स्टॉकर
(26)
एसपी गुरुनूर ने सूरज सिंह की तरफ देख कर कहा।
"गलत राह कभी सही मंज़िल पर नहीं ले जाती। देखो तुम कहाँ हो ? अब मिस्टर टंडन के कत्ल के लिए सज़ा काटोगे।"
"मैडम सही गलत मंज़िल मैं नहीं जानता हूँ। बस इतना जानता हूँ कि इस राह पर चलने से मैंने मेरे अपनों को तो पा लिया।"
"गलत समझ रहे हो तुम सूरज सिंह। जिन्हें तुम अपना कह रहे हो वो तुम्हारे हितैषी नहीं है। वरना तुम्हें राह भटकने ना देते।"
"जो भी हो मैडम....जो मैंने किया है उसका परिणाम मैं भुगतने को तैयार हूँ। पर मैंने शिव टंडन की हत्या नहीं की।"
एक बार फिर जिस पर शक था वह हत्या में शामिल होने से मना कर रहा था। पर एसपी गुरुनूर को इस बार उसकी बात पर यकीन हो रहा था। सूरज सिंह मान चुका था कि वह पैसे लेकर हत्या करता था। फिर इस मामले में झूठ बोल कर उसे क्या मिलता। पर वह यह जानना चाहती थी कि वह बार बार मेघना से मिलने क्यों जाता था।
"तुमने मिस्टर टंडन को नहीं मारा ? फिर मेघना ने तुम्हें बीस लाख रुपए क्यों दिए ? तुम उसके ऑफिस के चक्कर क्यों काट रहे थे ?"
"सब पता चल जाएगा मैडम। अभी तो बहुत कहानी बाकी है।"
सूरज सिंह ने कहानी आगे बढ़ाई।
नीलांबर सूरज सिंह को काम देता था। सूरज सिंह उसे अंजाम तक पहुँचाता था। सूरज सिंह अब खुश था। उसने जो चाहा था हो गया। उसने एक अच्छा सा घर ले लिया था। सभी सुख सुविधा का सामान खरीद लिया था। वसुधा जो पहले उसे पास नहीं फटकने देती थी। अब उसकी लल्लो चप्पो करते नहीं थकती थी।
दो साल बीत गए। इस अवधि में उसने नीलांबर के लिए कई काम किए। पर अब उसे एक बात खलने लगी थी। काम नीलांबर के पास आता था। उसे पूरा मुन्ना और सूरज सिंह करते थे। काम के लिए नीलांबर एक मोटी रकम लेता था। जबकी उसके हाथ चंद टुकड़े ही आते थे।
सूरज सिंह को यह गलत लगता था। वह सोंचता था कि खतरा वह उठाता है। पर मलाई नीलांबर के हिस्से आती है। वह पूरी मलाई खुद चाहता था। उसने नीलांबर को रास्ते से हटाने की सोंची।
पर सवाल था कि नीलांबर को हटा कर वह तो उसकी जगह ले लेगा। पर उसकी जगह पर लेगों का काम तमाम करने वाला भी तो कोई होना चाहिए। इसलिए उसने जल्दबाज़ी की जगह धैर्य से काम लेना तय किया।
सूरज सिंह के गांव में मंगल नाम का एक आदमी था। वह पहले किसी गैंग में काम करता था। पर आपसी रंजिश के चलते उसके मुखिया की हत्या हो गई। गैंग बिखर गया। मंगल अब छोटे मोटे जुर्म कर गुजारा कर रहा था।
मंगल पिस्तौल चलाने में माहिर था। उसके साथी कहते थे कि अगर वह आँख बंद कर दूर से भी गोली चलाए तो सामने वाले का मरना पक्का है। सूरज सिंह को उसका आदमी मिल गया।
सूरज सिंह ने मुन्ना को अपनी तरफ कर लिया। एक दिन मौका पाकर नीलांबर की सुपारी लिए बिना ही उसे मार दिया। अब वह बॉस था। काम उसके पास आता था। मुन्ना और मंगल उसे निपटाते थे।
अपने कानून के ज्ञान का गलत प्रयोग कर उसने पहले ही नीलांबर के फ्लैट की रजिस्ट्री अपने नाम करवा ली थी। अब वह इस फ्लैट में अपना धंधा चलाता था। उसकी मौज मस्ती का भी यही ठिकाना था।
वसुधा को उसने दूसरे मकान में रखा हुआ था। लेकिन नीलांबर के परिवार को भी उसने बेसहारा नहीं छोड़ा था। उसकी पत्नी और बच्चे अपने ही मकान में रहते थे। वह हर महीने उन्हें कुछ पैसे भी देता था।
सूरज सिंह फिर रुका। उसने एसपी गुरुनूर से पानी पीने की इजाज़त मांगी। पानी पीने के बाद बोला।
"मैडम जन्नत अपार्टमेंट्स का यह फ्लैट उसी बिल्डिंग में था जिसमें चेतन शेरगिल और मेघना के फ्लैट्स थे।"
"तुम चेतन को जानते थे ?"
"उसके कारण ही तो मेघना से मुलाकात हुई।"
"वो कैसे ?"
सूरज सिंह ने बताना शुरू किया कि वह कैसे मेघना से मिला।
सूरज सिंह पैसे लेकर कत्ल करवाने का काम तो करता ही था। पर साथ में उसने एक नया काम भी शुरू किया था। वह जानता था कि अमीर लोगों की ज़िंदगी के कई ऐसे पहलू होते हैं जिन्हें वह बाहर नहीं लाना चाहते हैं। सूरज सिंह उनके व्यक्तिगत जीवन में सेंध मार कर ऐसे पहलुओं की जानकारी जुटाता था। फिर उन्हें दुनिया के सामने ज़ाहिर ना करने के पैसे वसूल करता था।
इस काम के लिए उसने स्मार्ट लड़के लड़कियों की एक टीम बना रखी थी। ये लोग अपने काम में बहुत माहिर थे। इस काम से सूरज सिंह को अच्छी खासी रकम मिल जाती थी।
सूरज सिंह का फ्लैट बिल्डिंग के आठवें फ्लोर पर था। जब उसने यह फ्लैट हथियाया था तब चेतन उस बिल्डिंग में नया नया रहने के लिए आया था। एक दिन बिल्डिंग की पार्किंग में सूरज सिंह की मुलाकात उससे हो गई। दोनों के बीच बातचीत हुई। चेतन ने उसे बताया कि वह एक वित्तीय सलाहकार है। वह लोगों के विनियोग का पोर्टफोलियो संभालता है। सूरज सिंह भी कुछ विनियोग करना चाहता था। अतः चेतन ने उसे शेरगिल स्टॉक ट्रेडर्स के ऑफिस में आने को कहा।
इस तरह सूरज सिंह और चेतन के बीच व्यवसायिक रिश्ते के द्वारा दोस्ती की शुरुआत हुई। कुछ ही महीनों में दोनों के बीच अच्छी खासी दोस्ती हो गई। दोनों अक्सर ही शराब पीने के लिए साथ बैठते थे। यह महफिल कभी चेतन के घर पर होती थी तो कभी सूरज सिंह के।
मेघना का पहले चेतन के साथ रिश्ता था। अब वह जन्नत अपार्टमेंट्स के अपने फ्लैट में अंकित से मिलने आती थी। यह बात जब चेतन को पता चली तो उसे बहुत बुरा लगा। उसने अंकित को मेघना के विषय में आगाह भी किया। पर उसने ध्यान नहीं दिया।
कुछ महीनों के बाद एक दिन अंकित चेतन से मिला और उसे बताया कि मेघना अब उससे भी दूर जाने की कोशिश कर रही है। वह बहुत परेशान था। एक दिन चेतन ने सारी बात सूरज सिंह को बताई तो उसने सलाह दी कि अंकित और मेघना के अंतरंग पलों को कैमरे में कैद कर ले। इससे मेघना को मज़ा चखाया जा सकता है।
चेतन ने मेघना के नौकर को जो फ्लैट की सफाई करने जाता था पैसे देकर खरीद लिया। सूरज सिंह के आदमी ने जो कैमरे लगाने में माहिर था मेघना के बेडरूम में कैमरा लगा दिया।
पहले चेतन और अंकित ने मेघना से पैसे वसूल किए। सूरज सिंह ने एक और वीडियो बनवा लिया था। उसने चेतन के ज़रिए मेघना को ब्लैकमेल कर पहले से अधिक राशि वसूल की। इस बार पैसे चेतन और सूरज सिंह के बीच में बंटे।
सूरज सिंह दूर की सोंच रहा था। उसे पता था कि मेघना के जीवन में बहुत कुछ ऐसा मिल सकता है जो उसके काम आ सकता है।
मेघना का पीछा करते हुए उसके आदमी ने बताया कि मेघना के संबंध सिर्फ अंकित और चेतन के साथ ही नहीं हैं। बल्कि वह एक और आदमी से मिलती है। उस आदमी का नाम रॉबिन घोष है। वह अक्सर उससे अपने फार्म हाउस पर मिलती है। शिव टंडन अपनी व्यस्तता के कारण बहुत कम ही उस फार्म हाउस में जाता है।
एक बार फार्म हाउस के बेडरूम का एसी खराब हो गया था। तब जो आदमी उसकी मरम्मत करने आया था सूरज सिंह ने उसके साथ अपना आदमी हेल्पर के रूप में भेज दिया था। उसने सही मौका देख कर वहाँ भी कैमरा लगा दिया था।
सूरज सिंह का आदमी फार्म हाउस से कुछ दूर पर एक छोटी सी वैन में बैठा बेडरूम में होने वाली गतिविधियों पर नज़र रखता था। जो स्पाई कैमरा उसने लगाया था वह एक मोशन डिटेक्टर से जुड़ा हुआ था। जैसे ही कोई बेडरूम में दाखिल होता था वह वैन में सिग्नल भेजने लगता था।
चार दिन के इंतज़ार के बाद मेघना रॉबिन के साथ फार्म हाउस पहुँची। कैमरे ने उनके बीच जो कुछ हुआ उसके सिग्नल वैन में भेजे। जो मॉनिटर पर देखे जाने के साथ साथ रिकॉर्ड भी हो रहे थे।
सूरज सिंह के आदमी ने वह फुटेज उसे दिखाई। जो कुछ हुआ था उसके अतिरिक्त मेघना और रॉबिन के बीच हुई बातचीत भी दर्ज़ हुई थी।
यह बातचीत बहुत दिलचस्प थी।