प्यार आखिर प्यार होता है, फिर चाहे वो लडके-लडकी के बीच का प्यार हो या फिर लडके-लडके के बीच का. लव हेझ नो जेन्डर. ऐसे संवेदनशील मुद्दे को लेकर आई ‘शुभ मंगल ज्यादा सावधान’ की कहानी है दो लडकों की. दिल्ली में रहनेवाले कार्तिक (आयुष्मान खुराना) और अमन (जीतेन्द्र कुमार) एक दूसरे से प्यार करते है. बहन की शादी में गांव आए अमन के परिवारवालों को जब पता चलता है की उनका बेटा अमन समलैंगिक है तो उन पर जैसे पहाड तूट पडता है. सब मिलके अमन की इस ‘बीमारी’ का इलाज करने के लिए उसकी शादी करवा देने की कोशिश में जुड जाते है. आखिरकार कार्तिक-अमन की लवस्टोरी का क्या होता है, ये जानने के लिए आपको देखनी पडेगी ‘शुभ मंगल ज्यादा सावधान’, जिसकी कोई खास जरूरत नहीं है. बताता हूं की क्यों…
प्रोब्लेम फिल्म के एडल्ट कन्टेन्ट, इसके बॉल्ड विषय में नहीं है. प्रोब्लेम है फिल्म की स्क्रिप्ट और निर्देशन जो दर्शक के दिमाग में फिट बैठने से मना करता है. निर्देशक हितेश केवल्य ने इस फिल्म के विषय को कुछ ज्यादा ही हल्के में ले लिया है, एसा लगता है. 2017 की हिट फिल्म ‘शुभ मंगल सावधान’ की कहानी केवल्य ने ही लिखी थी, और वो अच्छी थी. लेकिन यहां वो एक अच्छी स्क्रिप्ट लिखने में काफी हद तक चूक गए है. उनका निर्देशन भी बिखरा हुआ सा लगा. फिल्म में कुछ सिच्युएशन तो इतनी बेतूकी है की पूछो मत. बेटे की समलैंगिकता को खत्म करने के लिए मा-बाप उसका क्रियाकर्म करवा देते है, जो की इन्सान की मौत के बाद ही किया जाता है. भारत में भला कौन मा-बाप एसे होंगे जो अपने जिंदा बेटे का क्रियाकर्म करवाने का पाप करेंगे..? कोमेडी करने के चक्कर में निर्देशक ने 2-3 और बेकार से सिच्युएशन डाले है जिनका न तो लोजिक समज में आता है और न ही उनसे कोई कोमेडी नीकल पाती है. सहायक पात्रों के बीच की नोंकजोंक को भी निर्देशक ने इतना महत्त्व दे दिया है की कई बार कहानी मूल मुद्दे से भटक जाती है. कार्तिक-अमन कैसे मिले, कैसे उनको एक दूजे के प्रति आकर्षण हुआ, आकर्षण कैसे प्यार में बदला… कुछ भी नहीं दिखाया गया. बस सिर्फ सरफेस पर खेलकर निर्देशक ने एक अनोखी रोमेन्टिक कोमेडी बनानी चाही है, जो की बन नहीं पाई. विदेशों में ‘ब्रोकबेक माउन्टेन’ और ‘कॉल मी बाय योर नेम’ जैसी आलातरिन फिल्में बनती है होमोसेक्स्युआलिटी के विषय पर और हमारे यहां कोमेडी बनाने के चक्कर में इस सब्जेक्ट को मजाक बना दिया जाता है. एसी फिल्मों की वजह से ही समलैंगिक लोगों के जज्बातों का समाज भी मजाक बनाता है. पिछले साल रिलिज हुई ‘एक लडकी को देखा तो एसा लगा’ में समलैंगिक विषय को ज्यादा बहेतर ढंग से प्रस्तुत किया गया था. दो लडकीयों के बीच की वो लेस्बियन लव स्टोरी भी चली नहीं थी, लेकिन उसकी ट्रिटमेन्ट ज्यादा अच्छी थी. ‘शुभ मंगल ज्यादा सावधान’ की स्क्रिप्ट खराब है और डायलोग भी कुछ खास नहीं है. दर्शक ठहाके लगा उठे एसा एक भी डायलोग नहीं है फिल्म में.
कमजोर लिखावट के बावजूद अभिनय में तकरिबन सारे कलाकार अच्छे है. अलग अलग प्रकार की भूमिकाओं का चयन करके हमेशा कुछ नया देनेवाले आयुष्मान खुराना ने इस बार एक होमोसेक्स्युअल का पात्र निभाने का डेरिंग किया है. इस केरेक्टर को उभारने में भी वो कामियाब हुए है, लेकिन कभी कभी वो ओवर एक्टिंग भी कर जाते है. उनकी हरकतें, भावभंगिमा कई बार फालतू लगती है. उनके मुकाबले उनके लव इन्टरेस्ट बने जीतेन्द्र कुमार ज्यादा बहेतर, ज्यादा सहज लगे. उनके अभिनय में एक ठहेराव है, गंभीतरा है जो उनके किरदार में बहोत जरूरी थी. दोनों कलाकारों के बीच की केमेस्ट्री बढिया लगी. वो एक दूसरे के साथ इतने कम्फर्टेबल है की लगता है की वो रियल लाइफ में भी कपल ही है. दोनों के बीच फिल्म में दो लिपलॉक सीन है, और दोनों ही बढिया है. किसिंग भी उन्होंने इतने स्वाभाविक ढंग से किए है. सहायक कलाकारों में नीना गुप्ता सबसे बेस्ट लगीं. फिल्म के सबसे ज्यादा फनी डायलोग उनके खाते में गए है और उन्होंने जमकर अपनी जबान चलाई है. उनके पति के रोल में गजराज राव भी बढिया लगे. ‘बधाई हो’ की इस जोडी के बीच की केमेस्ट्री भी यहां खूब रंग लाई है. ‘गोगल’ के रोल में मानवी गगरू, कुसुम बनी पंखुडी अवस्थी तथा गोगल के माता-पिता की भूमिका में मनुरिशी चढ्ढा और सुनिता राजवर भी एक नंबर लगें. एक्टिंग डिपार्टमेन्ट से कोई फरियाद नहीं है, सारा कूसूर बस… लगातार 7 सफल फिल्म देकर धमाल मचानेवाले खुरानाजी के हिट-ट्रेक पर आपने फूल-स्टॉप लगा दिया, केवल्यजी…
फिल्म में ज्यादा गाने नहीं है, जितने है उतने अच्छे है. ‘मेरे लिए तुम काफी हो…’ बेस्ट लगा. ‘यार बिना चैन कहां रे…’ का रिमेक भी अच्छा है. फिल्म के टेक्निकल पासें उत्तम है. उस में कोई बडा तीर नहीं मार लिया क्योंकी वो तो आजकल की हर फिल्म में अच्छी ही होते है. स्क्रिप्ट पे ज्यादा ध्यान दिया गया होता तो इस ‘शुभ मंगल ज्यादा सावधान’ का बॉक्सऑफिस कलेक्शन भी ज्यादा उत्त्म होता. मेरी और से इस निराशाजनक प्रस्तुति को 5 में से 2.5 स्टार्स. इन्डिया को अब भी अपनी पहेली ‘ब्रोकबेक माउन्टेन’ का इन्तेजार रहेगा...