Kashish - 6 in Hindi Love Stories by Seema Saxena books and stories PDF | कशिश - 6

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कशिश - 6

कशिश

सीमा असीम

(6)

सुबह ही राघव से बात हुई थी मन पूरे दिन बड़ा खुश रहा था ! शाम को फिर उसका फोन आ गया !

कैसे हो आप ? अचानक से उसके मुंह से निकाल गया !

बढ़िया हूँ और तुम ?

बिल्कुल आपकी ही तरह बढ़िया !

राघव उसकी बात सुनकर हंस पड़ा ! वो भी हंसने लगी !

अरे सुनो पारुल !

हाँ जी ! वो अभी भी हंस रही थी !

पहले यह बात सुन लो जिसके लिए फोन किया है नहीं तो तेरो हंसी के चक्कर मे सब भूल जाऊंगा !

जी बताइये !

देख एक खुश खबरी तूने दी सुबह को और एक मैं दे रहा हूँ !

जी क्या ? वो खुशी से चंहकी !

पता है जो एक सेमिनार के बारे मे तुझे बताया था न ! अब वो होने जा रहा है !

कौन सा नॉर्थ वाला ?

हाँ वही !

अच्छा कब है ?

दो महीने बाद !

मतलब अभी दो महीने और इंतज़ार ! उसने मन में सोचा !

क्या सोचने लगी ? बोल क्यों नहीं रही ?

कुछ नहीं, बस यही कि दो महीने बाद हम मिलेंगे !

अरे वो तो जब तू चाहें मिल लेंगे, पहले इस सेमिनार का देखो ! मैं पूरी डिटेल भेज रहा हूँ ! अपनी ईमेल आईडी दो !

और हाँ सुनो देखकर मुझे बताना !

ओके जी ! मैं अपनी आईडी आपको मेसेज कर रही हूँ !

उसने जैसे ही अपनी आईडी भेजी, वैसे ही फौरन राघव का मेल आ गया !

वो मेल देखकर खुशी से भर उठी ! कभी कभी और कोई कोई दिन वाकई खुशियों भरा होता है ! वैसे खुशियाँ तो मन कि होती हैं बस कोई निमित्त मात्र बन जाता है !

सेमिनार की डेट उसके मन के अनुकूल ! उसके एक्जाम हो जाएंगे ! इंटरव्यू हो जाएगा और दीपावली भी हो जाएगी ! क्योंकि अगर इनमे से कोई भी आड़े आती तो या तो वो जा नहीं पाती या घर में परमीशन नहीं मिलती !

वो जाएगी जरूर जाएगी ! उसने मन में निश्चय किया !

पापा और मम्मी को मना लेना आसान है क्योंकि वे उस पर बहुत विश्वास जो करते हैं ! वो भी कभी उनका विश्वास नहीं तोड़ेगी चाहें कुछ भी हो जाए !

सब कुछ बहुत सही से चल रहा था मन बेहद खुश था जब जी चाहा गुनगुनाती झूमती हवा की तरह इतराती और कभी फूलों की तरह खूब खिलखिला कर हंस लेती ! न जाने कौन से पुण्य उदय हुए थे कि चारो तरफ बस खुशियाँ ही खुशियाँ बिखर गयी थी !

उसकी खूबसूरत हंसी और चमकती मुसकुराती आँखें सब वयाँ करने को काफी थी कि उसे प्यार हुआ है, वो प्यार में है ! सिर से लेकर पाँव तक प्रेम में लबरेज !

आज उसे इंटरव्यू के लिए जाना था तो सबसे पहली काल राघव को करेगी क्योंकि उससे बात करते ही उत्साह दुगुना हो जाता है !

राघव को फोन मिलाया बात की तो उसने एक एक बात बड़े कायदे से समझाते हुए कहा था देखो, इस तरह से करना, कोई भी तनाव या चिंता फिक्र अपने दिलोदिमाग से निकाल देना ! यह समझ लो अपनी पूरी जान डाल देना ! जब तुम अपना 100 प्रतिशत दोगी तो तुम्हारे अंदर आत्मसम्मान आ जाएगा और तब तुम हर हाल में जीत जाओगी !

जी ठीक है !

आफिस में पहुँचते ही सबसे पहली मुलाक़ात विनय सर से हो गयी वो उसे देखते ही बोले ! अरे पारुल क्या आज तुम इंटरव्यू के लिए आई हो ?

जी सर ! उसे बहुत खुशी हुई कि विनय सर ने इतने लोगो के बीच उसे पहचान लिया था ! वो अपने आलेख, लघुकथा बगैरह छपने देने के लिए यहाँ आती रहती थी !

आवेदकों की संख्या बहुत ज्यादा होने के कारण पहले ऑनलाइन एक्जाम हुआ और बताया कि इसमे पास हुए लोगों को ही इंटरव्यू के लिए बुलाया जाएगा !

ओहह यह हर जगह बड़ी मुसीबत है ! 2 या 3 लोगों की सीट के लिए करीब 100 लोग तो थे ही यहाँ पर ! वैसे सरकारी जगह होती तो कम से कम एकाध लाख लोगों ने फॉर्म भरा ही होता ! यह केवल लोकल एरिया वालों के लिए था तो इतने लोग थे ! बढ़ती जनसंख्या और घटती हुई जाब की संख्या ! पता नहीं अब क्या होगा ! खैर जो भी होगा, ठीक ही होगा, उसने मन में सोचा !

अब धीरे धीरे बड़े प्यारे से दिन गुजर रहे थे किसी के इंतज़ार में ! दो चीजों का इंतज़ार था और दोनों ही चीजें उसके जीवन के लिए बहुत ही अहम थी ! एक राघव और दूसरा यह मनपसंद जाब ! और दोनों को ही हर हाल में पाना है ! अपनी जान की बाजी लगाकर भी !

उसकी नॉर्थ वाले सेमिनार का फाइनल हो गया था उसने जाने के लिए हाँ बोल दिया था ! हालांकि अभी घर मे किसी को भी नहीं बताया था ! राघव ने उसके एक तरफ से टिकिट भी बुक करवा दिये थे ! दूसरी तरफ से क्यों नहीं कराये ! उसने सोचा !

पुंछ ही लेती हूँ ! जब उसने पूछा तो वे बोले, देख तुम्हें वहाँ पर इतने पैसे मिलेंगे कि तुम्हारा ट्रेन से आना जाना हो जाये ! लेकिन मैं दोनों तरफ से फ्लाइट से ही जाऊंगा क्योंकि मैं अपने ऑफिस की ज्यादा छुट्टी कर नहीं सकता ! इधर से मेरे साथ तुम्हारा भी फ्लाइट से करा दिया, उधर से तुम ट्रेन से करा लो !

उधर से मैं अकेले कैसे आऊँगी !

अकेले कहाँ पूरी ट्रेन मे भरे हुए लोग होंगे !

देखिये यह मज़ाक की बात नहीं है !

मैं मज़ाक कहाँ कर रहा हूँ !

मतलब मैं उधर से भरी ट्रेन पर अकेले आऊँ हैं न ?

अरे भाई बहुत सोचती हो ! अभी जल्दी ही टिकट करा लेना वरना सीट फुल हो जाएंगी ! और उधर से फोन कट ! उसे बहुत बुरा लगा कि राघव ने ऐसा क्यों किया ! खैर अब घर मे बताना ही पड़ेगा ! उसने पापा को बताया ईमेल भी दिखाया कि देखिये पापा यह सेमिनार है और उसका नाम सलेक्ट किया गया है !

क्या करूँ ?

तुम्हारा क्या मन है ?

मुझे जाना है यह मौके बार बार नहीं मिलते !

हाँ ठीक है लेकिन अभी जब तुम गयी थी तो कितना नुकसान हो गया था !

वो पहली बार था न ! और इस बार मैं अकेले नहीं हूँ बहुत से लोग हैं जो हमारे साथ जा रहे हैं !

ठीक है फिर तुम देख लो !

ओ पापा, आप कितने अच्छे हो ! बल्कि बहुत ही सरल और सज्जन जो उसकी हर बात आँख मूँद कर मान लेते हैं !

तभी उनकी हर जगह पर लोग तारीफ करते हैं लेकिन इतना सीधा इंसान भी नहीं होना चाहिए ! न किसी की कोई फिक्र न चिंता जिसने जो कह दिया वो ठीक है बस !

मम्मा पता नहीं मानेगी या नहीं समझ नहीं आ रहा था उनसे कैसे बात करे !

पापा एक प्रॉबलम है कि हमारे साथ के सब लोग फ्लाइट से आ जा रहे हैं !

तो इसमे कैसी प्रॉबलम तुम भी फ्लाइट से जाओ !

पापा पकका !

हाँ जी बेटा !

वो खुशी से झूम उठी, वाह पापा हो तो उसके पापा जैसे !

आज ही टिकट बुक करवा दो !

मैं कहाँ जाऊंगा तुम ही करा लेना !

उन्होने दुकान के सारे आइडिया दे दिये और साथ ही पैसे भी !

पापा आपके यह पैसे मैं वापस कर दूँगी !

कहाँ से कर दोगी ?

अरे मेरा जाब लगने वाला है और फिर वहाँ से भी मिलेंगे न !

पागल तेरे और मेरे पैसे कोई अलग थोड़े ही न हैं !

सच ही तो कह रहे हैं वो उनसे अलग थोड़े ही है लेकिन पापा आखिर कब तक करेंगे उसकी अपनी भी तो कोई ज़िम्मेदारी बनती है न !

जब ये लोग इतना करते हैं तो वो भी तो करेगी इन लोगों के साथ ! शाम को पापा ने उसे पैसे देते हुए कहा था कि मेगा कॉम्प्लेक्स मे एक एजेंट है वो सब जगह की टिकट करता है फ्लाइट और ट्रेन दोनों की कल तुम मम्मी के साथ जाकर करवा आना !

ठीक है पापा ! हे ईश्वर उसके पापा के जैसी हर लड़की के पापा ही जिससे किसी भी लड़की का कोई भी सपना अधूरा न रह जाये और जो वो सोचे वे सब सपने सबके सहयोग से पूरे होते जाएँ !

अगले दिन वो मम्मी के साथ गयी ! टिकिट बुक हो गया उसने वापसी का भी फ्लाइट का ही ले लिया एक तो जल्दी आ जाएगी और दूसरा पैसों मे भी कुछ खास अंतर नहीं था ! बल्कि मम्मी ने ही कहा था कि ट्रेन रहने दो उसमे अकेले बहुत परेशान हो जाओगी !

जब वापस घर के लिए आने लगे तो मम्मी ने कहा कि चलो तेरी बुआ के घर भी हो ले कब से जाना नहीं हुआ क्योंकि घर से निकलना हो नहीं पाता है जब यहाँ तक आए हैं तो उनके घर भी हो ले पास में ही तो हैं !

चलो ठीक है !

बुआ के घर पर उसे हमेशा ही बहुत अच्छा लगता है एक तो बुआ का प्यार से खूब खिलना पिलाना और उनकी बेटी रुही से उसकी खूब पटती भी है !

क्या बात है आजकल बड़ी खुश नजर आ रही है ? रुही ने उसे टोंकते हुए कहा !

नहीं ऐसी तो कोई खास बात नहीं है ! उसने मुसकुराते हुए बात टाली !

ये पारुल की बच्ची, मुझसे कुछ छिपाने की कोशिश मत करना, तुझे बचपन से जानती हूँ ! यह जो तेरे चेहरे की रंगत है न इसे देखकर ही सब समझा जा सकता है !

क्या समझा जा सकता है !

तू बताएगी या नहीं ? वो गुर्राई !

हे भगवान तू तो मुझे डरा रही है !

डरा नहीं रही हूँ ! बस सच जानना चाहती हूँ और यह मेरा अधिकार है !

क्या तेरा अधिकार है ?

तेरा सच जानना !

क्यों ?

क्योंकि मैं तेरी बहन और सहेली दोनों ही हूँ !

देख जो तू समझ रही है वैसा कुछ भी नहीं है बस मैं घूमने जा रही हूँ ! घूमने क्या यह सम्झो एक सेमिनार है वहाँ जाना है !

क्या तू पी एच डी कर रही है ?

नहीं !

तो कैसे ?

बस लिखने पढ़ने का शौक है !

हाँ वो तो मुझे पता है तेरे लिखने और पढ़ने के शौक के बारे में ! जहां देखो तेरे लिखे हुए शब्द दिख जाएंगे या फिर शटल से बुनी हुई लेस के टुकड़े !

हाँ तूने सही पहचाना !

क्यों नहीं पहचानूगी भाई ! बचपन से देखती आ रही हूँ !

हम्म ! मेरी प्यारी बहन ! पारुल उसके गले लगती हुई बोली !

अरे अब यह लाड़ छोड़ो और सच सच बताओ कि कहाँ जा रही हो ?

एक बात बताओ तू मेरी बहन है या कोई दुश्मन ?

अरे बहन हूँ इसमे पुछने वाली क्या बात थी !

तो तू मुझे हर समय डराती क्यों रहती है !

ओके अबसे ऐसे नहीं बोलुंगी !

यह हुई न बात !

देख मैं जा रही हूँ नॉर्थ और वो भी फ्लाइट से !

अरे वाह मामा जी, मान गए ?

हाँ हाँ, क्यों नहीं मानते भला ?

मेरे पापा तो कभी नहीं मानेगे ! खैर तू जा और मज़े कर !

लेकिन एक बात का ख्याल रखना !

किस बात का ?

कि जो तुझे अब तक न हुआ वो हो जाए !

क्या हो जाए ? यार साफ साफ बोला कर !

प्यार ! जैसे काजोल को अजय से हो गया था फ्लाइट के अंदर !

हे भगवान, क्या क्या सोचती है !

क्यों कुछ गलत तो नहीं कहा ! कहीं प्यार न हो जाये फिल्म में अजय को ऐसे ही काजोल से प्यार हुआ था !

तू इन सब बातों में बहुत अपना दिमाग खपाती है अगर इतना ध्यान पढ़ाई में लगाती तो तू भी कुछ बन जाती !

अब क्या करें अपनी तो हॉबी ही है फिल्में देखना और फिल्मी न्यूज़ पढ्ना !

तुझे इससे क्या फायदा होता है?

जो तुझे लिखने पढ़ने से होता है ! वो खूब ज़ोर से हँसती हुई बोली !

पारुल तू अकेले जा रही है न ? तो डरना मत और यह ले तेरा गुड लक!

रुही ने उसे बेहद खूबसूरत राधा कृष्ण की छोटी सी मूर्ति देते हुए कहा !

ठीक है, इसे मैं बहुत संभाल कर रखूंगी !

कितनी प्यारी है रुही !

अरे तुम दोनों बातें ही करती रहोगी या कुछ खाओगी भी ! बाहर से बुआ ने आवाज लगाते हुए कहा !

***