khouf - 21 in Hindi Horror Stories by SABIRKHAN books and stories PDF | ख़ौफ़ - 21

Featured Books
Categories
Share

ख़ौफ़ - 21

खटपटिया मीटिंग मे से जैसे ही वापस लौटा जगदीश ने समीर के नंबर से फोन रिकॉर्ड होने की बात कही। तत्काल खटपटियाने उस कॉल को बार-बार सुनी। आवाज समीर की ही थी.। खटपटिया ने मास्टर जी के ऑटोमेटिक कॉल रिकॉर्डर वाले फोन से समीर की कॉल रिकॉर्डिंग सुनी।

पोपट सरने सिगरेट सुलगा कर उसका धुंवा हवा में छोड़ा वो धूंवे को देखता रहा ।

"सर कुछ दिख रहा है..!" पोपट सर को विचार मग्न देखकर जगदीश ने टोका ।

"दिखना चाहिए मगर कुछ नहीं दिख रहा।" पोपट सर का चेहरा गंभीर हो गया..। इस कॉल डिटेल के मुताबिक तो ये पूरा केस साइबर क्राइम की तरफ इशारा कर रहा है ! पुलिस स्टेशन में फोन जमा हो फिर भी उसी नंबर से अगर कॉल आती है तो जरूर कोई बड़ा चक्कर है..!"

अगर एक लिंक मिलती है तो सारी गुत्थी सुलझ जाएगी

"जगदीश.. देर-सबेरे इस केसमें जरूर कुछ ना कुछ हमारे हाथ लगेगा !"

पोपट सर ने संभावना व्यक्त की ।

वही वक्त था जब एक कुरियर वाला जिन की तरह आ धमका..। कुरियर रिसीव करके पोपट सरने पार्सल खोला । एक छोटे से बक्से में मोबाइल ओर साथ में एक चिट्ठी भी थी, जो बंगाल की बॉर्डर पर पड़ने वाले एक छोटे से गांव की पुलिस चौकी के इंचार्ज ने लिखी थी ।

कुतूहल वश खटपटिया की नजरें उस चिट्ठी के अक्षरों पर छा गई।

'सर.. ये मोबाइल फोन समीर का है इसलिए आपको भेज रहा हूं ! इस फोन को लेकर मैं खुद अचंभित हूं पुलिस स्टेशन में रखें फोन से अपने आप ही मेसेज सेंड होता देखकर मेरे तोते उड़े हुए हैं ! मुझे यकीन है कि यह फोन समीर के केस की सारी गुंत्थिया खोल देगा..!

लि. ईस्पेक्टर अवस्थी.।

नीचे इस्पेक्टर अवस्थी के सिग्नेचर थे । खटपटिया एकटक उस फोन को देखता रहा । अभी कुछ देर पहले ही कॉल रिकॉर्डिंग सुनी थी । आवाज समीर की ही थी ।वो अच्छी तरह पहचानता था । केस और भी उलझता जा रहा था । जबकि समीर के पैरंट्स के चेहरे पर इस बात से खुशी की लहर दौड़ गई की कहीं ना कहीं समीर जिंदा है । वो जरूर वापस आएगा । इस बात की भनक लगते ही दोनों को जैसे जीवनदान मिला था । अपने बच्चे के बिना वीरान हुई जिंदगी में वापस खुशी की लहर का आगाज होता देखा उसने..

उनका जवान बेटा गुम हुए कई दिन हो गए थे । और अभी भी पोपटसर इस केस में जरा भी आगे नहीं बढ़ पाए थे । मास्टरजी की आशाएं सूखे पत्ते की तरह टूट चुकी थी ।

जिसका रंज पोपटसर को बहोत था । उन्होंने अब तक समीर को ढूंढने की सारी कोशिशें कर ली । न्यूज़ पेपर में गुमशुदा रिपोर्ट की ऐड भी दी । एक बात तो तय थी कि समीर का अपहरण पैसों के लिए नहीं हुआ, अगर ऐसा हुआ होता तो उठाउगीर इतना टाइम इंतजार ना करते । खटपटियाको मामला कुछ और ही नजर आ रहा था ।

खटपटियाने समीर के नंबरों पर कॉल करने वाले सभी कालरों को आड़े हाथ लिया । मगर ढाक के तीन पात !सब कुछ व्यर्थ , फिर भी पोपट सर हिम्मत नहीं हारे ! इस केस में जरूर कोई ना कोई कड़ी हाथ लग जाएगी उन्हें पक्का यकीन था ।

तेज बारिश बारिश हो रही थी । मेईन हाईवे पर पहाड़ियों से उतरने वाला पानी बह रहा था । रास्ता धुंम्मस भरा हो ऐसे बारिशकी आक्रामकता के सामने धुंधला हो गया था । ड्राइविंग सीट पर बैठी गोरे बदनकी मालिकन अपनी नीली आंखों से रास्ते की मर्यादा को नापते हुए स्टीयरिंग पर गजब के कंट्रोल से गाड़ी भगा रही थी ।

समीर रास्ते का लोकेशन देखना चाहता था पर बारिश में कुछ भी नजर नहीं आ रहा था । घर से निकला तभी से जोरों की बारिश हो रही थी, फिर भी उस वक्त प्रिया के दोनों भाई समीर की बलि को लेकर कबीले के साथ चर्चा में व्यस्त थे । मौका गवाना मुनासिब नहीं था प्रिया ने अपनी हौंडा सिटी बाहर निकाली उस वक्त जियाने समीर को गले लगा लिया और कहा कि वो प्रिया के साथ भाग जाए ! वो यहां का काम निपटा कर हाजिर हो जाएगी ।

समीरने कोई आनाकानी नहीं की फटाफट स्नान करके वो निकल गया । जिया की बात उसके लिए लोहे की लकीर थी। होती भी कैसे नहीं जब उसकी जान पर बन आई थी तो एक जिया ही थी जो उसका सहारा बनी थी । उसकी उम्मीद की किरण बनकर उसे कैद से आजाद करवाने परिश्रम कर रही थी । समीर के लिए ही उसने अपनी जान गवाई थी ।

अभी भी वो तेज बारिश के सामने जूझ रही थी । पहाड़ी से पत्थर गिर रहे थे रास्ते की दोनों साइड पर पानी बह रहा था ।

बहुत सारे पेड़ मूल सहीत उखड़ कर बहने लगे थे ।लगातार ड्राइव करने वाली जिया अचानक आई । इस आफत के सामने जरा भी डगमगी नहीं थी । समीर उसके गोरे चेहरे की रंगत के साथ-साथ उसके गुलाबी होठों को देख रहा था ।

कानों की बालियां बहुत ही खूबसूरत लग रही थी ।उसकी चुपकीदी समीरको जराभी अच्छी नहीं लगी । मगर परिस्थिति ही कुछ ऐसी थी । अगर डायन को मालूम हो जाता है कि प्रिया शिकार को लेकर भाग रही है ,तो उसके प्रकोप के सामने टीकना बहुत ही मुश्किल काम था । कुछ ही मिनटों में डायन प्रिया का काम तमाम कर सकती थी । उस बात को प्रिया अच्छी तरह जानती थी , डायनकी ताकतका सामना करना काफी मुश्किल था ।

उस बात का पिया को अंदाजा था डायनकी शक्तियां से वो कई बार रूबरू हुई थी। एक रोजकी बात है , फार्महाउस पर बलि के दौरान किसी ने पूछा था, कि क्या वो अपनी शैतानी ताकतों का परचम दिखा सकती है..? तब एक हैरतअंगेज घटना हुई वो अपनी जगह पर खड़े-खड़े ही बेजान युवक की बॉडी को जराभी टच किए बगैर उसके शरीरमें से कलेजा निकाल कर सबके सामने ही वह डायन उसे कच्चा चबा गई !

एपल और पपीते जैसे फलों को उसने हाथ लगाए बिना ही उसके अंदर के गर्भ को वो चबा लेती थी । इसीलिए सारा कबीला डायन से भयभीत था । कब किसकी बारी आ जाए कुछ भी कहा नहीं जा सकता । लगातार एक घंटा गाड़ी भगाने के बाद 50 माइल जितना अंतर वो पीछे छोड़ आए थे । रास्ता फिरसे पहाड़ियोंसे गुजर रहा था । जैसे ही प्रियाने आगे का लॉन्ग टर्न क्रॉस किया कि तभी अचानक उसे ब्रेक मारनी पड़ी । रात्रिमें एक बड़ा पेड़ धराशाई होकर पड़ा था । रास्ता पूरी तरह जाम था । इस वीरान रास्ते पर किसीके आनेकी संभावना बहुत ही कम नजर आ रही थी, क्योंकि इस विस्तारसे परिचित लोग इस रास्ते पर आने से परहेज करते थे । ये विस्तार डायनोंके कब्जेमें था । पर्वतोंकी इन रहस्यमई गुफाओंमें डायने छुपकर रहती थी। जगह-जगह से वह जिंदा इंसानोंको पकड़ कर ले आती थी । दूर धुंधलीसी जगह पर पीर बाबाकी एक मजार थी । मजार जंगल में थी । अनायास ही प्रिया का पैर ब्रेक पर दब गया । प्रियाने गाड़ी को ब्रेक लगाई । तब समीरको बडा ही धक्का लगा था । माथा कांच पर लगा तो कांच फूटते-फूटते बचा

"अब क्या होगा..?"

पेडको रास्ते पर देखकर समीर बुरी तरह ठीठका।

"तुम घबराओ मत..!"

घबराहट उसेभी हो रही थी मगर समीर को छटपटाता देखकर उसे आश्वासन दिया । उसने जब आसपास देखातो मजारको देखकर उसकी आंखोंमें चमक उभर आई । समिर ईश्वरभी अपने साथ हैं..! कुदरत का करिश्मा ही समझो कि मजार हमारे सामने है ! समीर ईश्वरभी अपने साथ हैं !

"वो कैसे..?"

समिरने जिज्ञासा व्यक्त की..।

यह वो मजार है समीर , जो इस जंगल में अपनी जगह खुद ब खुद बदलती रहती है । हर किसी को इसकी जियारत नसीब नहीं होती । शायद आज हमारी हिफाजत के लिए ये यहीं है । चलो वहां चलते हैं !

अंधेरा होने वाला है ! गाड़ीमें रुकना खतरेसे खाली नहीं है ! प्रियाने गाड़ी साइड पर लगाई फिर एक पलभी रुके बगैर "भागो यहांसे..!" ये कहकर दौड़ लगादी ।

बहुत टाइम बाद समीरकोभी आज खुलेमें भागनेका मौका मिला था । बारिशकी बुंदे बदन पर गिर कर बिखर रही थी तूफानी हवाएं रुकनेका नाम नहीं ले रही थी । प्रिया समीरको वह बात बता कर डराना नहीं चाहती थी । फिलहाल वह लोग डायनो के खतरनाक इलाके में प्रवेश कर चूके थे ।

(क्रमश:)