minors in bottles in Hindi Children Stories by r k lal books and stories PDF | बोतल का नाबालिग

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बोतल का नाबालिग

बोतल का नाबालिग

आर 0 के 0 लाल


क्या मुसीबत है? शादी बड़े भैया पवन की हो रही है, और मेहमानों के लिए नाश्ता, मिठाई और पानी मैं ले लाऊं। एक मेहमान गया नहीं कि दूसरा आ धमकता है। पापा तो उन्हें लेकर सोफे पर बैठ जाते हैं और आवाज लगा देते हैं कि राहुल बेटा! देखो अंकल-आंटी आए हैं। जरा इधर आना, इनका मुंह मीठा कराना। घर के नौकर को तो उन्होंने शादी वाले फंक्शन हाल में भेज दिया है और अब मुझे ही नौकर बना दिया है। राहुल बड़बड़ाते हुए लोगों के लिए नाश्ते की व्यवस्था कर रहा था जबकि अन्य लोग पूरे घर में नाच- गाना और धमा - चौकड़ी कर रहे थे।

आज पवन ने अपनी शादी के अवसर पर एक एडल्ट पार्टी रखी है मगर उसमें राहुल को जाने की मनाही है। राहुल ने फिर से पार्टी में जाने की इजाजत मांगी परंतु उसके पापा ने मना कर दिया। यह बात राहुल को नागवार गुजर रही थी। उसका मूड खराब हो गया। तभी उसके पापा के एक और दोस्त आ गए। रवि माथुर ने राहुल को मिठाई लाने के लिए आवाज लगाई। राहुल ने गुस्से में जवाब दिया कि मैं नहीं आऊंगा। आप खुद मिठाई की प्लेट उठा लीजिए।

राहुल का यह जवाब माथुरजी को अच्छा नहीं लगा। वे राहुल के पास जाकर उसे डाटने लगे। राहुल भी उनसे बहस किए जा रहा था कि वह किसी का नौकर नहीं है। जब उसकी कोई परवाह कोई नहीं करता तो वह भी कोई काम नहीं करने वाला। जब कहता हूं कि मुझे भी भैया की पार्टी में जाना है और वह सब कुछ करना है जो लोग वहां करते हैं तो आप कह देते हैं कि मैं अभी नाबालिग हूं। मगर आप को काम कराना हो तो मैं ही बचा हूं। दोनों बाप बेटे में बात बढ़ गई। माथुर को लगा कि राहुल उनकी बात नहीं मान रहा है और वह उनके दोस्त के सामने उनकी बेइज्जती कर रहा है। उन्होंने कहा, " तुझे शर्म नहीं आती? बच्चे हो तो अपनी हद में रहो। राहुल से नहीं रहा गया उसने भी कह दिया "आप भी तो बच्चों के सामने दारू पीते हैं तब शरम नहीं आती। शादी का माहौल है मेरे मन में भी तो कुछ अरमान हैं। हम यहां अकेले बैठ कर मक्खी मारेंगे क्या"?

अब तो राहुल के पापा का गुस्सा सातवें आसमान को छूने लगा। दो तमाचे राहुल के गाल पर लगाते हुए चिल्लाए, बहुत बदतमीज हो गया है। साथ ही बोले कि इसकी मां ने तो इसे बिगाड़ कर ही रख दिया है"।

उनके दोस्त जो अभी हाल में अमेरिका से वापस आए थे यह सब देखते रह गए। बोले, " माथुर साहब, बच्चों को ऐसे नहीं मारा जाता। अगर आज आप अमेरिका में होते तो बच्चा आपकी शिकायत तुरंत पुलिस में करता और आप को जेल हो जाती। मैंने देखा है कि यहां बच्चों की हर बात पर लोग "ना" ही कहते हैं। पैरंट समझते हैं कि हर समय वे ही सही हैं। ज्यादातर पैरेंट्स चाहते हैं कि वे जो कहें, बच्चा वही माने। मगर बच्चों को समाज की सभी रीतियों को अनुभव करके गलत सही का निर्णय स्वयं करके अपनी लाइफ बितानी चाहिए"।

उनकी बात सुनकर राहुल बोल पड़ा, "मैं तो जाऊंगा चाहे जो हो जाए"। माथुर साहब फिर भड़क उठे और बोले, "नालायक, जबान लड़ाता है, मुझे जेल कराएगा"। उन्होंने फिर राहुल को गाली देते हुए वहां से भाग जाने को कहा। सुनकर राहुल रोता हुआ घर से बाहर कहीं चला गया।

एक घंटे बाद जब लोग पार्टी के लिए जाने लगे तो राहुल को आवाज लगाई जाने लगी मगर वह तो कहीं दिख ही नहीं रहा था। अगले घंटे भर वह नहीं मिला तो सबको चिंता होने लगी। राहुल के चाचा ने उसकी मम्मी को बताया कि आज शादी के मौके पर भी भैया ने राहुल की पिटाई कर दी। शायद नाराज होकर वह कहीं अपने किसी दोस्त के घर चला गया हो। मैं अभी देखता हूं। उसके चाचा ने एकाध जगह फोन भी किया मगर राहुल वहां कहीं नहीं था। राहुल के एक दोस्त साहिल ने तो राहुल के चाचा से पूछ ही लिया कि आपके होते हुए यह सब अन्याय हम बच्चों पर क्यों हो रहा है। अगर हम बच्चों को बड़ों की पार्टी में जाने की मनाही है तो हमारे लिए भी एक अलग से पार्टी करनी चाहिए थी। राहुल को भी चाहिए कि वह अपने दोस्तों और गर्लफ्रेंड को ट्रीट करें और उनको बुला कर कम से कम एक डांस पार्टी आयोजित करें।

राहुल देर तक नहीं मिला। उसकी मम्मी उसे लेकर बहुत परेशान थीं। उन्हें माथुर साहब पर गुस्सा आ गया कि कम से कम आज ऐसा नहीं करना चाहिए था। कुछ देर बाद उनकी रवि माथुर से खूब बहस हो रही थी जिससे शादी की खुशी का माहौल गमगीन हो रहा था।

माथुर कह रहे थे कि राहुल अभी बच्चा है। इन पार्टियों में डांस, ड्रिंक एवम् खुले विचारों वाले एडल्ट किस्म के गेम होते हैं। मैं भी नहीं जा रहा हूं तो फिर राहुल कैसे जा सकता है और वहां केवल पवन के दोस्त होंगे जो नहीं चाहते कि छोटे बच्चे उसमें खलल डालें। इसके साथ ही ऐसी पार्टी में जाने से बच्चों की आदतें भी खराब हो जाएगी।

राहुल की मम्मी कहने लगीं कि पवन को ऐसी पार्टी करने कि क्या जरूरत है जिसमें लड़के - लड़कियां बेलगाम हो जाएं। खुद तो खराब हो रहे हैं मगर चिंता है कि बच्चे न बिगड़े। वे तो बड़ों का ही अनुसरण करेंगे। उन्हें रोका नहीं जा सकता।

"कल घर में सभी महिलाओं की एक पार्टी थी जिसमें कुछ लड़कियां तो पुरुष के भेष धारण करके तरह-तरह के फ़ूहड़ मजाक कर रहीं थी। उस पार्टी में छोटी लड़कियां भी थी। लड़के बाहर से ताक झांक कर रहे थे। मैंने तो तुरन्त सब बंद करा दिया था। अगर बच्चों को रोका जाएगा तो उनका आक्रोश स्वावभविक है।

रवि माथुर अपनी पत्नी की बात से सहमत नहीं थे। बोले, "तुम बेवजह बच्चों का पक्ष ले रही हो, बच्चों को अनुशासन में रहना चाहिए। तुमने सुना ही होगा आजकल बिगड़ गए किशोर भी काफी गंभीर अपराध कर रहे हैं। इसमें हत्या, अपहरण, डकैती और दुष्कर्म शामिल है। छूट देने के कारण ही लड़कियां और लड़के कम उम्र में ही अपोजिट सेक्स की ओर आकर्षित हो रहे हैं। तभी तो खबरें आती हैं कि 9 से 12 साल के बच्चे भी आज रेप कर रहे हैं"।

राहुल का पता न चल पाने की वजह से पार्टी रोक दी गई थी। पवन बहुत गुस्सा हो रहा था। उसके ऑफिस की कई लड़कियां भी आ चुकी थी। सब कह रहीं थीं कि अगर राहुल जाना चाहेगा तो हम उसे पार्टी में आने देंगे। सब कोका कोला पीते हुए राहुल की प्रतीक्षा करने लगे।

वहीं पर छोटे बच्चों ने गाने एवम् नृत्य प्रस्तुत करना शुरू कर दिया। कमल का उनका परफॉर्मेंस था। सभी तारीफ कर रहे थे। उनके पैरेंट्स जो वहां मौजूद थे कहने लगे मुझे तो इनका ये टैलेंट का पता ही नहीं था।

नाचते हुए रंजन ने कहा, "ये बड़े लोग हमें नाबालिक कह कर हमारे ऊपर अनेकों तरह की पाबंदियां लगा देते हैं। हम 12-13 साल के ही हैं लेकिन हम सब तरह के काम पूरी जिम्मेदारी और क्षमता के साथ कर लेते हैं। अकेले स्कूटी चला कर स्कूल और चले जाते हैं। बाजार से सामान ले आना, नेट पर बिलों का भुगतान करना, खराब मोबाइल ठीक करना, पासवर्ड सेट करना आदि सब हम कर लेते हैं। मगर हमें कोई सामाजिक मान्यता नहीं दी जाती। हमें अपनी बात रखने का भी अधिकार नहीं है। अक्सर कहा जाता है कि बड़े लोगों के बीच में बोलो भी मत"। मुझे समझ में नहीं आता कि वयस्क की निर्धारित उम्र होते ही आदमी को भगवान बुद्ध की तरह कौन सा ज्ञान प्राप्त हो जाता है कि बिना किसी तरह की परीक्षा उत्तीर्ण किए उनकी सक्षमता प्रमाणित कर दी जाती है। इस परंपरा को आज के युग में बदल दिया जाना चाहिए। होना यह चाहिए कि बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास के हिसाब से वयस्क हो जाने का निर्धारण हो"।

उर्शा बोली, "आज का बच्चा पहले से ज्यादा अलौकिक और जीनियस है। उनका दिमाग कितनी कुशाग्रता से चलता है फिर न जाने उन्हें इममेच्योर क्यों माना जाता है"? पहले बच्चे मां बाप की गोद में बैठकर ही सब कुछ सीखते थे। अब तो कोई मां बाप अपने बच्चे को गोद में बैठाता ही नहीं। हम सब कुछ मोबाइल और इंटरनेट पर सीखते हैं जिसमें केवल एक क्लिक से हमारा ज्ञान असीमित हो जाता है। मिनटों में ऑनलाइन परीक्षा दे देते हैं। ऐसे में अब कोई औचित्य नहीं बनता कि हमको वयस्क का प्रमाण पत्र लेने के लिए अठारह वर्षों का इंतजार करना पड़े"।

रंजन ने फिर कहा मैं अंकल माथुर की बातों से सहमत हूं। अनुशासनहीनता नहीं बर्दास्त होनी चाहिए। हमें याद है कि दिल्ली में निर्भया कांड के बाद नाबालिगों को कड़ी सजा की मांग उठाई गई थी। मुझे दुख है कि मेरी एक बहन मर गई। हमारा भी यही सोचना है कि नाबालिक होकर अगर कोई जघन्य अपराध कर सकता है तो वह काहे का बच्चा? उसे पूरी सजा मिलनी ही चाहिए।


इतने में राहुल वापस आ गया। उसने बताया कि जब उसे पार्टी में नहीं जाना था तो वह अपने दोस्त के साथ पी 0 वी 0 आर 0 में फिल्म देखने चला गया था। बिना बताए जाने के लिए राहुल ने माफी मांगी। घर का माहौल फिर खुशनुमा हो गया।

दादी ने सभी को समझने के लिए कहा कि घर का वातावरण, खान पान और मोबाइल का प्रयोग से आज बच्चों का पूरा जीवन ही बदल चुका है। यह परिवर्तन रूकने वाला नहीं है। हमें पता ही नहीं चलता कि बच्चे क्या सोच रहे हैं और उनकी महत्वाकांक्षायें क्या हैं परन्तु वे आज परिवार एवं समाज की मौजूदा व्यवस्था से संतुष्ट नहीं नजर आतो। इसलिए इन योग्य नाबालिगों को जिन्न की तरह बोतल में मत बंद होने दीजिए। उन्हें आजादी होगी तभी वे कहेंगे मेरे आका क्या हुक्म है और कुछ आश्चर्यजनक कर दिखाएंगे।