Kashish - 5 in Hindi Love Stories by Seema Saxena books and stories PDF | कशिश - 5

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कशिश - 5

कशिश

सीमा असीम

(5)

आज पापा ने ऑफिस से घर आकर उसकी शादी कि बात छेंड दी, सुनो मेरे ऑफिस में ही एक लड़का है आज ही ट्रांसफर होकर आया है बहुत ही समझदार और इज़्ज़त करने वाला ! सोचता हूँ कि उससे पारुल की शादी की बात चलाई जाये !

आप को हर लड़का अच्छा लगता है पहले पारुल से तो पूछ लिया करो ! वो तो शादी का नाम सुनते ही भड़क जाती है !

क्यों, क्या उसे शादी नहीं करनी ?

करनी क्यों नहीं है बस उसने कह रक्खा है कि चार साल बाद करेगी ! पहले अपना कैरियर बना ले !

कोई उसे पसंद हो तो उसी से पूछ लो मैं चार साल तक इंतज़ार नहीं कर सकता ! अगले साल मेरा रिटायरमेंट है और तुम जानती ही हो कि रिटायरमेंट के बाद शादी करने में बहुत दिक्कतें आएंगी !

आप चिंता मत करो, हो जाएगी उसकी शादी ! कोई शादी ही तो जीवन का एकमात्र उद्देश्य नहीं होता है न !

यह तो ठीक है लेकिन तुम समझा तो करो !

हाँ मैं सब समझती हूँ ! अब वो पहले वाले जमाने नहीं रहे ! उसे अभी अपनी जिंदगी जी लेने दो !

पारुल अंदर से मम्मा की बातें सुन रही थी और खुश हो रही थी कि आज उसे अपने हक के लिए लड़ने को सामने नहीं आना पड़ा ! माँ ने ही बात सभाल ली !

मीडिया का जाब और लेखन उसकी यही दो तमन्नाए थी ! वो पूरी तरह से इनको पाने के लिए जी जान से लगी हुई थी और अब तो मन भी खुश था और हौंसला बढ़ाने के लिए राघव भी उसके साथ था !

वो खुद अपने मन में किसी ऊर्जा का संचार पाती थी ! किसी तरह से इन दोनों जगहों पर अपना नाम करना है चाहें जान चली जाये पर जाब तो सिर्फ मीडिया के क्षेत्र में ही करना है !

अगर हम अपने दिल में कुछ ठान ले और सच्ची लगन से उसे करने में जुट जाएँ तो कोई अनजानी सी ताकत हमें उस कार्य को करने की प्रेरणा देने लगती है और हम स्वतः ही कार्य करते चले जाते हैं फिर खुदबखुद रास्ते भी बनने लगते हैं और हम उस रास्ते पर चलने लगते हैं ! आज भी उसके साथ यही हुआ था ! बस तभी से मन की दृढता और भी ज्यादा दृढ़ हो गयी थी !

अपने ईमेल चेक करते हुए उसकी नजर नौकरी डॉट कॉम के मेल पर चली गयी ! किसी बड़े न्यूज़पेपर से इंटरव्यू के लिए कॉल थी !

वाओ !!! वो खुशी से उछल पड़ी ! अरे यह क्या आज मंदिर में जाकर सच्चे मन से प्रार्थना करने का फल है या फिर राघव के साथ लगाव का असर ! प्रेम का असर ही लगता है क्योंकि प्रेम के समय हमारे अंदर दुगुनी ऊर्जा का संचार होने लगता है अगर मन सच्चा हो तो !

यह खुशी सबसे पहले राघव को ही बतानी है ! लेकिन इतनी सुबह सुबह फोन पर बात करना ! मन में सोचा !

तो क्या हुआ ? कर लो ? मन ने ही जवाब दिया !

उसने खट से फोन मिला लिया !

फोन की पहली घंटी जाते ही उधर से फोन उठ गया मानों वो उसके फोन का ही जैसे इंतज़ार कर रहे हो !

हैलो !

हैलो राघव ! आज मैं बहुत खुश हूँ, बहुत बहुत बहुत ज्यादा ! पारुल खुशी से उछलती हुई बोल रही थी !

अच्छा, ऐसी कौन सी खुशी हासिल हो गयी है मुझे भी तो पता चले !

राघव आपको पता है ! मुझे न्यूज़पेपर वाले जाब के लिए इंटरव्यू काल आई है !

अरे वाह यह तो तुम्हारी मनपसंद जाब है न !

जी !

तो फटाफट से तैयारी करने में जुट जाओ और जी जान लगा कर इसे पास कर लो !

हाँ बिलकुल कर रही हूँ !

और घबराना बिलकुल भी नहीं ! पूरे आत्मविश्वास के साथ सारे जवाब देना सोच समझ कर ! ठीक है न ?

जी हाँ जी, ठीक है बाबा !

काश यह जाब मेरे लिए ही बनी हो और मुझे किसी भी हालत मे मिल जाये !

सुनो पारुल सबसे पहले तो यह काश शब्द अपने दिलो दिमाग से निकालो और आज के बाद कभी न तुम किसी और से बोलना न ही मुझे सुनने को मिले क्योंकि यह शब्द तुम्हारे लिए नहीं बना है !

ठीक है कभी नहीं बोलूँगी !

उसकी खुशी दोगुनी हो गयी और आत्मविश्वास कई गुना बढ़ गया था !

अब सुनो, हम हर वो काम पूरा कर सकते हैं या पा सकते हैं जो हम चाहते हैं, अगर सच्ची लगन हो और दृड संकल्प हो और एक बात हमेशा याद रखना, कोई काम करने से पहले संकल्प जरूर ले लो !

वैसे जिससे हमारे मन मिले होते हैं, उससे बात करने भर से ही हम खुशी से लबरेज और ऊर्जा से भर उठते है और राघव इतने आत्मविश्वास भरने वाली बातें करते हैं कि अपने आप से मन में विश्वास आ जाता है ! उसे आज सच में खुद पर ही गुमा हो आया !

उसने मुसकुराते हुए पहले खुद को शीशे में निहारा फिर वो खुशी के अतिरेक से गुनगुनाती हुई कमरे से बाहर निकली !

क्या बात बड़ी खुश हो ! मम्मा ने देखते ही टोंक दिया !

हाँ मम्मी खुशी की तो बात ही है मेरे पास इंटरव्यू के लिए काल आई है !

चलो बढ़िया है तेरी टेंशन तो खत्म हुई !

हाँ जी बिल्कुल खत्म !

बिल्कुल कैसे, क्या तेरे लिए ही यह जॉब रखी है कि तू जाएगी और वे तुझे दे देंगे ?

हाँ आप ऐसा ही समझो ! मुझे हर हाल में अपना यह जॉब पाकर ही रहना है !

हाँ यह कहो कि पाकर ही आना है ! खूब मेहनत करो खूब अच्छे से इंटरव्यू देना !

जी हाँ मम्मा, आप सही कह रही हो !

पारुल पूरी तैयारी के साथ इस इंटरव्यू को देना चाहती थी ताकि बाद में अफसोस न हो !

मम्मी बस आठ दिन के बाद है इंटरव्यू तब तक मैं दिन रात मेहनत करूंगी ! आप मुझे पापा से कह कर कोंपटीशन बुक मँगवा दो !

ऐसे क्यों कह रही है बेटा ? तेरे पापा ने तुझे कभी किसी चीज के लिए मना किया है !

नहीं किया तभी तो हर बार एक नई मांग रखने से डर लगता है !

अरे बेटा, कभी ऐसा मत सोचना ! मेरा जो कुछ है वो तुम सब बच्चों का ही तो है ! खासतौर से अब तुम्हारा ! बाकी सबकी जिम्मेदारियों से तो मुक्त हो ही गयी हूँ !

क्या मम्मी बेकार की बातों में उलझ गयी ! अब आप लोग हमारी ज़िम्मेदारी हो ! आप लोगों ने बहुत किया, अब हम लोगों को आपका ध्यान रखना है !

हाँ बेटा ठीक है इतनी ज्यादा हाइपर मत हो जाओ ! हम अलग नहीं हैं !

अरे ये माँ बेटी सुबह से किस बात में उलझ गयी !

पापा ! पारुल उनके गले लगते हुए बोली !

बड़ी खुश है आज मेरी बिटिया !

हाँ पापा ! फिर उनको पूरी बात बताकर बोली आप बस मुझे अपना आशीर्वाद दीजिये !

हम हमेशा तेरे साथ है !

फिर तो जाब मेरे हाथ में है !

इतना विश्वास कहाँ से आया ? अभी इंटरव्यू दिया नहीं है !

उसकी फिक्र आप मत करो !

ठीक है नहीं करेंगे ! वे भोलेपन के साथ बच्चों की तरह बोले !

उनके इतने भोलेपन के साथ बोलने से पारुल और मम्मा खिलखिला कर हंस दिये !