adhuri havas - 23 in Hindi Horror Stories by Baalak lakhani books and stories PDF | अधूरी हवस - 23

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अधूरी हवस - 23


अचानक से दो साल गुजर जाने के बाद मिताली का कोल आता है राज के ऊपर.

मिताली :हैलो, केसे हो?
(आवाज सुन कर चौक जाता है, वोह तुरंत पहचान जाता है.)

राज : हा हैलो, बहोत बढ़िया हू, तुम बताओं? तुम केसी हो, सब ठीकठाक तो हे ना?
(हस्ते हुवे)
मिताली : हा बाबा सब ठीक ठाक है,आपने तो आपना सेल नंबर ही बदल दिया था? नाता ही तोड़ दिया हमसे क्या इतने बुरे तो हम थे नहीं.

राज : नहीं एसी बात नहीं है, उस वक़्त के हालात ऎसे थे जरूरी था. कहा से नंबर मिला?

मिताली : बात करने की चाह हो तो सब मिल ही जाता है, आपको कभी नहीं दिल किया मुजसे बाते करने का, कभी कोल करके पूछ भी लू एसा कभी नहीं हुवा?

राज : हा होता तो था पर फिर अपने आप को समजा लेता था और मेरे पास तुम्हारा नंबर भी नहीं रहा था.

मिताली : क्यू? आप तो कहते थे कभी नहीं निकलेगा तुम्हारा नम्बर.

राज : वक़्त की मांग थी कहा तो सही.

मिताली : कितने दिनों से आपसे बात करनी थी, पर हो ही नहीं पाती थी आज मेरे मायके आई हू तो माँ ने कहा आप माँ से हर पन्द्रह दिन मे बात करते हैं, उनकी खैरियत पूछते रहते हैं, मुजे तो यकीन नहीं हुवा पहेले तो माँ से आपका नम्बर लिया और कोल करदी पर आप ने तो तुरंत आवाज से पहचान लिया मुजे, और अच्छ भी लगा के आप ने एक वादा मेरा निभाया, उसके लिए आपका शुक्रिया केसे अदा करू मेरे पास शब्द नहीं हैं, आपके लिया.

राज : शुक्रिया अदा करना पडे एसा रिसता नहीं हमारा , अच्छा बताओ तुम खुश तो होना?

मिताली : हा मे खुश हू और सब की आदत भी पड गई, सही कहा था आपने वक़्त सब कुछ सीखा देगा एक बार कोशिश तो करो. पता हें मे माँ बनने वाली हू, और ये बात आपसे कितने दिनों से बताना चाहती थी पर, पर आपके साथ हुई वोह आखिरी बातों ने मुजे रोक दिया था.

राज : बढ़ाई हो तुम्हें, फिर एक बार तुम नई जिंदगी मे सफर सुरू करने जा रही हो, ये सफर भी तुम्हारा सुहाना हो ये हमारी दूवा हे .

मिताली : आपकी दूवा तो हर वक़्त मेरे साथ ही हे, आपका लड़का केसा हे? अब तो बड़ा हो गया होगा ना?

राज : हा बहोत शैतानी हे, और जिद्दी भी हे.

मिताली : अच्छा आप पर गया हे तो फिर.

राज : हा एसा ही समझलो.

मिताली : चलिये अब बहोत बाते हो चुकी, और भी बाते बहोत करनी हे आपसे पर बाद मे, क्या मे कर सकती हू ना कोल आपको? कहीं फिर से आप नंबर तो बदल नहीं देंगे?

राज : अरे नहीं कर सकती हो, एसा कुछ नहीं होगा अब जब चाहे करो, तुम्हारी माताजी और तेरे भाई को मेरी याद देना.

राज को अच्छा लगा के मिताली अब अपने संसार मे अच्छे से रहने लगी हे उसकी बातों से लगता है, रात को राज अपने अलमारी मे छुपा के रखी हुई डायरी को ढूंढता है, जो मिताली की शादी के बाद वोह रोज लिखता था, एक पल मे वोह सारे लम्हे उसकी आँखों के सामने से एक रील की तरह गुजरने लगते हैं. फिर वोह डायरी को अपने ऑफिस के बेग मे याद से रख देता है.

दूसरे दिन राज अपनी वोह डायरी को मिताली के घर पर कूरियर कर देता है, शायद वोह डायरी मिताली के लिए ही लिखी होंगी.

उधर थोड़े दिनों बाद मिताली के घर कूरियर जाता है, और भेजने वाले का नाम देख कर फूली नहीं समाती, फटक खोलकर देखने लगती है, तो एक चिट्ठी होती है.

डियर मिताली

तुम बहोत ही अच्छी होंगी तुम्हारे घर पर सब लोग अच्छे होंगे, मे तुम्हें कोल कर करभी बता सकता था पर ये डायरी के बारे मे, इस डायरी मे वोह सारे सवाल के जवाब हे जो तुम्हें मेने आज तक नहीं दिए, मे उन्हें हर वक़्त टालता रहेता था, मुजे लगा के अब सही वक़्त हे तुम्हें उन बातों को समझने के लिये, और तुम समज भी सकोगी ये मुजे तुम पर यकीन हे. तुम इस डायरी को अपने मायके मे हो तब तक मे पढ़ लेना, फिर इसे सम्भाल कर रखने की जरूरत नहीं.

खत पढ़ने के बाद मिताली तो बहोत ही उत्सुक हो गई डायरी को खोलकर जल्दी से पढ़ले , पर उसके पहेले वोह सीधा राज को कोल करति हे.

राज : हा हैलो, केसी हो?

मिताली : बहोत बहोत अच्छी हू, और पूछेंगे नहीं क्यू?

राज : क्यू क्या हुवा?

मिताली : आप ने कुछ भेजा था?

राज : हा भेजा था, एक डायरी भेजी थी तुम्हारे लिए कितने दिनों से बोझ बने बैठी थी सो तुम्हें भेज दी अब तुम उठाओ वोह बोझ.

(कहे कर हसने लगता,)

मिताली : कोई बोझ नहीं लगेगा मुजे, क्या हे उसमे बताये ना.

राज : अरे अब तुम माँ बनने वाली हो और ख़ुद बचपना कर रही हो, अब तो बच्चों वाली हरकते बंध करो.

मिताली : वोह आपके पास ये नहीं हो सकता.

राज : ओह एसा क्या, ठीक हे तुम्हें उसमे सारे सवाल मिल जाएंगे जो तुम पूछा करती थी.

मिताली : मतलब सारे के सारे?

राज : हा सारे के सारे.

मिताली :ठीक है.

क्रमशः.......

क्या बात होगी जो राज अभी भी मिताली को बताना चाहता है, अखिर क्यू जब मिताली अपनी जिंदगी मे आगे बढ़ चुकी है, तो जरूरत क्या है.

पढेंगे अगले पार्ट मे