जन्म दिवस पर स्वर्ग में टी - पार्टी चल रही थी ।

गांधी जी एक ओर स्वयं निर्मित चटाई पर बैठे सूत कात रहे थे । उनके दायीं ओर , गरम दल व बायीं ओर नरम दल के चुनिंदा नेता बैठे हैं । बधाई देने वाले स्वतंत्रता सेनानियों की कतार लगी है । बापू को गुलाब के फूलों का गुलदस्ता देते हुये एक पवित्र नेता ने कहा - बापू जी , बधाई हो । आज आप पूरे 151 साल के हो गये । हम सब आपकी सत्यता, ईमानदारी , अहिंसा , सदाचार के कायल हैं । किंतु सुनते हैं कि उधर हमारे मुल्क में गरीबों, असहायों , किसानों की स्थिति दयनीय है । उनकी सुनने वाला कोई नहीं । तथाकथित नेता मासूम लोगों की भावनाओं , इच्छाओं, आकाक्षांओ का कत्ल कर रहे हैं । वे उनकी छाती पर चढ़कर राज करना चाहते हैं । पुलिस बेगुनाह लोगों पर कोड़े बरसा रही है । महिलाओं व बच्चों तक की आवाज़ सुनने वाला कोई नहीं । राजनीतिज्ञ अपने स्वार्थ के लिये विद्यार्थियों का इस्तेमाल कर रहे हैं । असहिष्णुता बढ़ती जा रही है । प्रजातंत्र भीड़तंत्र में परिवर्तित हो चुका है क्या यही दिन देखने के लिये हमनेे अपने जीवन की आहुति दी थी । आपको इस मामले में दखल देना चाहिये ।

गांधी जी विचारमग्न हो गये - सत्याग्रही ठीक कह रहे हैं । मुझे स्वयं जाकर सत्यता की खोज करनी चाहिये ।

उन्होंने महादेव भाई को बुलाकर कहा कि वे भारत का दौरा करने जा रहे हैं । मेहमानों का का ख्याल रखना ।

साबरमती आश्रम के सामने वाली गली सें कुछ लोगों के चीखने - चिल्लाने की आवाज़ें आ रही थी । गांधी जी ने देखा - चार- पांच हटटे - कटटे युवक एक दुबले - पतले काले सेे दिखने वाले युवक को पेड़ से बांधकर डंडों से बेरहमी से पीट रहे हैंें। पास खड़ा लगभग दस - बारह बर्ष का एक बालक मदद के लिये रिरिया रहा है । पर भीड़ में से कोई उसे बचाने के लिये तैयार नहीं है । कुछ लोग लाइव वीडियो बना रहे हैं । खोज़ी पत्रकार ‘पत्रकारिता ‘ का आनंद ले रहे हैं । गांधी जी ने वहां खड़े एक नौजवान से पूछा - भाई यहां क्या हो रहा है ? ये लोग इस अभागे को क्यों मार रहे हैं ? आखिर क्या कसूर है इसका ? आप सब इसे बचाते क्यों नहीं ?

नौजवान ने कोई जवाब नहीं दिया । फिलहाल वह मारने वालों का होंसला बढ़ाने में मग्न था - और मारो साले को । अछूत कहीं का । हम राजपूतों की बराबरी करेगा । हमारे मोहल्ले से बारात निकालेगा । और मार । और मार । इतना मारो कि दोबारा घोड़ी पर बैठने के काबिल न रहे । हमारे मोहल्ले में हमारे सामने से बारात निकालेंगे राजा साहब । हूं ।

बरगद के पेड़ के साथ खड़े पनवाड़ी ने जवाब दिया -वह दूल्हा है बाबा । और वह जो नीली स्वैटर वाला लड़का है न , जो पास खड़ा मदद के लिये गुहार कर रहा है । वह सहबाला है । इनका यह कसूर है कि इन लोगों ने राजपूतों के मोहल्ले से बारात निकालने की कोशिश की है ।

वैष्णव जण तो तेनेे कहिये , जे पीड़ पराई जानेे रे ।

गांधी जी बेहद दुःखी स्वर में बोले - बेटा भगवान ने सभी लोगों को एक समान बनाया है । कोई जाति नहीं । कोई छोटा - बड़़ा नहीं है । सभी प्राणियों में आत्मिक एकता है । मैंने स्वयं एक हरिजन कन्या को गोद लिया है । बेहद शर्म की बात है कि एक भाई ही दूसरे भाई पर अत्याचार कर रहा है ।

पनवाड़ी गांधी जी की नादानी पर हंसा - बाबा काहे मासूम बनत हो । शक्ल से तो अच्छे - खासे आदमी लागत हो । ऐसी दीवानों जैसी बातें काहे करत हो ।

अपनी नुकीली मूंछों को उमेठते हुये बोला - यहां बराबरी की बात करते हो बाबा । यहां तो जिसकी लाठी उसी की भैंस है ।

गांधी जी ने टोका - पर कानून भी तो कुछ है ।

उसने ज़र्दा थूक दिया - कानून का है ? का है कानून ।? भाई , कानून है अमीर लोगों की कठपुतली । नेता लोगों की रखैल । जो पैसा फेंकत है उन्ही के आंगन मा नाचय लागत है । समझयो की नाहीं ।

केले के ठेले की ओर खड़े पुलिस वालों की ओर इशारा करता हुआ वह बोला - वह देखो , खड़े हैं - कानून के चैकीदार । पीटने वालों से 20 हज़ार रुपया लिया है । अब फ्री में केला खाय रहे हैं । खाओ बाबू खाओ । हम सब की आंखें, कान व नाक बंद हैं । हर तरफ शांति है । कोई टेंशन नहीं । पीटने वाले , दूल्हे को अधमरा कर चल देते हैं । खेल खतम । पैसा हज़म । पनवाड़ी अपनी दुकान पर चल देता है ।

पास खड़े एक बुज़ुर्ग ने बताया - अभी परसों ही गोरक्षा के नाम पर , यहीं पड़ोस में रहने वाले अलगू को गोरक्षक दबंगो द्वारा इतना पीटा गया कि अस्पताल पंहुचने से पहले ही उसकी मौत हो गई । गांव वाले बताते हैं कि इन्हीं चैकीदारों ने उसे अस्पताल पहुंचाने में देरी की । अब क्या बतायें तुमसे , चारों ओर गोरक्षक ही गोरक्षक हो गये हैं । सब अपनी - अपनी दुकान खोल कर बैठे हैं । जानवरों की इतनी चिंता है लेकिन इन्सान के जान की कोई अहमियत नहीं है । कीड़ेे - मकोड़े हैं हम सब ।

गांधी जी ठेले वाले के पास केले खा रहे पुलिस वालों से शिकायत करते हैं । लेकिन कोई नहीं सुनता । केला खाने वाले सिपाही ‘जिप्सी‘ में चले जाते हैं ।

बापू सोचने पर मजबूर हो जाते हैं - क्या यही स्वतंत्र भारत है । जिसकी कल्पना में मैंने सारा जीवन अर्पित कर दिया ।

सोचते - सोचते बापू ने निर्णय लिया - क्यों न इसकी शिकायत सरकार से की जाये । शायद , पीड़ित की सहायता हो सके । उसका दर्द कुछ कम हो सके ।

भारी मन से वे दिल्ली की ओर चल पड़े ।

महात्मा गांधी मार्ग ‘ के साथ लगते पार्क में ‘क ‘ पार्टी के नेता , श्री मेवा राम जी का भाषण चालू था - भाइयो और बहनो , 24 घंटे बिजली मिलनी चाहिये कि नहीं ?

भीड़ में से किसी ने कहा - हमें फ्री बिजली चाहिये । ‘च‘ पार्टी का नेता देता है ।

नेता ने भीड़ में तथाकथित शक्स को पहचानते हुये कहा - ये देश विरोधी है । यह अपोजेशन से मिला हुआ है । अरे भइया , जरा अपनी आत्मा में भी झांक कर देखो । क्या तुमने कभी फ्री में केला खाया है । तुम देश का विकास चाहते हो कि विनाश ।

चिन्हित होते ही शक्स एकाएक भीड़ से गायब हो गया ।

मेवा राम ने राहत की सांस ली और ओपन पब्लिक में दूसरा सवाल उछाला - भाइयो और बहनों , पड़ोसी देशों में विशेष वर्ग के लोग , जो पीड़ित हैं उन्हें हमारे यहां नागरिकता मिलनी चाहिये कि नहीं । यह हमारा प्लान नहीं है । फलां - फलां डेट को गांधी जी ने भी यही कहा था ।

गांधी जी हतप्रभ - मैंने ऐसा तो नहीं कहा था ! मेरी नज़र में तो समाज में जो भी पीड़ित है, उसे न्याय मिलना चाहिये । इय धरती पर सबका अधिकार है ।

कल्लू धोबी ने पूछा - नागरिकता माने ?

रामखेलावन माली ने कहा - नागरिकता माने , वोट देने का अधिकार ।

भीड़ में से किसी भक्त ने समझाया - वोट माने, हमें इन्हीं को चुनना है । इन्हीं की सरकार बनानी हैं । बोलो ‘क ‘ पार्टी की जय । मेवा राम जी की जय ।

अपनी मां की बीमारी का सस्ता इलाज़ कराने कैनेडा से भारत आई मिनी नंे काउंटर अटैक किया - पर हमारे यहां तो सिटिजनशिप का मतलब गारटिंड शि़क्षा , कन्फम्र्ड इप्लाइमेंट, बेहतर पानी , बिजली , स्वास्थ्य एंड ओल्ड एज़ पेंशन है । हाल ही में मिनी ने प्रिग्नैंसी टूरीज़़्म के तहत अपनी बहन को कैनेैडा भेजा है ।

नेता जी ने आश्वासन दिया - अगर हमें जिताओगे तो यहां भी देंगे ।

दसवीं के एक विद्यार्थी ने अपने टूटे हाथ को हवा में लहराते हुये पूछा - गडढ़ों से सड़क कब निकलेगी ?

नेता जी ने उघर न देखते हुये अपनी पीठ थपथपाई - माताओ और बहनों - अभी गैस सिलेंडर दिया है कि नहीं । जरा बताओ । बिजली के खंबे लगवाये कि नहीं ?

एक ग्रामीण ने पूछा - इलैक्शन के बाद खंबे उखाड़ तो नहीं लिये जायेंगे ? पिछली बार खंबे इलैक्शन रिज़ल्ट के चंद मिनटों बाद ही उखाड़ लिये गये थे ।

नेता जी ने कोई उत्तर नहीं दिया ।

दूूसरे ग्रामीण ने पूछा - सिलेंडर में गैस कौन भरेगा । किसानी डूबने के कारण , घर का खर्च चलाने के लिये उसे अपना सिलेंडर शादियों में किराये पर देना पड़ता है । अब वह चार पैसे कमाकर , बेटी की शादी करना चाहता है ।

एक बुज़ुर्ग ने पूछा - बलात्कार कब कम होंगे ?

नेता जी ने भरोसा दिलाया - हमारे जीतने पर एक भी बलात्कारी नहीं रह जायेगा ।

बुज़ुर्ग ने शंका व्यक्त की - आपकेे मंत्री रामफेर का क्या हुआ ? बलात्कार - हत्या का दोषी होने पर भी वह आपकी पार्टी में है । आप पर विश्वास कैसे किया जाये ।

नेता जी ने सवाल अनसुना कर दिया ।

एक पार्टी कार्यकर्ता ने नेता जी के कान में सूचना दी - अमुक राज्य में पांच विधायक बागी हो गये हैं । सरकार गिर सकती है ।

नेेता जी का मॅंुह लाल हो गया । क्रोघ में बोले - कहां मर गई सरकारी एजेसियां ? छापा टीम कहां हैं ? पीछे लगा दो सालों के । बच के जायेगें कहां ।

कार्यकर्ता ने कहा - खरीद - फरोक्त में सरकारी खज़ाना खाली हो रहा है ।

होने दो । टैक्स बढ़ा कर रिकवर कर लेंगे । चिंता करने की कोई जरुरत नहीं है ।

कीमतें आसमान छू रही हैं।

छूने दो । बाद में निपट लिया जायेगा ।

कंघे पर हाथ रखकर उन्होने कार्यकर्ता को पोलियो की दवा पिलाई - अबे गांठ बांध ले , सत्ता हमारी गर्लफ्रेंड है । साली को पाने के लिये कुछ भी करेंगे । कोई सीमा नहीं । कोई बैरीगेट नहीं ।

कार्यकर्ता मुस्कराता हुआ चल देता है ।

एम. टैेक पास दिनेश ने प्रश्न किया - हमारा चाय - पकोड़े का बिज़नेस आपकी नोटबंदी से चैपट हो गया । क्या सरकार हमें कंपनशेशन देगी ? नोटबंदी से रामराज्य लाने की कल्पना सरकार की थी ।

एक अबला ने अपनी सूजी आंख दिखाते हुये गुहार लगाई - हमार मरदवा शराब पी के हमें पीटता है । हमें भी कंपनशेशन चाहिये । - ‘बेटी बचाओ , बेटी पढ़ाओ ‘ का नारा भी सरकार का है ।

नशे में धुत्त अबला के पति ने गुजारिश की - आपके अमुक राज्य में शराब बंदी है । दारु ब्लैक में दोगुने रेट में मिलती है । मुनाफ़ाखेरर चांदी कूट रहे हैं । मजा़ नहीं आ रहा । घर का कोना - कोना कर्ज़े में डूब गया है । दारु दो , वोट लो । हमारे सारे साथी आपके साथ हैं ।

देसी शराब बनाने वाले राधे ने डिप्लोमैटिक विरोध किया - शराब से वायलेंस होती है । घर तबाह हो जाते हैं । शराब नैतिक स्तर पर मनुष्य को कमजोर कर देती है । शराब बंद होनी ही चाहिये । उसे अपने व्यापार की चिंता है ।

नेता जी ने अबला को भरोसा दिलाया - चिंता न कीजिये । हमारा काम अबलाओं को सहारा देना है । आप शिकायत दर्ज़ कराइये । सिपाही प्रतिदिन आपके पति का मुंह सूंघने आया करेगा ।

नेता मेवा राम जी को अचानक कुछ याद आ गया । वे भावुक हो गये - भाइयो और बहनों , हमें नव भारत का निर्माण करना है । देश को विकास के चरम पर ले जाना है । यह गांधी और पटेल का देश है । हमें हमेशा उनके मार्ग पर चलना है । बाबू जवाहर पीछे छूट गये ।

नेता जी के ठीक बायीं ओर से हवा का तेज़ झोंका आया - सब झूठ । सब झूठ । स्थानीय राजकीय कालेज़ के विद्यार्थी फीस बढ़ोतरी के कारण आंदोलन पर थे ।

नेता जी ने उधर घ्यान नहीं दिया । उन्होंने लोगों से पूछा - भाइयो और बहनों , आप ही बताइये , आप रोज गांधी मार्ग पर चलते हैं कि नहीं ?

मसखरा ननकू आनंद से झूम उठा - ई तो ससूर का नाती बहुत बड़ा फिलास्फर है भाई । जियो लाल जियो । हमरो वोट तोहरे साथ है ।

नेता जी आगे बढ़े - मैं इस मंच से अपने व्यापारी भाइयों से अपील करना चाहता हूं कि उन्हें नैतिकता का पालन करना चाहिये । उन्हें अपने दिल में मानवीयता जगानी होगी । इस देश में बहुत गरीब लोग हैं । उन्हें दया करनी चाहिये ।

मंच पर बैठे व्यापारियों ने होंठ चबाते हुये कहा - हम सब आपके साथ हैं । व्यापारी नेता जी को मन ही मन कोसते हुये बुदबुदाये - चंदा भी लेते हो और मानवीयता की शपथ भी हमीं से दिलाते हो । वाह रे तेरी । पोपट समझ रखा है क्या ?

नेता जी ने भाषण समाप्त करते हुये कहा - भाइयो और बहनों , हम सब को मिल कर , बापू के इस देश को स्वर्ग बनाना है । उनके रामराज्य के सपने को पूरा करना है ।

पर, आपके राज्य में तो गांधी जी की मूर्तियां तोड़ी जा रहीं हैं । क्या गांधी जी के मूल्यों को जीवित कर पायेंगे । गांधी जी के अनुयायी मन्नालाल ने आशंका जताई ।

व्यथित मन्नालाल ने लगभग रोते हुये कहा - बापू ने रंग - भेद , जाति भेद के अंतर को समाप्त किया । धर्म व जाति से उपर उठकर सामूहिक रुप से कार्य करने की प्रेरणा दी । पर मैं पूछना चाहता हॅं कि आज उनके आदर्श कहां हैं ? अहिंसा और आपसी भाईचारे की भावना कहां गायब हो गई ?

नेतागण अपने काम के बल पर वोट न मांगकर एक - दूसरे पर कीचड़ उछाल कर सत्ता का आनंद लेना चाहते हैं । भाषा पर कोई लगााम नहीं । कहीं सब्र नहीं ।

आज बापू कहां हैं ? कहां है उनका आस्तित्व । हमने उन्हें महज़ मूर्तियों , भजन - कीर्तन, सांस्कतिक सभाओं , इलैक्शन भाषणों , खादी वस्त्रों की डिस्काउंट सेल तक सीमित कर दिया गया है ।

नेता जी का चेहरा गुस्से से तमतमा उठा । नथुने फड़कने लगे । परंतु उन्होने पानी पिया और अपने लोगों को इशारा करते हुये बड़े संयम से बोले - यह विरोधियों की चाल है । वे नव - भारत के विकास में रोड़े अटकाना चाहते हैं । हम ऐसा नहीं होने देंगे ।

एक भक्त ने अपने साथी को आंख मारी - बच के रहना रे बाबा । बच के रहना रे । बहुत चिपकता है । पुराना खिलाड़ी है । ऐसे नहीं मानेगा ।

भक्तों ने अपने - अपने झोले टटोले । टमाटर , अंडे , जूते जिसके हाथ जो लगा , बरसाने लगे । एको भक्त ने मन्नालाल के मुंह पर कालिख पोत दी । दूसरे ने उन्हें धक्का देकर गिरा दिया ।

उधर , भाषण समाप्त होते ही पार्क के बाहर खड़े , ठेकेदारों से ‘दिहाड़ी ‘ लेने के लिये लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी । धक्का-मुक्की होने लगी । सभा में भगदड़ मच गई । गांधी जी गिर गये। भीड़ उनकी छाती पर से गुजरने लगी । बापू का शरीर लहुलुहान हो गया था । चेहरा खून से लथपथ था । लंगोटी तार - तार हो गई थी । ऐनक कूड़े के ढे़र के पास कुचली पड़ी थी और उनकी लाठी स्थानीय गुंडों ने हथिया ली थी ।

चलत मुसाफिर मोह लिया रे , पिंजरे वाली मुनिया . . ।

सरकारी स्कूल की बिल्डिंग पर लघु शंका करता हुआ नशे में धुत्त मनसुख लाल मस्ती में उन्मुक्त गा रहा है ।

- डा. नरेंद्र शूक्ल