Lena Kya- Dena Kya in Hindi Travel stories by Narendra Rajput books and stories PDF | लेना क्या ? - देना क्या ?

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लेना क्या ? - देना क्या ?

लेना क्या ? - देना क्या ?


हमें यह पता चल जाए की जीवन में कब कहाँ से क्या लेना है और कहाँ क्या देना है तो यह धरती स्वर्ग समान लगे। आज कल जप-तप करना इतना आसान नहीं है पर हाँ अच्छे विचार से जीवन की कई सारी परेशानी दूर कर सकते है। इस बात को विक्रांत नाम के एक विद्यार्थी ने अपने एक छोटे से प्रवास दरम्यान बहुत अच्छी तरह से समझा।


विक्रांत अपने एक परीक्षा के लिए गया हुवा था पेपर ठीक नहीं गया था तो वो थोड़ी चिंता में था। परीक्षा ख़तम होने के बाद जब वो बहार आया तो देखा कुछ दूर पर एक समुद्र किनारा है तो उसने सोचा चलो थोड़ा समय यहाँ रुक कर फिर घर जाता हूँ। दरिया किनारा था और इतवार का दिन था तो काफी लोग अपनी छुट्टी यहाँ बिताने आये थे सभी को मजाक मस्ती कर देख कर विक्रांत का मन भी थोड़ा शांत हुवा। फिर वो अपने बस स्टॉप पर चला गया दरिया किनारा था इसलिए बस स्टॉप पर थोड़ी भीड़ हो गयी थी। बस के आते ही विक्रांत बस में बैठ गया थोड़ी देर बाद अचानक से एक व्यक्ति बस के बहार से विक्रांत के पीछे बैठे हुवे व्यक्ति को भला बुरा बोलने लगा था। बस में बैठा व्यक्ति सब कुछ सुनता रहा और एक शब्द भी नहीं बोला यह देखकर विक्रांत थोड़ा हैरान हुवा। विक्रांत सोच में पड़ गया की माना बस में बैठे व्यक्ति की गलती होगी धक्का लग गया होगा पर उसे कुछ तो बोलना चाहिए था।


जैसे जैसे बस आगे बढ़ी गर्दी कम होते गयी। विक्रांत और वो व्यक्ति दोनों एक ही बस स्टॉप पर उतरे। विक्रांत से रहा नहीं गया आखिर उसने जोर से आवाज़ लगायी अंकल एक बात पूछनी थी। वो बोले हा बोलो बेटा क्या हुवा? जब से बस में बैठा हूँ एक बात कब से सतायी जा रही है। वो व्यक्ति बोले बोलो क्या बात है? विक्रांत बोला बस में जब आप बैठे तब एक व्यक्ति आपको कितनी गाली दे रहा था आपने एक शब्द भी नहीं बोला। उस व्यक्ति ने मुस्कुराया और फिर कहा की हाँ उसने गालियां तो बहुत दी पर मेने ली ही नहीं। विक्रांत के चेहरे पर जैसे प्रश्नार्थ चिन्ह बन गया। वो बोला अंकल में कुछ समझा नहीं।


अंकल बोले पहले तुम एक बात बताओ जब तुम बस में बैठे तब एक मूंगफली वाला तुम्हे कब से मूंगफली दे रहा था तो तुमने उसे पैसे क्यों नहीं दिए? विक्रांत तुरंत बोला वो मूंगफली दे रहा था पर मेने ली ही नहीं तो फिर पैसे किस बात के ? अंकल मुस्कुराये और आगे चल पड़े। विक्रांत को उसके सवाल का जवाब मिल गया और वो समज गया की दुनिया हमें अच्छी और बुरी दोनों चीजे देती है हमें निर्णय लेना है की क्या लेना है और क्या छोड़ कर आगे निकल जाना है।


हमें भी जीवन में ऐसे ही विचार रखने चाहिए और जीवन की छोटी छोटी परेशानीओ को एक गीत(में जिंदगी का साथ निभाते चला गया हर फिक्र को..... ) गाते हुवे अनदेखा कर देना चाहिए


जय हिन्द


नाम: नरेंद्र राजपूत

शहर : मुंबई