हूँ तो ढिंगली, नानी ढिंगली
(3)
दिन घिसट रहे हैं, रेंग रहे हैं ---जैसे हेतल के आँसू. कब तक वह् स्कूल ना जाती ?कब तक वह् मीडिया के सामने नहीं आती ?उसे भी लग रहा है वह् कैमरे के सामने अपना दुःख बाँटकर थोड़ी तो हल्की हो गई है. लोग इस दुःख को लोकल टी वी चैनल्स, यू ट्यूब में देखकर दुःख से और सराबोर हो रहे हैं --कैसे हेतल बेन रो रो कर अपने दुपट्टे से आँखें पोंछती अपनी बेटी को याद कर रही है ---तडप रही है, हिचकी भरते हुए क्रोधित हो रही है, इतने पुलिस वाले एक छोटी बच्ची को नहीं ढूँढ़ पा रहे ?. सारा इलाका भाय भाय करता उसकी प्रतीक्षा कर रहा है. यहाँ के लोग कार निकलते हैं तो दीवारों पर लगे उसके पोस्टर पर एक बार नजर पड़ ही जाती है, एक कसक दिल चीर ही जाती है. ऑटो में जाओ तो सामने लगी तसवीर की उसकी बोलती सी आँखें, मुस्कराते होंठ जैसे फड़फड़ाते रहते हैं ---मुझे ढूँढ़ लो ---मुझे बचा लो --.
शहर के मन्दिर मस्जिद में दुआ की जा रही है लेकिन लोहे के बने खूनी पिशाच अपराधी दिल पिघल नहीं रहे. उन न्रशंस कानों तक ये आवाजें पहुँच नहीं रही.
दिवांग भाई के पास एक दिन फोन आया, "नमस्कार !मै ऋतेश परिहार बोल रहा हूँ. मेरा बेटा भी पाँच महीने पहले किडनेप कर लिया गया है. पुलिस उसे ढूँढ़ ननहीं पा रही, मैंने हम लोग जैसे पैरेंट्स की एक लिस्ट बनाई है और इस इतवार को एक मीटिंग रक्खी है, आप भी आइए. "
परिहार के बताये कम्यूनिटी होल में इन दोनों ने प्रवेश किया, गमगीन दम्पत्ति कुर्सियों का गोल घेरा बनाकर बैठे हुए थे. पीछॆ की छ; सात कुर्सियों पर मीडिया के लोग कैमरा सम्भाले बैठे हुए थे. . एक लम्बे व्यक्ति ने आगे बड़कर इनका परिचय पूछा व दिवांग से हाथ मिलाते हुए कहा, "आई एम परिहार. "
"ग्लेड टु मीट यु. "
थोड़ी देर बाद परिहार ने कहना आरंभ किया, "मै आप सबका धन्यवाद करता हूँ कि आप सब मेरे इनविटेशन पर यहाँ आए. प्लीज़ !एक एक कर आप लोग अपनी पत्नी सहित यहाँ आकर अपना परिचय दे, बताये कि आपका बच्चा कब और कैसे गायब हुआ. बाद में हम सब मिलकर डी एम व पुलिस कमिश्नर को ज्ञापन देंगे व सब मिलकर उनपर दवाब डालेंगे कि वे हमारे बच्चों को जल्दी ढूँढ़े. सबसे पहले मै बताता हूँ. मेरा सी सी डी कैमरा लगाने का बिजनेस है. एक दिन मै सिर्फ़ दस मिनट अपने बेटे को आपने ऑफ़िस में बिठाकर गया और लौटकर आया तो देखा वह् गायब है. मेरी पत्नी तो बिस्तर से लग गई है " कहते हुए उनका गला भर्रा गया था. "एक बच्चे का खो जाना मतलब जीते जी एक परिवार का मर जाना होता है. भविष्य से जुड़े उनके सपनो को लकवा मार जाना होता है. "
होल में कुछ स्त्रियां सिसकने लगी थी. . फिर एक एक कर दम्पति आते गए बताते गए कि उनका बेटा या बेटी कैसे स्कूल से, पास के गार्डन से या किसी मोल से या बाज़ार से रेलवे स्टेशन से, बस स्टैंड से गायब कर दिय गए. एक दुःख सब में साझा था इसलिए बिना आँसुओं के कोई अपनी बात नहीं कह पा रहा था. कोने में बैठे पत्रकार उनकी बात नोट करते जा रहे थे. जब सभा खत्म हो गई तो प्रेस फ़ोटोग्राफर ने कहा. ", आप सब अपने हाथ में अपने बच्चे की फ़ोटो ले लीजिये. "
सभी ने ऎसा किया, दूसरे दिन सारा शहर अख़बार में ये फ़ोटो देखकर हैरान हो गया कि इतने बच्चे गायब हो चुके हैं जिनका सुराग तक नहीं लग रहा. दिवांग व हेतल आँखें फाड़े इस शहर को देखते रहते ---कैसे इसके लोग हंस पाते है ---कैसे मोलस में अब भी भीड़ रह्ती है ---लोग गार्डन्स में कैसे मस्ती करते हैं ----फ़िल्म देखते है ---जैसे कुछ बच्चे गैस के गुब्बारे बने दूर् उड़ते -----------धीरे धीरे -----------आकाश में विलीन नहीं हो गए हों.
उन ढेर से मासूम बच्चों की फ़ोटो ज़ के फूलों के गुच्छे में से एक नौ साल के गदबदे बच्चे की फ़ोटो जैसे जीवंत हो उठी, उसे एक ट्रक के पीछे रस्सी से बाँधकर मुंबई ले जाया जा रहा था. वड़ोदरा मुंबई हाइ वे पर गुंडे ढाबे पर खाना खाने रुके और वह् बच्चा किसी तरह भाग निकला ---सपना व नीरव ठक्कर अपने बेटे को बाँहों में भरकर रो उठे थे---उस दुख भरी तसवीर के बाद ये बूँद भर तसवीर एक बूँद भर राहत थी..
महीनो गुज़रते जा रहे हैं, अपार्टमेंट के बच्चों का भय कम होता जा रहा है --------हमारी ऐसी अच्छी तक़दीर कहाँ ?------- हेतल की सूनी आँखें बालकनी में से नीचे बच्चों को ट्राई सायकल चलाते व तेज़ बाइसायकल से बिल्डिंग के चक्कर लगाते, खेलते रोज़ ज़रूर देखती है ---इन चहकते, शोर मचाते बच्चों के बीच एक बड़ी आँखों वाली एक ओझल सी परछाईं उसे दिखाई देती रह्ती है ---उन जैसों की जेब से जाने वाले टैक्स से प्रशासन व पुलिस का तंत्र बनता है जिस पर उनका पूरा पूरा हक है लेकिन उनके भी ऊपर वह कौन सा कुत्सित खौफ्नाक तंत्र है जो इनके सुराख में से हाथ डालकर इनको अपने खूनी अंकुश में जकड़ कर बच्चों को पार करवा रहा है ---जिसे उजड़ती गोदों का दिल दहला देने वाला रुदन भी नहीं दह्लाता. --- कहाँ होगी बेटी ?किसी प्लेन द्वारा देश से बाहर कर दी गई हो ---या किसी शिप के तलघर में में और लड़कियों के के साथ नशे की हालत में रस्सी से बंधी पड़ी समुद्री सफ़र कर रही हो ?
उधर श्रुति सोचती रह्ती है कि उसके गुमनाम पत्र का क्या हुआ ?---पुलिस वालों ने पढ़ा तो होगा --उसने रमेश रबारी की तरफ शक़ की सुई घुमाई थी ---यदि उससे मारपीट व पूछताछ की होती तो वह सब उगल ही देता --- रमेश रबारी व उसकी औरत सीना ताने अक्सर रास्ते में जाते दिखाई दे जाते हैं ------- क्या उन्होंने किन्ही आकाओं के लिए ये किडनेप किया होगा ?---. उनके आकाओं की ताकत के कारण वह् गुमनाम पत्र गुमनाम कर दिया गया होगा ? ---या बिन्दु मासी का भ्रम ही हो --- सारे प्रश्न गुंजलक से उलझ कर रह गए हैं जैसे उत्तरान [मकर संक्राति ] में आकाश में उड़ती बहुत सी पतंगों के धागे.
महीनों गुजर रहे हैं -पुलिस को या दिवांग भाई को कुछ ख़बर लगती है तो दौड़ लेता हैं, कभी ड़़बड़ाता है, "ये पुलिस का स्टंट है कि ढिगली यहाँ देखी गई कि वहाँ ---अभी दो निर्दोष लोगो को जेल में डाल दिया हैं ---हमारी बेटी तो अब मिलने से रही. "
हेतल सिहर जाती है, "ऎसा मत बोलो, खोडियार माता के मन्दिर के पुजारी ने इसकी जन्मपत्री देखकर कहा है कि इसमे इसका माँ बाप से कुछ दिन वियोग लिखा है, वह् ख़ुद किसी दिन आ जायेगी. `
"कब आयेगी ढिंगली, कितना वियोग है?"दिवांग के बिखरे बालों व बहकी हुई आँखों की तड़प से हेतल का दिल चाक चाक हो जाता था. उसने उसे कभी ऎसा बेहाल नहीं देखा है.
एक दिन पुलिस का फ़ोन आता है, "कुछ बच्चिया मुंबई जाने वाली ट्रेन में बेहोश मिली हैं. आप लोग पुलिस स्टेशन आ जाइये. "
"क्या इनमें ढिंगली भी है ?"
"उसकी फ़ोटो से तो कोई नहीं मिल रही लेकिन आजकल गुंडे प्लास्टिक सर्जरी भी करवा देते हैं इसलिए आप लोग आ ही जाओ. "
दोनों बदहवास घर के कपड़ों मे ही दौड़ लेते हैं. वहाँ पहुँचकर उन्हें पता लगता है कि उन दस से पन्द्रह साल की चार लड़कियों को होश आ गया है, वे एक सिपाही के बताये कमरे में प्रवेश करते हैं. वे लड़कियाँ एक कमरे में सहमी व मुरझाई सी बैठी चाय बिस्किट खा रही हैं. वे लड़कियाँ चौंककर उन्हे सूनी, खाली आँखों से देखने लगती हैं लेकिन वे सब निर्विकार हैं. वे दोनों हर बार की तरह निराश हो जाते है, "इनमें ढिंगली नहीं है. "
कॉन्स्टेबल उन्हें बताने लगा था, "ये लड़कियां बिना हिले डुले सोती हुई ट्रेन में सफ़र कर रही थी. बिलीमोरा आने पर वहाँ की सवारियो को शक़ हुआ उन्होंने शोर मचाया तो इन्हे किडनैप करने वाले दो आदमी व एक औरत भाग गए. इन्हे सायकोट्रापिक ड्रग्स के नशे में रक्खा था. "
“सायकोट्रापिक ड्रग्स ?`
` `यदि इस ड्रग को किसी को खिला दिया जाए तो वह् वही करता है जो उससे करवाया जाए. वही बोलता है जो उससे बुलवाया जाए. "`
"क्रिमिनल्स पकड़े गए या नहीं ?"
` `उन्हें भी बिलीमोरा के एक होटल से पकड़ लिया है. `
कितने ही बच्चे बरामद हों, कितने क्रिमिनल्स पकड़े जाए, यदि ढिंगली नहीं मिलती तो क्या फायदा. ?वे अपने कदम घसीटते घर लौट रहे हैं ----पहले ये शहर कितना भरा भरा सा लगता था ---एक रौनक थी ---लेकिन अब उन्हें लगता है कि एक उजाड़ कब्रिस्तान में वे जबरन विचर रहे हैं ---बच्चे अब भी कभी गायब हो जा रहे हैं ------कभी पुलिस पर तरस आता है लाखों की आबादी वाले शहर में कौन अपने सूटकेस में बम या बच्चा लिए जा रहा है कैसे पता लगाए ? शहर की गलियों की तरह अपराधियों की अपनी चैन है, कहाँ से कहाँ कब कोई चीज पार हो जाए पड़ोसियों को भी पता नहीं लगे---पार करने वाले इंसान --नहीं ---नहीं खूनी भेड़िये हैं ---जो सोचते नहीं है कि वे कितने ही माँ बाप के दिल में बिजली तड़पा देते हैं ----शहर के इन फूलों को कौन निगले जा रहा है ---सिर पटक लो लेकिन उत्तर नहीं मिलेगा. उत्तर बंद होगा अपराधियों के आकाओं के लैपटॉप में, वह भी कोड वर्ड में.
अचानक पुलिस ने सुबह ही सुबह इन दोनों को सूचना दी कि उनकी बेटी की उम्र की पीले घाघरा चोली में एक बच्ची की लाश नदी से निकाली गई है, वे शिनाख्त के लिये अस्पताल पहुँच जाएँ. एक महीना तो बचा है ढिगली को गायब हुए साल पूरे होने में. दिवांग तो घबराहट में एक सिपाही के साथ तेज़ी से चलता हुआ अस्पताल के शव गृह के अन्दर चला गया. शवगृह का दरवाज़ा खुलते ही फ़ॉर्मलिन की बदबू हेतल बेन के नाक में जा समायी वह् वही जड़ हो गई, उसने पलट कर दरवाजे से बाहर जाने की कोशिश की लेकिन महिला कॉन्स्टेबल ने उसकी कलाई पकड़ कर उसे कन्धे पर सहारा दिया, "बेन ! धीरज राखजो. "
उसे लग रहा है उसकी एक एक कोशिका झर झर काँप रही है. वह बेहद डर रही है उसने यदि ये दरवाज़ा पार किया तो ऎसे भयानक सच का सामना करना पड़ जायेगा जिस पर मरते दम तक विश्वास नहीं करना चाहती. वो पुलिस वाली उसे जबरन घसीटते हुए अन्दर ले आती है. एक कतार में मेज़ पर कपड़ा ढकी लाशों को देखना आसान नहीं होता दिवांग भाई दो पुलिस वालो के साथ पाँचवीं मेज़ के पास खड़े हैं.
जैसे ही एक कॉन्स्टेबल सामने की मेज़ की चादर का कोना पकड़ता है दिवांग भाई हेतल बेन की कमर में हाथ डाल देता हैं. हेतल ने कसकर आँखे बंद कर ली हैं व अपने दुप्पटटे को मुँह में ठूँस लिया है. कहीं चीख ना निकल जाए. उसे लग रहा है कि चक्कर खाते दिमाग से वह् नीचे गिर पड़ेगी. तभी दिवांग भाई की धीमी आवाज़ सुनाई देती है, " ये हमारी ढिंगली नहीं है, उसके तो होंठ के पास तिल था. उसके बाल भूरे व घुँघराले थे. "
एक झटके में हेतल ने अपनी आँखें खोल दी, उसके थरथराते शरीर में जैसे जीवन लौट आया हो, सामने एक ग्यारह बारह साल की लड़की की लाश पड़ी थी जिसने पीला घाघरा पहन रक्खा था, जिसे साबरमती नदी में से निकाला गया था ---उसे देखकर हेतल का कलेजा बाहर आ गया किसकी आंखों का तारा होगी ये ? लेकिन फिर भी तसल्ली थी कि ये ढिंगली नहीं है. ------कहीं कोई आस अब भी ज़िन्दा रहेगी. अपने से जुड़ें लोगों की मौत मौत होती है ---दूसरो की जीवन यात्रा. उस बच्ची का मुँह चादर से ढक दिया गया और वे सब बाहर निकाल आए.
हेतल व दिवांग अस्पताल से पैर घसीटते लौट रहे हैं ---यादें हैं कि पीछा नहीं छोड़ती. दिवांग का झमाका खाता दिमाग बेदर्दी से सोचने लगता है ---कश ! ये लाश ढिंगली की होती तो वे सब्र तो कर लेते कि वह मर गई, अपने कलेजे पर पत्थर रख लेते. लेकिन अब रातों को कलेजा दहल जाता है -----वह चौंक कर उठ जाता है मेरी बच्ची के साथ क्या हो रहा होगा ?---- कोई सर्जिकल चाकू मेरी बेटी के पेट की तरफ़ बढ़ रहा होगा -----------उस नन्ही को अश्लील ऑडियो सी डी सुनाई जा रही होगी ---- या अश्लील अदाओं वाला नाच सिखाया जा रहा होगा --------या ज़बरदस्ती उसे नशीली दवा देकर ब्ल्यू फ़िल्म के सामने बिठा दिया जा रहा होगा --- जिससे उसकी देह प्यास की कंदराओ में तड़पती हुई भटकना सीख जाये --------- इससे आगे की सोच पर वे हमेशा ताला डाल देता हैं. ------------ इतना भर सोचने पर ही उसका बदन थर्रा जाता है ---- बेटी का बाप है -------पास ही बिस्तर पर बैठी हेतल रोती दिखाई देती है. ---कहाँ ढूँढ़े अपनी प्यारी गुड़िया को ?
उसने निर्जीव हाथों से फ़्लेट का दरवाज़ा खोला, हेतल हर बार की तरह सोफे पर पर्स पटक उकड़ूँ बैठकर रोने लगी. दिवांग से झगड़े के बाद जब वह् ऎसे ही रोने बैठ जाती थी तो ढिंगली पानी का गिलास ले आती, "ले मम्मी !!पानी पी. "वह उसका सिर सहला ने लगती थी लेकिन अब कौन किसको पानी पिलाये दिवांग भी सोफ़े की कुर्सी पर निर्जीव सा बैठा है ---उसकी आँखों में धू ---धू ---काला धुओं भरने लगता है जैसे ---उसे अपने ही शहर के उस ऑटोरिक्शे वाले से जबरदस्त रश्क होने लगा है जिसने अपनी चार में से दो युवा होती बेटियों को ऑटो से बाँध उन पर केरोसिन छिड़क कर आग लगा दी है ---एन सी आई डी क्राइम ब्रांच के ऑफ़िस के सामने, जिसमे वह् अस्थायी कर्मचारी था ---क्यों होने दे अपनी बेटियों का अपहरण -----बलात्कार -----ह्त्या ?--कुर्सी पर बैठे बैठे दिवांग के दिमाग की निचली पर्तें कसमसाने लगती हैं-- --वह सीना पसीना हो गया है ---उसे पता होता कि ढिंगली---तो वह् भी ऑटो वाले की तरह ----वो भी काला गाढ़ा धुँआ सी आई डी क्राइमब्रांच के ऑफ़िस के चेहरे पर पोत देता ---उसे लगता है उसके सीने में ज़ोर का दर्द उठ रहा है.
थोड़ी देर बाद हेतल ने ही स्वयं को सम्भाला, ""तुम्हे ऑफ़िस के लिए देर हो रही है, खिचड़ी बना दूँ ?"
" इतनी लाशों को देखने के बाद किसे भूख लगेगी, कौन साला ऑफ़िस जा पायेगा ?"
"मै भी स्कूल नहीं जा रही. "वह् सोफ़े पर ऐसी निढाल लेट गई जैसे उसमें शक्ति ही नहीं बची हो, निचुद गई हो.
तभी दिवांग का मोबाइल बज उठा, "सर ! अब तो आपकी बेटी को गुम हुए एक बरस होने वाला है, मै आपके छुट्टा छेड़ा के लिए अगले हफ्ते डेट ले लूँ ?"
दिवांग दहाड़ उठा, "कौन साला छुट्टा छेड़ा ले रहा है ?"
हेतल उसकी दहाड़ से चौंक कर उठकर बैठ गई. वह फिर चीखा, "अगर फिर कभी मुझे फ़ोन किया तो जान से मार डालूंगा. "
वह् स्विच ऑफ़ करके सिसक उठा ---कहाँ ढूँढ़े अपनी बेटी को ज़मीन में ---आसमान में ---हवा में --कहाँ --कहाँ -----उसका स्पर्श ----उसकी गंध----- उसके होने का आत्मा में उतर जाने वाला वो अहसास --कहाँ ---कहाँ ---वह सिसकता हुआ हेतल के पास जा बैठा और उसके गले में बाँहें डालकर उसने ज़ोर से उसे ऎसे अपने सीने में जकड़ कर उसके दिल की धड़कनें अपने दिल की ध धड़कनों से मिला दीं जैसे वह कुछ ढूँढ़ रहा हो, वह भी उसके पसीने से भीगे सीने के बालों में अपना सिर कसकर रगड़ने लगी जैसे वह भी कुछ ढूँढ़ रही हो.
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श्रीमती नीलम कुलश्रेष्ठ