दिल की ज़मीन पर ठुकी कीलें
(लघु कथा-संग्रह )
23-बीट वाला मंजन
अन्नी यानि अणिमा को अपने मामा की बेटी की शादी में बीरखेड़ा गाँव में जाना पड़ा | दिल्ली में पलने वाली अन्नी को उसके तीनों मामा बहुत प्यार करते| जब भी दिल्ली आते बुलंदशहर आने का न्योता ज़रूर देते | अन्नी छुट्टियों में माँ के साथ चली भी जाती, वहां दो मां रहते थे | खूब बड़ी-बड़ी कोठियाँ बनाई हुईं थीं उन्होंने | रक सिंचाई विभाग में इंजीनियर तो दूसरे की अपनी मेडिकल क्लीनक ! तीसरे मां गाँव में रहकर पैतृक संपत्ति की देखभाल कर रहे थे | बहुत सारे बगीचों के मालिक थे नाना जी सो किसी न किसीको वहाँ रहने की ज़रूरत थी | केवल नौकरों पर नहीं छोड़ा जा सकता था | बुलंदशहर से बीरखेड़ा बहुत पास था सो कोई न कोई मामा अम्मा को व उसे घुमा ही लाते गाँव में | हाँ, अन्नी कभी रही नहीं थी वहाँ |
बड़े मामा जो सिंचाई विभाग में एक्जुकेटिव इंजीनियर थे उन्होंने अपनी बिटिया की शादी पैतृक हवेली से करने का विचार बनाया | इस प्रकार अन्नी का परिवार सहित गाँव में कुछ दिन रहने के लिए जाना हुआ |
शादी की गहमागहमी में अन्नी को बड़ा मज़ा आया |अन्नी के परिवार को हवेली के ऊपर एक सबसे अच्छा कमरा दिया गया | कमरे के आगे खूब बड़ी छत, नीचे का नज़ारा देखते ही बनता | नीचे सारे में खेत-खलियान की हरितिमा ! अन्नी छत पर घूमकर ब्रश करने लगी |मामा जी ने उनके आने से पहले ऊपर ही टॉयलेट, वॉश-बेसिन आदि बनवा दिए थे जिससे उनके महत्वपूर्ण अतिथियों को कोई परेशानी न हो |
गाँव की छोटी लड़कियाँ अन्नी को घेरे रहतीं | छलिया घर की महरी थी | उसकी छोटी सी बिटिया संगी हर समय अन्नी के आस-पास मंडराती रहती | अन्नी को ब्रश करते देख संगी उसके पास बड़ी सहमती हुई सी आई और उसका मुख देखने लगी |
अन्नी जल्दी से मुँह साफ़ करके आई |
"क्या बात है संगी ---" अन्नी ने प्यार से पूछा |
सहमी हुई लड़की के चेहरे पर थोड़ी सी मुस्कान फैली ;
"दिद्दी जी ---वो बीट वाला मंजन मुझे भी चइए, मुझे कोई नई देत्ता -----" और उसके हाथ में पकड़ी पेस्ट की ट्यूब की ओर इशारा कर दिया|
अणिमा को पल भर लगे उसकी बात समझने में, उसने बच्ची को अंदर जाकर पेस्ट की एक छोटी सी ट्यूब लाकर पकड़ा दी जो उसके बैग में एक्स्ट्रा पड़ी थी |
"सुनो, इसे खाना मत ---मैं तुम्हें ब्रश लेकर दूँगी, तब उससे करना ---"अणिमा को डर था, छोटी बच्ची कहीं इस पेस्ट के मीठे स्वाद से इसे चाट ही न जाए |
संगी ने बड़ी मासूमियत से अपनी गर्दन हिला दी, उसके चेहरे पर ख़ुशी की लहर देखकर अन्नी के मुख पर भी मुस्कान पसर गई |
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