Stokar - 28 in Hindi Detective stories by Ashish Kumar Trivedi books and stories PDF | स्टॉकर - 28

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स्टॉकर - 28




स्टॉकर
(28)




सब इंस्पेक्टर गीता को अंकित की बात पर यकीन तो था पर उसने अपने और रॉबिन के बारे में जो बताया था उसे लेकर अभी भी उस पर पूरा यकीन नहीं हो पा रहा था।
"तुमने तो कहा था कि तुम रॉबिन घोष के बारे में इतना ही जानते हो कि वह दार्जिलिंग का कोई रईस है। यह बात भी तुम्हें चेतन ने बताई थी। पर इंस्पेक्टर अब्राहम ने पता किया था कि तुम पहले से रॉबिन को जानते थे। उसके फार्म हाउस पर उससे कई बार मिले थे।"
अंकित ने सब इंस्पेक्टर गीता की तरफ देखा। उसके चेहरे पर भाव था कि उसके बारे में सब कुछ पता चल चुका है।
"मैम.... हाँ मैं रॉबिन से उसके फार्म हाउस पर तीन बार मिला था। शिव टंडन ने अपने गुंडों से मुझे पिटवाया था। मुझे धमकी दी थी। मैं अपमान के गुस्से में जल रहा था। रॉबिन ने मुझे यह कह कर अपने फार्म हाउस का पता दिया था कि वह मेरे काम आ सकता है। इसलिए मैं उससे मिला था।"
"तो तुमने पहले सच क्यों नहीं बताया था ?"
"मैम.... मैं डर गया था। मैंने कुछ नहीं किया पर फिर भी मैं आप लोगों के शक के दायरे में था। इसलिए अपने आप को बचाने के लिए मैंने कुछ झूठ बोले थे। पर जब दोबारा आपने मुझसे पूँछताछ की तब मैंने कुछ भी झूठ नहीं बोला। रॉबिन के बारे में भी मैंने सही बात इसीलिए नहीं बताई थी ताकि आप मुझ पर शक ना करें।"
"तो तुम्हारे अनुसार अब तुमने सब सही बताया है।"
"हाँ मैम....अब मैंने सब सच बता दिया है। मैम आप मेरी बात मानिए। मैंने पहले भी कहा था कि यह सब मेघना का किया हुआ है। पहले उसने मुझे अपने जाल में फंसाया। फिर मेरी शिकायत शिव टंडन से कर मुझे धमकी दिलाई। उसके बाद मुझसे कहा कि मैं शिव टंडन का कत्ल कर दूँ। वह क्या चाहती है कहना मुश्किल है। एक बात तय है कि वह लोगों को अपने इशारों पर नचाने में माहिर है। रॉबिन ने भी मुझसे यही कहा था कि उसने पहले उसका इस्तेमाल किया फिर उसे धोखा दे दिया।"
"मेघना ने जो गलत किया उसकी सजा उसे मिलेगी। पर अगर उसने जाल फेंका तो तुम उसमें फंसे क्यों ? तुम्हारी भी गलती है।"
"मैंने गलती की इसीलिए तो उसकी सजा भी भुगती। अब कानून जो सजा देगा उसे भी स्वीकार करूँगा। बस मुझे एक बार घर जाने दीजिए।"
"अभी तुम्हें कहीं भी जाने की इजाज़त नहीं है। ये पैसे भी तुम्हें सरकारी खजाने में जमा कराने पड़ेंगे।"

इंस्पेक्टर अब्राहम हैरान था कि रॉबिन घोष अपने फार्म हाउस में बिल्कुल इत्मिनान से था। उसने ना तो अंकित से संपर्क करने की कोशिश की थी और ना ही मेघना से।

वह भी कहीं आता जाता नहीं था। ना ही इस बीच उसकी बातचीत किसी ऐसे से हुई जिस पर ज़रा भी शक हो सके।
इंस्पेक्टर अब्राहम इस ज़रूरत से अधिक शांति से आशंकित था।

इंस्पेक्टर अब्राहम और सब इंस्पेक्टर गीता एसपी गुरुनूर के केबिन में उसकी राह देख रहे थे। कुछ ही समय में एसपी गुरुनूर वहाँ पहुँच गई।
"क्या रिपोर्ट है तुम लोगों की ?"
सब इंस्पेक्टर गीता ने इंस्पेक्टर अब्राहम की तरफ देखा। उसने इशारे से कहा कि पहले वह अपनी रिपोर्ट दे।
"मैम अंकित पंद्रह लाख लेकर अपने घर जाने की फिराक में था। पर ऐन मौके पर पहुँच कर मैंने रोक लिया। पैसे मैंने सही तरह से जब्त कर लिए हैं।"
एसपी गुरुनूर ने सब इंस्पेक्टर गीता से पूँछा।
"कोई बातचीत भी हुई तुम्हारी।"
"हाँ....मैम वह कह रहा था कि उसने कहा कि उसकी गलती केवल इतनी है कि उसने मेघना के साथ मिल कर शिव की हत्या की साजिश रची थी। उससे पैसे लिए थे। पर उसने हत्या नहीं की है।"
"ये तो वह पहले भी कह रहा था।"
"हाँ....पर मुझे उसकी बात में सच्चाई लग रही थी। इतने दिनों में उसने कोई भी ऐसी गतिविधि नहीं की जो उस पर शक पैदा करे। उसने कहा कि वह कानून जो भी सज़ा देगा भुगतने को तैयार है।"
"रॉबिन वाली बात पर उसने झूठ क्यों बोला था ?"
"उसका कहना है कि वह डर गया था। अतः खुद को बचाने के लिए उसने कुछ झूठ बोले थे।"
एसपी गुरुनूर अपनी कुर्सी से उठ कर इंस्पेक्टर अब्राहम के पास आ गई।
"तुम बताओ अब्राहम।"
"मैम ये रॉबिन घोष तो ज़रूरत से अधिक ही शांत है। इसने भी कुछ ऐसा नहीं किया कि हम उसके खिलाफ कार्यवाही कर सकें।"
एसपी गुरुनूर मेज़ से टिक कर खड़ी हो गई। वह कुछ देर विचार में गुम रही। सब इंस्पेक्टर गीता और इंस्पेक्टर अब्राहम कुछ समझ नहीं पा रहे थे।
इंस्पेक्टर अब्राहम ने पूँछा।
"मैम आप मेघना की गतिविधियों पर नज़र रखे थीं। कुछ पता चला।"
एसपी गुरुनूर उनकी उलझन देख कर बोली।
"मेघना पर नज़र रखने का एक फायदा हुआ है। पिछले कुछ दिनों से सूरज सिंह नामक एक वकील उससे मिल रहा था। पर वह वकील एक कांट्रैक्ट किलिर है।"
सब इंस्पेक्टर गीता उत्साहित होकर बोली।
"इसका मतलब है कि मेघना ने सूरज सिंह से मिस्टर टंडन की हत्या करवाई।"
"नहीं गीता....सूरज सिंह ने मिस्टर टंडन की हत्या नहीं की है।"
"तो फिर मैम....."
"सूरज सिंह के पास मेघना के कुछ वीडियो थे। जिनके बल पर वह मेघना को ब्लैकमेल कर रहा था। उससे हमें वो सबूत मिले हैं जो साबित कर सकते हैं कि वह मिस्टर टंडन की हत्या का प्लान बना रही थी। उसके और रॉबिन के संबंध भी थे।"
इंस्पेक्टर अब्राहम ने कहा।
"मैम तब तो हम उसे घेर सकते हैं।"
"हाँ उसे घेरेंगे। पर एक नई कड़ी हाथ लगी है। मुझे लगता है कि उसके ज़रिए केस बहुत हद तक साफ हो जाएगा।"
सब इंस्पेक्टर गीता ने पूँछा।
"मैम वो कड़ी कौन सी है ?"
"तुम्हें याद है कि अंकित ने हमें उस व्यक्ति का हुलिया बताया था जिसने उसे कैद किया था। मैंने जब वह हुलिया सूरज सिंह को बताया तो उसने एक नया नाम लिया।"
"कौन है वो मैम ?"
"पूरन सिंह....यह एक जासूस हैं। जो लोगों के बारे में जानकारी जुटा कर अपने क्लाइंट को देता है।"
यह नाम सुन कर सब इंस्पेक्टर गीता और इंस्पेक्टर अब्राहम दोनों ही चौंक गए। इंस्पेक्टर अब्राहम ने कहा।
"मैम उसे अंकित के पीछे किसने लगाया था ?"
"यही तो पता करना है। पर पहले इस पूरन सिंह को ढूंढ़ना है।"
"ठीक है मैम हम उसे जल्दी ही ढूंढ़ निकालेंगे।"
"पर अब्राहम उस रॉबिन पर भी नज़र बनाए रखो। मुझे लगता है कि वह हमें धोखा देने के लिए ही इतना शांत है।"
एसपी गुरुनूर गीता की तरफ मुड़ कर बोली।
"तुम भी अभी अंकित को अपने शक के दायरे में रखो। मैं एक हवलदार से कहूँगी कि वह सादे कपड़ों में उसकी बिल्डिंग के आसपास रहे।"
इंस्पेक्टर अब्राहम और सब इंस्पेक्टर गीता दोनों ही खुद को मिले निर्देश के हिसाब से काम करने चले गए।
एसपी गुरुनूर जाकर अपनी कुर्सी पर बैठ गई। अब केस को जल्दी सॉल्व करने का दबाव बढ़ता जा रहा था। मीडिया में अलग अलग तरह की बातें हो रही थीं।
पर जो बात उसे चुभ रही थी वह थी कि उसके औरत होने के कारण कुछ लोग यह कह रहे थे कि यह केस उसके बस का नहीं है। अतः केस उसके हाथ से लेकर किसी पुरुष अधिकारी को दे दिया जाए।
वैसे एसपी गुरुनूर के लिए इस तरह की बातें कोई नई नहीं थीं। उसके पिता सरदार सतवंत सिंह फौज से रिटायर हुए थे। एसपी गुरुनूर के दोनों भाई भी फौज में थे।
बचपन से ही एसपी गुरुनूर को वर्दी से बहुत प्यार था। अतः उसने पुलिस फोर्स में आने का निश्चय किया। पर उसके पिंड के लोगों ने उसका बहुत विरोध किया। पर उसने ठान लिया था कि वह पुलिस फोर्स में ही जाएगी। उसके फैसले का उसके पिता ने भरपूर समर्थन किया। उनके प्रोत्साहन से गुरुनूर ने अपना सपना पूरा कर लिया।
एसपी गुरुनूर ने अपने पिता को फोन किया। उसने सारी बात उन्हें बताई। हर बार की तरह उन्होंने इस बार भी उसका हौसला बढ़ाया।
अपने पिता से बात कर एसपी गुरुनूर एक नई ऊर्जा से भर गई।