Dil ki zameen par thuki kile - 27 - Last part in Hindi Short Stories by Pranava Bharti books and stories PDF | दिल की ज़मीन पर ठुकी कीलें - 27 - अंतिम भाग

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दिल की ज़मीन पर ठुकी कीलें - 27 - अंतिम भाग

दिल की ज़मीन पर ठुकी कीलें

(लघु कथा-संग्रह )

27-बड़ी मम्मी

बच्चों की बड़ी मम्मी यानि नानी माँ | कॉलेज में संस्कृत की लेक्चरर थीं | अवकाश प्राप्ति के बाद कविता उन्हें अपने पास बंबई ले आई थी | पापा पहले ही नहीं रहे थे और बच्चों के नाम पर वह एकमात्र संतान थी | पुराने ज़माने के लोगों की तरह वो भी बेटी के घर आने से हिचकिचातीं किन्तु कविता के पति ललित उन्हें ज़बरदस्ती अपने साथ ले आए थे |

"क्या मम्मी ! आप पढ़ी-लिखी हैं, सब कुछ तो दे दिया आपने हमें अब बस अपने साथ रहने का सुख दे दीजिए --"बिना मन के सही उन्हें देहरादून से बंबई आना ही पड़ा |

कविता के बच्चे तो उन्हें बड़ी मम्मी कहते तो पड़ौस के सारे बच्चों की भी वो बड़ी मम्मी हो गईं थीं |ख़ाली कभी रही नहीं थीं, कॉलेज की आदत ---उनका बड़ा मन होता कोई उनसे पढ़े | दसवीं तक कविता के बच्चों ने भी संस्कृत ली थी | बहुत अच्छे नं आए उनके तो पड़ौस के बच्चों को भी माएँ बच्चों को उनके पास संस्कृत पढ़ने भेजने लगीं | पर बच्चे ठहरे शैतान !न उन्हें संस्कृत पढ़ने में कोई रूचि नहीं | वो शरारतें करते और बड़ी मम्मी खीज जातीं |

सामने के फ़्लैट में रीना शर्मा रहती थीं जो स्वयं भी स्कूल में संस्कृत की अध्यापिका थीं |
"अम्मा जी ! मुझे आज छुट्टी नहीं मिल रही है, नीतू की परीक्षा है | आप ज़रा उससे संस्कृत सुन लीजिएगा, पता नहीं कुछ याद भी है या नहीं ?" एक दिन स्कूल जाने से पहले रीना बड़ी मम्मी से बोलीं |
"तुम जाओ रीना, बिलकुल चिंता न करो | मैं नाश्ते के बाद नीतू के पास चली जाऊँगी --"बड़ी मम्मी के मुख पर मुस्कान खिल गई | कहीं तो उनकी उपयोगिता है, ख़ाली बैठे-बैठे बड़ी मम्मी बहुत बोर हो जाती थीं |

नाश्ता करने के बाद बड़ी मम्मी नीतू के पास गईं ;

"क्या बड़ी मम्मी, कुछ काम है आपको ? मम्मा तो नहीं हैं |"उसने दरवाज़े पर खड़े होकर बड़ी मम्मी से बड़ी मासूमियत से पूछा |

"अंदर तो चल ---ला मुझे अपने संस्कृत के चैप्टर्स दिखा, मैं सुनूँ तूने कितना याद किया है ---"

नीतू की माँ शायद उसे बताना भूल गई थी कि बड़ी मम्मी उससे सुनने आने वाली हैं | वह दरवाज़े से हट तो गई पर किताब बड़ी मम्मी के हाथ में नहीं दी |

"कल संस्कृत की परीक्षा है न ?"

"जी --है तो ---"

"तो किताब दे, रिवीज़न कर लेते हैं ----" बड़ी मम्मी बहुत उत्सुक थीं |

अचानक नीतू खिलखिलाकर हँसने लगी |

" क्या हुआ, दाँत क्यों फाड़ रही है ---?" बड़ी मम्मी को अब गुस्सा आने लगा था |

"आप नानी माँ हैं न, बड़ी मम्मी ?"

"हाँ---तो ----"

"तो नानी थोड़े ही पढ़ा सकती हैं | नानी तो बस खाना बना सकती हैं फिर आप कैसे पढ़ाने की बात कर रही हैं ?" नीतू हँसे जा रही थी |

बड़ी मम्मी का मुँह गुस्से से लाल हो गया | वो पैर पटकती हुई वापिस घर आ गईं |

"बड़ी बद्तमीज़ लड़की है, बताओ मैं पढ़ा नहीं सकती ---? उसकी माँ के जैसी पता नहीं कितनी मुझसे पढ़कर निकल गईं हैं ---"

रीना को जब स्कूल से आकर यह नाटक पता चला बेचारी बड़ी मम्मी के पास भागती हुई आई, कितनी माफ़ी माँगीं बड़ी मम्मी से और बताया कि नीतू की नानी शिक्षित नहीं हैं, वो पढ़ा नहीं सकतीं इसीलिए उसे लगा कि फिर नानी लोग कैसे पढ़ा सकती हैं?इसीलिए उसने यह सब कहा | बेचारी नीतू को बड़ी मम्मी से माफ़ी माँगनी पड़ी फिर भी उसे समझ में नहीं आया कि जब उसकी नानी बच्चों को नहीं पढ़ा सकतीं तो सामने वाले घर की नानी कैसे पढ़ा सकती हैं ?

डॉ. प्रणव भारती